Discover and read the best of Twitter Threads about #स्वतंत्र

Most recents (24)

जय जय मुंजे, घर घर गूंजे!!

क्या आपने डण्डा, डुगडुगी, हाफ पैंट, काली टोपी की मिलिट्रीनुमा वर्दी में, सड़कों पर परेड करते आम लोगों को देखा हैं। शायद नही। मगर सौ साल पहले इटली में लोगो ने जरूर देखा था। उसे ब्लैक शर्ट्स कहते थे, क्योकि वे काली शर्ट पहनते थे।
भारत मे भी आजादी के दौरान ऐसा एक सन्गठन बना था।
विचित्र सा सवाल है कि भारत की संस्कृति के उत्थान में लाठी-डंडा और मिलिट्री परेड का कॉन्सेप्ट कहाँ से आया? इसका जवाब डाक्टर बीएस मुंजे की 1930 के दशक की इटली यात्रा से मिलता है।

असल मे किसी देश मे अगर कोई क्रांति होती है,
तो उसकी नकल और प्रेरणा कई देशों में ली जाती है। जैसे रूस में हुई क्रांति से देश का पहला जबर वामपन्थी बड़ा प्रभावित था।

"साम्राज्यवाद का नाश हो", "क्रांति अमर रहे" (इंकलाब जिंदाबाद) के नारों के साथ वो फांसी पर झूल गया। अजी वही, जो फांसी की रात लेनिन की जीवनी पढ़ रहा था।
Read 24 tweets
उन तीन खूबसूरत छात्राओ की तस्वीर देखी है आपने??

काबुल यूनिवर्सिटी की वो लड़कियां साठ के दशक में अफगानिस्तान की प्रतिनिधि तस्वीर है। तब भी अफ़ग़ानिस्तान इस्लाम बहुल देश था। अफगानी भी दीगर दुनिया की तरह हंसते, खेलते, मस्तमौला लोग हुआ करते थे।
दुनिया रूस और अमेरिकी खानों में बंटी थी। एशिया भर में रूस से कम्युनिज्म का निर्यात हो रहा था। पश्चिम दहला हुआ था।अफगान राजा जहीर शाह को हटाकर दाऊद खान ने सत्ता हथियाई, उनसे तराकी ने, उनसे अमीन ने। रशियन आये और अमीन को उठाकर बरबक करमाल को बिठा दिया।
पपेट सरकारों का दौर शुरू हुआ।

