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👉🏾महान आसुरी संस्कृति -

मुमताज महल से शाहजहाँ को इतना प्रेम था कि उसके मरने पर उसने उससे उत्पन्न १७ वर्ष अपनी स्वयं की सगी बेटी "जहाँआरा" को ही अपनी बादशाह बेगम बनाया था। यद्यपि शाहजहाँ की 8 बेगमों में से तीन जीवित थीं। किन्तु शाहजहाँ को १७ वर्ष की बेटी जहाँआरा ही
@SakshamGV 👇🏾 Image
“बादशाह बेगम” बनने योग्य लगी।
जहाँआरा दारा शिकोह की समर्थक थी और बाप को कैद किये जाने पर बाप के साथ रही। किन्तु बाप के मरने पर औरंगजेब से दोस्ती करके अपनी छोटी बहन रोशनआरा को हटाकर औरंगजेब की “बादशाह बेगम” बन गयी। पहले अपने सगे बाप की बेगम फिर अपने भाई की बेगम बन गई।
@1980105👇🏾
बाद में औरंगज़ेब ने अपनी सगी बेटी जीनत को अपनी “बादशाह बेगम” बनाया।

इसी क्रम में मुगल फर्रूखसियर ने भी अपनी ही बेटी को अपनी “बादशाह बेगम” बनाया था। शाहजहाँ ने अपनी बेटी तथा औरंगजेब ने अपनी दो बहनों और बेटी को बारी−बारी से अपनी “बादशाह बेगम” बनाया। यह मुगलों की महानता थी। 👇🏾👇🏾
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तरबूज को संस्कृत में कालिदंम् कहते हैं। यह नाम इसे कालिंदी नदी के किनारे बहुतायत में होने के कारण...मिला है.... अब #कालिंदी नदी कौन सी नदी है तो कालिंदी यह यमुना का परंपरागत प्राचीन नाम है। जो हिमालय के कालिदं पर्वत से निकलने के कारण इसे मिला है। यही संस्कृत भाषा की विलक्षणता Image
है शब्दोमे पुर्वापर कुछ वर्णों के भेद से समउच्चारित लेकिन क्रमिक भिन्नार्थक शब्द असंख्य नाम हमे मिल जाते हैं। बात तरबूज फल की करें तो यह भी अपने आप में विलक्षण फल है गर्मी के मौसम में इससे उत्तम कोई फल हो ही नहीं सकता। #औरंगजेब के काल में दिल्ली में पेशे से चिकित्सक फ्रांसीसी
यात्री बर्नियर आया था.... वह अपने यात्रा संस्मरण मे लिखता है।
" मैंने दुनिया की अनेक नदियों के किनारे उगने वाले तरबूज खाएं यहां तक कि भारत में भी अनेक नदियों के किनारे चाहे दक्षिण की नदी हो या पश्चिम की नदियां हो लेकिन जो मिठास स्वाद दिल्ली में यमुना के किनारे उत्पन्न तरबूज
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आर्य बाहर से आये थे। राम और कृष्ण मिथिकल करैक्टर्स हैं। गौतम बुद्ध बौद्ध धर्म में पैदा हुए थे। हिदू थे ही नहीं। जलेबी-समोसा, हलवा-पूरी मुगल लाये थे। पृथ्वीराज चौहान ने दिल्ली पर कभी शासन नही किया।ज्ञानवापी नवमी सदी की मस्जिद है।औरंगजेब महान राजा था।
इति इतिहास।
पांचवी सदी में अरब देशों में दूध की नदियां बहती थीं। विज्ञान और शिक्षा का प्रसार अपने चरम पर था। दूध की बाहुल्यता को देखकर एक महान अरबी साइनिस्ट ने दूध को संकुचित कर पेट्रोलियम में बदल दिया जिसके दुष्परिणाम से समूची धरा मरुस्थल में तब्दील हो गयी थी।
