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💥 #श्रीकृष्ण_का_प्रद्युम्न_को_ब्राह्मणों_की_महिमा_बताना 🚩

महाभारत अनुशासन पर्व के दानधर्म पर्व के अंतर्गत अध्याय 159 में श्रीकृष्ण का प्रद्युम्न को ब्राह्मणों की महिमा बताने का वर्णन हुआ है। [1]

#युधिष्ठिर_का_प्रश्न 🚩

वैशम्पायन जी कहते हैं जनमेजय! युधिष्ठिर!
ने पूछा- मधुसूदन! ब्राह्मण की पूजा करने से क्या फल मिलता है ? इसका आप ही वर्णन कीजिये, क्योंकि आप इस विषय को अच्छी तरह जानते हैं और मेरे पितामह भी आपको इस विषय का ज्ञाता मानते हैं।

#श्रीकृष्ण_द्वारा_ब्राह्मणों_के_गुणों_का_वर्णन 🚩

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा- कुरुकुलतिलक भरतभूषण
नरेश! मैं ब्राह्मणों के गुणों का यथार्थ रूप से वर्णन करता हूँ, आप ध्यान देकर सुनिये। कुरुनन्दन!

पहले की बात है, एक दिन ब्राह्मणों ने मेरे पुत्र प्रद्युम्न को कुपित कर दिया। उस समय मैं द्वारका में ही था।
प्रद्युम्न ने मुझसे आकर पूछा - ‘मधुसूदन! ब्राह्मणों की पूजा करने से क्या
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💥 #सनातन_धर्म_की_रक्षा_करें 🚩🚩

जिस आदमी ने श्रीमदभगवद गीता का पहला उर्दू अनुवाद किया वो था मोहम्मद मेहरुल्लाह!
बाद में उसने सनातन धर्म अपना लिया!

पहला व्यक्ति जिसने श्रीमदभागवद गीता का अरबी अनुवाद किया वो एक फिलिस्तीनी था अल फतेह कमांडो नाम का!
जिसने बाद में जर्मनी
में इस्कॉन जॉइन किया और अब हिंदुत्व में है!

पहला व्यक्ति जिसने इंग्लिश अनुवाद किया उसका नाम चार्ल्स विलिक्नोस था!

ईसने भी बाद में हिन्दू धर्म अपना लिया उसका तो ये तक कहना था कि दुनिया मे केवल हिंदुत्व बचेगा!

हिब्रू में अनुवाद करने वाला व्यक्ति Bezashition le fanah नाम का
इसरायली था जिसने बाद में हिंदुत्व अपना लिया था भारत मे आकर!

पहला व्यक्ति जिसने रूसी भाषा मे अनुवाद किया उसका नाम था नोविकोव जो बाद में भगवान कृष्ण का भक्त बन गया था!

आज तक 283 बुद्धिमानों ने श्रीमद भगवद गीता का अनुवाद किया है अलग अलग भाषाओं में जिनमें से 58 बंगाली, 44
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#मृत्यु_के_लिये_प्रवेश 🚩🚩

वाराणसी के एक गेस्ट हाउस का एकाउंट है, जहाँ लोग मृत्यु के लिए प्रवेश लेते हैं। इसे 'काशी लाभ मुक्ति भवन' कहा जाता है।

कुछ लोग इसे डेथं होटल भी कहते हैं ।।

एक हिंदु मान्यता के अनुसार यदि कोई काशी में अपनी अंतिम सांस लेता है, तो उसे काशी लाभ
(काशी का फल) जो वास्तव में मोक्ष या मुक्ति है, प्राप्त होता है।

इस गेस्ट हाउस के बारे में दिलचस्प तथ्य यह है कि इसमें रहने और मरने के लिए केवल दो सप्ताह की अनुमति है। इसलिए इसमें प्रवेश से पहले किसी को अपनी मृत्यु के बारे में वास्तव में निश्चित होना चाहिए।

