Discover and read the best of Twitter Threads about #ब्राह्मण

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लगता है लिबरल्स की सुलगाने का टेंडर थोक के भाव उठाया है @SushantBSinha भैया आपने 😂
#ब्राह्मण
पत्रकार सुशांत सिन्हा जी ने बागेश्वर बाबा अर्थात धीरेंद्र शास्त्री जी के ऊपर एक कार्यक्रम किया जिसमें उन्होंने उनके पुराने घर और आज के आवास को भी दिखाया।पुराने घर को देखकर ही परिवार
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की आर्थिक विपन्नता का आकलन हो जाता है।आज भी लाखों की भीड़ होने के बावजूद बाबा जी का आवास बड़ा ही साधारण सा है। बाबा की पुरानी झोपड़ी संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए चीख चीख कर गवाही दे रही है कि किस प्रकार ब्राह्मण अपने किले में बैठकर सबका शोषण करते हुए जाति प्रमाण पत्र बांटा
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करता था।सभी गांवों में ब्राह्मणों के पास ऐसे ही मजबूत किले होते थे जिनकी प्राचीरों के बीच बैठ कर पांडेय, मिश्रा, तिवारी, शुक्ला, जोशी आदि सरनेम धारी भागवत जी के अनुसार अपने फायदे के लिए धर्मग्रंथों में मिलावट किया करते थे।
अरे एहसान मानों ऐसे ब्राह्मण परिवारों का जिन्होंने
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#ब्रह्म और #ब्राह्मण संस्कृत भाषा का शब्द है, और #संस्कृत भाषा का लेखनी नागरी लिपि की #वर्णमाला द्वारा ही सम्भव है| और #नागरी लिपि की वर्णमाला का क्रमिक विकास नौवीं सताब्दी बाद बाह्मी लिपि की वग्गमाला से हुआ है| देखे #चित्र 👉1 और #वैदिक संस्कृत या #क्लासिकल संस्कृत भाषा का मिलना
नौवीं सताब्दी बाद हुआ है और आज की #ब्राह्मणी_ग्रंथो का मिलना #बारहवीं सताब्दी बाद से होता है| दूसरी बात नौवीं सताब्दी के बाद संस्कृत भाषा से बने #ब्रह्म और #ब्राह्मण का अर्थ भी #व्यक्तिवाचक और #जातिवाचक होता है| लेकिन वही पालि भाषा वाला सद्द #बम्ह और #बाम्हण का अर्थ #गुणवाचक
होता है| जैसे- बंदर एक जातिवाचक नाम है और एक बंदर नाम की प्रवृति या गुण मनुष्य मे पाया जाता है| यानी एक बंदर नाम की जाति और दूसरा बंदर नाम का गुण स्वभाव मनुष्य मे| इसलिए बम्ह और ब्रह्म, बाम्हण और ब्राह्मण के लेखनी का अंतर और अर्थ मे अंतर समझने के लिए, अभिलेखो की दुनिया मे चलना
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#कॉंग्रेस_के_कुकर्म और काँग्रेस की षड्यंत्रनीति "फूट डालो और राज करो"

☝️ऐसे रची जाती है बाँटने की साजिश...😡

☝️मुस्लिम को मुस्लिम कहा जाता है,

☝️ईसाई को ईसाई

☝️सिक्ख को सिक्ख*** (सिक्खों को हिन्दुओं से अलग दिखाना ही एक बहुत बड़ा षड्यंत्र है)

☝️लेकिन हिंदू हो तो...🤔🤔🤔

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☝️उसे दलित,ब्राह्मण,जाट,राजपूत,पटेल,बनिया,गुर्जर आदि बताया जाने लगता है ताकि हिन्दू एकजुट न हों...

☝️70 सालों से कांग्रेस इसी तरह हम पर राज करती आयी है,
☝️सबसे बड़ा दुःख तो इस बात का है कि "इसमें उसका साथ हम हिन्दुओं ने ही दिया है।"

☝️क्योंकि अपना-अपना वर्चस्व,

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अपनी "शान ओ शौकत" में,अपने नाम चमकाने में कमी नहीं आनी चाहिए...

