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भूटान के बौद्धों का लिंग मत और उनका काम देव कुनले

भूटान के थिम्पू में अधिकतर घरो पर मानव लिंग की आकृतिया बनी है अधिकतर लिंग जो दीवार पर लगाये या बनाये जाते हैं, वे इंसानी लिंग से बड़े होते हैं..

साभार : विकिपीडिआ & बाबा-बाबा
en.wikipedia.org/wiki/Phallus_p…
1/5 #नमोबुद्धाय #Buddhism Image
ये लिंग भी विभिन्न आकर, रंग आदि में मिलते हैं कोई ड्रैगन के आकार का होता है, तो कोई रिबन से बंधा होता है जैसे की कोई तोहफा हो. कुछ में आँखें भी होती हैं, और सभी सख्त एवं खड़े हुए होते हैं

इन बने लिंगो को उनकी आकृति को भूटानी लोग अपनी और बुद्ध मत की परम्परा की शान बताते है |
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भूटानी लोगो के अनुसार शहरी करण और आधुनिक करण से उनकी ये कला विलुप्त हो रही है इन लोगो का अंधविशवास है कि इससे (घरो के बाहर लिंग बनाने से ) इनमे सेक्स क्षमता बढती है |
भूटान के लोग लिंग को अपने घरो में इसलिए टांगते हैं जिससे उनका घर, और परिवार के लोग बुरी ताकतों से बचे रहें
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बुद्ध का मल मूत्र खाना

आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि स्वयं बुद्ध अघोरियों की तरह रहे थे अर्थात् बुद्ध श्मशान में रहते थे। मुर्दों की हड्डियों का तकिया लगाते थे। बछडों का गोबर खाते थे और खुद का भी मल - मूत्र खा जाते थे। ये बात किसी ऐसी वैसी पुस्तक में नहीं लिखी है,

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बल्कि बौद्धों के प्रामाणिक ग्रंथ त्रिपिटक के मज्झिम निकाय में लिखी है। हम यहां मज्झिम निकाय (अनु. राहुल सांस्कृत्यायन) का स्क्रीन शाँट प्रमाण स्वरुप प्रस्तुत कर रहे हैं।

ये चित्र मज्झिम निकाय अध्याय 12 महासीहनाद (1/2/2) हिन्दी अनुवाद के पेज क्रमांक 49-50 का है। Image
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यहां बुद्ध सारिपुत्र को बता रहे हैं कि उन्होने बछडों का गोबर खाया था और खुद का मल - मूत्र भी खाया था। वो श्मशान में मूर्दों की हड्डियों का तकिया लगा कर सोते थे। यहां तक की बुद्ध नहाते - धोते तक नही थे। Image
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सृष्टि के आरम्भ में चावल खाने से स्त्रियों में योनि और पुरुषों में शिश्न उत्पन्न हुआ (1/10)

मनुष्योत्पत्ति कैसे हुई? इस बारे में बौद्ध धम्म के दीर्घनिकाय में लिखा है -

जब प्रलय के बाद पुनः सृष्टि होती है तो आभास्वर लोक से सत्व (प्राणी विशेष) धरती पर आते हैं।

#Alien #नमोबुद्धाय सृष्टि के आरम्भ में चावल खा...
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वे उस समय न स्त्री होते हैं और न ही पुरुष होते हैं। वे मनोमय, प्रीतिभक्ष, शुभचारी होते हैं।

दोस्तों बौद्ध विज्ञान बता रहा है कि मनुष्योत्पत्ति धरती पर दूसरे लोक (आभास्वार लोक) से आये हुए प्राणियों के द्वारा हुई थी। अर्थात् एलियनों से उत्पत्ति का सिद्धांत एसिंयट एलियन
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(हिस्ट्री टीवी) से बहुत पहले ही बौद्धों ने दे दिया था। यहां बौद्ध मत का यह सिद्धांत विकासवाद के भी पूर्णतः विपरीत है। जबकि नास्तिक लोग विकासवाद को पूर्णतः सत्य मानते हैं। अब नास्तिकों को अन्य धर्मों की तरह बौद्ध धम्म को भी विज्ञान के मामले में गप्प मान लेना चाहिए।
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बुद्ध मत में भविष्यवाणी ओर भाग्यवाद सम्बंधित पाखंड :-

