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विकास यानि डेवलपमेंट
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1. गंगा जी में तैरता क्रूज़-

गंगा विलास क्रूज़ वाराणसी के रविदास घाट से रवाना होगी और बिहार बंगाल के रास्ते बांग्लादेश के रास्ते होते हुए असम के डिब्रूगढ़ पहुंचेगी. पूरी यात्रा कुल 51 दिनों की होगी.
इस क्रूज़ पर एक रात गुज़ारने का किराया है $ 300 यानि 24692 /- ₹ मात्र प्रति व्यक्ति । यानि पूरी यात्रा का करीब 12.5 लाख प्रति व्यक्ति । सपत्नीक जाइए तो 25 लाख खर्चने होगे । जगह भी केवल 30 व्यक्तियों भर की है । टिकट Antara Luxury River Cruises की बेवसाइट से बुक होगी और
देशी - विदेशी पर्यटकों के लिए किराया बराबर है ।

2. बनारस में गंगा जी के किनारे बसाई गई टेंट सिटी भी विकास का अद्भुत माडल है , तम्बू के बाहर बैठ कर मस्त गंगा घाट का नज़ारा ले सकते है ।

इस टेंट सिटी में एक रात गुज़ारने के अलग अलग पैकेज है । 7500/- , 10000/- , 12000/- और 20000/-
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जोशीमठ ही नहीं, काशी के घाट भी धंस रहे
जोशीमठ में जमीन के धंसने और हल्की दरारों की एक दशक पहले अनदेखी की गई। वही लापरवाही भरा नजरिया काशी में गंगा घाटों के साथ भारी पड़ता दिख रहा है। शोध अध्ययनों में दी गई वैज्ञानिक चेतावनियों की अनदेखी के दुष्प्रभाव घाटों पर दिखने लगे हैं।
प्रमुख घाट नीचे से खोखले होते जा रहे हैं। कई घाटों की सीढ़ियां और प्लेटफार्म धंसने लगे हैं।

ताजा वैज्ञानिक अध्ययन में सामने आया है कि अस्सी के निकट भदैनी घाट, चेतसिंह घाट, हनुमान घाट के अलावा सिंधिया, पंचगंगा और राजघाट के नीचे कटान से खतरनाक गहराई हो गई है।
प्रभुघाट, चौकी घाट, मानमंदिर, मणिकर्णिका और पंचगंगा मीरघाट और मणिकर्णिका घाट के घाटों पर सीढ़ियों एवं प्लेटफार्म के एक हिस्से में, धंसाव भी शुरू हो गया जिसे स्पष्ट देखा जा सकता है। कई प्रमुख घाटों के नीचे बनी खतरनाक गहराई, पक्के घाट खोखले हो रहे है। यह सब, पर्यावरण विशेषज्ञ और
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काशी में भगवान विश्वनाथ मंदिर के आसपास के आध्यत्मिक,धार्मिक महत्व के स्थानों को नष्ट कर दिया गया।

हजारों साल पुरानी मड़ियां, छोटे छोटे मंदिर तोड़ दिए गए। विग्रह (मूर्तियां) फेंक दिए गए।

इसका किसने विरोध किया। ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के अलावा
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विरोध का कोई स्वर नहीं सुनाई नहीं दिया।

नतीजा,काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बना।यह स्थान अब पर्यटन स्थल हो गया है। इसके रखरखाव और संरक्षण का ठेका एक ब्रिटिश कम्पनी के पास है।

उज्जैन का महाकाल मंदिर..।शैव तांत्रिकों, मांत्रिकों के आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में
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से एक, इसलिए श्रद्धालुओं की आस्था का मानबिन्दू।

फिर...। फिर मंदिर के आसपास की उन खोलियों, मड़ियों को नष्ट कर दिया गया,जहां तांत्रिक, मांत्रिक, जाप और अनुष्ठान करते थे।

और फिर अस्तित्व में आया महाकाल लोक।ये लोक धर्म कर्म का क्षेत्र नहीं,पर्यटन स्थल ही है। इस लोक का रखरखाव कौन
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