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#जय_भीम_के_जनक_हरदास_लक्ष्मणराव_नगराले_जन्मजयंती
''जय भीम'' अभिवादन के जनक व व्यवस्था परिवर्तक बाबू हरदास लक्ष्मणराव नगराले जी को आज उनकी जन्मजयंती 06जनवरी पर सादर मानवंदन|
बाबू हरदास का जन्म महार परिवार मे नागपुर स्थित कामठी मे 06जनवरी1904 मे हुआ था जिस मोहल्ले मे उनका जन्म हुआ
था, वह आज उन्ही के नाम हरदास नगर के नाम से जाना जाता है| सामाजिक कार्यों की शुरुआत उन्होने महज 17साल की उम्र से ही शुरू कर दी थी| 1922 मे महाराष्ट्र के मूलनिवासी संत चोखामेला के नाम पर उन्होने एक छात्रावास शुरू किया| 1924 मे उन्होने एक प्रिंटिंग प्रेस खरीदी थी और सामाजिक जागृति
के लिये “मंडई महात्म्य” नामक किताब लिखी थी, साथ ही “चोखामेला विशेषांक” भी निकाला था| बाबासाहेब के आंदोलनो मे उन्होने बढ- चढकर हिस्सा लिया| 1930 के नासिक कालाराम मंदिर सत्याग्रह तथा 1932 मे पूना पैक्ट के दौरान उन्होने बाबासाहेब के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई| मूलनिवासी बहुजन समाज
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#महात्मा_ज्योतिबा_फुले_जयंती 195 वीं जयंती दिन (जन्म : 11 अप्रैल,1827) के उपलक्ष्य में आपको और आपके परिवार को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं 💐🙏
#महान_समाज_सुधारक ,सामाजिक क्रांति के अग्रदूत,बाबा साहेब आंबेडकर जी के गुरु,शिक्षा के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के लिए आजीवन कड़ा संघर्ष,
त्याग व तपस्या करके ऐतिहासिक कार्य करने वाले,विचारक,दार्शनिक,लेखक,
ज्योतिबा केवल समाज-सुधार करना नहीं चाहते थे,वे एक वर्गहीन और शोषणमुक्त समाज का निर्माण करना चाहते थे,सामाजिक क्रांति करना चाहते थे।इसी से उन्हें 'सामाजिक क्रांति के अग्रदूत'कहा जाता है।
इस सामाजिक क्रांति के लिए
तीन बातें करना आवश्यक था- 1. तत्कालीन शोषित-उपेक्षित जनता को अपनी गुलामी और शोषण की प्रतीति कराके उसके प्रति उनके मन में क्रोध उत्पन्न करना।
2. उन शोषितों में आत्मसम्मान जगाना और
3. विभिन्न जातियों में बॅ॑टे हुए शूद्रातिशूद्र वर्ग में मूलतः उनके एक होने का भाव उत्पन्न करना।
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🙏🏼 #चांगदेव_खैरमोडे_लिखित #डॉ_भीमराव_रामजी_आंबेडकर #१_ते_१२_खंड❣️

❣️डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर यांचं काम जगाला माहित करून देणारा माणूस, चरित्रकार चांगदेव खैरमोडे हे होय..बाबासाहेबांच्या विद्वत्तेचा, विचारसरणीचा आणि कष्ट करण्याच्या तळमळीचा खैरमोडे यांच्यावर प्रचंड प्रभाव पडलेला होता.
तो त्यांच्या वैचारिक जडणघडणीस आणि वैयक्तिक विकासास पोषक ठरला असल्याने त्यांनी त्याच काळात तबाबासाहेबांचं चरित्र लिहिण्याचा मनाशी निश्चय केला होता. बाबासाहेबांच्या प्रेरणेनेच त्यांनी काही लेखन करण्यास सुरवात केली होती.इंग्रजी साहित्यात महत्त्वपूर्ण 👇
योगदान दिलेल्या डॉ. सॅम्युअल जॉन्सन यांच्या जेम्स बॉस्वेलने लिहिलेल्या प्रसिद्ध चरित्राच्या धर्तीवर डॉ. आंबेडकरांचं चरित्र लिहिण्याचं खैरमोडे यांनी ठरवलं होत.बॉस्वेलने २० वर्षांहून अधिक काळ अफाट काम करून आपल्या विलक्षण स्मरणशक्तीच्या जोरावर डॉ. जॉन्सन यांची भाषणं रोजच्या रोज 👇
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