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My Autobiography in this THREAD:

I'm “Queen Khan"....oops. Sorry. Typo Error.

I'm “King Khan" and “I'm not a Terrori$t”. Atleast you can't PROVE.

I'm “बादशाह ऑफ बॉलीवुड". And tell that @MumbaichaDon to stop calling it BLOODYwood. It's my order.

So let me start!

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I'm grandson of a great grandfather, Shah Nawaz Khan, who participated in Freedom Struggle with Netaji Subhash Chandra Bose.

It's a MINOR Issue that he spread the lies of Netaji's Aircraft crash to General Public and specifically, to Netaji's Indian National Army Cadets.

2/18
Don't you dare to blame my grandfather Shah Nawaz Khan for this because it was in the best interest of Nation. Remember, Interest of Nation was in Wellness of Jawaharlal Nehru “Ji" & my grandfather did exactly that. Why should Netaji become bigger when Nehru “Ji" was there.

3/18
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बॉयकॉट ट्रेंड : द्वेष नव्हे त्वेष

1) बॉलीवूड नेहमी हिंदूंच्या भावना दुखावणारे विषय का घेत होते?

2) द काश्मीर फाईल्स, बाहुबली, कांतारा सारखे चित्रपट रसिक प्रेक्षकांच्या मनावर अधिराज्य गाजवत होते तेव्हा बॉलीवूडमध्ये त्याचं मनापासून तोंडभरून कौतुक का होत नव्हतं?

3) विजय
देवराकोंडा, प्रभास सारख्या उत्तम दाक्षिणात्य कलाकारांना घेऊन बॉलीवूडवाले फालतू, दर्जाहीन चित्रपट का निर्माण करतात?

4) उत्तान दृश्ये, अनावश्यक शिवीगाळ, अश्लीलता आणि सवंगपणा पसरवणाऱ्या बॉलीवूडला सर्वसामान्य भारतीय का म्हणून आपलं म्हणेल?

5) चांगल्या उत्तम साहित्य, नाटक, इतर
प्रादेशिक चित्रपटांचे हीन दर्जाचे remakes बनवून बॉलीवूड निर्मात्यांचा पैसा, कलाकारांचा वेळ, मेहनत आणि प्रेक्षकांची अभिरुची वाया घालवतात त्याबाबत तुम्ही नाराजी का व्यक्त केली नाही?

6) नसिरुद्दीन शहा, अनुराग कश्यप, प्रकाश राज, वीर दास, नंदिता दास, स्वरा भास्कर, सोनम कपूर सारखे
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2007 में एक फिल्म आई थी- "चक दे इण्डिया" जिसके नायक थे 'शाहरुख खान'। फ़िल्म में उनका नाम था 'कबीर खान' और हॉकी कोच बने थे।
*यह एक सच्ची घटना पर आधारित फ़िल्म थी।* पूरी फिल्म में हीरो को "खास कौम" का होने के कारण 'प्रताड़ित होते तथा देशभक्त बनते हुए' दिखाया गया था।
जिस वास्तविक पात्र पर यह फ़िल्म बनी है, वह हॉकी के खिलाड़ी श्री "मीर रंजन नेगी" जी हैं जो कि "हिन्दू" हैं।
*अब प्रश्न सिर्फ यह है कि इस पात्र को फ़िल्म में हिन्दू ही क्यों नहीं रहने दिया गया?*
दूसरा उदाहरण, फ़िल्म छपाक (2020). *यह फ़िल्म भी एक सत्य घटना पर फिल्मायी गई है*
जो 'लक्ष्मी अग्रवाल' के जीवन पर आधारित है। असल दुर्घटना में लक्ष्मी के ऊपर एसिड फेंकने वाले अपराधी का नाम नईम खान है, जिसे फ़िल्म में बदल कर “राजेश” कर दिया गया है। *फिर से प्रश्न वही है कि इस कुपात्र को फ़िल्म में मुस्लिम ही क्यों नहीं रहने दिया गया?*
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असली पठान कौन?

(1) असली पठान वो जो हवाई जहाज के पहिए से लटक कर अमेरिका जाने की कोशिश करे।

(2) असली पठान वो जो औरतों को जानवर से बदतर समझे, औरतों को कोड़ों से सरेआम मारे और औरतों को बोरा में भर कर रखे।

(3) असली पठान वो जो बच्चा बाज़ी करे।

(4) असली पठान वो जो (1/6)
अपने बीबी बच्चों को तालिबानियों के हवाले छोड़कर हवाई जहाज में लटक लटक कर भाग जाए।

(5) असली पठान वो जो लड़कियों की खरीद फरोख्त करे।

(6) असली पठान वो जो अपने हरि सिंह नालवा के डर से सलवार पहन कर हिजड़ों की तरह रहना कुबूल करे।

(7) असली पठान वो जो भूखे नंगे, फटेहाल रहे और (2/6)
सबसे लात खाते रहे।

(8) असली पठान वो जो नशे का सौदागर हो।

(9) असली पठान वो जो जन्नत में 72 हूरों के लिए आतंकी बने।

(10) असली पठान वो जो अपने बेटी को बेचता है।

[ब्रिटिश पत्रकार हैं क्रिस मेंडलोक उनका एक बड़ा ही चर्चित आर्टिकल छपा था कई बड़े अख़बारों में कुछ समय पूर्व (3/6)
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फ़िल्म का नाम है पठान, जिसकी अभिनेत्री जेएनयू के टुकड़े-टुकड़े गैंग की सदस्य दीपिका पादुकोण और अभिनेता स्व.लता मंगेश्कर के पार्थिव शरीर पर थूकने वाला शाहरुख़ ख़ान है।

इस फिल्म में एक गाने 'बेशर्म रंग' में दीपिका को लगभग वस्त्र विहीन वो भी भगवा कपड़ों से अपने (1/10) Image
अन्त:शरीर को वाहियात ढंग से ढकते व 'बेशर्म' रंग सम्बोधन के माध्यम से सनातन का मखौल व अपमानित करते दिखाया गया है।

वहाबियों/जिहादियो की गेरुआ वस्त्रों पर सदैव एक गिद्धदृष्टि रहती है। पालघर के गेरुआ वस्त्रधारी संतो की हत्या तो मात्र एक संदेश है, वास्तविक लक्ष्य तो सनातन (2/10)
का नरसंहार है।

यही कारण है कि पैगंबर अपने अनुयायियों को आग्रह किया करता था कि वे अपने सिर और दाढ़ी के बाल हिना (लाल रंग) से रंगें ताकि वे यहूदियों से भिन्न दिखें और हिन्दू परम्पराओं से अलग करने के लिए उसने (मुहम्मद) अपने अनुयायियों को हरे रंग का प्रयोग करने का आग्रह (3/10)
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