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#Thread on #MahaShivaratri

The five faces of #Mahadev -

🔸️ Sadyojata - the newly born consciousness

🔸️Vamdev - preserves consciousness

🔸️Aghora - The power of dissolution of the terrifying things within us. Representing the dropping of our ego.

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🔸️Tatpurush - the power of obscuration, represents the transition period from extreme darkness to complete light within us.

🔸️Ishaan - the power of revealment, representing moksha or the oneness.

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On Mahashivratri, dances are performed for time immemorial, which are termed as cosmic dance

5 key dance forms of Natraja

🔸️ Srishti - Creation

🔸️Samhara - Destruction of the self/ego. "There's no being, only becoming"

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एक बार सती ने भगवान शिव से पूछा कि आपके गले में जो मुंड की माला है उसका रहस्य क्या है। शिव ने सती से कहा कि इस मुंड की माला में जितने भी मुंड यानी सिर हैं वह सभी आपके हैं। सती इस बात का सुनकर हैरान रह गयी।

सती ने भगवान शिव से पूछा, यह भला कैसे संभव है कि सभी मुंड मेरे हैं। इस 👇
पर शिव बोले यह आपका 108 वां जन्म है। इससे पहले आप 107 बार जन्म लेकर शरीर त्याग चुकी हैं और ये सभी मुंड उन पूर्व जन्मों की निशानी है। इस माला में अभी एक मुंड की कमी है इसके बाद यह माला पूर्ण हो जाएगी। शिव की इस बात को सुनकर सती ने शिव से कहा मैं बार-बार जन्म लेकर शरीर त्याग करती👇
हूं लेकिन आप शरीर त्याग क्यों नहीं करते।

शिव हंसते हुए बोले 'मैं अमर कथा जानता हूं इसलिए मुझे शरीर का त्याग नहीं करना पड़ता।' इस पर सती ने भी अमर कथा जानने की इच्छा प्रकट की। शिव जब सती को कथा सुनाने लगे तो उन्हें नींद आ गयी और वह कथा सुन नहीं पायी। इसलिए उन्हें दक्ष के यज्ञ👇
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सच्चिदानन्दरूपाय विश्वोत्पत्त्यादिहेतवे।
तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नुमः॥
!१/१!

सच्चिदानन्दस्वरूप भगवान् श्रीकृष्णको हम नमस्कार करते हैं, जो जगत् की उत्पत्ति, स्थिति और विनाशके हेतु तथा आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक~ तीनों प्रकारके तापोंका नाश करनेवाले हैं॥१!!#जयश्रीकृष्ण Image
यं प्रव्रजन्तमनुपेतमपेतकृत्यं
द्वैपायनो विरहकातर आजुहाव।
पुत्रेति तन्मयतया तरवोऽभिनेदु-
स्तं सर्वभूतहृदयं मुनिमानतोऽस्मि॥
!१/२!

जिस समय शुकदेवजीका बिना यज्ञोपवीत-संस्कार हुए संन्यासके लिए जाते देखकर पिता व्यासजी पुकारने लगे~बेटा!कहां जारहे हो?उस समय वृक्षोंने उत्तर दिया था॥२!!🙏 ImageImage
नैमिषे सूतमासीनमभिवाद्य महामतिम्।
कथामृतरसास्वादकुशलः शौनकोऽब्रवीत्॥
!१/३!

एक बार भगवत्कथामृतका रसास्वादन करनेमें कुशल मुनिवर शौनकजीने नैमिषारण्य क्षेत्रमें विराजमान महामति सूतजीको नमस्कार करके उनसे पूछा॥३!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्
#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam Image
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