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"As a full-time homemaker, I always found my life circling around my kitchen, cooking, cleaning, and taking care of others. There was one point in time when I was so emotionally exhausted that even routine tasks became difficult.⁠

#SelfLoveStory #ValentinesDay #inspiring
Seeing me struggle to find motivation, my daughter suggested that I sing my favourite songs and post them on Instagram -- she knew I had always enjoyed singing.⁠

I never had much exposure to social media, so I was highly sceptical about the idea.
But she managed to push me to do it, and that's how my journey with making reels began.⁠

I found the process of reel creation interesting, and it was a great way to express my thoughts.
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Is your housing society a trailblazer in #recycling, #solarpower, #domestic staff welfare and more?

You could win at the 'Best Housing Society Awards', brought to you by The Better India and Godrej & Boyce: bit.ly/3R83rU
@GodrejAndBoyce
One such society is Roseland Residency in Pune's suburb Pimple Saudagar tgat has been implementing rainwater harvesting successfully for the past decade and has never had to buy a single tanker since.
"We were tired of facing a constant shortage of water in summer. A total of 2500 residents live here. Clearly, our water requirement is huge, and it simply wasn’t possible to spend so much money on tankers.
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(1/9)#BirthAnniversary
25 दिसंबर 1861 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में एक पंडित परिवार में मदन मोहन मालवीय का जन्म हुआ। उन्होंने अपना उपनाम ‘चतुर्वेदी’ से बदलकर ‘मालवीय’ रख लिया, क्योंकि उनके पूर्वज मालवा से इलाहाबाद आए थे।
(2/9)मालवीय ने भारत में शिक्षा के स्तर को ऊँचा उठाने और समाज में सुधार लाने की दिशा में अनेकों काम किए। क्योंकि कहीं न कहीं उन्हें पता था कि जब तक भारतीय, शिक्षित नहीं होंगे और उन्हें समझ नहीं होगी कि स्वतंत्रता के असल मायने क्या हैं?
(3/9)तब तक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को वह गति नहीं मिलेगी, जो मिलनी चाहिए। इसके अलावा, उनकी सोच यह भी थी कि उन्हें युवाओं को स्वतंत्र भारत के लिए तैयार करना है, ताकि उन्हें पता हो कि उन्हें कैसे अपने देश के सर्वांगीण विकास में साथ देना है।
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(1/8)क्या आपने मक्खन का पेड़ देखा है?

चौंकिए मत! इस तरह के पेड़ उत्तराखंड में अक्सर दिखाई पड़ते है। च्यूर नाम का यह पेड़ देवभूमि वासियों को वर्षों से घी उपलब्ध करा रहा है। इसी खासियत के कारण इसे 'इंडियन बटर ट्री' कहा जाता है।
(2/8)जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्व विद्यालय के डॉ. वीपी डिमरी बताते हैं कि दूध की तरह मीठा और स्वादिष्ट होने के कारण च्यूर के फलों को चाव से खाया जाता है। दुनिया में तेल वाले पेड़ों की सैकड़ों प्रजातियां हैं, लेकिन कुछ ही ऐसी हैं, जिनसे खाद्य तेल प्राप्त किया जा सकता है।
(3/8)डॉ. डिमरी कहते हैं कि यदि च्यूर के व्यावसायिक उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए, तो यह राज्य की आर्थिक स्थिति को बदल सकता है।

