कृतज्ञता प्रधानमंत्री जी
मेरे पिता पेशे से वकील थे,मेरी माँ चिकित्सक हैं, सभी भाई अपने अलग अलग नौकरी व्यवसाय करते हैं।
परिवारिक कृषि भूमि पर कृषि कार्य हम लोग स्वयं ही करते रहे हैं, मुझे अच्छी तरह से याद है छात्र जीवन में जब परीक्षा का समय होता था तभी फसल आने का समय होता है।1/7
मज़बूरी यह होती थी कि फसल केवल मंडी में ही बिकेगी फसल बेंचने के लिए मंडी खेत से ५४ किलोमीटर दूर शहर में है,मेरे ज़िले विदिशा की कृषि मंडी मध्यप्रदेश की बड़ी मंडियों में से एक है।कितने ही इग्ज़ाम दिन हमने मंडी की ख़ाक छानते ट्रैक्टर ट्राली के ऊपर बैठ कर किताब पढ़ते बिताए हैं।2/7
बचपन के स्कूली दिनो से छात्र जीवन के जोश के अतिरेक वाले दिन हों या सामाजिक, राजनैतिक क्षेत्र में सक्रियता वाले समय अथवा व्यावसायिक उत्तरदायित्व निभाने का समय ही क्यों ना हो वक्त के हर दौर में हर साल अपनी उपज को मंडी में बेंचने के लिए लाना अपने आप में एक संघर्ष रहा है।3/7
नीलामी के लिए तीन से सात दिन की प्रतीक्षा में ट्रेक्टर ट्राली पर ही सोना,सड़क किनारे ही दिन रात गुज़ारना,नम्बर लगाने के झगड़े,मनुहार,अनाज बेंचने के बाद तुलाई में बेईमानी का हर किसान के साथ घटित अलग और निराला अनुभव है।4/7
और फिर पेमेंट लेने के लिए सेठ जी के चक्कर लगाना किसान के जीवन का स्थायी संघर्ष बन चुका था।
हालाँकि यह कतिपय राजनीतिक लोगों को किसान की परेशानी में उसकी मदद का ढोंग कर वोट बैंक ज़िंदाबाद करवाने का अवसर भी रहा है।5/7
मैंने ये सब तब अनुभव किया है जबकि मेरे पिता माता सामाजिक,आर्थिक,राजनीतिक रूप से सक्षम व प्रभावशाली रहे,मैं स्वयं राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय व प्रभावी हूँ,तब सोचिए आम किसान परिवार के लिए उपज मंडी में लाना कितना दुरूह कार्य रहा है।6/7
आज मंडी की मजबूरी से आज़ादी दिलवाने पर मैं एक किसान के रूप में आदरणीय @PMOIndia श्री @narendramodi जी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए आश्वस्त हूँ कि,गोलोक से मेरे पिता जी,दादाजी सहित अन्य पूर्वज भी प्रधानमंत्री जी को भरपूर आशीर्वाद दे रहे हैं।7/7
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