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एक समय था जब भगत सिंह पर फ़िल्म बनी थी #शहीद मनोज कुमार ने इसके लिए उनके जीवित साथी बटुकेश्वर दत्त से काफ़ी जानकारी ली थी। जब फ़िल्म रिलीज़ हुई तो पटकथा लेखन में उनका नाम था।
वे यह देख कर रो पड़े थे।भगत सिंह की माता ने फ़िल्म देखी तो वे तो वे भी रो पड़ीं थीं। उनके मुख से निकला,
तनी अच्छी तो मैं असली जीवन में कभी न थी।"भारत के प्रधान मंत्री शास्त्री जी ने फ़िल्म देखी तो मनोज कुमार से निवेदन किया.....एक फ़िल्म देश के जवान और किसान पर भी बनाइए।मनोज कुमार ने फ़िल्म बनायी #उपकार जिसमें जय जवान जय किसान को जीवंत दिखाया गया!
अफ़सोस फ़िल्म पूरी होने से पहले
ही शास्त्री जी का निधन हो गया।
मनोज कुमार को आज तक इसका अफ़सोस है।फ़िल्म ने सफलता के सभी रेकॉर्ड तोड़ डाले.....क्या फ़िल्म फ़ेयर, क्या राष्ट्रीय पुरस्कार सबकी लाइन लग गयी।
इस फ़िल्म में बहुत सच्चे और अच्छे गीत थे,
एक फ़िल्म के लिए चार-चार गीतकार और चार-चार ही गायक।
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एक समय था जब भगत सिंह पर फ़िल्म बनी थी #शहीद
मनोज कुमार ने इसके लिए उनके जीवित साथी बटुकेश्वर दत्त से काफ़ी जानकारी ली थी।
जब फ़िल्म रिलीज़ हुई तो पटकथा लेखन में उनका नाम था।
वे यह देख कर रो पड़े थे।
भगत सिंह की माता ने फ़िल्म देखी तो वे तो वे भी रो पड़ीं थीं। उनके मुख से निकला,
"इतनी अच्छी तो मैं असली जीवन में कभी न थी।"

भारत के प्रधान मंत्री शास्त्री जी ने फ़िल्म देखी तो मनोज कुमार से निवेदन किया.....एक फ़िल्म देश के जवान और किसान पर भी बनाइए।
मनोज कुमार ने फ़िल्म बनायी #उपकार
जिसमें जय जवान जय किसान को जीवंत दिखाया गया!
अफ़सोस फ़िल्म पूरी होने से पहले ही शास्त्री जी का निधन हो गया।
मनोज कुमार को आज तक इसका अफ़सोस है।
फ़िल्म ने सफलता के सभी रेकॉर्ड तोड़ डाले.....क्या फ़िल्म फ़ेयर, क्या राष्ट्रीय पुरस्कार सबकी लाइन लग गयी।
इस फ़िल्म में बहुत सच्चे और अच्छे गीत थे,
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एक समय था जब भगत सिंह पर फ़िल्म बनी थी #शहीद
मनोज कुमार ने इसके लिए उनके जीवित साथी बटुकेश्वर दत्त से काफ़ी जानकारी ली थी
जब फ़िल्म रिलीज़ हुई तो पटकथा लेखन में उनका नाम था।
वे यह देख कर रो पड़े थे।
भगत सिंह की माता ने फ़िल्म देखी तो वे तो वे भी रो पड़ीं थीं। उनके मुख से निकला,👇
इतनी अच्छी तो मैं असली जीवन में कभी न थी।"

भारत के प्रधान मंत्री शास्त्री जी ने फ़िल्म देखी तो मनोज कुमार से निवेदन किया.....एक फ़िल्म देश के जवान और किसान पर भी बनाइए।
मनोज कुमार ने फ़िल्म बनायी #उपकार
जिसमें जय जवान जय किसान को जीवंत दिखाया गया!

अफ़सोस फ़िल्म पूरी होने
से पहले ही शास्त्री जी का निधन हो गया।
मनोज कुमार को आज तक इसका अफ़सोस है।
फ़िल्म ने सफलता के सभी रेकॉर्ड तोड़ डाले.....क्या फ़िल्म फ़ेयर, क्या राष्ट्रीय पुरस्कार सबकी लाइन लग गयी।
इस फ़िल्म में बहुत सच्चे और अच्छे गीत थे,

एक फ़िल्म के लिए चार-चार गीतकार और चार-चार ही गायक।
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#उपकार
मुझ पर एक उपकार करना।
मेरे जन्म पर मिठाईयां ना बाट सको
तो मातम भी मत मनाना।

जब नामकरण कि विधि हो।
तो मेरा नाम कोमल,चांद,रानी रखने के बजाए मर्दानी रखना।।

मैं घर का सारा काम भी कर लूंगी।
पर मुझे स्कूल जाने से मत रोकना।।

मैं कैसे कपड़े पहनु यह जरूर तुम तय करना।
लेकिन कुर्ता सलवार में भी मुझे फुटबॉल, बैडमिंटन खेलने से मत रोकना।।

मुझे घर की मर्यादा जरूर समझना।
लेकिन दूसरे कि बेटियों का भी करना सम्मान
यह बात अपने बेटे को जरूर सिखाना।।

मुझपर एक और उपकार करना।
जब आए मेरी शादी का ख्याल।
तो एक बार मुझसे भी जरूर पूछ लेना।।

लड़का तुम ही पसंद करना, तुम्हारा हक है।
लेकिन सिर्फ़ घर या नौकरी से मुझे मत ब्याहा देना।।

मेरी बिदाई में मुझे बहुत सारा दहेज़ मत देना।
इस घर का दरवाज़ा हमेशा तेरे लिए खुला रहेगा
बस इतना कह देना।।
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