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👉🏾12 वर्ष मौन के बाद बोले #सियाराम तो उन्हें मिला यही नाम.!🌹🙏

पाखंड से कोशो दूर, एक विरक्त सन्यासी भारत में उन्ही में से एक है सियाराम बाबा है 100 वर्ष से अधिक ये मध्यप्रदेश में खरगौन के पास ही ग्राम भट्टयान में रहते है । भट्याण बुजुर्ग में विशेषकर गुरु पूर्णिमा
@SakshamGV👇🏾👇🏾 Image
एवम् सामान्य दिनों में भी संत सियाराम बाबा का पूजन करने बड़ी संख्या में बाबा के भक्त आते हैं ।
श्री सियाराम बाबा ने 12 साल का मौन व्रत धारण किया था। कोई नहीं जानता था बाबा कहां से आए हैं। बाबा ने मौन व्रत तोड़ा और पहला शब्द #सियाराम बोले तब से सभी उन्हें सियाराम बाबा कहते हैं।👇🏾
10 साल की खड़ेश्वरी सिद्धि : भक्त बताते हैं मौसम कोई भी हो बाबा केवल एक लंगोट पहनते हैं। उन्होंने 10 साल तक #खड़ेश्वरी_सिद्धी की है। इसमें तपस्वी सोने-जागने सहित हर काम खड़े रहकर ही करते हैं। खड़ेश्वरी साधना के दौरान नर्मदा में बाढ़ आई। पानी बाबा की नाभि तक पहुंच गया, लेकिन वे 👇🏾
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@Sabhapa30724463 @ShashibalaRai12 @aryavratvijayat @SathyavathiGuj1 @satyabhanushas3 @sanjay16sanjay @NandiniDurgesh5 @DPRASADDWIVEDI1 @Radhika_chhoti @Govindmisr @SahayRk483098 @MukulWatsayan @AnnpurnaU #जाबालि कहकर भी सम्बोधित किया जाता है।

#रामायण में #श्रीराम के साथ इनका प्रसंग आता है।

ऋषि जाबालि का #जबलपुर से बहुत गहरा नाता रहा है।

#कुलगुरु_वशिष्ठ जी की अनुशंसा पर #महाराजा_दशरथ द्वारा जबलपुर के ऋषि जाबालि को अयोध्या में #मुख्य_याजक ( #यज्ञ_प्रमुख ) नियुक्त किया गया था। Image
@Sabhapa30724463 @ShashibalaRai12 @aryavratvijayat @SathyavathiGuj1 @satyabhanushas3 @sanjay16sanjay @NandiniDurgesh5 @DPRASADDWIVEDI1 @Radhika_chhoti @Govindmisr @SahayRk483098 @MukulWatsayan @AnnpurnaU देववाणी संस्कृत में रचित #वाल्मीकि_रामायण और लोकभाषा अवधि में रचित तुलसीदास जी की #रामचरितमानस में आये उल्लेखों के अनुसार भरत जी के साथ जिस प्रतिनिधिमंडल ने ब्रह्मर्षि वशिष्ठ के नेतृत्व में चित्रकूट की तरफ प्रस्थान किया था, उसमें जबलपुर और जालौर के साधक ऋषि जाबालि भी शामिल थे। Image
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#भक्तीसाठी_बळी
सध्या सगळ्यांना देशभक्ती मध्ये तोलून ठरवलं जातं की कोण देशभक्त आणि कोणाला पाकिस्तानचा विसा द्यायचा. अशी ही देशभक्ती म्हणजे सरकारवरच एकतर्फी प्रेम ज्याच्यात तरुण पोरं स्वत:ला हीरो समजून एक पाय घासत #श्रीवल्ली म्हणल्यासारखं घसा ताणून #श्रीराम म्हणत आहेत.
मुलांना लहानपणीच ट्युशन लावणारे, अभ्यासासाठी वेगळी रूम बांधणारे, कॉम्प्युटर्स घेऊन देणारे, पैसे भरून मुलांना चांगल्या कॉलेजला पाठवणारे, नौकरीसाठी सोनं मोडून पैसे देणारे, खोटी प्रमाणपत्र तयार करणारे, सरकारी नौकरीवाला जावई शोधणारे लोकं नौकऱ्या नाही तरी पण ढिम्म?
घरी पार्किंगपेक्षा जास्त गाड्या घेऊन घरातल्या प्रत्येकाची सोय होईल हे पाहणारे पेट्रोल डिझेलचे दर वाढले तरी बोलायला तयार का नाही ? कुटुंबासोबत फिरायला जाणं कमी झालं आहे, वाढदिवसाच्या पार्ट्या आता कमी लोकांत होतात, करोनामुळे लग्न खर्च तरी कमी झाला त्याचंच काय समाधान आहे.
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1.
#दशहरा
🏵️ आजकल सोशल मिडिया पर एक #ट्रेंड बहुत तेजी से चल पड़ा है,
#रावण_के_बखान
– कि वो एक प्रकांड पंडित था जी!
– उसने #माता_सीता को कभी छुआ नहीं जी!
– अपनी #बहन के अपमान के लिये पूरा कुल दाव पर लगा दिया जी!
अरे भाई, माता सीता को ना छूने का कारण उसकी #भलमनसाहत नहीं...
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2.
– बल्कि #कुबेर के पुत्र #नलकुबेर द्वारा दिया गया शाप था!
🏵️ कभी लोग ये कहानी सुनाने बैठ जाते हैं कि एक मां अपनी बेटी से ये पूछती है कि तुम्हें कैसा भाई चाहिये,
बेटी का जवाब होता है👉 रावण जैसा!
जो अपनी #बहन के अपमान का बदला लेने के लिये सर्वस्व #न्योंछावर कर दे...😌
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3.
#भद्रजनो, ऐसा नहीं है👋
🏵️ रावण की बहन #सूर्पणंखा के पति का नाम #विधुतजिह्व था"
जो राजा #कालकेय का सेनापति था!
जब रावण तीनो लोको पर विजय प्राप्त करने निकला तो उसका युद्ध कालकेय से भी हुआ,
जिसमे उसने विधुतजिव्ह का वध कर दिया!
तब सूर्पणंखा ने अपने ही भाई को श्राप दिया कि
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अंतिम सांस गिन रहे #जटायु ने कहा कि "मुझे पता था कि मैं #रावण से नही जीत सकता लेकिन फिर भी मैं लड़ा ..यदि मैं नही लड़ता तो आने वाली #पीढियां मुझे कायर कहतीं"
जब रावण ने जटायु के दोनों पंख काट डाले... तो मृत्यु आई और जैसे ही मृत्यु आयी... तो गिद्धराज जटायु ने मृत्यु को ललकार कहा..
"खबरदार ! ऐ मृत्यु ! आगे बढ़ने की कोशिश मत करना..!मैं तुझ को स्वीकार तो करूँगा... लेकिन तू मुझे तब तक नहीं छू सकती...जब तक मैं माता #सीता जी की "सुधि" प्रभु "#श्रीराम" को नहीं सुना देता...!