ये सारे ग्रुप, टाई सूट वाले .. कम कम्युनिस्ट और ज्यादा कम्युनिस्ट थे। इस्लाम कोई मुद्दा नही था। लेकिन रूसीयों के कदम रखने के बाद, उनसे लड़ने के लिए अफगानो ने हथियार उठाये।
Read 21 tweets
हंसते क्यो नही आदिपुरुष..??
नवयुग की रामायण आई है। नए भारत के राम, मजबूत शरीर, भावहीन चेहरा। अधुनातन राम, भुजाओं की मांसपेशियां फुलाने में इतने मग्न रहे, कि मुस्कान लाने वाली पेशियां, अवशेषी छूट गयी।
अपेंडिक्स का अवशेषी होना, मानव विकास क्रम की पहचान थी।
वैसे मुस्कुराने वाली पेशियों का अवशेषी होना, अमृतकाल की पहचान। यहां देवता, नेता, कार्यकर्ता और नागरिक में क्रुद्धता जरूरी है।
दरअसल, खुशहाल व्यक्ति शौर्य प्रदर्शन नही कर सकता। क्या आप प्रसन्नचित्त होकर पड़ोसी को काट डालने, फाड़ देने, या माओं बहनों के साथ
विद्रूप यौनकर्म की धमकी दे सकते हैं। छीन लेने, दबा देने, सबक सिखा देने का उद्घोष कर सकते है??
नहीं न!!
हंसी और खुशी से अलगाव पहली जरूरत है। प्रसन्नता मन से कुंठा निकाल फेंकती है। भीतर से मजबूत बनाती है, असुरक्षा निकाल फेंकती है। आंखे खोल, सवाल करने की ताकत देती है।
Read 10 tweets
टीपू , हैदर और श्रीरंगपट्नम
श्रीरंगपट्नम कावेरी के बीच बना एक द्वीप है। दसवी सदी मे यहां भगवान विष्णु की लेटी हुई मूर्ति का एक मदिर बना, और आगे होयसलों ने एक विशाल स्वरूप दिया।
दरअसल एक जगह कावेरी दो भाग मे बंट जाती है, और 6-7 किलोमीटर के बाद फिर मिल जाती है।
इस दोआब के बीच विजयनगर वालों मे 15वी सदी मे एक किला बनाया।
मंदिर के नाम पर इसका नाम श्रीरंगपट्म किला रखा।
हैदरअली मैसूर के राजा का एक किलेदार था। जो बंगलौर एयरपोर्ट है आज, वो गांव देवनहल्ली कहलाता है। देवनहल्ली फोर्ट और आसपास की जागीर के लिए हैदरअली नियुक्त था।
उसी ने अपनी मॉ लालबाई के नाम पर बंगलौर का मशहूर लाल बाग बनाया।
बहरहाल, मैसूर के अल्पवयस्क ऑडियार राजा की मां, मैसूर राजमहल मे अपने दो मंत्रियों से परेशान थी। वो करप्ट थे, और अपनी मनमर्जी से राज चलाते थे। रानी ने हैदर को मैसूर पोस्टिंग दी,
Read 9 tweets
अबकी बार कार्नवालिस सरकार ...
लार्ड साहिब असल लार्ड थे, उच्चकुल शिरोमणी गर्वनर जनरल। इसके पहले क्लाईव और वारेन हेस्टिंग्ज दलित टाइप के जीव थे। याने वो कंपनी एम्पलॉयी, छोटी मोटी नौकरी से शुरूआत, और प्रमोट होते होते गर्वनर बने।
लेकिन लार्ड कार्नवालिस,एक दिन अचानक हाईकमान के आदेश पर गुजरात के गवर्नर बन गए।
गुजरात टाइपो इरर है, बंगाल पढा जाए।तो असल मे अमरीका जाकर जार्ज वाशिंगटन से माफी मांगने के कारण कार्नवालिस की प्रसिद्धि चहुं ओर फैली थी। उन्होने संसद को बताया कि अमेरिका मे न कोई घुसा है,न आया है ..
बस वो इलाका हमारे हाथ से निकल गया है। इस पर खुश होकर जब भारत की गवर्नरी ऑफर की गई, तो पहले पहल उन्होने मना कर दिया।

दरअसल कार्नवालिस को नंदकुमार केस का पता चल चुका था। इसके कारण हेस्टिंग्ज के इंपीचमेण्ट की तैयारी चल रही थी। कार्नवालिस कोई लोचा नहीं चाहते थे।
Read 16 tweets
भारत मे जब प्लासी की धूल छंट रही थी ..

जर्मनी के फ्रेड्रिक ने सैक्सनी पर हमला कर दिया। इसके साथ ही सात बरस तक चलने वाली मशहूर लड़ाई शुरू हो चुकी थी। इस समय चार्ल्स, ऐटन के मशहूर कॉलेज मे पढ ही रहा था।

वो बड़े प्रभावशाली और पहुंचे हुए खानदान का चश्मो चिराग था।
महान बनना चाहता था, तो सेना मे कैप्टन का पद खरीदा गया। चार्ल्स कार्नवालिस लाल कोट पहनकर यूरोप मे लडने चला गया।

सप्तवर्षीय युद्ध खत्म होते हुए वह कर्नल बन चुका था। लंदन लौटकर उसने हाउस ऑफ कामन्स की सांसदी खरीदी और पॉलिटिक्स करने लगा। यह वक्त अमेरिका मे असंतोष फूटने का था।
कार्नवालिस अच्छा आदमी था, इसलिए अमेरिकन कालोनी पर टैक्स बढाने का विरोधी थां। लेकिन जब चाय पर टैक्स के विरोध मे बोस्टन मे फसाद हुआ, दोबारा लाल कोट पहनकर, अमेरिकन्स से लडने मे उसे कोई हिचक भी न हुई।