च्यूर संरक्षित प्रजाति का पेड़ है और इसे काटने की अनुमति नहीं है। इसके बावजूद च्यूरा के पेड़ों की संख्या लगातार घट रही है।
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(1/7)कई बार ऑफिस आते-जाते या सड़क पर चलते हुए आपकी नज़र ऐसे किसी इंसान पर पड़ी होगी जिनके पास इस कड़कड़ाती ठंड में तन ढकने के लिए एक कंबल भी नहीं है। वे छोटे-छोटे बच्चे जो बिना स्वेटर, टोपी और गर्म कपड़े के ही दिन-रात काटने को मजबूर हैं।
(2/7)इनकी मदद करने का ख़्याल तो आपको भी आया होगा!तो अब बिना सोचे हमारे ज़रिए आप इन तक पहुंचा सकते हैं गर्म कपड़े और कंबल जैसी ज़रूरी चीज़ें।
द बेटर इंडिया के #DonateWarmth कैंपेन से जुड़कर हमारा साथ दीजिए।क्योंकि साथ मिलकर कोशिश करने से ही हम इनकी ज़िंदगी थोड़ी आसान बना सकते हैं।
(3/7)नए साल की इससे अच्छी शुरुआत और क्या होगी?
आपको क्या करना है?
जो कपड़े अब आप नहीं पहनते या आपके लिए बेकार हैं, उन्हें हमारे कैंपेन पार्टनर Uddeshhya के इन पतों पर #DonateWarmth के ज़रिए दान कर सकते हैं या कोरियर के माध्यम से पहुंचा सकते हैं-
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(1/4)अगर जीवन में कुछ कर गुज़रने का जुनून हो, तो कोई भी मुश्किल काम आसान हो जाता है। ऐसा ही कुछ कमाल कर दिखाया है उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले के छोटे से गांव की रहनेवाली सानिया मिर्ज़ा ने।
(2/4)सानिया ने एनडीए की परीक्षा में 149वीं रैंक के साथ फ्लाइंग विंग में दूसरा स्थान हासिल किया है।

सानिया की इस सफलता से उनका परिवार बहुत खुश है। सानिया के पिता शाहिद अली मिर्ज़ापुर में एक टीवी मैकेनिक हैं। ot
(3/4)उन्होंने बताया, "सानिया मिर्ज़ा, देश की पहली फाइटर पायलट अवनी चतुर्वेदी को अपना आदर्श मानती है। वह शुरू से ही उनके जैसा बनना चाहती थी। सानिया देश की दूसरी ऐसी लड़की है, जिसे फाइटर पायलट के तौर पर चुना गया है।"
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कई बार ऑफिस आते-जाते या सड़क पर चलते हुए आपकी नज़र ऐसे किसी इंसान पर पड़ी होगी जिनके पास इस कड़कड़ाती ठंड में तन ढकने के लिए एक कंबल भी नहीं है। वे छोटे-छोटे बच्चे जो बिना स्वेटर, टोपी और गर्म कपड़े के ही दिन-रात काटने को मजबूर हैं। Image
इनकी मदद करने का ख़्याल तो आपको भी आया होगा! तो अब बिना सोचे हमारे ज़रिए आप इन तक पहुंचा सकते हैं गर्म कपड़े और कंबल जैसी ज़रूरी चीज़ें।
द बेटर इंडिया के #DonateWarmth कैंपेन से जुड़कर हमारा साथ दीजिए। क्योंकि साथ मिलकर कोशिश करने से ही हम इनकी ज़िंदगी थोड़ी आसान बना सकते हैं।
नए साल की इससे अच्छी शुरुआत और क्या होगी?
आपको क्या करना है?
जो कपड़े अब आप नहीं पहनते या आपके लिए बेकार हैं, उन्हें हमारे कैंपेन पार्टनर Uddeshhya के इन पतों पर #DonateWarmth के ज़रिए दान कर सकते हैं या कोरियर के माध्यम से पहुंचा सकते हैं-
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23 मई, 1984 भारत के लिए गर्व का दिन था। इस दिन बछेंद्री पाल 8,848 मीटर ऊंचे माउंट एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा फहराने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं।
इनके अलावा, एवरेस्ट फ़तह करने वाली एक और महिला हैं जिनके बारे में शायद ही आप जानते होंगे, नाम है संतोष यादव। Image
हरियाणा के रेवाड़ी जिले में जन्मीं संतोष यादव का जीवन संघर्ष भरा था। वह बताती हैं, "मैं अपने स्कूल के लिए घर से 5 किलोमीटर पैदल चलकर जाती थी। स्कूल में पक्की फ़र्श नहीं थी, न ही बैठने के लिए सीटें या गद्दे लगे थे, इसलिए हम बोरे लेकर जाते थे।
रास्ते में अगर कभी बारिश होती थी, तो अपने बस्ते से ही खुद को भीगने से बचाते!”