☝️अब तो समझ जाओ कम से कम अब तो अपनी #आँखें पूरी खोलिए भाईयो

☝️कभी #गुजरात के दलितों-पटेलों को भड़काया😠
☝️तो कभी #हरियाणा के जाटों-गुर्जरों को😠 और
☝️तो कभी #महाराष्ट्र के मराठों और दलित को😠

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आज जितने भी जातिवादी लेखक है, वैसे सभी लेखकवृन्द सम्राट अशोक द्वारा लिखित बृहद चतुर्थ अभिलेख को कोट करते हुए लिखते है कि सम्राट अशोक ने अपने लेख मे #ब्राह्मण और #श्रमण का उल्लेख किया है| इसलिए, उस समय ब्राह्मण नाम की जाति वर्ण स्थापित था|
अब यहां आपलोग उस अभिलेख की छायाप्रति देखे
जो पोस्ट मे संलग्न है, अंडरलाइन किया हुआ शब्द #बम्हणसमणानं है|
अब इस बम्हणसमणानं शब्द को वर्तमान लेखकगण दो भागो मे तोडकर बताते है कि यहां बम्हण और समणानं दो संज्ञा नाम लिखा है, जबकि ऐसा नही है|
इसी अभिलेख को पुनः देखे, लाल रंग से अंडरलाइन किया हुआ शब्द के नीचे हरा रंग वाले
अंडरलाइन को देखे, उसमे #पुत_च_पोता_च_पपोता लिखा हुआ है|
एक अभिलेख, एक भाषा, एक लेखक, फिर दो प्रकार का अर्थ और लेखन कैसे सम्भव है? एक अर्थ का उपयोग करे👈 एक जगह दो शब्दो के बीच मे अंतराल बनाने हेतु #च का प्रयोग किया गया है तो फिर बम्हणसमणानं के बीच मे भी च का प्रयोग होना चाहिए था|
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जब भी कोई #चोटी और #जनेऊ को देखता है तो उनके मन में एक धारणा होती है कि ये #ब्राह्मण है!और कई तो पूछ भी लेते है कि आप ब्राह्मण हो क्या?

*लेकिन उन्हें जब पता चलता है कि ये #जाट #रोड़ #गुर्जर #यदुवंशी #बनिया #क्षत्रिय #वाल्मीकि #वनवासी हैं तो वो पूछते हैं कि दूसरे कास्ट होकर 👇
#चोटी क्यों रखते हो?*

*अब यहाँ एक सवाल खड़ा होता है!*

*क्या आप कभी किसी #सरदार_जी से पूछते हो कि #पगड़ी क्यों बांधते हो?*

*किसी #मौलाना_जी से पूछते हो #गोल टोपी क्यों पहनते हो?*

*किसी #ईसाई से पूछते हो यीशु का #लोकेट क्यों पहनते हो?*

*सोच विचार कर देखिए आज कितने #हिन्दू👇
चोटी रखते हैं?
*कितने #जनेऊ पहनते हैं?

*कितने* *#वेद,#शास्त्र,#उपनिषद,#दर्शन,#रामायण,#महाभारत, #सत्यार्थ_प्रकाश #गीता आदि ग्रन्थ पढ़ते हैं?