वैसे भी वहां कुछ किसान तो थे, जो छोटे मोटे हथियार से लड़ रहे थे।
Read 8 tweets
बेटी को IFS बनना है..
ऐसे सपने का इन्सेप्शन, बीवी उसके दिमाग मे कर रही है। मुझसे भी योगदान करने की अपेक्षा की। भोजन की मेज पर बात शुरू हुई।
बेटी यूएन में रिप्रेजेंट करना कितना अच्छा लगेगा। फॉरेन में रहोगे, लैविश लाइफ स्टाइल, एम्बेसडर बन जाना.. ओपनिंग लाइन बीवी ने दी।
आगे मेरा मैदान था।
UPSC में टॉप के 10-12 सलेक्शन को विदेश सेवा मिल सकती है, यदि वैसा प्रिफरेंस दिया ह। इसके बाद ट्रेनिंग होती है। जैसे IAS मसूरी में और IPS हैदराबाद में होती है, IFS ट्रेनिंग दिल्ली में होती है।
आप भारतीय इतिहास, कल्चर, भारत की विदेश नीति के मुख्य टर्निंग पॉइंट, उसके स्टैंड और रेशनल को समझते है। फिर एक फॉरेन लैंग्वेज सीखनी होती है। पसर्नलिटी महत्वपूर्ण है।
बात, भाषा, वाइन पीना, ड्रेसिंग, कनवरेशन, जैसी चीजें होती है। उसके बाद प्रोबेशन पर साल भर के लिए विदेश
Read 13 tweets
प्रेसिडेंट रीगन का विट, सेंस ऑफ ह्यूमर जबरजस्त था। सेकेंड्स में विरोधी को हंसाकर परास्त कर देते।

वे इतिहास के सबसे उम्रदराज कैंडिडेट के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल के लिए मैदान में थे। प्रेसिडेंशियल डिबेट में विपक्षी उनकी उम्र को मुद्दा बना रहा था। रीगन ने जवाब दिया- मेरे
दोस्त मेरी काफी ज्यादा उम्र को एक चुनावी मुद्दा बनाने चाहते हैं।

मगर मैं उनके काफी कम अनुभवी होने को मुद्दा नही बनाऊंगा।

जाहिर है, वो दूसरा इलेक्शन भी जीते। एक बार वे रूस और अमेरिका की आजादी की तुलना कर रहे थे। जोक सुनाया- एक अमेरिकन और रूसी अपने अपने देश की बात कर रहे थे।
अमेरिकन बोला- मैं अभी व्हाइट हाउस जाकर, प्रेसिडेंट की टेबल पर मुक्का ठोककर कह सकता हूँ- मिस्टर प्रेसिडेंट, आपकी हेल्थकेयर पॉलिसी बिल्कुल बेकार, और गलत है।

रूसी बोला- भला इसमे कौन सी बड़ी बात है। मैं भी क्रेमलिन में घुसकर, अपने चेयरमैन की टेबल पर मुक्का ठोककर कह सकता हूँ-
Read 6 tweets
काफी ऊँचाई पर यह ठंडी सी जगह है।

पीटर औऱ मरिट्ज़ को पसन्द आयी। यहां जमीन का एक टुकड़ा लेकर बसना चाहते थे। लेकिन आसपास रहने वाले जुलु कबीलों की मर्जी के बगैर वहां रहा नही जा सकता था।

पीट रेटिफ और गर्ट मरिट्ज़ ने जुलु चीफ से मिलने का निर्णय किया।
सन्देश भेजा तो अनुमति मिल गयी। उन्हें भोज पर बुलाया गया। बात सुनी गई।

और काट डाला गया।

यह 1830 के आसपास की बात है। इस जगह पर बसी बस्ती पीटरमारितज़बर्ग के नाम से जानी गयी थी। एक रेल लाइन यहां से बनी, और गुजरी। कोई 63 साल बाद एक ठंडी रात को एक ट्रेन...
इस ट्रेक से गुजर रही रही थी।
फर्स्ट क्लास केबिन में एक भारतीय वकील बैठा था। उस केबिन में एक अंग्रेज की सीट थी। काले आदमी के साथ वह भला कैसे बैठ सकता था। सो टीटी को बुला लाया।

