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Editors Guild | bylines- EPW, ThePrint, BBC, Quint। Ex Editor, India Today Hindi | Fmr MCNUJC- Adjunct, CNBC। Enquiries and leads: dilipcmandal@gmail.com

Apr 11, 2021, 6 tweets

ब्राह्मणों को क्यों महात्मा ज्योतिबा फुले के प्रति आभारी होना चाहिए - Rahul Sonpimple

ज्योतिबा फुले (जन्म 11अप्रैल, 1827) के समय ब्राह्मणों की स्थिति क्या थी?

उनमें उस समय तक राष्ट्र की कोई भावना नहीं थी। वे खुद को विदेशी आर्य मानते थे। उनमें भारतीय होने का कोई बोध नहीं था...

फुले के बाद तक बाल गंगाधर तिलक से लेकर राम मोहन राय और राधाकुमुद मुखर्जी तक हर ब्राह्मण खुद को विदेशी आर्य मान रहा था।

उनके बीच मतभेद सिर्फ़ अपने नस्ल के मूल स्थान को लेकर था। कोई खुद को उत्तरी ध्रुव का तो कोई यूरोप का तो कोई खुद को यूरेशिया या स्टेपी का बता रहा था!

यही नहीं, ब्राह्मण उस समय तक खुद को बाक़ी भारतीयों से अलग बताने के लिए खुद को ब्रह्मा के मुँह से उत्पन्न बता रहे थे। खुद को भूदेव कह रहे थे। बाक़ी लोगों के साथ उनका कोई बंधुत्व नहीं था, और बंधुत्व के बिना तो राष्ट्र बन नहीं सकता।

फुले ने पहली बार ब्राह्मणों को समझाया कि तुम भी इंसान हो। खुद को आदमी समझो। और ये खुद को विदेश से आया बताना तो बंद ही कर दो।

महात्मा फुले ने बलि राज्य की अवधारणा दी, जिसमें सबके लिए स्थान था। यही कबीर का प्रेम नगर है, यही संत रैदास का बेगमपुरा है...

महात्मा फुले के इसी विचार से भारतीय राष्ट्र का निर्माण शुरू होता है, जिस कार्य को आगे चलकर संविधान सभा ने बाबा साहब के नेतृत्व में अंजाम दिया।

महात्मा फुले न होते तो ब्राह्मण आज भी यूरेशिया या यूरोप में अपने लिए प्लॉट या मूल स्थान या पितृभूमि खोज रहे होते..

महात्मा फुले ने ब्राह्मणों को भारतीय राष्ट्र का नागरिक बनाया! उन्हें भारतीय बनाया।

ब्राह्मणों का महात्मा फुले का आभारी होना चाहिए।

(संपादित टेक्स्ट)

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