यदि कोई व्यक्ति दो
सप्ताह के बाद भी जीवित रहता है, तो उसे ये गेस्ट हाउस छोड़ना होता है।
उत्सुकतावशमैंने वहां जाने का फैसला किया, यह समझने के लिए कि उन लोगों ने क्या सीखा, जिन्होंने न केवल मृत्यु को एक वास्तविकता के रूप में स्वीकार किया बल्कि एक निश्चित समय के साथ अपनी मृत्यु का अनुमान भी लगा लिया
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#किस_दिन_क्या_न_खाएं 🚩🚩
👉 #प्रतिपदा_को ..
कूष्मांड (पेठा) न खाएं क्योंकि उस दिन यह धन का नाश करने वाला होता है।
👉 #द्वितीया_को..
बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) निषिद्ध है।
👉 #तृतीया_को.
परवल खाने से शत्रुओं की वृद्धि होती है।
👉 #चतुर्थी_को.
मूली खाने से धन का नाश होता है।
👉 #पंचमी_को..

बेल खाने से कलंक लगता है।

👉 #षष्ठी_को..

नीम की पत्ती, फल या दातुन मुंह में डालने से नीच योनि की प्राप्ति होती है।

👉 #सप्तमी_को..

ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है।

👉 #अष्टमी_को..

नारियल फल खाने से बुद्धि का नाश होता है।

👉 #नवमी_को.

लौकी न खाएं।
👉 #दशमी_को.

कलंबी शाक त्याज्य है।

👉 #एकादशी_को..

सेम खाने से पुत्र का नाश होता है, चावल खाना भी वर्जित।

👉 #द्वादशी_को...

पोई (पूतिका) खाने से पुत्र को परेशानी होती है।

👉 #त्रयोदशी_को...

बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।

🔘अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति, चतुर्दशी
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💥 #२८_व्यास_मुनियों_के_नाम :🚩🚩

एक मन्वन्तर में ७१ चतुर्युग ( कृतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग ) होते है जिसमें इस वैवस्वत मन्वन्तर के २७ चतुर्युग सम्पूर्ण हो चुके है अर्थात् यह २८ वां चतुर्युग का कलियुग चल रहा है।

हर चतुर्युग के द्वापरयुग में भगवान्
विष्णु व्यासरूप ग्रहण करके एक वेद के अनेक विभाग करते है। वेदमेकं पृथक्प्रभुः । ( श्रीविष्णुपुराण ३.३.७ )

इस वैवस्वत मन्वन्तर में वेदों का पुनः-पुनः २८ बार विभाग हो चुका ।

अष्टविंशतिकृत्वो वै वेदो व्यस्तो सहर्षिभिः ।
वैवस्वतेन्तरे तस्मिन्द्वापरेषु पुनः पुनः ॥
( श्रीविष्णुपुराण ३.३.९ )

💐 #उन_२८_व्यास_मुनियों_के_नाम_इस_प्रकार_हैं :🚩
👇👇
🔘१. ब्रह्माजी,

🔘२. प्रजापति,

🔘३. शुक्राचार्य जी,

🔘४. बृहस्पति जी,

🔘५. सूर्य,

🔘६. मृत्यु,

🔘७. इन्द्र,

🔘८. वसिष्ठ,

🔘९. सारस्वत,

🔘१०. त्रिधामा,
🔘११. त्रिशिक,
🔘१२. भरद्वाज
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💥 #यमराज_को_माण्डव्य_ऋषि_ने_क्या_श्राप_दिया_था ?🚩

महाभारत काल में एक प्रतापी और सात्विक ऋषि थे नाम था मांडव्य, एक राजा ने उन्हें गलती से पकड़ लिया और चोरी के जुर्म में फांसी पर लटका देने का आदेश दे दिया.

महाभारत काल में एक प्रतापी और सात्विक ऋषि थे नाम था
मांडव्य, एक राजा ने उन्हें गलती से पकड़ लिया और चोरी के जुर्म में फांसी पर लटका देने का आदेश दे दिया. उन्हें फांसी पर लटकाया गया पर वो मरे नहीं और तड़पते रहे, उन्हें उतरा गया और फिर फांसी पर लटकाया गया दुबारा भी ऐसा हुआ, ऐसा चार बार हुआ तो राजा डर गया और ऋषि को छोड़ दिया.
तब ऋषि ने यमराज का आह्वान किया और यमराज आये, तब ऋषि ने यमराज से इस भोगे गए कष्ट का कारण पूछा तो यमराज ने उन्हें बताया की जब वो 12 साल के थे तो उन्होंने एक तितली को पकड़ा और उसके पीछे चार बार सुई चुभोई थी इस कारण आपको ये यत्न सेहन करनी पड़ी है.