*हमारे #पतन का कारण हम स्वयं है!
*समाज में मुश्किल से कुछ प्रतिशत लोग है जो अपनी पहचान बनाए हुए है! उन्हें भी लोग अलग ही नजरिए से देखते है
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1.
#दशहरा
🏵️ आजकल सोशल मिडिया पर एक #ट्रेंड बहुत तेजी से चल पड़ा है,
#रावण_के_बखान
– कि वो एक प्रकांड पंडित था जी!
– उसने #माता_सीता को कभी छुआ नहीं जी!
– अपनी #बहन के अपमान के लिये पूरा कुल दाव पर लगा दिया जी!
अरे भाई, माता सीता को ना छूने का कारण उसकी #भलमनसाहत नहीं...
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2.
– बल्कि #कुबेर के पुत्र #नलकुबेर द्वारा दिया गया शाप था!
🏵️ कभी लोग ये कहानी सुनाने बैठ जाते हैं कि एक मां अपनी बेटी से ये पूछती है कि तुम्हें कैसा भाई चाहिये,
बेटी का जवाब होता है👉 रावण जैसा!
जो अपनी #बहन के अपमान का बदला लेने के लिये सर्वस्व #न्योंछावर कर दे...😌
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3.
#भद्रजनो, ऐसा नहीं है👋
🏵️ रावण की बहन #सूर्पणंखा के पति का नाम #विधुतजिह्व था"
जो राजा #कालकेय का सेनापति था!
जब रावण तीनो लोको पर विजय प्राप्त करने निकला तो उसका युद्ध कालकेय से भी हुआ,
जिसमे उसने विधुतजिव्ह का वध कर दिया!
तब सूर्पणंखा ने अपने ही भाई को श्राप दिया कि
👇👇4.
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#कश्मीरनामा
#कश्मीर_और_कश्मीरी_पंडित
क्या #ब्राह्मण कश्मीर के मूलनिवासी हैं ?
आम तौर पर कश्मीरी पंडितों के नैरेशन में यह बताया जाता है कि कश्मीर में ब्राह्मणों के अलावा कोई जाति नहीं थी और ये ब्राह्मण कहीं और से नहीं आए थे बल्कि यहीं के मूल निवासी थे। उदाहरण के लिए 1996 से 1999+
तक कश्मीरी एसोसिएशन के अध्यक्ष तथा1997से 2000तक ऑल इंडिया कश्मीरी समाज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रहे शिया पोस्ट-ग्रेजुएट कॉलेज,लखनऊ से सेवानिवृत डॉ.बैकुंठनाथ शर्गा कश्मीरी ब्राह्मणोंको #सरस्वतीनदी के किनारे रहने वाले संत-महात्माओं की संतानें बताते हैं जो कश्मीर में जाकर2000 ईसा-पूर्व++
बस गए थे। वह इन्हे शुद्ध #आर्य नस्ल का बताते हैं और इनकी उत्पत्ति भारतीय मानते हैं। इसी आधार पर वह दावा करते हैं कि कश्मीर में सिर्फ़ ब्राह्मण निवास करते थे।
लेकिन इस दावे की बाक़ी आलोचनाओं को छोड़िये, #राजतरंगिणी का एक सावधान पाठ भी इसे आधारहीन साबित करदेता है। #कल्हण न केवल+
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#पुष्यमित्र_शुंग एक ऐसा महान #ब्राह्मण राजा जिसकी वजह से आज हिन्दू धर्म जीवित है वरना कब का पुरा हिन्दुस्तान बौद्ध धर्म अपना लेता…!

बात आज से 2100 साल पहले की है।
एक किसान ब्राह्मण के घर एक पुत्र ने जन्म लिया। नाम रखा गया पुष्यमित्र।
पूरा नाम पुष्यमित्र शुंग
और वो बना एक महान हिन्दू सम्राट जिसने भारत को बुद्ध देश बनने से बचाया।
अगर ऐसा कोई राजा कम्बोडिया, मलेशिया या इंडोनेशिया में जन्म लेता तो आज भी यह देश हिन्दू होते।जब सिकन्दर ब्राह्मण राजा पोरस से मार खाकर अपना विश्व विजय का सपना तोड़ कर उत्तर भारत से शर्मिंदा
होकर मगध की और गया था उसके साथ आये बहुत से यवन वहाँ बस गए।
अशोक सम्राट के बुद्ध धर्म अपना लेने के बाद उनके वंशजों ने भारत में बुद्ध धर्म लागू करवा दिया।
ब्राह्मणों के द्वारा इस बात का सबसे अधिक विरोध होने पर #ब्राह्मणो का सबसे अधिक कत्लेआम हुआ।
हज़ारों मन्दिर
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एक 26 वर्ष का युवा जिसकी आंखो में आरामदायक सुनहरे भविष्य के सपने होते है,उस छोटी सी उम्र में #राजेन्द्र_नाथ_लाहिडी़ ने अनेक कष्ट सहते हुए मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।

