Thread. इतिहास के सबसे भयानक तंदूर हत्याकांड में सुशील शर्मा को हाई कोर्ट ने फाँसी की सजा सुनाई। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे हत्या और लाश जलाने का अपराधी मानते हुए भी उम्र क़ैद की सजा सुनाई । इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने कई कारण बताए:
1. सुशील शर्मा लाश देखकर रोया था। वह दुखी था…
… सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को काफ़ी महत्वपूर्ण माना कि जब नैना साहनी की अधजली लाश को पोस्टमार्टम के लिए लाया गया तो शर्मा रोया। कोर्ट ने माना कि उसे किए पर पछतावा हुआ होगा।
2.सुशील शर्मा मां-बाप का अकेला बेटा है। बेचारे बीमार और बूढ़े हैं…
ये फ़ैसला चीफ जस्टिस सदाशिवम, रंजन गोगोई और रंजना देसाई ने 8 अक्तूबर 2013 को दिया। रिटायर होने के बाद सदाशिवम गवर्नर बने और गोगोई एमपी।
सजा घटाने के लिए जजों का तर्क नंबर 3. ये मर्डर पर्सनल रिलेशन बिगड़ने के कारण हुआ। ये समाज के खिलाफ अपराध नहीं है।
4. सुशील शर्मा पुलिस को देखकर मौक़े से भागा ज़रूर। लेकिन इसकी वजह से उसकी सजा कितनी होगी, ये तय नहीं हो सकता।
5. मर्डर और शव को जलाना तो साबित हुआ पर बचे हुए शरीर से ये साबित नहीं हुआ कि शव को काटा गया था। चाकू भी नहीं मिला।
6. हत्यारा अपनी पत्नी से बहुत लगाव महसूस करता था। इसलिए जब उसे शक हुआ कि उसकी पत्नी बेवफ़ा है तो उसने हत्या करके उसे तंदूर में जला दिया । (फ़ैसले में जजों ने नैना साहनी के चरित्र को लेकर खूब विस्तार से चर्चा की है कि वो किससे मिलती थी, वगैरह) मानो इससे हत्या सही साबित हो जाए।
सजा कम करने का कारण नंबर 7. अपराध करने का सुशील शर्मा का कोई पुराना रिकॉर्ड नहीं है। सरकार पक्के नहीं साबित कर पायी कि अपराधी ज़िंदा रहा तो फिर से अपराध करेगा। इसका मतलब है कि अपराधी सुधर सकता है।
मेरी टिप्पणी: कोर्ट हर मामलों में इतना उदार नहीं होता। अगर इन तर्कों को आधार बनाया जाए तो ज़्यादातर केस में फाँसी की सजा होनी ही नहीं चाहिए। सुशील शर्मा 56 साल की उम्र में जेल से बाहर आ गया। अच्छी-शानदार ज़िंदगी जी रहा है। नैना साहनी पायलट थी। उनके साथ न्याय नहीं हुआ।
ये सब कोलिजियम से चुनकर आए जजों के कारनामे हैं। #Casteist_Collegium
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