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अगर आपको याद न हो तो याद दिला दु ,यही वो #AirIndia है ,जिसने किसी सिविल एयरलाइनर के द्वारा किसी युद्ध क्षेत्र से सर्वाधिक लोगो को निकालने के लिए @GWR गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान पाया था ।आपको जान के आश्चर्य होगा कि 13 अगस्त से 11 अक्टूबर 1990 तक 488 उड़ानों का संचालन1/n
करते हुए, 111,000 से अधिक लोगों को ओमान से 4,117 किलोमीटर (2,558 मील) की दूरी पर मुंबई से निकाला गया। कुवैत और इराक से भारतीय प्रवासियों को निकालने के लिए फारस की खाड़ी युद्ध के दौरान ऑपरेशन किया गया था।
अब लोग कहेंगे हम अतीत की सफलताओ को गिना कर वर्तमान और भविष्य को 2/n
निर्धारित नही कर सकते ,तो उनकी जानकारी के लिए बता दु की वर्तमान में महामारी covid 19 के दौरान सरकार के द्वारा #missionvandebharat चलाया गया ताकि लोगो को विभिन्न देशों से स्वदेश लाया जा सके । ये मिशन 7 मई 2020 को चालू किया गया और लाखो लोगो को वापस स्वदेश लाने का लक्ष्य हैं 3/n
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झांसी की रानी लक्ष्मी बाई के बारे में तो हर कोई जानता है, लेकिन राजस्थान में वैसी ही एक वीरांगना और हुई बाईसा सुजा कवर राजपुरोहित जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं। 

इनका जन्म 1837 में मारवाड़ राज्य के लाडनूं ठिकाने में हनुवंत सिंह राजपुरोहित जी के घर हुआ। Image
जैसा कि सदियों से चला आ रहा है राजपुरोहित शास्त्र और शस्त्र दोनों में ही निपुण होता है। इसका परिचय तब मिला जब 1854 में उनका विवाह किशनगढ़ रियासत के अंतर्गत बीली गांव के बैजनाथ सिंह राजपुरोहित के साथ हुआ
विवाह के बाद जब वह अपने ससुराल जा रही थी तब डाकुओं ने उन पर हमला कर दिया, कायर पति ने आभूषण लुटेरों के हवाले करने को कहा परंतु सुजा बाईसा ने तुरंत अपने पति की तलवार निकाली और डाकू सरदार को मार गिराया।
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*🇳🇪🛑गौरव गाथा🛑🇳🇪*
भारत माता की जय वंदेमातरम आळते गावातील हुतात्मा गुंडु धुळा सुतार क्रांतिकारक अंतु गिड्ड,गैबी सुलतान नदाफ,कुशाभाऊ कुंभार,बाळु इब्राहिम पिंजारी हे देशभक्त रत्नाप्पा कुंभार यांच्या नेतृत्वाखाली काम करीत होते.आण्णांचा आदेश होता की,
इंग्रजांची सरकारी यंत्रणा,टपाल,तार, रेल्वे यंत्रणा तोडा मोडा नामशेष करा
त्यांच्या आदेशानुसार रुकडी रेल्वे स्टेशन जाळण्याचा बेत होता आमच्या मिटींगा आल्यात होत होत्या त्या नुसार 2ते 3दिवस अगोदर रोकेल चालु डबा आलमात आणून ठेवला होता त्या रात्री आलमप्रभु येथे जेवन करून नियोजन झाले
सर्वांनी ताकदीने प्रमाणे काम करायचे तारतंत्र तोडण्या साठी घन(मोठा हातोडा)नव्हता म्हणुन देवळात ला मोठा दगड डोक्यावर घेऊन सगळेजन पलीकडच्या बाजूने डोंगर उतरला रेल्वे स्टेशन गाठले तेथे 40लोक हजर होते
आपटबार आपटल्याने मोठा आवाज झाला.त्या सरशी भारत माता की जय वंदे मातरम या घोषणा देत,
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