उपरोक्त चित्र लाफिंग बुद्ध का है ,,जिसे ये बुद्ध लोग ये मानते है कि घर में रखने से सुख समर्धि और शांति प्राप्त होती है …अब भला बिना पुरुषार्थ के एक जड़ से सुख शांति कैसे मिल सकती है
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#नमोबुद्धाय #जयभीम #Buddha #Buddhism Image
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ये बात तो यही बुद्ध जानते होंगे

… इनता ही नही ये बुद्ध किसी भी व्यक्ति की भविष्यवाणी भी कर देते थे ..पुब्बकम्मपिलोतिक बुद्ध अपदान में बुद्ध ओर उनसे पूर्व के २४ और साथ के ३ और आगे आने वाले बुद्ध के बारे में ..उनके जीवन परिचय के बारे में है …

#नमोबुद्धाय #जयभीम #Buddha
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इसी के बुद्धपकिण्णक कण्ड के अनुसार गौतम बुद्ध आने वाले बुद्ध मेतेर्य बुद्ध की भविष्यवाणी करते है .. (१) सरुची नाम के तपस्वी के लिए पनोमदस्सी भगवान ने भविष्य वाणी की कि यह अपने अंतिम जीवन में सारिया नाम की ब्राह्मणी की कोख से पैदा होकर सारीपुत्त नाम वाला होकर
#नमोबुद्धाय
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बुद्ध मत में अन्धविश्वास

अक्सर बुद्ध मत के समर्थक ओर नास्तिक अम्बेडकरवादी सनातन धर्म पर अंधविश्वास का आरोप लगाते है ,ओर खुद को अंधविश्वास रहित बताते बताते नही थकते है ..लेकिन हद तो तब कर देते है जब वेदों पर भी अंधविश्वास का आरोप लगाते है
#नमोबुद्धाय #जयभीम #Buddha #Buddhism
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..यहाँ हम बुद्ध मत में वर्णित विभिन्न तरह के अंधविश्वास ,काल्पनिक बातें और आडम्बर के बारे में बतायेंगे ..बुद्धो में हीनयान,महायान ,सिध्यान ,वज्रयान नाम के कई सम्प्रदाय है इन सभी में अंधविश्वास आपको मिल जायेगा … बुद्धो में भूत ,पिशाच के बारे में अंध विश्वास :-

#जयभीम
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एक समय की बात है कि मुर्रा नाम की एक भूतनी ने भेष बदल कर बुद्ध से प्रेम का इकरार किया लेकिन बुद्ध ने मना कर दिया ,,उसने नृत्य ,श्रृंगार ,रूप आदि से बुद्ध को लुभाने की खूब कोसिस की लेकिन बुद्ध ने उसकी एक न मानी ..तब क्रोधित मुर्रा भूतनी ने बुद्ध पर आक्रमण किया

#Buddhism
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ट्विटरवर @ReallySwara स्वरा भास्कर च्या एका ट्विटने एका नवीन वादाला जन्म दिला आहे.आंबेडकरवादी कोणाला म्हणायचे ? हाच एक सगळ्यात महत्त्वाचा मुद्दा आहे ! "आंबेडकरवाद" याची व्याख्या काय आहे ? आंबेडकरी समाजाला काय सांगायचे आहे ? त्याचा नेहमी विपर्यास केला जातो. 😑 का ?
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हा सगळा घोळ आहे तो फक्त दृष्टिकोनाचा.बोलण्याच्या पद्धतीचा.सांगण्याच्या पद्धतीचा.आंबेडकरवादी, लोकांना काय सांगू इच्छितात आणि लोक त्याचा काय अर्थ काढत आहेत. एक तर आंबेडकरवादी लोक समजावीण्यात कमी पडत आहेत. एक तर लोकांना कढत नाही किंवा कळल्यावर ही न कळण्याच ढोंग करत आहेत.

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किंवा आंबेडकरवादी लोकांनाच आंबेडकरवाद मुळात कळला नाही ? यापैकी काहीही होऊ शकत.आंबेडकर वाद म्हणजे काय ? तर सर्वात सोपी भाषेत म्हणजे तर "अंधश्रद्धेला दूर करून वैज्ञानिक दृष्टिकोनातून जग अथवा परिस्थिती पाहणे" याला आंबेडकर वाद आपण म्हणू शकतो. अथवा यालाच आंबेडकर वाद म्हणतात.

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