#इतिहास
पृथ्वीराज चौहान, राणा प्रताप और शिवाजी वस्तुतः इतने वीर और पराक्रमी नही थे। इनकी वीरता की कहानियां हिंदुओं के अहं तुष्टि के लिये कॉलोनियल इतिहासकारों द्वारा डिवाइड एंड रूल पॉलिसी के तहत गढ़ी गयी थी। शिवाजी तो आगरा से भागने के बाद भी औरंगजेब को चिट्ठी लिखते थे।
#इतिहास Image
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1.
अथ श्री #ज्ञानवापी कथा...
कथा है ये विध्वंश की! #खूनी_संघर्ष की! #हिन्दुओ के #कत्लेआम की....
🏵️ ई० सन 1669..
#क्वार(अश्विन) का महीना,
तनिक आलस के साथ, धान की फूटती बालियों से उलझ रहा था, कि अचानक उसने देखा-
#गंगा का पानी लाल होने लगा था, वह चौंक उठा !
कुछ ही वर्ष...
Cont...2.
2.
पहले उसने #गंगा को तब लाल होते देखा था, जब #मुगल सैनिकों ने, #विंध्याचल के #विंध्यवासिनी_मंदिर को तोड़ कर वहां के हिन्दुओं का सामूहिक #नरसंहार किया था!
उसे फिर किसी अनहोनी की आशंका हुई,
वह कांपते हुए गंगा की उल्टी दिशा में दौड़ा।
🏵️ गंगा के पाट पर दौड़ता क्वार अभी...
Cont...3.
3.
#काशी से तीन कोस दूर था,
कि चीखों से उसके कान फटने लगे😢
उसके रोंगटे खड़े हो गए,
और मुँह से निकला- तो क्या #बाबा_विश्वनाथ भी😱
काँपता क्वार दूने वेग से दौड़ा!
काशी पहुँचते ही उसने देखा- विश्वनाथ #ज्योतिर्लिंग पर चढ़ाये जाने वाले जल को पुनः गंगा में मिलाने वाली....
Cont....4.
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भारतीय इतिहास का इकलौता युद्ध जो लड़ा है #नागा_साधुओं ने!🙏🚩
जब #अब्दाली #दिल्ली और #मथुरा में मारकाट करता गोकुल तक आ गया और लोगों को बर्बरतापूर्वक काटता जा रहा था। महिलाओं के साथ बलात्कार हो रहे थे और बच्चे देश के बाहर बेचे जा रहे थे,
तब गोकुल में अहमदशाह अब्दाली का सामना #नागासाधुओं से हो गया।
कुछ 4 हजार चिमटाधारी साधु तत्काल सेना में तब्दील होकर लाखों की हबसी, जाहिल जेHदी सेना से भिड गए।
पहले तो अब्दाली साधुओं को मजाक में ले रहा था किन्तु
कुछ देर में ही अपने सैनिकों के चिथड़े उड़ते देख अब्दाली को एहसास हो गया कि ये साधू तो अपनी धरती की अस्मिता के लिए साक्षात महाकाल बन रण में उतर गए
तोप तलवारों के सम्मुख चिमटा त्रिशूल लेकर पहाड़ बनकर खड़े 2000 नागा साधू इस भीषण संग्राम में वीरगति को प्राप्त हो गए
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इस 👇 #tweet के सभी भाग को ध्यानपूर्वक #पढ़ें

#औरंगजेब ने हुक्म दिया कि किसी हिन्दू को राज्य के कार्य में किसी उच्च स्थान पर #नियुक्त न किया जाये तथा हिन्दुओं पर #जजिया कर लगा दिया जाये। उस समय अनेकों कर केवल हिन्दुओं पर #लगाये गये। इस भय से असंख्य हिन्दू मुसलमान #हो गये।