इस पर ऋषि क्रोधित हो गए और बोले
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#धर्मपत्नी के भाई को #साला क्यों कहते हैं? कितना श्रेष्ठ और सम्मानित होता है...

💥 #साला" #शब्द_की_रोचक_जानकारी
👇👇
हम प्रचलन की बोलचाल में साला शब्द को एक "गाली" के रूप में देखते हैं साथ ही "धर्मपत्नी" के भाई/भाइयों को भी "साला", "सालेसाहब"
के नाम से इंगित करते हैं।

"पौराणिक कथाओं" में से एक "समुद्र मंथन" में हमें एक जिक्र मिलता है, मंथन से जो #14_दिव्य_रत्न प्राप्त हुए थे वो :
कालकूट (हलाहल),
ऐरावत,
कामधेनु,
उच्चैःश्रवा,
कौस्तुभमणि,
कल्पवृक्ष,
रंभा (अप्सरा),
महालक्ष्मी,
शंख (जिसका नाम साला था!),
वारुणी,
चन्द्रमा,
शारंग धनुष,
गंधर्व,
और अंत में अमृत।

"लक्ष्मीजी" मंथन से "स्वर्ण" के रूप में निकली थी, इसके बाद जब "साला शंख" निकला, तो उसे लक्ष्मीजी का भाई कहा गया!

दैत्य और दानवों ने कहा कि अब देखो लक्ष्मी जी का भाई साला (शंख) आया है ..

तभी से ये प्रचलन में आया कि नव विवाहिता
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💥 #अद्भुत 💐💐

आपने कभी भी जम्मू कश्मीर में स्थित #सूर्य_मंदिर का नाम सुना है..?

जो अपना इतिहास भूल जाते हैं, इतिहास उन्हें भी भूल जाता है, #हिदूं भी इसी रास्ते पर चल पडा हैं... कैसे इस कुकृत्य को भूले बेहद दुखद

मार्तण्ड सूर्य मंदिर जम्मू कश्मीर
#Thread
के #अनंतनाग में स्थित है

कारकोटा राजवंश के शासक #ललितादित्य ने इस मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी में बनवाया था......

#कश्मीर_का_सच इतना सच है की झूठ ही लगता है.
84 स्तंभों को नियमित अंतराल पर रखकर बनाये गए इस वैभवशाली मंदिर को ललितादित्य ने 7-8 शताब्दी के मध्य बनवाया था।
यह मंदिर एक पठार पर स्थित था जहाँ से पूरी कश्मीर घाटी देखी जा सकती थी।

14वीं शताब्दी में सिकंदर बुतशिकन ने जिहाद नीति को अपनाते हुए इस मंदिर को तोड़ने का फैसला किया, बुतशिकन का अर्थ होता है मूर्तियों को तोड़ने वाला, पूरे दो साल तक इस मंदिर को तोड़ा और जलाया गया, आज यहाँ
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💥 #नागा_साधु_बनाम_मुग़ल 🚩🚩

भारतीय इतिहास का वो युद्ध, जब नागा साधुओं ने मुग़लों के ख़िलाफ़ जंग लड़कर जोधपुर को बचाया था !

भारत में अधिकतर लोग 'नागा साधुओं' को लेकर यही जानते हैं कि वो हर वक़्त समाधी में लीन या भांग के नशे में चूर रहते हैं,
#Thread
लेकिन ऐसा कतई नहीं है. दरअसल, तन पर नाममात्र के कपड़े और बदन पर भष्म लपेटे नागा साधुओं का इतिहास योद्धाओं का रहा है.

अगर आपको ऐसा लगता है कि हमारे संत समाज ने भारत की आज़ादी के लिए कोई लड़ाई नहीं लड़ी है तो आप ये जानकार हैरान रह जाएंगे कि ' नागा साधुओं
के युद्ध ' में भारत माता की रक्षा के लिए 2000 साधु संत शहीद हो गये थे. कहा जाता है कि इस युद्ध में दुश्मन 4 कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया था.