उन्हें पढ़ाई का बहुत शौक़ था, लेकिन परिवार की मानसिकता इससे अलग थी। किसी तरह पिता को मनाकर, संतोष जयपुर के महारानी कॉलेज में पढ़ने चली गईं। वहां उनके हॉस्टल से अरावली की पहाड़ियाँ दिखती थीं।
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going through old tweets about/by musk is a fucking trip (clout chasing Ramzan Kadyrov, personally moving to Mars, brain uploading, etc) but the one that really took my breath away was when he promised to bring clean water to flint in 2018. truly just a massive piece of shit
imagine the most coked out person whos ever pigeonholed you at a party but they've spent years messaging you their most grandiosely ludicrous plans and whiniest fits but also they're also somehow incredibly boring and forgettable
so after Disney options my screenplay, which how could they not right anyway then I use THAT as capital for a restaurant that does JUST surf and turf but get this you choose both the lobster AND the wagyu live from a tank they share and then I network with
ft.com/content/dfc197…
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"When my friend booked an Uber for me on the last day, this lady came to pick me up. After the ride started, I noticed a kid sleeping in the front seat. I could not resist asking:
Ma'am, is that your daughter?
Yes, sir, my daughter and she is on vacation now; hence I am working and babysitting together.
I was curious, so I wanted to know more.

Her name is Nandini, and she drives a cab in Bangalore.
She wanted to be an entrepreneur and started a food truck a few years back with all her savings. But then covid hit, and she lost all the money she had invested.

Post that, she started driving a cab.
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A new special issue! 📚

@swenhutter & I are happy to announce the publication of "New Contentious Politics. Civil Society, Social Movements, and the Polarisation of German Politics". Check out the great contributions! #protest

➡️ tandfonline.com/doi/full/10.10… @GermanPolJnl (1/11)
Our SI studies "new contentious politics": A #double #transformation of contemporary protest arenas, marked by (1) new issues & claims from the left to the far-right as well as (2) hybrid organisational forms & a close interaction between protest and electoral politics. 🪧 (2/11)
In "Civil Society, Cleavage Structures, and Democracy in Germany", E. #Grande studies the importance of new political #cleavages for understanding protest. Crucially, he points to the ambivalent relationship between civil society & #democracy.

➡️ tandfonline.com/doi/full/10.10… (3/11)
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(1/5)#gardening
गुना (मध्य प्रदेश) के रुठिआई गांव के 44 वर्षीय केदार सैनी एक गरीब किसान परिवार से आते हैं। लेकिन पर्यावरण के प्रति उनका जो लगाव है, वह उन्हें काफी खास बना देता है। वह पेड़-पौधों और देसी बीज के विषय में बेहद अच्छी जानकारी रखते हैं और
(2/5)इसका इस्तेमाल करके वह शहर में हरियाली भी फैला रहे हैं। साल 2019 से वह गेल इंडिया और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसे प्रोजेक्ट्स पर पौधे लगाने का काम कर रहे हैं।

अपने पौधों के प्रति लगाव के कारण ही वह दुर्लभ सब्जियों, फलों और जड़ी-बूटियों आदि के बीज इकट्ठा
(3/5)करने का काम भी करते हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि वह इन बीजों को साल 2013 से न सिर्फ जमा कर रहे हैं, बल्कि जरूरमंद किसानों को मुफ्त में बाँट भी रहे हैं।

केदार ने द बेटर इंडिया से बात करते हुए बताया, “मैंने अब तक देश के 17 राज्यों में अलग-अलग किसानों को डाक के
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(1/6)!! पुण्यतिथि पर शत शत नमन !!

यूसुफ़ जफर मेहरअली

23 सितंबर 1903 को जन्मे युसूफ मेहरअली भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के अग्रणी नेताओं में थे. आजादी के आंदोलन के दौरान वे 8 बार जेल भेजे गए। 1942 में जेल में बंद होने के बावजूद वह बंबई (अब मुंबई) के मेयर चुने गए थे।
(2/6)उन्होंने 1930 के नमक सत्याग्रह में हिस्सा लिया। सन 1934 में ब्रिटिश राज पर षड्यन्त्र रचने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें दो वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई। मेहरअली कांग्रेस सोशलिस्ट के संस्थापकों में से एक थे।
(3/6)उन्होंने 1940 के विशिष्ट सत्याग्रह में हिस्सा लिया और दोनों अवसरों पर उन्हें गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया।