टीटी ने उस काले को समझाने की कोशिश की। लेकिन काला आदमी तो बड़ी बड़ी बातें करने लगा।
Read 9 tweets
#स्वतंत्र
लॉर्ड कैनिंग.. 1857 के दौरान देश का शासक।

बेचारा आदमी, जो अपने कार्यकाल में लार्ड डलहौजी का फैलाया रायता समेटता ही रह गया।

सावरकर पर आई मूवी का जबरन प्रोमो यू ट्यूब पर देखना पड़ता है। स्किप करने के पहले इस मे एक डायलॉग सुना, तो ठिठक गया-
"गाँधीजी बुरे आदमी नही थे। लेकिन वे अपनी अहिंसा की नीति की जिद नही करते, तो देश 35 साल पहले आजाद हो जाता.. "

अबे?? आजादी के 35 साल पहले, गांधी भारत मे ही नही थे।
अफ्रीका की जेल में थे।

खैर। बात कैनिंग की। जॉइन किए 6-8 माह ही हुए थे कि देश मे रिवोल्ट फूट गया।
अंग्रेजो की सिट्टी पिट्टी गुम थी। देश भर में एक लाख से कम अंग्रेज थे, और चारो ओर करोड़ो होस्टाइल पब्लिक थी।

जैसे तैसे रिवोल्ट से निपटे। शांति कायम हुई, कम्पनी को हटाकर रानी ने सीधा शासन कायम किया। कसम खाकर बोली कि अब और राज्य अनेक्स नही किये जायेंगे।
Read 6 tweets
राष्ट्रीय सुरक्षा के दो अस्त्र होते हैं-

फौजी तैयारी और कूटनयिक जलवा। मजबूत आर्थिकी दोनो को ताकत देती है। आजाद भारत की शुरुआत तीनो मोर्चो पर शून्य से हुई थी।

पांच लाख की फौज में से एक लाख ब्रिटिश स्वदेश लौट गए। डेढ़ लाख ने पाकिस्तान ऑप्ट किया।
ढाई लाख की फौज के पास अनगिनत मोर्चे थे।

कश्मीर, नवनिर्मित रेडक्लिफ़ लाइन, बंगाल में बने नए बॉर्डर, जूनागढ़, हैदराबाद, सीमाओं के भीतर जगह जगह दंगे.. लेकिन लीड करने वाले अफसर अमूमन पाकिस्तान या ब्रिटेन में थे।
हाथ मे हथियारों के नाम पर दूसरे विश्वयुद्ध का भंगार था। दर्जन भर छोटे प्लेन थे, लगभग शून्य नेवी थी। क़ानून व्यवस्था सम्हालने के लिए स्थानीय पुलिस, खासकर रजवाड़ों में अक्षम थी। कोई पैरामिलिट्री सन्गठन न था। न बीएसएफ, न सीआरपी..

और बंटवारे का खूनी मंजर था।
Read 23 tweets
#स्वतंत्र
सुभाष ने क्यो छोड़ी कांग्रेस.. ??

लंदन में सुभाष को खबर हो गयी थी कि वे सर्वसहमति से कांग्रेस के अगले अध्यक्ष होंगे। निवर्तमान अध्यक्ष जवाहरलाल दो कार्यकाल गुजार चुके थे। इस बार अधिवेशन हरिपुरा में होना था।
सुभाष कांग्रेस के 51 वे अध्यक्ष थे। साहब की सवारी आयी। 51 बैलगाड़ियां, 51 स्वागत द्वार, और 51 सजी धजी बालिकाओ द्वारा स्वागत हुआ। किसी कांग्रेस अध्यक्ष का यह पहला राज्याभिषेक था।
भारतीय राजनीति का यह संक्रमण काल था।
कांग्रेस 11 में से 9 राज्यों में सरकार बना चुकी थी। याने विपक्ष की राजनीति याने "हाय हाय, विरोध, असहयोग" से आगे अब गवर्नेंस के इशूज से उलझ रही थी।

सत्ता, जिम्मेदारी होती है, इसके तौर तरीके भी अलग होते हैं। कांग्रेस सरकारें, अपने मेनिफेस्टो के अनुसार चलने की
Read 19 tweets
जरूरत पड़ी तो गोली भी मारेंगे।

