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#WamanMeshram
आरक्षण के जनक, राजर्षी छत्रपती शाहूजी महाराज के 101वें स्मृति दिवस पर उन्हे विनम्र अभिवादन|
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“मैं स्वयं-प्रेरित होकर ब्राह्मणवाद के खिलाफ संघर्ष करने के लिए खडा हूँ| मुझे कोई सिखा नही रहा है, या अंग्रेजो के कहने पर मैं ब्राह्मणो के खिलाफ नही, बल्कि मेरे ImageImageImageImage
पुरखो से प्रेरित होकर मेरे ब्राह्मणेतर (बहुजन) समाज के भले के लिए मैंने यह जानलेवा संघर्ष स्वयं ही स्विकार किया है|”
-राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज.

राजर्षि शाहू छत्रपति महाराज जी के 101वें स्मृति दिवस पर विनम्र अभिवादन|
#राष्ट्रीयमूलनिवासीमहिलासंघ
#राष्ट्रीयआदिवासीएकतापरिषद ImageImageImage
#राष्ट्रीयपिछडावर्गमोर्चा
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शाहू छत्रपति महाराज की मृत्यु नैसर्गिक नही है बल्कि भटमान्य बाल गंगाधर तिलक ग्रुप के द्वारा केलकर, श्रीपाद अमृत डांगे ने शाहू महाराज की हत्या की है|
शाहू छत्रपति महाराज के स्मृतिदिन पर विनम्र अभिवादन|

-डॉ.विलास खरात, निर्देशक, DBARC, नईदिल्ली
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#18दिसंबर👉संत गुरू घासीदास जी जन्मजयंती

मूलनिवासी संत व सतनाम पंथ के प्रवर्तक गुरु घासीदास जी (जन्म;18दिसंबर1756-मृत्यु;20फरवरी1850) की स्मृति मे निर्मित यह जैतखाम स्तंभ उनकी जन्मस्थली व तपोभूमि ग्राम- गिरौदपुरी, तालुका- कसडोल, जिला- बालौदा बाजार, छत्तीसगढ मे स्थित है| यहाँ
सतनामी समाज का सबसे बडा धार्मिक स्थल है| इसकी ऊंचाई कुतुबमीनार से भी 6 फीट अधिक है और इसका लोकार्पण उनकी 259वीं जन्मजयंती पर 18दिसंबर2015 को हुआ था| भारत सरकार ने 01सितम्बर1987 को उनके सम्मान मे 60पैसे का एक डाक टिकट जारी किया था|
सतनाम पंथ मे सात सिद्धांत प्रचलित है;-
1.)मानव मानव एक,
2.)जीव हत्या पाप,
3.)नशा व मांस भक्षण निषेध,
4.)सदा सच बोलो,
5.)प्रकृति के 5 तत्व (जल, जमीन, हवा, आकाश, अग्नि) ही स्मरण योग्य,
6.)मूर्ति पूजा व्यर्थ,
7.)कर्म की पूजा

घासीदास गुरूजी की 266वीं जयंती पर देश के सभी मूलनिवासी बहुजनो को बहोत बहोत बधाई व उन्हे सादर नमन
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🌹15नवंबर : बिरसा मुंडा जन्मजयंती🌹
जल, जंगल, जमीन के लिए संघर्ष करने वाले महान शूरवीर योद्धा, उलगुलान के जनक व 'अबुआ दिशुम, आबुआ राज' यानी 'हमारा देश, हमारा राज' नारे के सृजनकर्ता जननायक बिरसा मुंडा का जन्म 15नवंबर1875 को झारखंड प्रदेश मे रांची के खूंटी क्षेत्र
अन्तर्गत उलीहातू गांव मे सुगना मुंडा और करमी हातू दम्पति के घर हुआ था| अकाल और महामारी के कारण इन्होने अंग्रेजो से लगान माफी और जमींदारो की बेगारी के विरुद्ध क्षेत्र के सभी आदिवासिओ को एकत्र कर तीर-कमानो से लैस होकर जनांदोलन (उलगुलान) चलाया| इसी क्रम मे अंग्रेजो से
उनकी कई बार भिडन्त हुई और एक बार इन्हे दो साल की सजा के अन्तर्गत हजारी बाग केन्द्रीय कारागार मे भी रखा गया तथा अन्त मे 03फरवरी1900 को बिरसा को गिरफ्तार कर रांची जेल मे डाल दिया गया| अंग्रेजो द्वारा धीमा जहर देने के कारण जेल मे ही बिरसा की मृत्यु 09जून1900 को हो गयी|
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विश्वरत्न महामानव बाबासाहेब डॉ.भीमराव आंबेडकर जी के पिताजी सुभेदार रामजी मालोजी सकपाल ब्रिटिश भारतीय सेना मे सुभेदार पद पर कार्यरत थे| वह अंग्रेजी भाषा मे प्रभुत्व सपन्न होने के कारन ब्रिटिश भारतीय सेना मे शिक्षा देने का काम करते थे| अत्यंत प्रतिकूल परिस्थिति मे सुभेदार रामजी ImageImageImageImage
मालोजी सकपाल जी ने बाबासाहेब डॉ.भीमराव जी की शिक्षा को पूरी करवाने के लिए कडी मेहनत की |
बाबासाहेब डॉ.आंबेडकर ने उच्च शिक्षा लेकर समाज को गुलामी से मुक्त करना चाहिए यह सुभेदार रामजी सकपाल जी का सपना था जो बाबासाहेब ने पूरा कर के दिखलाया|
सुभेदार रामजी मालोजी सकपाल जी के 184वें जन्मजयंती के अवसर पर देश के सभी मूलनिवासी बहुजनो को बहोत बहोत बधाई |👈

#सुभेदार_रामजी_सकपाल

#राष्ट्रीयआदिवासीएकतापरिषद #राष्ट्रीयपिछडावर्गobcमोर्चा

#BanEVM #BanEVM_SaveDemocracy
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