मेहरली ही वह शख्स थे जिन्होंने 'Quit India' यानी भारत छोड़ो का नारा दिया था जिसे गांधीजी ने 1942 में
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(1/4)#फ़िल्मी_शुक्रवार
"एक समय था जब मैं एक प्रोजेक्ट पूरा करता था,
मुंबई हवाई अड्डे पर उतरता था, और वहीं से दूसरा पैक किया हुआ सूटकेस लेता था, जिसे मेरी पत्नी घर से नए कपड़े रखकर भेजती थी क्योंकि वहीं से दूसरे प्रोजेक्ट के लिए उड़ान भरनी पड़ती थी।
(2/4)मैंने एक बार मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'कफन' पर आधारित एक फिल्म करने का ऑफर स्वीकार कर लिया, जिसकी शूटिंग लखनऊ के पास एक गाँव में करनी थी। यहां मुझे एक जर्जर मकान में रहना था, जो धूल से सना हुआ था। इतनी धूल कि जब मैं सुबह उठता था तो मेरी नाक में रेत के कण होते थे।
(3/4)वहां शूटिंग करना बहुत चुनौतीपूर्ण था, लेकिन मैंने कभी किसी बात की शिकायत नहीं की। मैंने अपने परिवार को भी इस बारे में कुछ नहीं बताया।
यह उन दिनों की बात है जब एक्टर्स के स्टाफ को भी 3 स्टार होटल में कमरे मिलते थे।
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(1/6)हिंदी साहित्य में अगर किसी कवि को लोककवि होने का दर्जा प्राप्त है तो वह हैं बाबा नागार्जुन!
नागार्जुन का जन्म 30 जून, 1911 को हुआ था। वह प्रगतिवादी विचारधारा के लेखक और कवि थे। नागार्जुन ने 1945 ई. के आसपास साहित्य क्षेत्र में क़दम रखा। Image
(2/6)उनका असली नाम वैद्यनाथ मिश्र था, पर हिन्दी साहित्य में उन्होंने 'नागार्जुन' तथा मैथिली में 'यात्री' उपनाम से रचनाओं का सृजन किया।
नागार्जुन की कविताओं को उनके समय और जीवन की डायरी के रूप में भी देखा जा सकता है। उनके काल की शायद ही कोई महत्वपूर्ण राजनैतिक और
(3/6)सामाजिक घटना होगी, जिसे उनकी कविता में स्थान न मिला हो।

ऐसी ही एक मर्मस्पर्शी कविता है -

'गुलाबी चूड़ियां'

