भाई महावीर प्रसाद खिलैरी ने बडे शोध के साथ मोहनभागवत के खानदान का पुरा पता लगाया है!.१/१३
लेख को पूरा पढ़े यह तेरह ट्वीट्स को मिलकर संपूर्ण एंव विश्लेषित लेख बना है
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यहां तक कि देशस्थ ब्राह्मण नासिक गोदावरी स्थित घाटों कोभी पेशवा समेत समस्त चितपावन ब्राह्मणों को उपयोग नहीं करने देते१/११
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एक चितपावन ब्राह्मण के मराठा साम्राज्य का पेशवा बन जाने का असर हुआ कि कोंकण से चितपावन ब्राह्मणों ने बड़ी संख्या में पुणे आना शुरू किया जहाँ महत्वपूर्ण पदों पर बिठाया १/६
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1940 तक ज्यादातर कोंकणी चितपावन ब्राह्मण अपने घरों में चितपावनी कोंकणी बोली बोलते जो उस समय तेजी से विलुप्त होती बोलियों में शुमारथी आश्चर्यजनक रूप से चितपावन ब्राह्मणों ने इस बोली को बचाने का कोई प्रयास न किया।१/३
इस तरह अत्यंत कम जनसंख्या वाले चितपावन ब्राह्मणों ने,जो मूलरूप से इज़राइली यहूदी थे,न सिर्फ इस देश में खुद को स्थापित किया बल्कि आरएसएस नाम का संगठन बना कर वर्तमान में देश के नीति नियंत्रण करने की स्थिति तक खुद पहुंचाया है
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