इतिहासकार बताते हैं कि तब नागा साधुओं के एक हाथ में तलवार थी दूसरे में धार्मिक किताबें. इस दौरान संतों को धर्म भी
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#आपके_यश व सफलता के लिए नीचे लिखी आदतें आपके जीवन में अवश्य होनी चाहिये 🚩

👉 #आदत_नम्बर 1...
अगर आपको कहीं पर भी *थूकने की आदत* है तो यह निश्चित है कि यदि आपको यश, सम्मान मुश्किल से मिल भी जाता है तो कभी टिकेगा ही नहीं.

👉 #आदत_नम्बर 2...
जिन लोगों को अपनी
#Thread
*जूठी थाली या बर्तन* खाना खाने वाली जगह पर छोड़कर उठ जाने की आदत होती है *उनकी सफलता,* कभी भी स्थायी रूप से नहीं मिलती. ऐसे लोगों को बहुत मेहनत करनी पड़ती है.

👉 #आदत_नम्बर 3...
आपके घर पर जब भी कोई भी बाहर से आये, चाहे मेहमान हो या कोई काम करने वाला, उसे स्वच्छ पानी ज़रुर
पिलाएं. ऐसा करने से हम राहु का सम्मान करते हैं जो अचानक आ पड़ने वाले कष्ट-संकट नहीं आने देते.

👉 #आदत_नम्बर 4...
घर के पौधे आपके अपने परिवार के सदस्यों जैसे ही होते हैं, उन्हें भी प्यार और थोड़ी देखभाल की जरुरत होती है. *जो लोग नियमित रूप से पौधों को पानी देते हैं,* उन लोगों
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#सनातन_अस्त्र_शस्त्र_और_इन_सभी_अस्त्र_शस्त्रों_का_निर्माण #हमारे_पूर्वज_ब्राह्मण_ऋषि_मुनियों_ने_किया_है 🚩
प्राचीन भारत में सनातनी अस्त्र शस्त्र विद्या में निपुण थे। प्राचीन काल में जिन अस्त्र-शस्त्रों का उपयोग होता था, उनका वर्णन इस प्रकार है
#Thread
@Itishree001
@LostTemple7
💥 #अस्त्र :-
👇👇
#अस्त्र उसे कहते हैं, जिसे मन्त्रों के द्वारा दूरी से फेंकते हैं। वे अग्नि, गैस और विद्युत तथा यान्त्रिक उपायों से चलते हैं। दैवी अस्त्र वे आयुध हैं जो मन्त्रों से चलाये जाते हैं। प्रत्येक शस्त्र पर भिन्न-भिन्न देव या देवी का अधिकार होता है और
मन्त्र-तन्त्र के द्वारा उसका संचालन होता है। वस्तुत: इन्हें दिव्य तथा मान्त्रिक-अस्त्र कहते हैं।

👉 #इन_बाणों_के_कुछ_प्रमुख_रूप_इस_प्रकार_हैं 🔥

🔘#आग्नेय 🚩
यह विस्फोटक बाण है। यह जल के समान अग्नि बरसाकर सब कुछ भस्मीभूत कर देता है। इसका प्रतिकार पर्जन्य है।
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#श्राद्ध_का_प्रचलन_कब_शुरु_हुआ ? #और_सबसे_पहले_किसने_किया_था_श्राद्ध

#उत्तर -

"सबसे पहले श्राद्ध कर्म करने वाले #महर्षि_निमि थे" ...!

प्राचीन काल में #ब्रह्माजी के पुत्र हुए महर्षि #अत्रि, उन्हीं के वंश में भगवान #दत्तात्रेय जी का आविर्भाव हुआ ।

#Thread
@Itishree001 Image
भगवान दत्तात्रेय जी के पुत्र हुए महर्षि #निमि और निमि के एक पुत्र हुआ #श्रीमान्

श्रीमान् बहुत सुन्दर युवक था। उनके सामने कामदेव की सुंदरता फीकी थी।

कठोर तपस्या के बाद उसकी मृत्यु होने पर महर्षि निमि को पुत्र शोक के कारण बहुत दु:ख हुआ।

अपने पुत्र की उन्होंने शास्त्रविधि के
अनुसार अशौच (सूतक) निवारण की सारी क्रियाएं कीं ।

फिर #चतुर्दशी के दिन उन्होंने श्राद्ध में दी जाने वाली सारी वस्तुएं एकत्रित कीं।

#अमावस्या को जागने पर भी उनका मन पुत्र शोक से बहुत व्यथित था ।

परन्तु उन्होंने अपना मन शोक से हटाया और पुत्र का श्राद्ध करने का विचार किया ।
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#दस_पवित्र_पक्षी_और_उनका_रहस्य

आइये जाने उन दस दिव्य और पवित्र पक्षीयों के बारे मैं जिनका हिंदू धर्म में बहुत ही महत्व माना गया है...

