1 : 1908, बिहार का चंद्रा गाँव।
एक नन्हा बालक स्कूल पहुँचा —
पर जाति के नाम पर ज़मीन पर बिठा दिया गया।
पानी तक के लिए अलग घड़ा।
लेकिन उस बालक ने सिर नहीं झुकाया — बल्कि सीना तानकर खड़ा हो गया नाम था — बाबू जगजीवन राम।
गरीबी उसकी ज़िंदगी की वास्तविकता थी, दलित होना उसकी पहचान।
लेकिन उसका सपना अब सिर्फ घड़े की बराबरी नहीं, बल्कि गद्दी की समानता थी।
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से शिक्षा ग्रहण की, कोलकाता विश्वविद्यालय तक पहुँचे। 1935 में #DepressedClassesLeague की स्थापना की। और कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए — जहाँ से उनके साथ विश्वासघात की शुरुआत हुई। 👇
स्वतंत्रता लड़ाई में हर मोर्चे पर अग्रणी रहे। स्वतंत्रता के बाद —
नेहरू और इंदिरा गांधी की सरकार में
सबसे दक्ष और कुशल मंत्री के रूप में स्थापित हुए।
रेल, कृषि, रक्षा या श्रम —
जिस मंत्रालय को छुआ, वो इतिहास बन गया।
1971 में जब पाकिस्तान टूटा —
बांग्लादेश अस्तित्व में आया,
तो👇
उस युद्ध के पीछे खड़ा था एक दलित पुरोधा — रक्षा मंत्री बाबू जगजीवन राम थे।
उनकी रणनीति ने इतिहास की धारा मोड़ दी। लेकिन यही से इंदिरा की बेचैनी बढ़ने लगी —
कैसे एक दलित इतना सम्मानित,
इतना शक्तिशाली बन सकता है?
इंदिरा गांधी भयभीत थीं। उन्हें एहसास हो गया था कि ये व्यक्ति 👇
अगर यह यूं ही बढ़ता रहा,
तो इसके लिए प्रधानमंत्री की कुर्सी दूर नहीं।
1975 —
बाबूजी ने इमरजेंसी का डटकर विरोध किया और कांग्रेस पार्टी से का त्याग पत्र दे दिया और जनता पार्टी में शामिल हो गए।
1977 — जनता की जुबान पर एक ही नारा था — "बाबूजी को प्रधानमंत्री बनाओ!"
लेकिन तभी 👇
कांग्रेस ने रची इतिहास की सबसे कुत्सित साज़िश।
इंदिरा गांधी के इशारे पर,
संजय गांधी ने बाबूजी के पुत्र सुरेश राम की आपत्तिजनक तस्वीरें लीक करवा दी..मकसद स्पष्ट था — बाबूजी को नैतिक रूप से कलंकित करना।
देश को यह दिखाना कि —
"एक दलित का परिवार सत्ता के योग्य नहीं हो सकता।"
👇
यह मात्र एक षड्यंत्र नहीं था, दलित अस्मिता पर सीधा प्रहार था। दुर्भाग्यवश कांग्रेस का यह षड्यंत्र सफल रहा और
बाबूजी प्रधानमंत्री नहीं बन पाए।
देश अपना पहला दलित प्रधानमंत्री पाने से वंचित रह गया
एक ऐतिहासिक अवसर — कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता लोलुपता की बलि चढ़ गया।👇
कल्पना कीजिए —
यदि बाबूजी प्रधानमंत्री बनते,
तो शायद आज आरक्षण की आवश्यकता ही ना होती।
क्योंकि उसी दिन से बराबरी सत्ता में बैठ जाती।
यही है कांग्रेस का असली चेहरा!
नेहरू ने रोका,
इंदिरा ने उपयोग किया,
संजय ने अपमानित किया —
और कांग्रेस ने उन्हें सिर्फ वोटबैंक समझा, नेता नहीं। 👇
बाबू जगजीवन राम की कहानी
सिर्फ एक दलित नेता की नहीं,
बल्कि उस भारत की है जो अब भी अधूरा है।
जब भी कांग्रेस ‘दलित प्रेम’ की बात करे —
तो बाबूजी की आँखों में झाँकिए।
वहाँ आँसू नहीं, एक बुझे हुए सपने की चिंगारी मिलेगी !
👇
आज बाबू जी की जन्मजयंती पर उन्हें
सहस्त्रों नमन।
उनका साहस, उनका स्वाभिमान —
आगामी पीढ़ियों के लिए
प्रेरणा का अमर स्रोत बना रहेगा। 💐🙏
⏳ 1995 – कांग्रेस सरकार ‘वक्फ अधिनियम, 1995’ लाती है।
➡ वक्फ बोर्ड बिना किसी जांच के किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित कर सकता था!
➡ कोर्ट में कोई चुनौती नहीं – सिर्फ वक्फ ट्रिब्यूनल में अपील, जो बोर्ड के हाथ में था!
#wakfbill
कांग्रेसी षड्यंत्र की पूरी गाथा !👇
1 : कांग्रेस का इस्लामिक लैंड जिहाद शुरू!
➡ वक्फ अधिनियम 1995 (धारा 40, 51, 54, 85) –
वक्फ बोर्ड बिना जांच के किसी भी संपत्ति को अपनी घोषित कर सकता था।
➡ हिंदू, सिख, जैन, बौद्धों की संपत्तियों पर कब्जा किया जाने लगा !
#LandJihad
#wakfbill
2️⃣ सरकारी ज़मीनें भी हड़प लीं!
➡ धारा 51, 104A – वक्फ बोर्डों को सरकारी संपत्तियों पर भी दावा करने का अधिकार!
➡ दिल्ली, कर्नाटक, यूपी – हर जगह सरकारी संपत्तियां वक्फ घोषित होने लगीं।
➡ रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, हॉस्पिटल, स्कूल – सब पर वक्फ बोर्डों ने दावा ठोक दिया गया।
#WaqfLoot