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#कॉपी
यदि आप पति बने हैं और सुबह 5.30 बजे जाग जाओ तो आपको दो यक्ष प्रश्नों का सामना करना पड़ सकता है!!

पहला-चाय खुद बनाऊं या अर्धांगिनी को जगाने का दुस्साहस करुं?

परिणाम-आप कुछ भी करो, आपको चार बातें सुनने को मिलेगी ही!!
यदि आपने खुद चाय बना ली है तो
सुबह-सुबह ब्रह्ममुहूर्त में 8 बजे आपकी भार्या जागेगी तो उनका उवाच कुछ इस प्रकार होगा.
"क्या जरूरत थी चाय खुद बनाने की, मुझे जगा देते। पुरी पतेली जला के रख दी। और तो और वह दूध की पतेली थी, चाय वाली नीचे रखी है दाल भरकर"

विश्लेषण:चाय आपके बनाने भर से पत्नी दुखी हुई/शर्मिंदा हुई /
उसके अपने अधिकार क्षेत्र में घुसपैठ होने से भयाक्रांत हुई/या कुछ और..आप कभी समझ नहीं पाएंगे।दूध की पतेली में चाय बनाना गुनाह है,लेकिन चाय की पतेली में दाल भर कर रखी जा सकती है।
और यदि आपने उन्हें सोते से जगा दिया तो आप कुछ नया सुनने के लिए तैयार रहिए!
मेरी तो किस्मत ही खराब है।
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एंटी रोमियो स्क्वाड की कार्रवाई के बाद गांव की एक प्रेमिका का अपने प्रेमी को लिखा दिल को छू लेने वाला ख़त--
डियर कालीचरन उर्फ "कल्लू" जी,
अब कहें त कहें का? बस इतना समझिये कि आपकी कल पिटइया के कारन हुई दुर्दशा देख के हमरा करेजा सूख गया है। जब से घर आये हैं मन करता है कि
अपने को मुक्का मार मार के परान दे दें। का कहें ऐ डार्लिंग, जब एंटी रोमियो वाला सिपाही जी आपका बोखार झार रहा था तो हमको अइसा बुझा रहा था कि लाठी आपके पीठ पर नहीं बल्कि हमारे दिल पर गिर रहा है। मन करता था कि सिपाही का मूड़ी मड़ोर के चूल्ही में झोंक दें, लेकिन का करें मजबूर थे।
पता नहीं मुंहफुकउना कउन कॉलेज में रोमियो लोग को थूरने का कोर्स किया था?
अच्छा छोड़िये ई सब। जहां जहां ज्यादा दुखा रहा है वहां ठीक से हरदी-चूना छाप लीजियेगा। अउर कमर में तनी कडुआ तेल में लहसुन पका के मलवा लीजियेगा, अउर ज्यादा चिंता मत करियेगा, काहे कि-
"गाय कौन जे खाये ना?
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भारताचा लवकरच #बोलिव्हिया होणार.....??

भारतात #खासगीकरनाचा सपाटा लावला आहे..

पेट्रोल ,डीझेल,कंपन्या,दूरसंचार
वित्तीय संस्था, विमा शिक्षण, आरोग्य,शेती,उद्योग ,रेल्वे,विमान.
आता फक्त संरक्षणक्षेञ व देशाचं खासगीकरण फक्त उरलं आहे .सत्ता देऊनही देश चालवता येत नसेल तर (१/६)
अमेरिकेला किंवा इतर देशाला भारत देश सुध्दा यापुढे चालवायला दिला जाईल.

फक्त 20 वर्षांपूर्वी बोलिव्हियाने खासगीकरणाचा वेग पकडला.

सर्व काही खासगी क्षेत्राला दिले जाऊ लागले.

अखेर सरकारने पाण्याचेही खासगीकरण केले. (२/६)
पाण्याचे सर्व हक्क 1999 मध्ये एका बहुराष्ट्रीय कंपनीला विकण्यात आले

पाण्याचे दर इतके वाढले की तेथे एकच हल्लकल्लोळ मजला. पाण्यासाठी दरमहा सरासरी निम्मे वेतन देणे सुरू झाले.

जेव्हा लोकांनी कालव्यांमधून पिण्याचे पाणी आणण्यास सुरवात केली.. (३/६)
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