रिटार्यड आईपीएस अस्थाना साहब का ट्वीट वाइरल है। बता रहे हैं कि पहलवानों को दया करके, अभी सिर्फ कचरे के बोरे की तरह फेंका भर है।

इसके दो दिन पहले सोशल मीडिया पर यूपीएससी टॉपर्स के नाम छाए हुए हैं। हवाओ में गर्व की मयास थी।
1986 मे भी वही मयास रही होगी। अस्थाना साहब यूपीएससी मे सलेक्ट हुए। रात दिन पढाई-पढाई-पढाई के बाद इंटरव्यू मे संविधान/ समाज की सेवा के भाव का, अभिनय किया होगा। प्रतियोगिता दर्पण, काम्पटीशन सक्सेस रिव्यू और लोकल अखबारों मे स्टार बनकर छाए होंगे।
वे अब भी सुर्खियों मे है - जरूरत पड़ी तो वे गोली भी मारेंगे। सवाल यह कि गोली मारने की जरूरत पड़ने की डेफिनेशन कौन तय करेगा। जाहिर है, यह संविधान नही, कर्तव्य नही ...

उनका पॉलिटिकल मास्टर तय करेगा।
भारत की ब्यूरोक्रेसी, तमाम लोकतंत्रों के बीच सबसे कमजोर ब्यूरोक्रेसी है।
Read 10 tweets
नेहरू झंडे की डोर खींच रहे थे।

लाहौर के आकाश में तिरंगा धीरे धीरे ऊपर गया, और फिर खुलकर लहराने लगा। उपस्थित जनसमूह जोश में करतल ध्वनि कर रहा था। 1929 की सर्दियों की उस शाम, रावी के तट पर मौजूद हजारों आंखों में आजादी का सपना भर दिया गया था।
वहीं भीड़ में एक और नेहरू मौजूद था।

एक बूढ़ा नेहरू, जो कुछ दूर झंडा फहराते नेहरू का पिता था। और इस वक्त गर्व से दैदीप्यमान था। मोतीलाल का ये वह क्षण था, जिसे हर पिता अपने बच्चे के लिए चाहता तो है, मगर हासिल किस्मत वालों को होता है।
मोतीलाल किस्मत के धनी नही थे। अपने पिता की शक्ल नही देखी थी। बड़े भाई से सुना भर था, की गंगाधर नेहरू दिल्ली के शहर कोतवाल थे। 1857 के ग़दर में सब कुछ खोकर आगरे चले गए। वहीं प्राण त्याग दिए।

उन्हें बचपन की ज्यादातर यादें खेतड़ी की थी।
Read 20 tweets
थेम्स के किनारे इस खूबसूरत भवन में ब्रिटिश पार्लियामेंट बैठती है।

कोई 900 साल पुराना ये भवन कई बार पुनर्निर्माण किया गया। वर्तमान स्वरूप में कोई 500 साल से है। हाल में भी गोथिक आर्किटेक्चर के, इस सबसे जाने पहचाने नमूने का रिस्टोरेशन चल रहा था।
यहां हाउस ऑफ लॉर्ड्स है, हाउस ऑफ कॉमन्स है, चर्च है, सीमेटोरी है। मदर ऑफ आल पार्लियामेंट के नाम से जानी जाती है। वेस्टमिंस्टर मॉडल दुनिया मे गवरनेंस का एक सफल मॉडल है। भारत सहित कई देश मे इसी मॉडल का लोकतंत्र चलता है।
मगर ब्रिटेन अनोखा देश है, जो लोकतन्त्र है, मगर रिपब्लिक नही।
ये किंगडम है, "यूनाइटेड किंगडम."
हाउस ऑफ कॉमन्स जब बना था, इसमे 500 से अधिक सदस्य थे, जो बढ़ते बढ़ते 700 सदस्य हो गए। मगर सीटें यहां आज भी 478 हैं। मध्य की तसवीर में हाथ बांधे खड़े लोग, कोई मार्शल या प्यून नही।
Read 14 tweets
इस कार्टून में दिख रहे काली टोपी वाले, के जन्मदिन का तोहफा ..
हमारी नई संसद है।