#हंस :- जब कोई व्यक्ति सिद्ध हो जाता है तो उसे कहते हैं कि इसने हंस पद प्राप्त कर लिया और जब कोई समाधिस्थ हो जाता है, तो कहते
#Thread
हैं कि वह परमहंस हो गया। परमहंस सबसे बड़ा पद माना गया है।

हंस पक्षी प्यार और पवित्रता का प्रतीक है। यह बहुत ही विवेकी पक्षी माना गया है। आध्यात्मिक दृष्टि मनुष्य के नि:श्वास में 'हं' और श्वास में 'स' ध्वनि सुनाई पड़ती है। मनुष्य का जीवन क्रम ही 'हंस' है क्योंकि उसमें ज्ञान
का अर्जन संभव है। अत: हंस 'ज्ञान' विवेक, कला की देवी सरस्वती का वाहन है। यह पक्षी अपना ज्यादातर समय मानसरोवर में रहकर ही बिताते हैं या फिर किसी एकांत झील और समुद्र के किनारे।

हंस दांप‍त्य जीवन के लिए आदर्श है। यह जीवन भर एक ही साथी के साथ रहते हैं। यदि दोनों में से किसी भी
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#जानिये_आत्मा_नए_शरीर_में_कैसे_जाती_है
#गरुड़ ने भगवान श्री विष्णु से प्रश्न किया

मृत्यु के बाद आत्मा कैसे शरीर के बाहर जाता है? कौन प्रेत का शरीर प्राप्त करता है? क्या भगवान के भक्त प्रेत योनि में प्रवेश करते हैं?

भगवान विष्णु ने गरुड़ को उत्तर दिया(गरुड़ पुराण)
#Thread
मृत्यु के बाद आत्मा निम्न मार्गों से शरीर के बाहर जाता है

आँख, नाक या त्वचा पर स्थिर रंध्रों से.

(1) ज्ञानियों का आत्मा मस्तिस्क के उपरी सिरे से बाहर जाता है
(2) पापियों का आत्मा उसके गुदा द्वार से बाहर जाता है( ऐसा पाया गया है कि कई लोग मृत्यु के समय मल त्याग करते हैं)
यह आत्मा को शरीर से बाहर निकलने के मार्ग हैं |
शरीर को त्यागने के बाद सूक्ष्म शरीर घर के अंदर कई दिनों तक रहता है

१.अग्नि में ३ तीन दिनों तक
२. घर में स्थित जल में ३ दिनों तक

जब मृत व्यक्ति का पुत्र १० दिनों तक मृत व्यक्ति के लिए उचित वेदिक अनुष्ठान करता है
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#घर_बैठे_तीर्थ_दर्शनों_का_आनन्द_ले ..

राम मंदिर का सबूत माँगने वाले लोगो को मेरी तरफ से एक छोटा सा सबूत ?????

भारतीय संस्कृति का इतिहास को पन्नो से मिटा सकते हो जमीन से कैसे मिटाओगे जब कण कण इसकी गवाही देती है

#जय_श्री_राम 🚩🚩
#सनातन_संस्कृति
#Thread
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💥 #तनाव_प्रबंधन_सीखें_भगवान_शंकर_से :🚩

🔹1- जटा में गंगा और त्रिनेत्र में अग्नि (जल और आग की दुश्मनी)

🔸2- चन्द्रमा में अमृत और गले मे जहर (अमृत और जहर की दुश्मनी)

🔹3- शरीर मे भभूत और भूत का संग ( भभूत और भूत की दुश्मनी)
#Thread
@Itishree001 @IndiaTales7
🔸4- गले मे सर्प और पुत्र गणेश का वाहन चूहा और पुत्र कार्तिकेय का वाहन मोर ( तीनो की आपस मे दुश्मनी)

