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#रंगीला_बाबू_की_असलियत👇
एक बार वाल्मीकि बस्ती के मंदिर में गांधी कुरान का पाठ कर रहे थे तभी भीड़ में से एक महिला ने उठकर गांधी से ऐसा करने से मना किया।
गांधी ने पूंछा... क्यों?
उस महिला ने कहा कि ये हमारे धर्म के विरुद्ध है।
गांधी ने कहा.... मैं तो ऐसा नहीं मानता?
महिला ने
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जवाब दिया कि हम आपको धर्म में व्यवस्था देने योग्य नहीं मानते।
गांधी ने कहा कि इसमें यहां उपस्थित लोगों का मत ले लिया जाये?
महिला ने जवाब दिया कि क्या धर्म के विषय में वोटों से निर्णय लिया जा सकता है?
गांधी बोला कि आप मेरे धर्म में बांधा डाल रही हैं।
महिला ने जवाब दिया कि आप तो
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करोड़ों #हिंदुओ के धर्म में नाजायज दखल दे रहे हैं।
गांधी बोला...मैं तो #कुरान सुनूंगा?
महिला बोली...मैं इसका विरोध करुंगी।
तभी महिला के पक्ष में सैकड़ों #वाल्मीकि नवयुवक खड़े हो गये और कहने लगे कि #मंदिर में कुरान पढ़वाने से पहले किसी मस्जिद में #गीता और #रामायण का पाठ करके
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👉🏾 विभाजन : "कुरान की कसम" और कत्ल ; एक साजिश..
#चंद्रभान
शूजाबाद, पाकिस्तान

भारत विभाजन के दौरान हमारे साथ जो हुआ, वह बहुत ही डरावना है। बंटवारे के वक्त मेरी उम्र 16 साल थी। चारों ओर मार-काट हो रही थी। हमारे गांव से करीब छह मील दूर तरेगने नाम से एक गांव है।
@Sabhapa30724463 👇🏾
वहां एक दिन मुसलमानों ने हिंदुओं पर हमला कर दिया। सभी हिंदू छत पर चढ़ गए और वहां से ईंट-पत्थर चलाकर मुसलमानों का मुकाबला करने लगे।

जब हिंदू भारी पड़ने लगे तो कुछ मुसलमान सिर पर कुरान रखकर सामने आए और बोले, ‘कसम कुरान की अब तक जो हुआ सो हुआ, आगे कुछ नहीं होगा। नीचे उतरो
@rs414317
बातचीत करके मसला हल कर लेते हैं।’ जैसे ही कुछ लोग नीचे आए वैसे ही मुसलमानों ने कुरान को रखकर तलवार से उनकी गर्दन काट दी।

एक दूसरी घटना रामपुर में हुई। वह भी मेरे गांव के पास ही है। वहां डॉ. रूगनाथ जावा बड़े प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। उनका बड़ा घर था और घर के एक हिस्से में बहुत 👇🏾👇🏾
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#इतिहास_हमारा_गौरव🚩
#महाराणा_सांगा 🙏
बाबर को हिंदोस्तान का ताज पानीपत जितने से नही मिला बल्कि जब खानवा में उसकी तोपों के सामने सांगा के राजपूत पीछे हटे और फिर कुछ समय बाद सांगा को किसी अपने ने ही विष देकर मार दिया तो बाबर " हिंदोस्तां" का शासक बन बैठा।

इतिहासकार मेवाड़ में 👇🏾
गुहिलोत राजपूतों के शासक बनने का वर्ष 734 ईस्वी को मानते हैं जब नागदा " मेवाड़" के गुहिलोतो की राजधानी बनी ।फिर 948 ईस्वी में राजधानी बनी " अहर" ।1213 ईस्वी में चित्तौड़ " मेवाड़" के गुहिलोतो की राजधानी हुई।

इनके शासन को पहली बड़ी पराजय 1303 ईस्वी में मिली जब अलाउद्दीन खिलजी के
हाथों रावल रतन सिंह को पराजय मिली।

पर हार क्षणिक ही थी और वहां गुहिलोतो ने संघर्ष जारी रखा और 1326 ईस्वी में सिसोदा गांव के गुहिलोत वंशी राणा हम्मीर ने तुर्को को पराजित कर मेवाड़ पुनः गुहिलोतो के लिए जीत लिया। राणा हम्मीर से गुहिलोतो की यह शाखा सिसोदिया के नाम से प्रसिद्ध हुई।👇🏾
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