अब मैं आपको आज, 12 अक्टूबर रात्रि 9.47 अष्टमी तिथि के प्रारम्भ होते ही कवल्था/ कालीमठ #Uttarakhand में माँ काली के मंदिर में विशेष पूजा के दर्शन करवाती हूँ।
मुझे इस विशेष पूजा जानकारी @alok_bhatt जी से मिली, आज संध्या 7 बजे से यहीं हूँ 🙏🏻
मंदिर में माँ काली की कोई प्रतिमा नहीं है, शुम्भ निशुम्भ, रक्तबीज के वध के बाद काली को शांत करने जब भगवान शिव उन के चरणों में लेट गए, तब माँ काली एक कुंड में अंतर्ध्यान हो गयीं। रजतपट श्री यन्त्र से ढके इस कुंड की पूजा साल में केवल शरदिया नवरात्री की अष्टमी को ही की जाती है।
अष्टमी की मध्यरात्रि को कुछ मुख्य पूजारी ही कुंड में समायी माँ काली की पूजा करते हैं, और दिव्य शक्ति दर्शन के लिए मंदिर को खोला जाता है।
दर्शन कीजिए 🙏🏻
स्कन्दपुराण, 62 अध्याय में माँ काली के इस मंदिर का वर्णन है
मंदिर से 8 कि मी की ऊंचाई पर एक दिव्य चट्टान/ काली शिला है जहां देवी के चरणों की छाप हैं
मंदिर में देवी देवता के 64 यन्त्र हैं
मंदिर की शिलालेखों में कालिदास जी के मेघदूत के वर्णन हैं जो उन्होंने यहाँ तपस्या के बाद लिखे
कालीमठ मंदिर 108 शक्ति पीठों में एक है
केवल यहीं माँ अपनी बहनों, लक्ष्मी माँ व माँ सरस्वती के साथ स्थित है,तीनों के मंदिरों दुर्गासप्तशती के विधान से निर्मित हैं- बीच में महालक्ष्मी, दक्षिण में महाकाली और वाम भाग में सरस्वती।
माँ लक्ष्मी की डोली आज माँकाली के मंदिर लायी जाती है।
रुद्रावर्ते कुरुक्षेत्रे श्रीस्थले पुष्करे तथा,
प्रभासे पंचमे तीर्थे पंच प्राची सरस्वती ।।
#SaraswatiUntold @SaraswatiUntold
सरस्वती नदी पाँच स्थानों पर दृश्यमान थीं,
बाक़ी पर अदृश्य- धरती के नीचे बहती हैं
#Kalimath मंदिर, रुद्रवर्त/रुद्रप्रयाग में सरस्वती नदी के तट पर स्थित है
कालीमठ के कुंड से रजतपट हटने के बाद के दर्शन जो वर्ष में केवल आज- शरदिया नवरात्री की अष्टमी को होते है 🙏🏻
#जय_मां_भवानी
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