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Oct 4, 2022, 17 tweets

क्या #दशहरा के दिन सचमें रावणवध हुआ था?

सामान्यजनो की यह मान्यता है की श्रीरामने #Dussehra के दिन #Ravana का वध किया था। इसी लिए आज के दिन #रावणदहन भी किया जाता है।

लेकिन हमारे कोई भी शास्त्रमें यह नहीं लिखा की रावणवध दशहरा को हुआ था। दशहरा तो छोडो, उसके आसपास भी नहीं हुआ था।

क्रिष्किन्धाकाण्ड सर्ग २६

श्रीराम सुग्रीव को कह रहे है की कार्तिकमास आने के बाद रावणवध के लिए प्रयत्न करना। तब तक तुम महलमें रहकर आनन्द करो।

दशहरा अश्विनमासमें आता है। कार्तिकमास तक तो श्रीराम क्रिष्किन्धामें ही थे। तो उन्होने दशहरे को रावणवध कैसे कर दिया?

यह सर्ग २७ के श्लोक है। जहाँ पर श्रीराम सुग्रीव से स्पष्ट कह रहे है की वह चतुर्मास के समय तक पर्वत पर निवास करेगे। चारमास समाप्त होने के बाद ही वह रावणवध के लिए प्रयत्न करेगे।

यह सर्वविदित है की निश्चित्काल बितने के बाद भी जब सुग्रीव सीताजी की खोज करने के लिए उद्यत नहीं हुआ तब लक्ष्मणजीने उसे जाकर डांटा था।

तब सुग्रीवने सीता की खोज करने के लिए सारे वानरो को एक माह का समय दिया था। यानी कार्तिक से खोज आरम्भ करी हो तो मृगशिर्ष मास तक केवल खोज चल रही थी।

अङ्गद के नेतृत्वमें जो वानरो का समुह दक्षिणमें गया था वह शिशिर ऋतु तक सीता को खोज नहीं पाया था। सुग्रीवने जो एक माह की अवधी दी थी, वह कब की बीत चूकी थी।

शिशिर भी समाप्त होकर वसन्तऋतु आनेवाली थी, लेकिन अबतक सीताजी का पता भी उनको नहीं लगा था।

इस लिए दशहरा को रावणवध करना असम्भव है

यहां अङ्गद खुद बोल रहा है की अश्विनमास चालु था तब वह सीता की खोज के लिए नीकले थे। सुग्रीवने जो एक माह का समय दिया था, वह कब का बीत चूका था। इस प्रकार यह सिद्ध होता है की अश्विन दशमी को तो श्रीरामजी को ज्ञात ही नहीं था की सीता कहा है। रावण का वध करने की तो कोई सम्भावना ही नहीं थी।

यहाँ ध्यान दे की श्रीराम कार्तिकमासमें रावण को खोजने की बात करते है और अङ्गद बोल रहा है की में अश्विनमास में नीकला था। तो क्या यह विरोधाभास है?

जी नहीं। श्रीराम उत्तरापथ से थे जहाँ पुर्णिमान्त मास चलता है और अंगद दक्षिणापथ से था, जहाँ अमान्तमास चलता है।

दशहरे के बाद जो कृष्णपक्ष आता है वह श्रीराम के लिए कार्तिकमास का कृष्णपक्ष था, लेकिन अङ्गद के लिए अश्विनमास का ही कृष्णपक्ष था।

इस लिए श्रीरामने के लिए जो महिना कार्तिक था वही अङ्गद के लिए अश्विन था।

यह भेद आज भी यथावत् है।

श्रीराम का राज्याभिषेक चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को होना था। रावणवध के बाद वह शीघ्र अयोध्या पहुंचना चाहते थे क्यु की उनके वनवास की अवधी समाप्त हो रही थी।

इससे सिद्ध होता है की रावणवध चैत्र प्रतिपदा के आसपास हुआ था, क्यु की रावणवध के पश्चात् श्रीराम लङ्कामें लम्बा समय नहीं रुके थे।

अब कुछ पुराणो के प्रमाण भी देखते है। पुराण अनार्ष है, लेकिन वह भी इसी मान्यता का खण्डन करते है की रावणवध दशहरा को हुआ था।

पद्मपुराण के पातालखण्ड के अध्याय ३६में रामायण के घटनाक्रमकी तिथि दी है। उस पर एक नज़र डालते है।

सीताजी का हरण वनवास के तेरवे वर्षमें हुआ था। उस दिन माघमास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि थी।

मार्गशिर्ष मास की शुक्लपक्ष की एकादशी को हनुमानजी लङ्का पहुंचे थे। चतुर्दशी के दिन उनहे ब्रह्मास्त्र से बान्धा गया था। पुर्णिमा के दिन उनहोने लङ्कादहन किया था।

मार्गशिर्ष वद अष्टमी के दिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्रमें श्रीराम दक्षिण के लिए प्रयाण करते है।

पौषमास में वह सागरतट तक पहुंचे। माघ मास से वानरसेना और राक्षसो के मध्य युद्ध का प्रारम्भ हुआ।

चैत्रमास के प्रतिपदा से रामरावण के मध्य युद्ध शुरु हुआ जो कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तक चला। श्रीरामने चैत्रमास की चतुर्दशी के दिन रावण का वध किया और अमावस्या को विभिषणने उसका अन्तिम संस्कार किया।

इस प्रकार रावणवध चैत्र कृष्ण चतुर्दशी को हुआ। उत्तरभारतमें यह वैशाख मास की चतुर्दशी थी

वैशाख की तृतीया को विभिषण का अभिषेक कर के श्रीराम अयोध्या आने को नीकले।

वह वैशाख मास की षष्ठी को अयोध्या पधारे और सप्तमी को उनका राज्याभिषेक हुआ।

सीता ११ महिने १४ दिन रावण के पास रही। श्रीराम की राज्याभिषेक के समय आयु ४२ वर्ष थी।

इस प्रकार पुराण के प्रमाण से भी सिद्ध होता है की दशहरा के दिन रावणवध नहीं हुआ था, परन्तु चैत्र (वैशाख) कृष्ण चतुर्दशी के दिन हुआ था।

इस लिए दशहरे पर रावणवध का उत्सव मनाना अशास्त्रीय है।

विस्तृत जानकारी के लिए यह स्पेसमें अवश्य पधारीए। इस शनिवार को रात ९ बजे। twitter.com/i/spaces/1OwxW…

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