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कर्नाटक चुनाव में सबकुछ करके भी जब 'पासमांदाकरण' का दाव नहीं चला तो प्रधानमंत्री जी को आखिरी समय में फिर से राम और हनुमान जी याद आने लगे हैं।

2021 में कर्नाटक के एक टीवी ने 'ऑपरेशन टेंपल' चलाया था, जिसमें साक्ष्य के साथ दिखाया था कि कर्नाटक की भाजपा सरकार ने 6500 मंदिरों को
तोड़ने का लक्ष्य रखा था, जिसमें 2600 से ऊपर मंदिर तोड़े जा चुके थे। वहां के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर से हनुमानजी को उखाड़ कर कूड़े के ढेर में फेंकने की तस्वीर वायरल हुई थी, जो संलग्नक में देख सकते हैं।

कुतुबुद्दीन और औरंगजेब से ज्यादा भाजपा की सरकारों ने मंदिर तोड़े हैं,
क्योंकि प्रधानमंत्री की लाईन है, 'मंदिर और मूर्तियों में थोड़े न इंक्रेडिबल इंडिया है।' या 'देवालय से पहले शौचालय।'
कर्नाटक, काशी, महाकाल, अयोध्या, अब ब्रजभूमि- सब जगह मंदिर ही इनके टारगेट में है।
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1) हादिया Vs जितेन्द्र त्यागी!

एक हिंदू लड़की अखिला अशोकन मुस्लिम शफीन से शादी के बाद धर्मांतरण कर हादिया बनी।

हादिया दोबारा हिंदू न बन जाए इसके लिए इस्लामी संगठन PFI सुप्रीम कोर्ट तक केस लड़ी और कपिल सिब्बल जैसे वकीलों पर एक करोड़ के आसपास खर्च कर दिया।
2) दूसरी तरफ शिया वक्फ बोर्ड के वसीम रिजवी घर वापसी कर जितेन्द्र त्यागी बने। उत्तराखंड की कथित हिंदूवादी सरकार ने ही उन्हें गिरफ्तार भी किया, और फिर हिंदू समाज ने ही उन्हें मरने के लिए अकेला छोड़ दिया।

आरंभ में भीख मांगकर यति नरसिंह्मानंदजी जी ने
3) उन्हें जमानत दिलाने और उनके परिवार का खर्च उठाने पर 35 लाख रुपये खर्च किए। एक कथित हिंदूवादी वकील ने ही करीब 8 लाख रुपये पैरवी के लिए ले लिए।

जितेन्द्र त्यागी जब जेल से निकले तब तक सिस्टम उन्हें इतना डरा चुकी थी कि यति और उनकी टीम जेल के जिस गेट पर
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1) एकाएक बड़े पैमाने पर नकली एकाउंट वाले सोशल मीडिया पर एक्टिवेट किए गये हैं। आप सही मुद्दा उठाएंगे, सरकार से सवाल पूछेंगे, ये मुद्दों को भटकाने के लिए आपके वॉल पर चले आएंगे।
2) यह गिरोहबंदी कर हर किसी के वॉल पर पहुंचते हैं। 2024 तक यह और तेज होगा।

अतः जिनके प्रोफाइल में सही फोटो नहीं है, प्रोफाइल लॉक रखते हैं, नये एकाउंट बने हैं आदि तो ऐसों को जवाब देकर समय खराब करने की जगह लतियाते हुए उन्हें ब्लाक कर दें।
3) अभी अमेरिका की बाइडेन सरकार भी सोशल मीडिया को मैनेज करते हुए धरी गई है। सोशल मीडिया पर सेंसरशिप का एजेंडा WEF में ही ताकतवर सरकारों व डिजिटल प्लेयरों ने ले लिया था।

तब बहाना कोविड का लिया गया था, लेकिन असलियत में यह हर यूजर को अपने हिसाब से सोचने के लिए
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१) सच की मार बड़ी बेआवाज होती है साहब!

एक पत्रकार के रूप में फिर मुझे कल और आज संतुष्टि मिली।

कल सुप्रीम कोर्ट द्वारा @narendramodi जी को क्लीन चिट देने के बाद आज गुजरात ATS ने आर. तीस्ता सीतलवाड़ और आर.बी.श्रीकुमार, दोनों को गिरफ्तार किया।
२) इन दोनों सहित पूरे गिरोह को मैंने 2013 में 'साजिश की कहानी-तथ्यों की जुबानी' में जिन सबूतों के साथ एक्सपोज किया था, उन सबूतों पर सुप्रीम कोर्ट ने जबरदस्त टिप्पणी की है।

मैं हमेशा एक पत्रकार के नाते सच की राह पर चलने का प्रयास करता रहा। कभी उनको बुरा लगा, कभी इनको बुरा लगा
३) , लेकिन मेरी सच के साथ खड़े रहने की जिद कभी नहीं बदली'! इस पुस्तक को लिखने के लिए नौकरी छोड़नी पड़ी, पुस्तक छपवाने के लिए धर्मपत्नी के आभूषण बेचने पड़े और बाद में बड़े संपादकों ने मुझे नौकरी देने से मना कर दिया कि तुमने मोदी पर पुस्तक लिखी, अब तुम्हारा करियर खत्म!
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१) बिहार के मुख्यमंत्री @NitishKumar इतने लंबे शासन के बाद भी शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन की जगह 500 करोड़ खर्च कर जातिगत जनगणना करवा रहे हैं!

उधर गरीबी से तंग आकर समस्तीपुर के एक पूरे परिवार ने आत्महत्या कर लिया, उस पर न राजनीति बिरादरी में और न ही मीडिया में ही कहीं
2) कोई चर्चा है, क्योंकि वह ब्राह्मण थे!