सन 45 में 'अग्रणी' की तस्वीर है, अखण्ड भारत का तीर है, टोपी-चश्मे में संधानरत सावरकर 'वीर' है। बिन टोपी, साथ मे संधानरत श्यामा प्रसाद मुखर्जी उर्फ 'शहीद-ए-कश्मीर' है।
कंपकपाते दशानन हैं, छूटती लाठी है। मुखमण्डल भयभीत है। मुख्य आनन गांधी हैं, दाहिने हाथ नेहरू, बाएं हाथ अबुल कलाम हैं। नेहरू के बगल में राजगोपालाचारी हैं, उनके बगल में सरदार पटेल, अंत में आचार्य कृपलानी।

कलाम के बाएं सुभाष हैं, अंत तीन की शिनाख्त आप करें।
संधानरत 'वीर' का नाम 1909 से 1948 तक, तीन संधानों में आया। मगर उन्होंने इस कार्टून के अलावा और कभी भी खुद ट्रिगर पुल नहीं किया।

एक बार मदनलाल धींगरा, एक बार अनंत कन्हारे और एक बार नाथूराम गोडसे ने निशाना साधा था। वे बेचारे फांसी चढ़े।

वीर ने पल्ला झाड़ लिया।
Read 11 tweets
"झोलाधर-इन-चीफ"

एक होती है गुफा, एक होता है मानव ..गुफा में मानव होता है तो उसे गुफा मानव कहते है। अंग्रेज उसे केवमैन कहते है। इंडियन उसे बाबाजी समझते है।

केव मैन कहिये, या बाबाजी .. गुफा में प्राकृतिक जीवन का आनंद प्राप्त करते है। फालोवर्स उनके सुख में सुखी होते है।
इस तरह मिलजुलकर, सौजन्य से एक शुद्ध और बेहतर समाज का विकास होता है।
मगर विकास की प्री कंडीशन होती है अन्वेषण।

विकास का अविष्कार होता हैखोज होती है। मनुष्य का विकास से पहला एनकाउंटर तब हुआ,जब गुफा मानव ने आग खोज निकाली। फिर उसने वीड एनर्जी खोजी,और दम लगाकर आग लगाने निकल पड़ा।
यह बात अधिक पुरानी नही है। आपको पता है 2014 तक हम गुफा से बाहर नही आ पाए थे।

तो साहबान, वो गुफा मानव जो था, पत्थरों के बीच रहता था। अपने दिल की बाते पत्थरो पर लिखता, चित्र बनाता, जो जी मे आता, लिख लेता, रंग देता, गोद देता।

पत्थरो की संगत, गुफा मानव के लिए मुफीद थी।
Read 11 tweets
"हाथी नही गणेश है, ब्रह्मा विष्णु महेश है.."
जंगल का सबसे ताकतवर, विशालकाय, इंटेलिजेंट, सामाजिक, शाकाहारी जीव, जिसे ऐसे गगनभेदी नारों से बेवकूफ बनाकर सवारी गांठी जाती है। हाथी सिकंदर के दौर से, राजाओं की लड़ाइयां लड़ता रहा है, उनका हौदा पीठ पर ढोता रहा है।
शीश का दान कर, वह पूजनीय बन सकता है, मगर राजा नही।

नो पॉलिटिक्स- ऑनली वाइल्डलाइफ सीरीज में गिरगिट, शेर, गैंडे, जंगली गधे, मगरमच्छ, उल्लू, गिद्ध पर बात हो चुकी, मगर हाथी यहां भी उपेक्षित रह गया। तो आज बात हमारी, याने हाथी की..
धरती पर चलने वाला सबसे विशालकाय मेमल, हाथी है। संस्कृत के हस्ति शब्द से इसका प्रादुर्भाव है। जहां सारे हाथी पकड़कर सेवा में लाये जायें, वह माइथोलॉजिकल शहर हस्तिनापुर कहलाया।

अंग्रेजी में एलिफेंट कहते है, जो ग्रीक शब्द एलिफ़ास से बनता है।
Read 22 tweets
एक भ्रम है कि हिन्दुओ ने इस्लामी आक्रांताओं के सामने बड़ी आसानी से घुटने टेक दिये। सचाई यह है कि इस्लाम को सबसे कड़ी टक्कर...

