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आज संविधान दिवस है। तीन दिन बाद संसद का शीत सत्र शुरू होगा और वहां संविधान का मखौल बनाया जाएगा।

"We the people of India..." का कोई मतलब नहीं बचा अब। क्योंकि People of India को पता ही नहीं कि संसद में क्या कानून बनने वाले हैं इस बार। सरकार ने बताया ही नहीं।
#DaroMatDebateKaro
शायद अब सरकार जनता को इस लायक समझती ही नहीं। "जनता क्या करेगी जानकर? जनता ने चुन के भेज दिया। अब हमारी मर्जी हम कुछ भी कानून बनाएं। चुनाव खत्म होने के बाद संविधान, लोकतंत्र सब खत्म हो जाता है ना।"

#DaroMatDebateKaro
जनता की ही संपत्तियां बेच रहे हैं। जनता को बिना बताए। जनता का लाखों करोड़ रुपया, जो अपने खुद के बैंक में जमा किया था, अब किसी पूंजीपति के हवाले कर दिया जाएगा। कुछ पूछो तो कह देंगे कि तुमने ही तो चुन कर भेजा है।
#BlackBill

#DaroMatDebateKaro
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शार्ट थ्रेड: निजीकरण

एक बार गांव में सूखा पड़ा। तो लोग गए सरकार के पास, कि "भाई तुम्हारे पास तो हर मर्ज़ की दवा है।"
सरकार बोली, "आओ कुआँ खोदते हैं।"
लेकिन किधर है पानी? पानी किधर है? ये रहा पानी राम के घर।

#StopPrivatisation
#StopSellingIndia
#PSBsNot4Sale
"हाँ तो भाई राम, अपनी ज़मीन में कुआँ तो खोदने दो, गांव वाले प्यासे हैं।"
राम बोला "ठीक है, हम गाँव वाले मिलकर कुआँ खोदते हैं।"

#StopPrivatisation
#StopSellingIndia
#PSBsNot4Sale
#StopPrivatizationOfPSBs
सरकार ने कहा "नहीं, तुम लोग Inefficient और Lethargic हो। तुम कुआँ खोदोगे तो पानी गांव वाले प्यासे मर जाएंगे। और फिर हो सकता है तुम कुआँ कूदने के बाद पानी भी बर्बाद करो। तुमको नहीं पता कि जमीन में पानी कम होता जा रहा है?"

#StopPrivatisation
#StopSellingIndia
#PSBsNot4Sale
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पहले ज्यादातर सैनिकों के खाते SBI में होते थे। इससे दो फायदे थे
1. SBI का ब्रांच और ATM नेटवर्क बहुत बड़ा और सुदूर क्षेत्रों में भी फैल हुआ है।
2. SBI की इंटरनेट बैंकिंग सबसे सुरक्षित, विस्तृत और सरल है।
मतलब सैनिकों के लिए बैंकिंग आसान थी, पैसा और पर्सनल डेटा सुरक्षित था।
अब से सैनिकों के खाते कोटक महिंद्रा बैंक में खुलेंगे। इस बैंक की पूरे देश में कुल 1600 ब्रांचें हैं। यानी SBI से 15 गुना कम। और वो भी ज्यादातर शहरों में। इनके ATM है 2500। यानी SBI से 25 गुना कम।
अब ये इतने संकुचित नेटवर्क में सैनिकों को दूर दराज के क्षेत्रों में कैसे सैनिकों को सेवाएं देंगे ये तो ये ही जानें। और जहां तक इंटरनेट बैंकिंग का सवाल है, कोटक महिंद्रा बैंक की इंटरनेट बैंकिंग कितनी घटिया है ये तो इस्तेमाल करने वाले ही जानते हैं। (मैं खुद भुक्तभोगी हूँ).
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ग्राहक : मैनेजर साहब ! ये हमारे खाते से 20 रुपया किस बात का कटा है ?