अर्थशास्त्र और इतिहास जैसे विषयों से एम ए के पढ़ाई कर रहे राजेंद्र ने आजादी के लिए संघर्ष किया
और फांसी से पहले भगवद गीता पढ़ी, फंदे को चूमा और #ब्राह्मण परिवार के संस्कारों के कारण प्रखर विश्वास था कि हिंदू होने के नाते मृत्यु के बाद मेरा पुनर्जन्म स्वतंत्र भारत में होगा,
आजतक किसी को पता नहीं की उनका अंतिम संस्कार कहां किया गया
लेकिन दुर्भाग्य ये है कि ऐसे आजादी के सच्चे नायकों को देश ने लगभग भुला दिया है, जबकि अम्बेडकर जैसे लोगो पर बड़े बड़े लेख लिखे जाते है,उन्हें भारत का कर्णधार बताया जाता है।
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#तुलसीदासजी का जन्म संवत्‌ 1554 की श्रावण शुक्ल सप्तमी के दिन #सरयूपारीण #ब्राह्मण के परिवार में हुआ था
जन्मते समय बालक तुलसीदास रोए नहीं, किंतु उनके मुख से
#राम का शब्द निकला। उनके मुख में बत्तीसों दाँत मौजूद थे जिसे देखकर पिता अमंगल की शंका से भयभीत हो गए थे।
तुलसीदास लगभग साढ़े पाँच वर्ष अनाथ हो गए थे। ऐसी मान्यता है #माता #पार्वती ब्राह्मणी का वेश धारण कर प्रतिदिन उसके पास जातीं और उसे अपने हाथों से भोजन करा जातीं। संवत्‌ 1561 माघ शुक्ल पंचमी श्री नरहरि ने उसका यज्ञोपवीत संस्कार कराया और उनका नाम #रामबोला रखा।
बिना सिखाए ही बालक रामबोला ने #गायत्री-मंत्र का उच्चारण किया, जिसे देखकर सब लोग चकित हो गए।
अयोध्या में ही रहकर उसे विद्याध्ययन कराने लगे।
बालक रामबोला की बुद्धि बड़ी प्रखर थी। एक बार गुरुमुख से जो सुन लेते थे, उन्हें वह कण्ठस्थ हो जाता था।
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प्रिय राघव जी @yapragun की प्रेरणा से कुछ विचार रखने की चेष्टा कर रही हूं. मैं पहले ही ये स्पष्ट कर दूँ कि मैं आधुनिकता के विरुद्ध बिल्कुल नहीं हूं. लेकिन मेरा ये मानना है कि जो अपनी जड़ों से दूर हो जाता है उसकी हालत डोर से कटी हुई पतंग की तरह हो जाती है
. हाँ जो गलत है काल संगत नहीं है उन चीजों को बदलना जरूरी है.
मशहूर साहित्यकार #शिवानी की बेटी ईरा पांडे बताती हैं, " मेरे नाना के बगल का घर डेनियल पंत का था। जो की एक #ईसाई थे।
गलत ये नहीं उनका ईसाई होना, संस्कृति का फर्क़ है.
हमारे दकियानुसी नाना ने उनकी दुनिया को हमारी दुनिया से अलग करने के लिए हमारे घरों के बीच एक दीवार बना दी थी। हमें सख्त हिदायत थी कि हम दूसरी तरफ देखे भी नहीं।

अभी ऐसे कोई बोले तो न कोई सुनेगा या तो लंबा भाषण देगा, लेकिन नानी ने ऐसे क्यों कहा ये कोई सोचेगा नहीं..
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Small steps to protect #Dharma
1. Take time to teach your children or those in neighbourhood what you know about #tradition & make them do something related to it practically.
2. Follow daily #Achara , at least few of them (स्नान &सन्ध्या ) with devotion & concentration.
3. Contemplate on the ill effects of following what most people take as norm of modernity. #Depression and #anxiety are almost synonymous to the "modern lifestyle"
4. Put some effort to practice non-greediness if you feel greed of prestige, power or penny is ruling you
5. Take time to look into the inner core of yourself. Is it full of gratefulness for what you are doing/ the life you have got to live ? If answer is no, then something more important is missing in your life. May be you are doing what is not suitable to your #स्वभाव/ #स्वधर्म
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