अगर कहीं मिली, तो हिंदुस्तान में मिली।।

इस्लाम धार्मिक रूप से अरब में पैदा हुआ। वही उनका सैन्य संगठन बना और उन्होंने अपना विस्तार शुरू किया।
सबसे पहले हमला सीरिया में हुआ।

-महज एक साल, याने 636 ईसवीं में सीरिया जीत लिया गया।
-अगले साल याने 637 में इराक ने घुटने टेके,
- 643 में उन्होंने फारस को जीत लिया।

याने दस साल लगे, मिडिल ईस्ट को जीतने में, और उनकी सीमा भारत से आ लगी।
इस वक्त मध्य भारत मे हर्षवर्धन का राज्य था।

सन 650 आते आते मध्य एशिया याने अभी का उज्बेकिस्तान, ताजीकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान जीता। याने तुर्कमान, उज्बेक, औऱ मंगोलों की लड़ाकू नस्लों को जीतने में उन्हें 8 साल लगे।

सन 700 तक उन्होंने उत्तर अफ्रीका जीत लिया था,
Read 13 tweets
1 मन होता है 40 किलोग्राम
52 मन का मतलब होता है 2080 किलोग्राम
या कहें दो लाख आठ हजार ग्राम ,मूंज एक प्रकार की घास होती है।आजकल धागे से जनेऊ बनाए जाते है,पहले ये मूंज के बनाए जाते थे।उपनयन संस्कार मे मुंज से बने धागे को शरीर पर धारण किया जाता था।इसलिए जनेउ को मुंज भी कहते हैं
एक व्यक्ति के पहनने जनेउ धागे का वजन दो ग्राम से ज्यादा नही होता।

तो महमूद गजनवी ने जब सोमनाथ पर हमला किया, तो श्रद्धालू भयभीत होकर प्रभु की मूर्ति से चिपट गए। चमत्कार की आवाहन करने लगे। वैसे भी कोई म्लेच्छ जैसे ही मंदिर मे प्रवेश करे, उसके सर के हजार टुकड़े हो जाने तय थे।
पर ऐसा हुआ नहीं गजनवी का सर साबुत रहा। फिर उसने मंदिर लूटने के लिए इतना कत्लेआम किया, कि शहर मे "52 मन मुंज" इकट्ठा हो गया।

उपरोक्त गप एक प्राचीन, मान्यता प्राप्त गप है।

52 मन मुंज का अर्थ गणित के साधारण हिसाब से एक लाख लोगों को मार डाला गया। इतिहास बताता है कि गजनवी की सेना
Read 8 tweets
#स्वतंत्र
एक थे भैया भजपैया !!
यही नाम था, थोड़ा अजीब.. पर था तो क्या करें। तो भैया को एक बार गुफा में ध्यान करने की हुनक हुई। तो चल पड़े गुफा खोजने.. मिल भी गयी।
गुफा, जाहिर है जंगल मे होगी, और जंगल तो पहाड़ पर होगा। तो पहाड़ी जंगल मे भैया भजपैया ने गुफा
खोजकर ध्यान लगाया। समझ मे आया कि पीछे, कोई पहले ही ध्यान लगाया हुआ है।
भालू था..
तो भालू साहब को अपनी गुफा में किसी और का ध्यान लगाना.. शायद पसंद नही आया, तभी तो रेस शुरू हुई। भैया भजपैया जीत रहे थे, काहे की भालू पीछे था, भैया आगे थे।
पर दो की रेस जीतने में कतई मजा न था। तो एक शेर भी रेस में कूद पड़ा। लेकिन रॉकेट हमारे भैया .. भैया भैया भैया, तो अभी भी लीड कर रहे थे।
गौरवर्णी, रक्ताभु, कोमल, रसीले और यम्मी थे, तो एक भेड़िया भी पीछे लग गया।
जंगल मे तूफान मचा था, आगे आगे भैया, पीछे पीछे भालू, शेर और भेड़िया..
Read 8 tweets
सिंधु घाटी बनाम हिन्दू घाटी ..
तो पहले बताइये कि सिंधु घाटी के अवशेषों को जब आपने बचपन मे पढ़ा, तो क्या समझा था? आपने सवाल भी परीक्षा में हल किया होगा- सिंधु घाटी के शहरों के प्रमुख गुण बताइये।
उत्तर लिखा- यहां अन्न के गोदाम थे, बंदरगाह थे, समकोण पर काटती सड़कें,
उनके किनारे दोनों तरफ जल निकासी की नाली, स्नानागार थे, बाजार थे, प्रशासनिक शहर अलग था, सीलें थी, नर्तकियां थी, बैलगाड़ी थी।

तो क्या सिंधु घाटी सभ्यता बड़े बड़े गांव की सभ्यता थी??