मौत उन्हें छू नहीं पा रही है...काँप रही है खड़ी हो कर...मौत तब तक खड़ी रही, काँपती रही...
यही इच्छा मृत्यु का वरदान जटायु को मिला ।

किन्तु #महाभारत के #भीष्म_पितामह छह महीने तक बाणों की #शय्या पर लेट करके मृत्यु की प्रतीक्षा करते रहे...आँखों में आँसू हैं ...वे पश्चाताप से रो रहे हैं...भगवान मन ही मन मुस्कुरा रहे हैं...!
कितना अलौकिक है यह दृश्य... #रामायण मे जटायु
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#तुलसीदासजी का जन्म संवत्‌ 1554 की श्रावण शुक्ल सप्तमी के दिन #सरयूपारीण #ब्राह्मण के परिवार में हुआ था
जन्मते समय बालक तुलसीदास रोए नहीं, किंतु उनके मुख से
#राम का शब्द निकला। उनके मुख में बत्तीसों दाँत मौजूद थे जिसे देखकर पिता अमंगल की शंका से भयभीत हो गए थे।
तुलसीदास लगभग साढ़े पाँच वर्ष अनाथ हो गए थे। ऐसी मान्यता है #माता #पार्वती ब्राह्मणी का वेश धारण कर प्रतिदिन उसके पास जातीं और उसे अपने हाथों से भोजन करा जातीं। संवत्‌ 1561 माघ शुक्ल पंचमी श्री नरहरि ने उसका यज्ञोपवीत संस्कार कराया और उनका नाम #रामबोला रखा।
बिना सिखाए ही बालक रामबोला ने #गायत्री-मंत्र का उच्चारण किया, जिसे देखकर सब लोग चकित हो गए।
अयोध्या में ही रहकर उसे विद्याध्ययन कराने लगे।
बालक रामबोला की बुद्धि बड़ी प्रखर थी। एक बार गुरुमुख से जो सुन लेते थे, उन्हें वह कण्ठस्थ हो जाता था।
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कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को,
वराह पुत्र नरकासुर ने अपने वध से पहले
#श्रीकृष्ण के समक्ष इच्छा प्रकट की,
कि, उसकी दुष्‍ट प्रवृत्तियां को #नरक_चतुर्दशी के रूप में, हर व्यक्ति,
‘अपनी बुराइयों के अन्त के उत्सव’ के रूप में मनाए।
समस्त भारतीयों को #दीपावली की शुभकामनाएँ🙏🏻
#नरक_चतुर्दशी को ही भगवान श्रीविष्णु ने राजा बलि को वामन अवतार में प्रकट होकर,हर वर्ष दर्शन देने का आशीर्वाद दिया🙏🏻

कार्तिक कृष्णपक्ष चतुर्दशी की अर्धरात्रि को अंजनी पुत्र श्रीहनुमान जी का जन्म भी हुआ🙏🏻

विष्णु-लक्ष्मी, हनुमान, यमराज जी की पूजा भारतीयों केलिए शुभ हो #दीपावली
कार्तिक मास,कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी पर समुद्र मंथन से श्रीधनवंतरी प्रकट हुए
दो दिन पश्चात् महालक्ष्मी प्रकट हुयीं,तभी से अमावस पर उनके स्वागत के लिए दीपक जलाए जाते हैं
द्वापर युग में नरकासुर वध करके लौटने पर श्रीकृष्ण के स्वागत में अमावस्या पर द्वारका में दीपक जलाने की परंपरा चली
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1
Navratr is observed 5 times a year,when 9 forms of Shakti are worshipped
Sharadiya Navratr
Chaitra Navratr
Gupt Navratr-Magh,Ashad,Paush
2
Shardiya Navratr is celebrated in the first lunar date of bright half phase (Shukla Paksha)of lunar month of Ashwin,September or October
3
Chaitra Navratr occurs during the month of March or April and is popularly known as Vasant / Basant Navratri or Ram Navratras
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