Vimal kumar bouddh Profile picture
बुद्ध का अनुयायी सम्यक् सम्बुद्ध बनने तक निंरतर गतिशील रहना। चर्चा ही चर्चा करे धारण करै न कोई धर्म बिचारा क्या करे, जो धारे सो सुखिया होये।
Ajay M Gawade Profile picture 1 subscribed
May 10, 2023 7 tweets 2 min read
कैसा इतिहास - बोध है कि सिंधु घाटी की सभ्यता के बाद वैदिक युग आया? कहाँ सिंधु घाटी की सभ्यता का नगरीय जीवन और कहाँ वैदिक युग का ग्रामीण जीवन ! भला कोई सभ्यता नगरीय जीवन से ग्रामीण जीवन की ओर चलती है क्या ?
1/7 ImageImage सिंधु घाटी के बड़े-बड़े नगरों के आलीशान भवनों की जगह कैसे पूरे उत्तरी भारत के वैदिक युग में अचानक नरकूलों की झोंपड़ी उग आईं? तुर्रा यह कि ये नरकूलों की झोंपड़ियाँ उसी पश्चिमोत्तर भारत में उगीं, जहाँ बड़े-बड़े सिंधु साम्राज्य के भवन थे। आपको ऐसा इतिहास-बोध उलटा नहीं लगता है?
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May 9, 2023 4 tweets 1 min read
बुद्ध पूर्णिमा मनाने की परंपरा आधुनिक समय की नहीं है, बहुत प्राचीन है।

फाहियान खुतन आए थे तो वहाँ वेसाख पूर्णिमा ( बुद्ध पूर्णिमा ) के दिन बहुत धूमधाम से रथयात्रा होती थी।

ह्वेनसांग ने भी लिखा है कि वेसाख पूर्णिमा के दिन बुद्ध को पूर्ण ज्ञान मिला था।
1/4 Image दक्षिण भारत भी इस पर्व से अछूता नहीं था।

जब फाहियान उत्तरी भारत में घूम रहे थे, तब तेलंगाना क्षेत्र में विस्नुकोंडिना ( विनुकोंडा ) वंश का शासन था।

विस्नुकोंडिना वंश के चौथी सदी के राजा गोविंदवर्म्मन थे, रानी का नाम परम महादेवी था।
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May 9, 2023 6 tweets 2 min read
बुद्धमित्रा

जहाँ अनेक राजाओं के नाम को इतिहास ने विस्तृत कर दिया है, वही बौद्ध भिक्खुनी बुद्धमित्रा का नाम इतिहास ने संजोकर रखा है।

बुद्धमित्रा का जन्म प्रथम सदी में मथुरा में हुआ था। इनके गुरु का नाम भिक्खु बल था। बड़े संपन्न परिवार की थीं और इनके माता - पिता भी बौद्ध थे।
1/6 Image बुद्धमित्रा के कार्य अभिलेखों में अंकित हैं। भिक्खुनी होने के पूर्व का इनका इतिहास नहीं मिलता है। लेकिन भिक्खुनी होने के बाद का इनका अमर इतिहास विभिन्न अभिलेखों में अंकित है।

बुद्धमित्रा ने श्रावस्ती, सारनाथ और कोसम में अनेक बौद्ध स्मारक बनवाए।
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May 6, 2023 6 tweets 2 min read
बुखारा-बुतकारा-विहार

'बुखारी' नाम सर्वपरिचित है,वास्तव मे यह नाम उजबेकिस्तान के प्रसिद्ध 'बुखारा' क्षेत्र से आता है 'इमाम बुखारी' जैसे शब्द हम भारतवासी जानते है शायद, उस वक्त 'बुखारा' शब्द अपने नाम के पिछे लगाना यह प्रतिष्ठा और संस्कृति का सूचक होगा
1/6 ImageImage और यह प्रथा दुनियाभर मे आम प्रतित होती है इस शब्द के उत्पत्ति के बारे मे अनेक गृहित बने हुये है एक उत्पत्ति यह भी कहती है कि 'बुखारा' यह नाम बौद्ध 'विहार' का उजबेकी रुप है वैसे बुखारा क्षेत्र को अनेक नामो से पहचाना जाता है... जो विविध संस्कृतियों के वहाँ होने का परिचायक है
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May 6, 2023 4 tweets 2 min read
पाटलिपुत्त में जो पुत्त है, वह बुद्ध का सूचक है।

सेल्यूकस ने पाटलिपुत्त को Pali - Botta कहा है, Botta भी बुद्ध का सूचक है।

फाहियान ने पाटलिपुत्त को Pa Lin Fou कहा है, Fou भी बुद्ध का सूचक है।

बुद्ध का एक रूप बुत है, दूसरा पुत्त है।
1/4 ImageImage फारसी में बुद्ध का बिगड़ा रूप बुत है, तमिल में बुद्ध का बिगड़ा रूप पुत्तर है।

पुतला, पुतली और कठपुतली में बुत की अर्थ- छवि है।

पुतला, पुतली को भी भाषा वैज्ञानिकों ने गलती कर पुत्र से जोड़ दिया है।

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Apr 22, 2023 6 tweets 2 min read
महिला शासकों का खजाना भौमकारा राजवंश!

