🌺चिंताहरण महादेव, गोकुल, मथुरा🌺
मथुरा से लगभग 25 किलो मीटर की दूरी पर, महावन में यमुना के पट पर है भगवान शिव का वो स्थान जहां एक लोटा जल चढ़ाने से 1108 शिव लिंग पर जल चढाने का फल प्राप्त होता है। यहां भगवान शिव चिंता हरण महादेव के रूप में विराजमान हैं।
मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने 7 वर्ष की आयु में मिटटी खाई थी तो मां यशोदा घबरा गईं और कृष्ण से मिटटी को मुंह से निकालने को कहा। जब भगवान कृष्ण ने अपना मुंह खोला तो पूरे ब्रह्मांड के दर्शन मां यशोदा को हो गए थे, जिसके बाद मां यशोदा घबरा गईं और भगवान शिव को पुकारने लगी।
तभी उनकी पुकार सुन भगवान शिव यहां प्रकट हो गए, जिसके बाद यशोदा ने यमुना के एक लोटा जल से भगवान शिव का जलाभिषेक किया। उसके बाद मां यशोदा ने भगवान शिव से यहां विराजमान हो सभी भक्तों की चिंताए हरने का वचन मांगा। जिसके बाद भगवान शिव ने मां यशोदा को वचन दिया।
इस बात का उल्लेख श्रीमद भागवत पुराण के दसवे स्कन्द में भी है। भगवान शिव ने मां यशोदा से कहा कि यहां आकर जो भी भक्त एक लोटा यमुना का जल चढ़ाएगा उसकी सभी चिंताए दूर हो जाएंगी और उसकी सभी मनोकामनाए पूरी होंगी।
यह भी मान्यता है कि जब कृष्ण बाल रूप में थे, तब सभी देवता उनके बाल स्वरूप के दर्शन करने ब्रज में आए। भगवान शिव भी दर्शन करने आए। लेकिन मां यशोदा ने भगवान शिव के गले में सांप को देखकर उन्हें कृष्ण के दर्शन नहीं करने दिए। शिव जी को चिंता हुई।
उन्होंने भगवान का ध्यान किया तो भगवन श्री कृष्ण ने उन्हें इसी स्थान पर दर्शन देकर उनकी चिंता हर ली। बस तभी से भगवान भोलेनाथ यहीं विराजमान हो गए।
ये शिवलिंग अद्भुत है। पाषाण के इस शिव लिंग पर 1108 शिवलिंग उभरे हुए हैं। पूरी दुनिया में और कोई ऐसा मंदिर नहीं है।
इसकी चमत्कारिक मान्यता के चलते भगवान शिव के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। मंदिर से कुछ दूरी पर ही बल्देव में भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ का मंदिर है।और गोकुल के पास यमुना तट पर स्वामी शरणानंद जी महाराज का रमण रेती आश्रम भी है।
हर हर महादेव 🙏💞
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