शहरीकरण एक सभ्यता का पिनाकल है-
सबसे उत्कृष्ट फल।
शहर का मलतब आसपास के गांवों का एक केंद्र। जो आसपास के गांव, बस्तियो, दस्तकारों और खेतों की उपज का एक्सचेंज करने वाला इंटरफेस।

शहर में खेत नही होते। तब फैक्ट्री नही होती थी। सब कुछ आसपास के गांवों से आता। यहां भंडारण होता, बल्किंग और ग्रेडिंग होती। देश विदेश भेजा जाता।
Read 12 tweets
तो क्या बजरंग दल पर प्रतिबंध लगेगा ??

कांग्रेस ने वादा किया है, अब देखना ये है कि क्या वास्तव मे प्रतिबंध लगेगा?? अब कांग्रेस और राहुल पीछे तो हट न जाऐंगे ??

और अगर प्रतिबंध लगा तो क्या सिर्फ कर्नाटक मे लगेगा?? छत्तीसगढ, राजस्थान, हिमाचल, झारखण्ड, बिहार,
पश्चिम बंगाल मे बजरंग दल क्या छोड़ दिया जाएगा??

क्या वहां बजरंग दल, जरा मासूम प्रवृत्ति का है ???

बजरंग दल टेस्ट केस है। अगर प्रतिबंध लगता है, तो हुड़दंगी समाज क्या जवाबी कार्यवाही करेगा ?? अमित शाह कह चुके हैं कि कर्नाटक मे कांग्रेस अगर सत्ता मे आई तो दंगे होंगे।
तो क्या संभावित प्रतिबंध, संभावित दंगों का कारण बनेगा ??

अगर कोई प्रतिक्रिया नही होती, बैन चुपचाप स्वीकार लिया जाता है, तो कांग्रेस अगला वादा आरएसएस को बैन करने का कर सकती है। तमाम डिसरप्टिव संगठनों की मातृ संस्था तो वही है।

आरएसएस पर तो बैन लगाने की जरूरत भी नही।
Read 8 tweets
इमरान गिरफ्तार, पाकिस्तान मे आग लगी हुई है ...।

आर्मी के हेडक्वार्टर मे पब्लिक घुस गई, देश भर मे इमरजेंसी के हालात है। बम फूट रहे, आंसू गैस चल रही, जनजीवन अस्तव्यस्त है।

पूरी तहरीके इंसाफ पार्टी सड़कों पर है।
मजा आ गया, भई वाह, कितना ही रोबस्ट विपक्ष है।
विपक्ष ऐसा दमदार होना चाहिए। एक हमारे यहां है, साला, एक नंबर का चोमू विपक्ष। जिसका लीडर सजायाफ्ता-अयोग्य हो चुका है, भ्रस्टाचार, शोषण, बलात्कार, अपहरण देशद्रोह के लिए नही ...

इसलिए कि वो चोर को चोर बोल देता है।
उसके साथ इतना बड़ा अन्याय हो गया, कांग्रेस ने चूं न किया।
कल को जेल चला जाएगा, तो भी फुनगा न उखडे़गा। आखिर शिक्षा के मसीहा मनीष सिसोदिया को जेल भर दिया, तो आम आदमी पार्टी के समर्थकों ने कौन से आपातकाल के हालात बना दिये??

भई। भारत मे दमदार विपक्ष तो 1974 मे था,
एकदम्मे जिंदा कौम, जो 5 साल का इंतजार नही करती।
Read 9 tweets

Related hashtags

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3.00/month or $30.00/year) and get exclusive features!

Become Premium

Too expensive? Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal Become our Patreon

Thank you for your support!