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हिन्दुओं के पूजा #आरती आदि सभी धार्मिक कार्य बंद होने #लगें। मंदिर गिराये गये, मस्जिदें बनवायी गयीं और अनेकों धर्मात्मा #व्यक्ति मरवा दिये गये।
उसी समय #की उक्ति👇 है –

“सवा मन यज्ञोपवीत रोजाना #उतरवा कर औरंगजेब रोटी खाता था।”

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#औरंगज़ेब ने कहा – “सबसे कह दो या तो #इस्लाम धर्म कबूल करें या मौत को #गले लगा लें।”

इस प्रकार की #ज़बर्दस्ती शुरू हो जाने से अन्य धर्म के लोगों #का जीवन कठिन हो गया। हिंदू और ₹सिखों को इस्लाम अपनाने के लिए सभी #उपायों, लोभ लालच, भय दंड से मजबूर #किया गया।

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*#शाहजहां को उसके बेटे #औरंगजेब ने 7 वर्ष तक कारागार में रखा था। वह उसको पीने के लिए नपा-तुला पानी एक फूटी हुई मटकी में भेजता था तब शाहजहाँ ने अपने बेटे #औरंगजेब को पत्र लिखा जिसकी अंतिम पंक्तियां थी-*

#pitrupaksha
#पितृ_पक्ष
#पितृपक्ष
#SaturdayThoughts
"ऐ पिसर तू अजब मुसलमानी,
ब पिदरे जिंदा आब तरसानी,
आफरीन बाद हिंदवान सद बार,
मैं देहदं पिदरे मुर्दारावा दायम आब"
अर्थात्
हे पुत्र ! तू भी विचित्र मुसलमान है जो अपने जीवित पिता को पानी के लिए भी तरसा रहा है। शत शत बार प्रशंसनीय हैं वे 'हिन्दू' जो अपने मृत पूर्वजो को भी पानी देते
*#इस्लाम धर्म*
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#अल्लाह एक,
#कुरान एक,
#नबी एक।
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फिर भी शिया, सुन्नी, अहमदिया, सूफी, मुजाहिद्दीन जैसे 13 फिरके एक दुसरे के खून के प्यासे। सबकी अलग #मस्जिदें। साथ बैठकर #नमाज नहीं पढ़ सकते। धर्म के नाम पर एक-दूसरे का कत्ल करने को सदैव आमादा।
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*हिन्दू धर्म*
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1280 धर्म ग्रन्थ
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इस्लामी बर्बरता के पीछे #कपिल_मिश्रा का हाथ!

कपिल मिश्रा ने ही #मोहम्मद_बिन_क़ासिम को 711 ई. में #सिंध हमले के लिए उकसाया था,बाद में #गज़नी, #गौरी, #तैमूर, #औरंगजेब, #अब्दाली, #नादिर_शाह और #पाकिस्तान बनानेवाले जिन्ना को भी उसी ने भड़काया था।

थोड़ा ईमानदार शोध हो तो पता चलेगा. Image
..कि #नालंदा_विश्वविद्यालय को जलानेवाले #बख्तियार_खिलजी और यजीदी महिलाओं के बलात्कार और नरसंहार करनेवाले संत #अबू_अल_बगदादी को भी इस मिश्रा जी ने ही मजबूर किया था। #अलक़ायदा, #तालिबान, #बोकोहरम जैसी न जाने कितनी ही जिहादी तंज़ीमों के पीछे इस मनुवादी का हाथ है,कहना मुश्किल है
👇
देखो तो #मुल्ला_उमर, #ओसामा_बिन_लादेन, #मसू_अज़हर और #वारिस_पठान के चेहरों से कैसा नूर टपकता है लेकिन कपिल मिश्रा तो दूर से ही दैत्याकार भगवा आतंकवादी लगता है।

देर से ही सही,मुसलमानों को यह तो पता चल गया कि पिछले 1300 सालों की इस्लामी बर्बरता के पीछे किस काफिर का हाथ रहा है।
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