मैनेजर : जी ! पासबुक दिखाइए इधर । (पासबुक देखकर) यह 20 रुपया नहीं, 20 पैसा है, SMS का कटा है ।

ग्राहक : आपलोग SMS भेजने का पैसा भी काटने लगते हैं । हद हैं आपलोग । हमारे खाता में हमारा कितना रुपया
है, हम अपने खाता में अपना ही कितना रुपया जमा किए, कितना निकाले - आप उसको बताने का चार्ज भी हमसे लेते हैं। गजब है।

(गुस्से में बाहर निकलते हुए... फिर वापस मुड़कर)

ग्राहक: मैनेजर साहब! आपका बैंक भी pvt हो रहा है ? वो बजट में टीवी पर सुने को सब सरकारी बैंक प्राइवेट हो रहा है।
मैनेजर : अभी सरकार ने निजीकरण के लिए किसी बैंक का नाम नहीं बताया है । वैसे यह बैंक सिर्फ हमारा नहीं, आपका भी है ।

ग्राहक : हमारा ? हमारा कैसे ? नौकरी तो आप करते हैं न यहाँ ! बैंक प्राइवेट हुआ तो आपके नौकरी प्राइवेट होगा । हमारा क्या ? हमको तो अच्छा ए. सी. वाला बैंक मिलेगा ।
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सरकार की चुनावी प्रचार की योजना स्वनीधि योजना का सबसे ज़्यादा आवेदन स्वीकार करने वाली बैंक -
SBI
Union Bank Of India
Bank Of Baroda
Bank Of India
#India_Needs_PublicSectorBanks
विफल ministries से बनी विफल योजनाएं उनमें से एक है सवनिधि लोन योजना । जिन्होंने पब्लिक बैंक का NPA बढ़ाया ।
#StopPrivatizationOfPSBs
निजी बैंक ऐसे लोन ना के बराबर करती हैं । सरकारी बैंक में circular आता है कि लोन का आवेदन मत ठुकराए । चुनावी प्रपंच खेलने के लिए सरकारी बैंक को बलि का बकरा बनाया जाता है ।
#stopprivatization
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थ्रेड:#सर्कस_का_शेर

#StopPrivatizationOfPSBs

सरकारी नीतियों (पॉलिसी) का उद्देश्य अर्थव्यस्था और समाज में सुधार लाना होता है। सरकार नीति बनाती है और फिर उसे लागू करती है। नीतियां लागू करने के कई तरीके हैं। इनमें से दो तरीकों के बारे में आज बात करेंगे।
पहला है कैफेटेरिया एप्रोच और दूसरा है टारगेट बेस्ड एप्रोच। जैसा कि नाम से ही समझ आता है, कैफेटेरिया एप्रोच में पब्लिक को विकल्प दिए जाते हैं और उनमें से एक विकल्प को अपनाना होता है। इस तरीके में ये माना जाता है कि जनता समझदार होती है और अपना भला बुरा समझ सकती है।
दूसरा तरीका जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, थोड़ा स्ट्रैट फॉरवर्ड है। यानी अधिकारियों को पॉलिसी इम्प्लीमेंटेशन के लिए टारगेट दे दिए जाते हैं और साथ में दे दी जाती है पावर। उन्हें किसी भी हालत में तय समय में रिजल्ट देना होता है।
#StopPrivatizationOfPSBs
#StopPrivatizationOfPSBs
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पीछले 10 साल का बैंको का CIBIL SCORE जो की कुछ और ही कहानी बता रहा है ।
अब क्युकी निजी बैंक RTI और CVV के अधीन नहीं है इसीलिए उनके NPA का हिसाब जनता को पता नहीं लग पाता ।#StopPrivatizationOfPSBs
#StopPrivatization_SaveGovtJob
यह टॉप ten बैंकों की लिस्ट है जिनमे सबसे ज़्यादा मुकदमे दायर हुए है । जो की बताता है कि 1 करोड़ या उससे अधिक लोन defaulters और 25 लाख या उससे अधिक राशि के wilful defaulters के खिलाफ में कितने मुकदमे दायर हैं ।
#StopPrivatizationOfPSBs
#StopPrivatization_saveGovjob
और आपको जान कर हैरानी होगी की निजी बैंकों ने सबसे ज़्यादा ऐसे मुकदमे दायर किए हैं । तो कुल मिला कर हर तरह की जालशाजी चाल बाज़ी की गई सरकारी बैंको को बेचने के लिए ।
#StopPrivatizationOfPSBs
#StopPrivatization_saveGovjob
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आइए आज एक कॉरपोरेट fraud पर प्रकाश डालते हैं ।
Fraud Amount - 86,188 करोड़।
Frauding companies
1 RELIANCE COMMUNICATIONS
2 RELIANCE INFRATEL
3 RELIANCE TELECOM

