अपूर्व اپوروا Apurva Bhardwaj Profile picture
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Oct 1, 2022, 10 tweets

दूसरे गाल के लिए कलेजा चाहिए !
अंधभक्तो को पता नहीं है, एक गाल पर थप्पड़ खाने के बाद दूसरा आगे करना, कितनी बहादुरी का काम है ! थप्पड़ का जवाब थप्पड़ से देना आसान है, लेकिन दूसरा गाल आगे करना सबके बस में नहीं है, जो करता है..'महात्मा' बन जाता है ! #Gandhi

अहिंसा सिर्फ़ गांधी की नहीं,इंसानी फ़ितरत है अहिंसा के जरिए गांधी कोई नया फार्मूला लेकर नहीं आए थे, बल्कि उन्होंने आज़माएं हुए फार्मूले को लपका और उसे ताक़त दी।उनमें दम था,इसलिए अहिंसा उनका नारा बन गया, ब्रांड बन गया।

जहां इंसानियत है,वहां अहिंसा है,लेकिन जिन्हें हिंसा में दिलचस्पी है,जो मारने-काटने की बात करते हैं,वही गांधी से इंकार कर सकते हैं ! बात सिर्फ गांधी की नहीं है,वो सब जिन्होंने दुनिया को दिशा दी है,सोच दी है, फ़क़ीर ही रहे हैं,उनके पास तलवार नहीं थी, ,

लेकिन बादशाहों को उन्होंने अपनी कुटिया में आने पर मजबूर किया है। तलवार के दम पर जिन्होंने दुनिया जीती है,वो इतिहास में दर्ज तो है, लेकिन लोगों के दिलों में नहीं हैं।उन्हें बहादुर और क्रूर शासक के तौर पर याद किया जाता है,म्यूजियम में उनकी तलवार रखी मिल सकती है

लेकिन जिन्होंने अहिंसा का रास्ता पकड़ा है, इंसानियत को ताक़त दी है, उन्हें किसी म्यूजियम की ज़रूरत नहीं है,वो हर जगह हैं, उनके मंदिर हैं, मूर्तियां हैं।असल में गांधी का विरोध नहीं... उनके विचारों का है, जो सबको साथ खड़ा करते हैं, ऊंच-नीच का फ़र्क ख़त्म कर देते हैं,

नफ़रत को बुरा कहते हैं। ठीक है, कहा जा सकता है आज़ादी की लड़ाई में उनका बड़ा किरदार रहा है, जो अहिंसा के साथ नहीं थे, जो ईंट का जवाब पत्थर से देने की बात करते थे और उन्होंने दिया भी है। इसके बावजूद अहिंसा को नकारा नहीं जा सकता है।

असल में इन्हें सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह में दिलचस्पी नहीं है,बल्कि गांधी से दिक्कत है। उन्हें छोटा करने के लिए दूसरों को बड़ा करने में लगे हैं। जब आप गांधी की टीम में आते हैं तो नफ़रत, सांप्रदायिकता ,ऊंची-नीच, जात-पात से दूर होना पड़ता है,जिससे सियासत मुश्किल हो जाती है।

गांधी का विरोध वो कर रहे हैं, जिन्होंने उन्हें ना पढ़ा है, ना समझा है, बस सियासी फायदे के लिए उनकी लाठी खींचने में लगे हैं। अभी वही सुर्खियों है,जो गांधी को बुरा कहे, उन पर सवाल लगाए। हालांकि ऐसे करने वाले बहुत थोड़े हैं,लेकिन लगातार उन्हें ताक़त मिल रही है। #महात्मागांधी

इसकी वजह है कि जिन्हें बोलना चाहिए,वो ख़ामोश हैं। सब वही हैं, वीर सावरकर पर लगातार बोल रहे हैं,उनके आलोचकों को देशद्रोही बता रहे हैं। इन्हें पता है, जब तक गांधी हैं,एक रंग का हिंदुस्तान नहीं बनाया जा सकता है,इसलिए लगातार उन्हें निशाने पर लिया जा रहा है। #gandhijayanthi

गांधी को कमज़ोर करने की कोशिश हो रही है,पर उन्हें दिलों से निकालना आसान नहीं है,क्योंकि नफ़रत की उम्र थोड़ी होती है और गांधी जिस मोहब्बत का पैग़ाम देकर गए हैं,वो हमेशा ज़िंदा रहने वाली है।'गांधी का ही कमाल है,उनके प्रेम भी सुर्खियां हासिल की जा सकती है और नफरत से भी #डाटावाणी

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