Discover and read the best of Twitter Threads about #राजीव_गांधी

Most recents (3)

#भारतीय #राजनीति का गैर इरादतन #राजनीतिक समझा गया #चेहरा जिसे #नेता होने के लिए #समय ने #मौका दिया पर जो हो ना सका !
मेरे #जवानी की दहलीज़ की और बढ़ते क़दमों के दौर का ये खुशमिजाज चेहरा मुझे आज भी अपनी और आकर्षित करता हैं जिसे अपनी जिंदगी को जीने के लिए और कोई बेहतर पड़ाव
मिल सकतें थे पर भारत की नियति ने इसे अपघाती नेता बना दिया ! कई बार सोचता हूँ कि गर राजीव नेता होते तो सच बोलने का साहस नहीं रख पाते कि जनता की भलाई के लिए तय पैसे में दसवा हिस्सा ही हम तलक पहुंचता हैं और श्रीलंका में शांति सेना को ना भेजते कि भविष्य का भारत अपने आधुनिक
स्वप्नदृष्टा को सपनों को हकीकत में तब्दील होने तक साथ देखना चाहता हैं ! अपनी मौत के मानिंद किसी कागज़ पर दस्तख़त करना हर किसी के बस की बात नही कि आपने लिट्टे को ख़त्म करने सेना को नहीं भेजा था बल्कि अपने डेथ वारंट को हासिल करने के लिए ये जानलेवा कदम उठाया था !
Read 6 tweets
मला माझा राजीव परत द्या, मी निघून जाईन आणि जर तुम्ही माझा राजीव परत देऊ शकत नसाल तर मला शांतपणे त्यांच्या आजुबाजुला ह्याच मातीत मिसळून जाऊ द्या.
#मराठी #राजीव_गांधी
#धागा 👇 Image
तुम्ही पाहिलं होतं ना त्यांना! उंच कपाळ,बोलके डोळे,उंच शरीर आणि त्यांचं हास्य.
जेंव्हा मी त्यांना पहिल्यांदा पाहिलं होतं तेव्हा पाहतच राहिले होते. मैत्रिणीला विचारलं कोण आहे हा हँडसम तरुण? मैत्रीण बोलली होती तो भारतीय आहे, पंडित नेहरूंच्या कुटुंबातला! 👇
मी पाहतच राहिले ह्या पंडित नेहरूंच्या कुटुंबातील तरुणाला.
काही दिवसांनंतर विद्यापीठातील कॅन्टीनमध्ये जेवणासाठी गेले.खूपच मुले होती.तिथे मी कोपऱ्यात एक टेबल घेतला.तिथे ते सुद्धा दुसऱ्या मित्रांबरोबर होते मला वाटलं ते मलाच पाहत आहेत.मी नजर तिकडे फिरवली तर खरच ते मलाच पाहत होते.👇
Read 17 tweets
#Bhopal #Congress #rajeevgandhi

भोपाल : 2-3 सन 1984 दिसम्बर की कड़कड़ाती रात थी वो,अजीब सी खामोशी छायी हुई थी।
ये वक्त था यूनियन कार्बाइड में नीचे टैंक संख्या ई 610 में साफ सफाई के लिये मजदूर उतरे।
अचानक वहां का तापमान 200° हो गया गैस का तापमान 4.5° हो गया जो 20° होना चाहिए था।
ये वो वक्त था जब लोग गहरी नींद में थे। इधर कारखाने में पाइपलाइन में पानी के रिसाव के कारण मिथाइल आइसो सायनाइट एकदम खौलने की स्थिति में आ गयी थी ।
अंग्रेजी मैनुअल, बचाव सम्बधी उपकरण के खराब होने और न ही कोई ट्रेनिंग के अभाव के कारण गैस रिसाव होना शुरू हो गया।
करीब 45-60 मिनट में भोपाल एक ऐसी भयानक त्रासदी में घिर गया, जो जहां था वही अचेत हो गया। ज्यादातर लोग नींद में ही इस गैस की चपेट में आ गये।
अगले 2 दिन में इसने करीब 15000 लोगों को मौत के आगोश में सुला दिया और करीब 5,50,000 लोग प्रभावित हो गए जो आज भी प्रासंगिक है।
Read 10 tweets

Related hashtags

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3.00/month or $30.00/year) and get exclusive features!

Become Premium

Too expensive? Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal Become our Patreon

Thank you for your support!