भारत को जातियों से अधिक देश की राजनीति और राजनेताओं ने तबाह किया है। इन्होंने अपने मतलब के लिए हिंदुओं को खंड-खंड में बांट दिया है और सवर्णों को सबसे बड़ा खलनायक करार दिया है!
3) सवर्णों से एक सवाल है कि तुम किसी भी पार्टी व नेता का झंडा ही क्यों उठाते हो? इनको चंदा क्यों देते हो? और आखिर तुम वोट ही क्यों देते हो, जब तुम्हारी मौत भी इस देश में संज्ञान के लायक नहीं है?

#sandeepdeo
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१) आज #TheKashmirFiles के जरिए कश्मीरी पंडितों का दर्द विश्वव्यापी हुआ है। हिंदुओं की नयी पीढ़ी जो इससे पहले कश्मीरी पंडितों के दर्द को अपना दर्द नहीं बना पाई थी, फिल्म देखने के बाद इसे शायद साझा दर्द समझे।
यही फिल्म की बड़ी सफलता है।
२) परंतु 'सरकारी मास्टरस्ट्रोकवादी हिंदू' इसमें भी फिल्मकारों के साहस को नमन करने की जगह सरकार को श्रेय देने में जुट गये हैं कि यदि वर्तमान सरकार नहीं होती तो कश्मीरी पंडितों का सच कभी सामने नहीं आ पाता।
३) ऐसे लोगों को बता दूं कि मैंने एक पत्रकार के तौर पर सोनिया गांधी की मनमोहन सरकार के समय इसे एक्सपोज करने का जोखिम लिया था। तब कांग्रेस की सरकार आतंकी यासीन मलिक और बिट्टा कराटे की फाईल को गायब कर चुकी थी और यासीन मलिक को अपना 'दामाद' बना चुकी थी।
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१) नकली दलित रोहित वेमुला के लिए आंसू बहाने वाले आज मुझसे कह रहे हैं कि यूक्रेन में मारे गये नवीन की मौत को आरक्षण से मत जोड़िए। यही आज कोई भीम-मीम वहां मरा होता तो कोहराम मच जाता।

मैंने नहीं, नवीन के पापा ने यह सवाल उठाया है कि पीयूसी में 97% अंक लाकर भी
२) उसके बेटे को मेडिकल में एडमिशन नहीं मिला, क्योंकि यहां सरकारी कालेज में कास्ट बेस्ड आरक्षण और निजी में करोड़ों की फीस लगती है। उनका वीडियो थ्रेड-१ में है, सुनो सरकारी हिंदुओं!
३) सरकरी हिंदुओं का यह भी सवाल था कि बच्चे यूक्रेन आदि विदेश पढ़ने ही क्यों जाते हैं? तो उसकी वजह यहां सरकारी कालेज में आरक्षण व्यवस्था और निजी कालोज में महंगा डोनेशन है! यही इस देश की आरक्षण व्यवस्था का सच है तो स्वीकार क्यों नहीं करते?
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1) सभी साथियों से अनुरोध है कि ट्वीटर पर #NationWithLavanya ट्रेंड के साथ खड़े होइए। एक छोटी बच्ची ने मिशनरियों के दबाव में अपनी जान दे दी, लेकिन अपना धर्म नहीं छोड़ा।

साथ ही जो लावण्या ट्रेंड के साथ हैं, उन्हें जाकर देखिए। वह सभी आम 'सनातनी हिंदू' हैं।
2) दूसरी तरफ पंचमक्कारों के साथ-साथ जो इतने बड़े मुद्दे पर भी चुप, उदासीन और केवल चुनाव पर कांव-कांव करते नजर आ रहे हैं वो 'सरकारी हिंदू' हैं। इन्हें बंगाल से केरल तक, दिल्ली से तमिलनाडु तक एक आम हिंदू की मौत से कोई फर्क नहीं पड़ता! #NationWithLavanya
3) इन्हें फर्क केवल राजनीति, सत्ता और चुनाव से पड़ता है!

अपने धर्म और अपने धर्म पर बलिदान होने वाली लावण्या जैसी साहसी बालिका के लिए आपको अपने अंदर का सनातन बोध जगाना होगा, तभी आपके बच्चे भी बचेंगे। #NationWithLavanya

#sandeepdeo
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1) सरदार पटेल ने गांधी के सामने उनको अधर्मी कहा था! क्या सरकारें उन पर भी मुकदमा दर्ज करेंगी?

गांधी बड़े आहत थे। उनके सबसे प्रिय शिष्य सरदार पटेल ने उन्हें 'अधर्मी' कह दिया था। उन्होंने कहा था, 'बापू अपनी पोती (मनु गांधी) के साथ सोकर अधर्म कर रहे हैं।'
2) आहत गांधी ने मनु संग सोने को जस्टिफाई करने के लिए आचार्य कृपलानी, विनोवा भावे, घनश्याम बिड़ला जैसे अपने सभी अनुयायियों को पत्र लिखकर समर्थन मांगा, लेकिन किसी ने समर्थन नहीं दिया, बल्कि सभी ने आलोचना ही की।
3) अब गांधी ने समर्थन के लिए जनता के बीच कहना शुरु किया कि मैं अपनी पोती के साथ सोता हूं, क्योंकि पैगंबर मोहम्मद ने खोजाओं (जबरदस्ती बना दिए गये हिजड़े) को बेरोकटोक स्त्रियों के पास जाने की अनुमति दी है। फिर कहा, मैं हाजी हूं और हाजी किसी से नहीं डरता।
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