प्राइवेट बस का ड्राइवर है तो क्या हुआ,
सात साल की बच्ची का पिता तो है!
सामने गियर से उपर
हुक से लटका रक्खी हैं
काँच की चार चूड़ियाँ गुलाबी
बस की रफ़्तार के मुताबिक
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(1/5)शादी के बाद बरसों तक घरेलू हिंसा का शिकार हुईं शिवांगी गोयल उन औरतों के लिए मिसाल हैं, जिन्हें लगता है कि अब कुछ नहीं हो सकता। शिवांगी की सात साल की बेटी है। ससुराल में काफ़ी समय तक हिंसा झेलने के बाद, शिवांगी ने अपने माता-पिता के पास लौटने का फ़ैसला किया।
(2/5)शिवांगी ने तलाक़ के लिए अदालत में अर्ज़ी दी। इतना सब कुछ होने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। शिवांगी का बचपन का सपना था UPSC एग्ज़ाम पास करके प्रशासनिक सेवा में जाने का। वापस आने के बाद, शिवांगी ने अधूरे सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात एक कर दिया।
(3/5)कड़ी मेहनत और शिवांगी की ज़िद का नतीजा है कि शिवांगी इस बार UPSC क्लियर करने में ना सिर्फ़ कामयाब रहीं, बल्कि ऑल इंडिया 177 रैंक भी ले आईं।
शिवांगी का कहना है कि वह उन महिलाओं को संदेश देना चाहती हैं, जो शादी के बाद घरेलू हिंसा झेलती हैं और सोचती हैं कि यही उनकी नियति है।
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(1/5)यूपीएससी में हिंदी मीडियम के अभ्यर्थियों में टॉप करने वाले रवि कुमार सिहाग ने 18वीं रैंक लाकर साबित किया है कि हिंदी का परचम भी नतीजों में बुलंद रहा है।
यूपीएससी में 17वीं रैंक तक टॉपर्स अंग्रेजी माध्यम के अभ्यर्थी हैं। Image
(2/5)जबकि हिंदी माध्यम से टॉप करने वाले 18वें नंबर पर रवि कुमार सिहाग हैं। रवि कुमार सिहाग की ऑल इंडिया रैंक तो 18 है, लेकिन हिंदी माध्यम में इनकी रैंक टॉप की है। रवि ने यह परीक्षा कुल चार बार दी है और चार प्रयासों में से तीन बार सफल रहे हैं।
(3/5)राजस्थान के रवि उनके परिवार और गांव से पहले आईएएस बनेंगे। हिंदी मीडियम से ही ग्रेजुएशन कर चुके रवि ने कभी भाषा को किसी तरह की दिक्कत नहीं माना। कॉलेज की पढ़ाई के बाद, रवि ने साल 2016 में एक साल तक यूपीएससी की तैयारी की और चार बार परीक्षा दी।
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(1/12)इस साल के यूपीएससी नतीजे देश के सामने हैं। टॉप 3 में देश की तीन बेटियों का नाम गूँज रहा है। श्रुति शर्मा को इस परीक्षा में पहला स्थान, अंकिता अग्रवाल को दूसरा और गामिनी सिंगला को तीसरा स्थान हासिल हुआ है। इन तीनों की कामयाबी सिर्फ़ इनकी कामयाबी नहीं है,
(2/12)बल्कि मुश्किलों के आगे हिम्मत ना हारने वाले हर इंसान की कामयाबी का सबक़ इनकी कहानियों में छुपा हुआ है। इस परीक्षा को टॉप करने वाली दिल्ली की श्रुति शर्मा को दूसरी कोशिश में कामयाबी मिली, लेकिन हम सबके लिए असली कहानी उनकी पहली कोशिश में है।
(3/12)श्रुति ने पिछले साल भी यह परीक्षा दी थी, तब ना कहीं ढोल नगाड़े थे और ना बधाई देने वालों का जमावड़ा। क्योंकि श्रुति पिछले साल की कोशिश में महज़ एक नंबर की कमी से यूपीएससी के इंटरव्यू में नहीं जा पाई थीं। असल में श्रुति यह एग्ज़ाम इंग्लिश में देना चाहती थीं,
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(1/6)गुरबक्श सिंह ढिल्लों का जन्म 18 मार्च 1914 को पंजाब के एक गाँव में हुआ। ढिल्लों बचपन से ही दिमाग से तेज थे, पढ़ने-लिखने में उन्हें काफी रूचि थी। शुरुआत में वह स्पष्ट नहीं थे कि उन्हें आगे क्या करना है। उनका पूरा ध्यान बस ज्यादा से ज्यादा पढ़ने पर था।
(2/6)इसी बीच, एक दिन किसी ने उन्हें सेना में भर्ती होने की सलाह दी! फिर क्या था, उनके दिल में यह बात घर कर गयी और उनके जीवन का लक्ष्य सेना में भर्ती होना बन गया।

साल 1936 के आसपास भारतीय सेना से उन्हें बुलावा आया। वह 14वीं पंजाब रेजिमेंट की प्रथम बटालियन का हिस्सा बनाए गए।
(3/6)उन्होंने अपनी कार्यशैली से सीनियर्स को काफी प्रभावित किया। आगे चलकर उन्हें द्वितीय विश्वयुद्ध में हिस्सा लेने का मौका मिला, इस जंग में उन्होंने विरोधियों को मुंहतोड़ जवाब दिया था।

हालांकि, अंत में वह जापान द्वारा युद्धबन्दी बना लिये गये थे।
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#Inspiring 🧵 on #personalfinance and how to manage finances - this is a story of my house help @sheroes who has been working in Bombay for the past 20+ years raised two kids.
1 - Created passive income wealth generating assets - 6 small houses - of which she stays in one and 1/
Rents the other 5 - generating rental income ( which is 4 times her monthly outflow of expenses)
2 - How was this created - worked as house-help and invested significant monies in chit funds - when asked isn’t this risky - it was earlier when she was investing in others funds 2/
Now she runs the Chit fund ( BC as she calls it) wherein all participants are of her circle of trust (credit risk managed). She draws the first chit - so makes most returns.
3 - my next q was where is this drawdown invested - immediate response is in known circles @ monthly 3/
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(1/5)80 के दशक में रामायण धारावाहिक को घर-घर तक पहुंचाने वाले रामानंद सागर का जन्म 29 दिसंबर 1917 को ब्रिटिश इंडिया के पंजाब में हुआ था। अब यह जगह पाकिस्तान के लाहौर में है। रामानंद सागर के बचपन का नाम चंद्रमौली चोपड़ा था। रामानंद को उनकी नानी ने पाला और
(2/5)उन्होंने उनका नया नाम रामानंद सागर रखा। परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी, इसलिए रामानंद को कम उम्र से ही काम करना शुरू करना पड़ा। उन्होंने उन दिनों ट्रक क्लीनर और चपरासी की नौकरी भी की है।

