I saw some Nationalists coming out with posts in support of "Ādi Purush". Their argument is, this is "Rāmāyan" for the youth brought up on Hollywood movies and Marvel series. The movie wants to promote our epic and hence we should support -
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it. Well, I politely disagree with this line of thought. I have my reasons.
1. Youth brought up on Marvel series and Hollywood movies: The same youth lapped up Bahubali, Ponniyin Selvan and RRR. The most popular scene in RRR was where Alluri Sitarama Raju turns into -
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Rāma. These movies didn't happen in another era but right in the era of Marvel series. Same youth turned these movies into gigantic hits.
2. Promotes our epics: Nobody has seen Rāma or Sita or Hanumān. But there are certain enduring images before our eyes. Images -
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that have taken birth from the paintings of Raja Ravivarma. Images from old classic dramas. Images from classic Telugu movies. Images from Ramanand Sagar's "Rāmāyan" and subsequent versions. "Ādi Purush" negates all of them and creates an altogether new set of looks. -
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Simply abhorrent images.
3. Drawing our youth towards epics: Do we want our kids to learn about "our" epics the way we have known them ? Or do we want to westernize our epics to suit to the taste of a miniscule elite bunch of youth ? Should we change the imagery of -
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our parents and ancestors to make them acceptable to new generation ? It's like editing old family albums and family videos to show our ancestors wearing suits and frocks instead of their original Indian costumes just because some young people are used to watching -
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people in these "so called modern attires". That is unacceptable to me.
This has nothing to do with #BoycottBollywoodMovies trend. "Ādi Purush" is simply repulsive. I just cannot relate to any of the characters, not a single one. Vānara Sena in "Ādi Purush" looks like a -
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rehashed version of "Planet of Apes". Hanumān still looks like an Arab and Rāvana looks like Alauddin Khilji from SLB's "Padmavat". Size zero Sita with westernized expressions and Rāma who actually looks like Rāvana from our old classics.
I would not want our youngsters to
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know "Rāmāyan" the wrong way. Hence I reiterate, I politely disagree with those who think "Ādi Purush" is good to promote our epics among our youth. NO. We don't change our epics to suit the tastes or narratives of youth. We must mould our youth to watch and understand -
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our epics the way they should be told or shown.
I rest my case !
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आप सभी भारत के नागरिकों को सूचित किया जाता है कि, भारत के 22वें विधि आयोग (कानून कमीशन / लॉ कमीशन) द्वारा
दिनांक - 14/06/2023 को, समान नागरिक संहिता (यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड) विषय पर, भारत के आम नागरिकों तथा भारत की पंजीकृत धार्मिक संस्थाओं से, उनके सुझाव -
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व विचार मांगे गए हैं
यह सुझाव व विचार, दिनांक - 13/07/2023 तक, ई - मेल के माध्यम से, अपने घर में बैठे हुए ही, अपने मोबाइल, लैपटॉप, या कम्प्यूटर से, भेजे जा सकते हैं
यह सुझाव व विचार, नीचे दिए गए ई - मेल पते पर अथवा लिंक -
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आप सभी भारत के आम नागरिकों व धार्मिक संस्थाओं से निवेदन है कि, समान नागरिक संहिता के पक्ष में, अपने सुझाव व विचार, भारत विधि आयोग को, अवश्य भेजें । ताकि भारत के -
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कल तमिलनाडु के Electricity Minister सेंथिल को ED ने गिरफ्तार कर लिया. बेचारे ने बहुत रोना धोना किया... बाद में 3 vessels भी blocked मिली... अब बाईपास सर्जरी होगी.
इसी बीच तमिलनाडु ने हल्ला मचाना शुरू कर दिया है... अन्याय हो - 1/2
रहा है... देश में लोकतंत्र ख़त्म हो रहा है.... वहीं आम आदमी पार्टी भी शोर मचा रही है.. केजरीवाल ने तो सीबीआई/ED को बीजेपी सेना ही बोल दिया है.... हाय रात में मंत्री को arrest कर लिया... हाय मोदी हिटलर है... हाय लोकतंत्र की हत्या हो गई... Blah blah
पहले यह जानते हैं कि -
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यह मामला क्या है.
2011-2016 में तमिलनाडु में AIADMK (जयललिता वाली ) की सरकार थी... उस समय यही सेंथिल साहब Transport Minister थे... और in पर Transport Department और रोडवेज भर्ती में घोटाला करने का आरोप लगा था.
2015 में सेंथिल के खिलाफ पहली शिकायत दर्ज हुई..... उसके बाद -
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एक डॉक्टर को जैसे ही एक
urgent सर्जरी के बारे में फोन करके बताया गया.
वो जितना जल्दी वहाँ आ
सकते थे आ गए.
वो तुरंत हि कपडे बदल
कर ऑपरेशन थिएटर की और बढे.
डॉक्टर को वहाँ उस लड़के के पिता दिखाई दिए
जिसका इलाज होना था.
पिता डॉक्टर को देखते ही भड़क उठे,
और चिल्लाने लगे.. "आखिर- 1/2
इतनी देर तक कहाँ थे आप?
क्या आपको पता नहीं है की मेरे बच्चे की जिंदगी खतरे में है .
क्या आपकी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती..
आप का कोई कर्तव्य है
या नहीं ? ”
डॉक्टर ने हलकी सी मुस्कराहट के साथ कहा- “मुझे माफ़
कीजिये, मैं
हॉस्पिटल में नहीं था.
मुझे जैसे ही पता लगा,
जितनी जल्दी हो
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सका मैं
आ गया..
अब आप शांत हो जाइए, गुस्से से कुछ नहीं होगा”
ये सुनकर पिता का गुस्सा और चढ़ गया.
भला अपने बेटे की इस नाजुक हालत में वो शांत कैसे रह सकते थे…
उन्होंने कहा- “ऐसे समय में दूसरों
को संयम रखने का कहना बहुत आसान है.
आपको क्या पता की मेरे मन में क्या चल रहा है..
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