OWNER - ANIL AMBANI
NET WORTH - DOLLAR 42 BILLION
#StopPrivatization_saveGovjob
#StopPrivatizationOfPSBs
Fraud complained by
State bank of india
Bank of india
Indian overseas Bank
ये वही रिलायंस कंपनी है जिसकी तरक्की के लिए BSNL जैसी सरकारी कंपनी का पतन किया गया ।
#StopPrivatization_saveGovjob
#StopPrivatizationOfPSBs
नीरव मोदी ने 7409.07 करोड़ का fraud किया था विजय माल्या ने 9000 करोड़ का fraud किया था अनिल अंबानी का ये fraud उससे कहीं ज़्यादा बड़ा है । लगभग 10 गुना ज़्यादा बड़ा।
#StopPrivatization_saveGovjob
#StopPrivatizationOfPSBs
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दादा जी एक किसान थे, किसी तरह अपने बेटों को 10th पढ़ाया। पापा जी किसी तरह 12th किसी तरह पढ़ाई की। चुकीं ज्वाइंट फैमिली में रहते थे तो सिर्फ खेती पे सब कुछ कर पाना मुश्किल था, तो पापा दूसरे शहर चले गए, वहां जा कर खलासी कि नौकरी की, किसी तरह फिर ट्रक चलाना सीखा। #मोदी_रोजगार_दो
और उस नौकरी के पैसे गांव का कच्चा मकान के कुछ हिस्से को पक्का बनवाया। हम भी तीन भाई गांव पे ही रहते थे दिन में स्कूल और बाकी बचे समय में खेतों में काम करते थे, पापा जब भी आते थे तो खुश बहुत होते थे क्यूंकि आते थे तो मिठाई ले कर आते थे और जब तक रहते थे। #मोदी_रोजगार_दो
हमारे लिए रोज़ कुछ ना कुछ लाते थे। फिर जब हमारे गांव के ट्यूशन के टीचर ने बताया कि मंझले भैया पढ़ने में बहुत अच्छे हैं तो उन्हें शहर के स्कूल में पापा ने दाखिला करा दिया, रोज़ भैया को स्कूल कि कार लेने आती थी और छोड़ने आती थी। तब मेरे मन में बात आयी की पापा सिर्फ #मोदी_रोजगार_दो
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थ्रेड : #कॉर्पोरेट_गवर्नेंस

1990 के दशक के शुरुआत में लंदन में कुछ कंपनियों में बड़े घपले हुए। इनके नेपथ्य में था 1979 में मार्गरेट थेचर के नेतृत्व में शुरू हुआ निजीकरण का दौर (ब्रिटेन के निजीकरण के बारे में किसी और दिन बात करेंगे)।
दरअसल 1980 के दशक में निजी कंपनियों में दूसरी कंपनियों के अधिग्रहण की जबरदस्त होड़ मची। पैरेंट कंपनियां खूब उधार लेकर दूसरी कंपनियों को खरीद रही थी। इससे कंपनियों के ऊपर बहुत कर्ज बढ़ गया था। ऐसी ही एक कंपनी थी मैक्सवेल कम्युनिकेशन्स।
इस कंपनी ने अपने कर्मचारियों के पेंशन फंड्स में सेंध लगा कर अधिग्रहण के लिए फंड्स जुटाए थे। कुछ ही सालों में कंपनी पर कर्ज इतना बढ़ गया कि 1992 में कंपनी ने बैंकरप्सी फाइल कर दी। उसी साल इंग्लैंड की ही Bank of Credit and Commerce International (BCCI) भी डूब गई।
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थ्रेड: #हमारे_सरकारी_बैंक

पार्ट 2: सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया

आज एक ऐसे बैंक के बारे में बात करते हैं जो शायद शीघ्र ही इतिहास के हवाले कर दिया जाएगा।

