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कोण आहे श्रीकृष्ण ?

पहिला अपशब्द ऐकल्यानंतर शिरच्छेद करण्याची शक्ती असताना सुद्धा नव्यान्नव अपशब्द ऐकण्याचा संयम आहे ! सुदर्शन चक्रासारखे शस्त्र असताना सुद्धा हातात मुरली आहे ! द्वारका नगरी सारखं वैभव असताना देखील सुदामा सारखा मित्र आहे ! शेषनागाच्या मृत्यू रुपी मुखावर उभे
असताना देखील नृत्य होत आहे ! प्रचंड सामर्थ्य असताना देखील युद्धात सारथी बनून सारथ्य करत आहे ! तो श्रीकृष्ण आहे.

श्रीकृष्ण व्यक्ती नाही, विचार आहे. जन्मानंतर लगेच जन्मदात्यांना सोडावं लागलं ! पालनकर्त्यांनाही सोडावं लागलं ! मित्रमंडळींना सोडावं लागलं ! जिच्यावर प्रचंड प्रेम केलं
तिलाही सोडावं लागलं! गोकुळ सोडलं ! शेवटी मथुरा ही सोडली ! आयुष्याच्या प्रत्येक टप्प्यावर परिस्थितीच अशी निर्माण झाली की काही ना काही सोडावं लागलं ! पण काही सोडावं लागलं नसेल, तर ते आहे... देवत्व! निर्मळ हास्य ! प्रचंड मोठी सकारात्मकता !

श्रीकृष्ण जाणून घेणे म्हणजे जीवनाचा सार
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शास्त्र कहते हैं कि अठारह दिनों के महाभारत युद्ध में उस समय की पुरुष जनसंख्या का 80% सफाया हो गया था। युद्ध के अंत में, संजय कुरुक्षेत्र के उस स्थान पर गए जहां संसार का सबसे महानतम युद्ध हुआ था।

उसने इधर-उधर देखा और सोचने लगा कि क्या वास्तव

#सनातन_धर्म_सर्वश्रेष्ठ_है 🚩 Image
में यहीं युद्ध हुआ था?
यदि यहां युद्ध हुआ था तो जहां वो खड़ा है, वहां की जमीन रक्त से सराबोर होनी चाहिए। क्या वो आज उसी जगह पर खड़ा है जहां महान पांडव और कृष्ण खड़े थे?

तभी एक वृद्ध व्यक्ति ने वहां आकर धीमे और शांत स्वर में कहा, "आप उस बारे में सच्चाई कभी नहीं जान पाएंगे!"
संजय ने धूल के बड़े से गुबार के बीच दिखाई देने वाले भगवा वस्त्रधारी एक वृद्ध व्यक्ति को देखने के लिए उस ओर सिर को घुमाया।

"मुझे पता है कि आप कुरुक्षेत्र युद्ध के बारे में पता लगाने के लिए यहां हैं, लेकिन आप उस युद्ध के बारे में तब तक नहीं जान सकते, जब तक आप ये नहीं जान लेते हैं
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सच्चिदानन्दरूपाय विश्वोत्पत्त्यादिहेतवे।
तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नुमः॥
!१/१!

सच्चिदानन्दस्वरूप भगवान् श्रीकृष्णको हम नमस्कार करते हैं, जो जगत् की उत्पत्ति, स्थिति और विनाशके हेतु तथा आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक~ तीनों प्रकारके तापोंका नाश करनेवाले हैं॥१!!#जयश्रीकृष्ण Image
यं प्रव्रजन्तमनुपेतमपेतकृत्यं
द्वैपायनो विरहकातर आजुहाव।
पुत्रेति तन्मयतया तरवोऽभिनेदु-
स्तं सर्वभूतहृदयं मुनिमानतोऽस्मि॥
!१/२!

जिस समय शुकदेवजीका बिना यज्ञोपवीत-संस्कार हुए संन्यासके लिए जाते देखकर पिता व्यासजी पुकारने लगे~बेटा!कहां जारहे हो?उस समय वृक्षोंने उत्तर दिया था॥२!!🙏 ImageImage
नैमिषे सूतमासीनमभिवाद्य महामतिम्।
कथामृतरसास्वादकुशलः शौनकोऽब्रवीत्॥
!१/३!

एक बार भगवत्कथामृतका रसास्वादन करनेमें कुशल मुनिवर शौनकजीने नैमिषारण्य क्षेत्रमें विराजमान महामति सूतजीको नमस्कार करके उनसे पूछा॥३!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्
#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam Image
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