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आज #बेरोज़गार युवा सड़क पर है इस कारण का एक ही समाधान है ,
समय से भर्ती निकलना और उसे एक तय समय में पूरा करना।जिस प्रकार #विधानसभा#लोकसभा चुनाव समय से पूरा कर लिया जाता है और सरकार घोषित हो जाती है ।
यहाँ किसी प्रकार की देरी नही होती ना ही कोई अलग से टीम गठित होती है ।
1/N
जिस प्रकार चुनाव की प्रक्रिया व चुनाव ज़रूरी है इस से कही ज़्यादा अहमियत नौकरी की है । नौकरी से ही लोगों का घर चलता है और इस देश के आर्थिक स्थिति भी मजबूत बनती हैं ।
जब UP में उप मुख्यमंत्री का 2-2 नया पद बन सकता है तो नयी नौकरी क्यों नही आ सकती ।
@yuvahallabol 2/N
सरकार राजनीति नही न्याय करे ।

बेरोज़गार का हाल आप क्या समझेंगे नेता और मंत्री जी , जिसकी थाली और झोली भरी हुई है । एक बेरोज़गार 20-25k की नौकरी के लिए तरस रहा है इस से कई गुना ज़्यादा तो इन नेताओ के बच्चों का जेब खर्चा होता है ।
3/N @AnupamConnects
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इस 👇#Tweet के सभी भाग को बहुत बारीकी से और ध्यानपूर्वक #पढ़ें

🚩वर्ष 1947 में विभाजन के #उपरांत देश स्वतंत्र हुआ। तदुपरांत #वर्ष 1950 में संविधान लागू हुआ। उस समय कहा गया कि सभी को #समान न्याय मिलेगा। इस कारण सब #अत्याचार भूलकर हिन्दू उसे स्वीकारने के लिए तैयार हो गए..!!
परंतु प्रत्यक्ष में #धर्मनिरपेक्षता के नाम पर अल्पसंख्यकों को सुविधा देकर हिंदुओं का दमन किया जा रहा है। आज मुसलमान अपने ##धर्म के लिए ‘फिदायीन’ बनकर समय पड़ने पर अपने प्राण देने को तैयार हो जाते हैं। ऐसे समय हम हिन्दू #अधिवक्ताओं को भी कानून का अध्ययन कर,
न्यायालय में ‘#फिदायीन’ बनकर हिन्दू को न्याय दिलाने के लिए निःस्वार्थ वृत्ति के साथ #प्राणपण से प्रयास करने चाहिए । देश में बडी संख्या में हिन्दुओं का #धर्मांतरण हो रहा है, इसे रोकना आवश्यक है। इस पृष्ठभूमि पर धर्मांतरण-विरोधी कानून #बनाने के लिए अधिवक्ता प्रयास करें।
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#कृषि_विधेयक

👇👇👇👇
कृषि विधेयक #लोकसभा और #राज्यसभा दोनों सदनों से पास हो गया अब इस विधेयक का खेल देखिये।
जैसे नोटबंदी से ब्लैक मनी का जखीरा दबाये रखने वाले नेस्तनाबूद हो गये
वैसे ही इस बिल से #पंजाब और #महाराष्ट्र के दो बड़े दिग्गज बर्बाद हो गये।
पंजाब के #सुखबीर_बादल और महाराष्ट्र के #शरद_पवार
सुखबीर के सुखबीर एग्रो को कम से कम 5000 करोड़ सालाना की आय होती थी वे एफसीआई के और किसानों के बीच के कमीशन एजेंट थे।
उनकी कंपनी को 2.5% कमीशन मिलता था।
सारे वेयरहाउस उन्हीं के थे।
बगैर #सुखबीर_एग्रो का ठप्पा लगे कोई किसान एक टन गेहूं भी #एफसीआई को नहीं बेंच सकता था।
एक झटके में सब बर्बाद हो गया।
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मा.निर्मला सितारामनजी..देशाला खर्या अर्थाने दिशा देणारे जे ठराविक सर्वोच्च मंत्रीपदं आहेत त्यातल्या एका पदावर आपण विराजमान आहात..पण ज्यादिवशी पासुन आपण अर्थमंत्री पद धारण केले तेव्हापासून नेहमीच media समोर आपल्याला ऐकताना आपण मंत्री कमी आणि पक्षाच्या Image
प्रवक्त्या असल्याचा भास झाला..आणि माझ्या मताला बळकटी द्यायला आपल्या सभोवतालची मंडळी तेव्हढीच जबाबदार आहे..उदाहरणं देतो त्याशिवाय माझ्या thread ला आणि मताला बळकटी येणार नाही..
१)जेव्हा वाहनक्षेत्रात तीव्र मंदी कशामुळे चालुय अस विचारलं गेल तेव्हा आपण निरागसपणे म्हणालात,"ओला,उबर
मुळे वाहनांचा खप कमी झालाय,त्यांचा वापर वाढलाय म्हणुन कोणी गाड्या विकत घेईना"..मला वैयक्तिक वाटत की देशातल्या मेट्रो सिटी आणि महत्त्वाची शहर सोडली तर ओला,उबर दुसरीकडे कुठे अस्तित्वात नाही..मग त्याचा एव्हढा परिणाम कसा झाला?(माझ चुक असेल तर दुरूस्त करावे🙏)
२)देशात मंदी आलीय अस
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