कहा जाता है गुलाम भारत ब्रिटिश साम्राज्य के ताज का हीरा था।
इस हीरे को पकडे रखने के लिए अंग्रेजों के लिए ये ज़रूरी था कि भारत को अविकसित ही रखा जाए। इसके लिए उन्होंने हर संभव कोशिश की कि भारत में उद्योगों पर पूरी तरह से अंग्रेजों का ही कब्ज़ा रहे। इसके लिए भारतीय उद्योगों के प्रति भेदभावपूर्ण नीति अपनाई गई, और उसी का भाग था बैंकिंग।
प्रथम विश्वयुद्ध से पहले सारे बैंक अंग्रेजों के ही अधिकार में थे। ये सिर्फ सरकार के इशारे पे ही चलते थे। भारतीय इस बात को बखूबी समझते थे कि बिना सम्पूर्ण भारतीय बैंक के स्वदेशी और स्वराज्य का सपना पूरा नहीं हो सकता। मगर भारतीयों को आधुनिक बैंकिंग का अधिक अनुभव नहीं था।
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थ्रेड: #नाच_मेरी_बुलबुल

बैंक नीलाम हो रहे हैं। साथ में नीलाम हो रहा है बैंक कर्मचारियों का भविष्य और ग्राहकों का विश्वास। जनता तो अभी रिंकू और दिशा में व्यस्त है। उनको ज्यादा पता नहीं। जिस मीडिया पर जनता को सच्चाई बताने का जिम्मा है वो तो खुद पासबुक लेके प्रिंट कराने घूम रहा है।
बैंकरों को लग रहा है कि सरकार ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए ये एकतरफा फैसला लिया है। मैं इस बात से पूरी तरह सहमत नहीं हूँ। रवैया तो तानाशाही है मगर फैसला एक तरफ़ा नहीं है। इस फैसले में सब मिले हुए हैं।
लोकतंत्र में संतुलन बनाये रखने वाला विपक्ष भी और स्वयं को बैंकरों का मसीहा मानने वाले बैंक यूनियन भी। विपक्ष इसलिए क्यूंकि चुनाव लड़ने के लिए इनको भी तो पैसा चाहिए। और चार राज्यों में चुनाव आ ही रहे हैं। और अभी पुदुच्चेरी में भी इनकी सरकार डांवाडोल है।
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थ्रेड: #सबका_नंबर_आएगा

पहले सरकार बैंकरों के पीछे पड़ी। नोटबंदी करवाई, बिना कोलैटरल की लोन स्कीम्स लांच करवाई, बैंकों पर आधार और बीमे का बोझ डाला, स्टाफ में कटौती की। नोटबंदी के बाद साहब ने कहा कि बैंक वालों ने जितना काम नोटबंदी में किया उतना पूरी जिंदगी में कभी नहीं किया।
जो समझदार थे वो इस बेइज़्ज़ती को समझ गए। साहब ने एक झटके में बैंकरों सर्कस का निकम्मा जानवर और खुद को कुशल रिंगमास्टर घोषित कर दिया। कोरोना में बैंक खुलवाए जबरदस्ती के लोन बंटवाए लेकिन कोरोना वारियर्स मानने से मना कर दिया।
फिर बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव लेकर आयी। लोग खुश हो गए। अब मजा आएगा इन सरकारी बैंक वालों को। साले निकम्मे कहीं के। आटे दाल का भाव पता चलेगा जब प्राइवेट बैंक में आधी सैलरी पर काम करना पड़ेगा। लोन देने में नखरे करते थे, पासबुक प्रिंट करने में नखरे करते थे, दस नियम समझाते थे।
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थ्रेड: हमारे सरकारी बैंक

@poorav100 के सुझाव और मदद से एक नयी सीरीज शुरू करने जा रहे हैं। पिछले बारह सालों में सरकारी बैंकों की संख्या 27 से बारह रह गयी है। इनको घटा कर चार करने पर विचार चल रहा है।
यहां बहुत से बैंकर ऐसे हैं जिन्होंने ज्वाइन किसी और बैंक में किया था और आज किसी और बैंक में हैं। बहुत से ऐसे कस्टमर हैं जिनका खाता उनसे बिना पूछे किसी दूसरे बैंक में भेज दिया गया। कई सरकारी बैंक इतिहास के गर्त में समा चुके हैं।
प्राइवेट बैंक इसलिए बंद होते हैं क्यूंकि वे चल नहीं पाते, मालिकों का लालच कह लीजिये या नाकामी। सरकारी बैंक सरकार की नाकामी की वजह से बंद होते हैं। इससे पहले कि बचे खुचे सरकारी बैंक भी गुमनानी के अँधेरे में खो जाएँ, आइये जानते हैं सरकारी बैंकों के बारे में।
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