🔹5- नन्दी (बैल) और मां भवानी का वाहन सिंह ( दोनों में दुश्मनी)

🔸6- एक तरफ तांडव और दूसरी तरफ गहन समाधि ( विरोधाभास)

🔹7- देवाधिदेव लेकिन स्वर्ग न लेकर हिमालय में तपलीन।
🔸8- भगवान विष्णु इन्हें प्रणाम करते है और ये भगवान विष्णु को प्रणाम करते है।

इत्यादि इतने विरुद्ध स्वभाव के वाहन और गणों के बाद भी, सबको साथ लेकर चिंता से मुक्त रहते है। तनाव रहित रहते हैं।

और हम लोग विपरीत स्वभाव वाले सास-बहू, दामाद-ससुर, बाप-बेटे, माँ-बेटी, भाई-बहन,
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आटा गूंथने के बाद गृहणियां उस पर उँगलियों से निशान क्यूँ बनाती हैं!!

सनातन परम्परा में अगर ऐसा नहीं किया जाए तो आटे को पिंड का रूप मानते हैं जो कि हिंदू धर्म में अशुभ होता है

हिंदू धर्म में पूर्वजों एवं मृत आत्माओं को संतुष्ट करने के लिए पिंड दान की विधि बताई गई है।

#Thread
पिंडदान के लिए जब आटे की लोई (जिसे पिंड कहते हैं ) बनाई जाती है तो वह बिल्कुल गोल होती है। इसका आशय होता है कि यह गूंथा हुआ आटा पूर्वजों के लिए है।

मान्यता है कि इस तरह का आटा देखकर पूर्वज किसी भी रूप में आते हैं और उसे ग्रहण करते हैं।
यही कारण है कि जब मनुष्यों के ग्रहण करने के लिए आटा गूंथा जाता है तो उसमें उंगलियों के निशान बना दिए जाते हैं।

ताकि वह पिंड न रहे, यह निशान इस बात का प्रतीक होते हैं कि रखा हुआ आटा या लोई पूर्वजों के लिए पिंड नहीं, बल्कि परिजनो के लिए है
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ढोल गंवार शुद्र पशु नारी
सकल तारणा के अधिकारी
१.ढोल (वाद्य यंत्र)
ढोल को हमारे #सनातन_संस्कृति में उत्साह प्रतीक माना है इसके थाप से हमें नयी ऊर्जा मिलती है.जीवन स्फूर्तिमय,उत्साहमय हो जाता है.विभिन्न अवसरों पर ढोलक बजाया जाता है शुभ माना जाता है @DeepaShreeAB @Official_Sherni
२.गंवार {गांव के रहने वाले लोग)
गाँव के लोग छल-प्रपंच से दूर अत्यंत ही सरल स्वभाव के होते हैं.अत्यधिक परिश्रमी होते है जो अपने परिश्रम से धरती माता की कोख से अन्न इत्यादि पैदा कर संसार में सबका भूख मिटाते हैं.आदि काल से ही अनेकों देवी-देवता और संत गाँव में ही उत्पन्न होते रहे हैं
३. शुद्र (जो अपने कर्म व सेवाभाव से इस लोक की दरिद्रता को दूर करे)-
सेवा व कर्म से ही हमारे जीवन व दूसरों के जीवन का भी उद्धार होता है और जो इस सेवा व कर्म भाव से लोक का कल्याण करे वही ईश्वर का प्रिय पात्र होता है. कर्म ही पूजा है @AnkitaBnsl
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नवदुर्गा के 9 रूप बताते हैं स्त्री का संपूर्ण जीवन -:
एक स्त्री के पूरे जीवन चक्र को मां अंबे के 9 रूपों से समझा जा सकता है,नवदुर्गा के नौ स्वरूपों के माध्यम से एक स्त्री का संपूर्ण जीवन प्रतिबिंबित होता है.....जानिये कैसे -------
1. जन्म ग्रहण करती हुई कन्या 'शैलपुत्री' स्वरूप है,

2. कौमार्य अवस्था तक 'ब्रह्मचारिणी' का रूप है,

3. विवाह से पूर्व तक चंद्रमा के समान निर्मल होने से
वह 'चंद्रघंटा' समान है,
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