1940 में रामानंद सागर पृथ्वीराज कपूर के पृथ्वी थियेटर में असिस्टेंट स्टेज
(3/5)मैनेजर के तौर पर काम करने लगे। यहीं से उन्हें राज कपूर के साथ काम करने का मौका भी मिला। साल 1950 में उन्होंने प्रोडक्शन कंपनी सागर आर्ट कॉरपोरेशन बनाई। रामानंद सागर के कई सीरियल और फिल्में पॉपुलर हुईं लेकिन 'रामायण' की सबसे ज्यादा चर्चा रही।
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(1/17)पति पत्नी के बीच का प्रेम क्या होता है,कोई विजेंद्र सिंह राठौड़ से सीखे!
यह तस्वीर अजमेर के रहनेवाले विजेंद्र सिंह राठौड़ और उनकी धर्मपत्नी लीला की है।साल 2013 मे लीला ने विजेंद्र से आग्रह किया कि वह चार धाम की यात्रा करना चाहती हैं।विजेंद्र एक ट्रैवल एजेंसी में कार्यरत थे
(2/17)और उसी दौरान ट्रैवेल एजेंसी का एक टूर केदारनाथ यात्रा पर जाने के लिए निश्चित हुआ। बस फिर क्या था, इन दोनों पति-पत्नी ने भी अपना बोरिया-बिस्तर बांधा और केदारनाथ जा पहुंचे।
वहां, विजेंद्र और लीला एक लॉज में रुके थे। लीला को लॉज में छोड़, विजेंद्र कुछ दूर ही गए थे
(3/17)कि चारों ओर हाहाकार मच गया। उत्तराखंड में आई भीषण बाढ़ का उफनता पानी केदारनाथ आ पहुंचा था। विजेंद्र ने बमुश्किल अपनी जान बचाई।
मौत का तांडव और उफनते हुए पानी का वेग शांत हुआ, तो विजेंद्र बदहवास होकर उस लॉज की ओर दौड़े जहाँ वह लीला को छोड़कर आए थे।
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(1/6)28 दिसंबर 1937 में जन्में रतन टाटा आज बिज़नेस क्षेत्र में एक बड़ा नाम है, लेकिन वो कहते है न, बुलंदियों पर पहुँचने वाला हर इंसान कभी न कभी असफलता से गुजरता है।

यह बात है साल 1998 की, जब टाटा मोटर ने अपनी पहली पैसेंजर कार, Tata Indica बाजार में उतारी थी।
(2/6)दरअसल, यह रतन टाटा का ड्रीम प्रोजेक्ट था और इसके लिए उन्होंने जी-तोड़ मेहनत भी की। लेकिन इस कार को बाजार से उतना अच्छा रेस्पोंस नहीं मिल पाया, जितना उन्होंने सोचा था। इस वजह से टाटा मोटर्स घाटे में जाने लगी। कंपनी से जुड़े लोगों ने घाटे को देखते हुए,
(3/6)रतन टाटा को इसे बेचने का सुझाव दिया और न चाहते हुए भी, रतन टाटा को इस फैसले को स्वीकार करना पड़ा। इसके बाद, वह अपनी कंपनी बेचने के लिए अमेरिका की कंपनी Ford के पास गए।

रतन टाटा और फोर्ड कंपनी के मालिक बिल फोर्ड की बैठक कई घंटों तक चली।
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We’re #CelebratingIrish success in sport today, highlighting a few of the many Irish athletes with British connections and British athletes with Irish connections as well as the thriving GAA community in GB. 🇮🇪🇬🇧⚽️🏊🏐🏃‍♂️
Many members of @TeamIreland have connections with or trained & competed in GB in the run up to the Tokyo @Olympics & @Paralympics.🇯🇵🇮🇪🇬🇧
#Irish diver Tanya Watson will be making history at #Tokyo2020 as the first ever Irish female diver to compete in the Olympics.👏👏 #WomenInSport #TeamIreland @swimireland

bit.ly/2UOHSz6
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