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#काँग्रेस_के_कुकर्म और #नेहरू_के_कुकर्म

"नेहरू को सिर्फ पहिया मिला था नेहरू ने मेहनत से उसे स्कूटर बनाया"😡
कांग्रेसी और वामपंथी इतिहासकारों ने एक साजिश के तहत ये झूठ फैलाया है कि जवाहरलाल नेहरु आधुनिक भारत का निर्माता है😡
जबकि सच्चाई ये है कि अंग्रेजों ने नेहरू को एक

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तेज रफ्तार में चलती गाड़ी का स्टेयरिंग थमाया था...

👉भारत में पहला छोटा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट अंग्रेजो ने दार्जिलिंग में 1897 में बनाया था,जो 130 किलोवाट का था, जिसका नाम सिद्रपोंग था और तीस्ता नदी पर बनाया गया था।
भारत में पहला बड़ा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट मैसूर के
राजा ने कोलार की खान से सोना निकालने के लिए कावेरी नदी पर शिवसमुद्रम फाल पर 1887 में बनाया जो 1902 में पूरा हुआ, ये 7.92 मेगावाट का था और 1938 तक इसकी क्षमता बढ़कर 47 मेगावाट हो गई थी...
इसका ठेका अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक को दिया गया था। शिप से टरबाइन और अन्य साजो-समान आये...
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#काँग्रेस_के_कुकर्म Vs #नेहरू_के_कुकर्म

अधिकांश लोग यही मानते आये हैं कि 1947 में बटवारे के बाद गांधी ने नेहरू से पाकिस्तान को अपना भरण पोषण (Alimony) के लिए 50 करोड़ रुपये दिलवाए थे...
लेकिन यह बात अर्ध सत्य है . प्रसिद्ध किताब "फ्रीडम एट मिड नाइट"

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(Freedom at midnight) लेखक “लेरी कोलिन्स डोमिनिक ला पियरे (Larry Collins and Dominique LaPierre ) के अनुसार देश की चल अचल संपत्ति का बटवारा 20 – 80 के अनुपात से किया गया था...

☝️जिसमे रेलवे के इंजन, डिब्बे, सरकारी गाड़ियां, टेबल कुर्सियां, स्टेशनरी, फर्नीचर यहाँ तक झाड़ू भी

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शामिल थे, साथ में 50 करोड़ नकद राशि भी थी...

☝️लेकिन जब इतना लेने के बाद भी पाक सेना ने कश्मीर पर हमला कर दिया😡
☝️तो पाकिस्तान को खुश करने के लिए नेहरू ने पाकिस्तान को 25 करोड़ रुपये और दे दिए😱😱😱

☝️जिसके कारण बटवारे का अनुपात बदल गया था...
अर्थात 17.5% पाकिस्तान को और

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#काँग्रेस_के_कुकर्म और #नेहरू_के_कुकर्म

"नेहरू ने अँग्रेजों से गुप्त संधि की थी" और कहा था कि “मैं भी मुसलमान हूं” (विभाजनकालीन भारत के साक्षी)

"इस शीर्षक को पढ़कर आप अवश्य चौकेंगे,लेकिन सत्ता के लिए जवाहरलाल लहरू के ये कुछ व्यक्तिगत रहस्य भी जानने से यह स्पष्ट होता है

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यह स्पष्ट होता है कि स्वतंत्रता के उपरान्त भी भारत क्यों अपने गौरव को पुन: स्थापित न कर सका"- विनोद कुमार सर्वोदय

श्री नरेन्द्र सिंह जी जो ‘सरीला’ रियासत (टीकमगढ़ के पास,बुंदेलखंड) के प्रिंस थे तथा बाद में गवर्नर जनरल लार्ड वेवल व लार्ड माउण्टबैटन के वे ए.डी.सी. रहे थे।
इस कारण 1942 से 1948 तक की वाइसराय भवन में घटित घटनाओं के वे स्वयं साक्षी थे।
उनसे इस लेख के लेखक (प्रो सुरेश्वर शर्मा) की प्रथम भेंट दिसम्बर 1966 में "इण्डिया इण्टरनेशनल सेंटर, दिल्ली" में हुई थी।प्रिंस आफ़ सरीला श्री नरेंद्र सिंह उस समय काफी वृद्ध थे और इण्डिया इंटरनेशनल सेंटर
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