भारत के इतिहास में महिला शासकों की खूब खोजबीन हुई है - नागनिका, प्रभावती गुप्त, रानी दिद्दा, रुद्रम्मा देवी और रजिया सुल्तान से लेकर आगे तक.....

लेकिन इस सिलसिले में इतिहासकार भौमकारा राजवंश को भूल जाते हैं,
1/6 ImageImage जिसने अकेले भारतीय इतिहास को कम से कम 7 महिला शासक दिए हैं .....

भौमकारा राजवंश की सात महिला शासक हैं - त्रिभुवन महादेवी प्रथम, त्रिभुवन महादेवी द्वितीय, त्रिभुवन महादेवी तृतीय, गौरी महादेवी, दांडी महादेवी, वकुला महादेवी और धर्म महादेवी.....

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Apr 21, 2023 5 tweets 2 min read
गगन घटा घहरानी!

कबीर ने लिखा है कि आसमान में घटा घिर आई है।

कबीर की यह घटा क्या है? वही गौतम बुद्ध के ज्ञान की घटा है।

गौतम बुद्ध की यह ज्ञान - घटा कहाँ से आई है? कबीर ने बताया है कि पूरब से आई है।

पूरब दिसा से उठी है बदरिया।

पूरब दिशा क्या है? वही पूरब का बोध गया है। 1/5 Image यहीं से घटा पश्चिम चली। ....और फिर रिमझिम बरसत पानी।

आपन - आपन मेंड़ सम्हारो।

टप - टप बोधिज्ञान की बारिश हो रही है और मौका है कि अपनी - अपनी मेंड़ संभाल लो।

करै खेत निर्वानी।

कबीर कहते हैं कि निर्वाण की खेती करो।

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May 30, 2022 6 tweets 2 min read
गोतम बुध से पहले कस्सप बुध हुए, जिनका जन्म उत्तर प्रदेश के टंडवा में हुआ था।

कस्सप बुध से पहले कोणागमन बुध हुए, जिनका जन्म नेपाल के निगलिहवा में हुआ था।

कोणागमन बुध से पहले ककुसंध बुध हुए, जिनका जन्म नेपाल गोटिहवा में हुआ था। सातवीं सदी में ह्वेनसांग ने ककुसंध बुध के गाँव से कोणागमन बुध के गाँव की यात्रा की थी।

ह्वेनसांग ककुसंध बुध के गाँव से पूर्वोत्तर दिशा में 30 ली की दूरी तय कर कोणागमन बुध के गाँव पहुँचे थे।
May 30, 2022 5 tweets 2 min read
सातवीं सदी में ह्वेनसांग ने कुशीनगर की यात्रा की। यात्रा के सिलसिले में वे मकुटबंधन चैत्य पहुँचे। मकुटबंधन चैत्य बुद्ध का अंतिम संस्कार स्थल है।

मकुटबंधन चैत्य पूर्व में मल्लों का मकुटबंधन संथागार हुआ करता था। यहीं मल्ल राजाओं का मकुट बंधन होता था। मल्लों ने यहीं बुद्ध के अंतिम संस्कार किए और यह चैत्य बनवाए।

खुदाई से पहले मकुटबंधन चैत्य के ऊपर भवानी की मठिया स्थापित थी। पूरा क्षेत्र वनाच्छादित और दुर्गम था। स्थानीय लोग चैत्य की ईंटे उखाड़ कर ले जाया करते थे।

ह्वेनसांग नदी के पार 300 कदम चलकर इस स्तूप के पास पहुँचे थे।
May 29, 2022 5 tweets 2 min read
बुद्धमित्रा

जहाँ अनेक राजाओं के नाम को इतिहास ने विस्तृत कर दिया है, वही बौद्ध भिक्खुनी बुद्धमित्रा का नाम इतिहास ने संजोकर रखा है।

बुद्धमित्रा का जन्म प्रथम सदी में मथुरा में हुआ था। इनके गुरु का नाम भिक्खु बल था। बड़े संपन्न परिवार की थीं और इनके माता - पिता भी बौद्ध थे।
1/5 बुद्धमित्रा के कार्य अभिलेखों में अंकित हैं। भिक्खुनी होने के पूर्व का इनका इतिहास नहीं मिलता है। लेकिन भिक्खुनी होने के बाद का इनका अमर इतिहास विभिन्न अभिलेखों में अंकित है।

बुद्धमित्रा ने श्रावस्ती, सारनाथ और कोसम में अनेक बौद्ध स्मारक बनवाए।
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May 29, 2022 5 tweets 2 min read
कुशीनगर की महापरिनिर्वाण प्रतिमा की खोज कार्लाइल ने साल 1877 के आरंभ में की थी। यह ऊपरी सतह से जमीन में 10 फीट नीचे मिली थी। मूर्ति कई खंडों में टूटी - फूटी हुई थी।

कार्लाइल ने इस मूर्ति की मरम्मत कराई और मार्च 1877 में इसका वास्तविक स्वरूप प्रदान किया।
1 तथागत की यह महापरिनिर्वाण प्रतिमा ऊँचे सिंहासन पर है। सिंहासन 24 फीट लंबा,5 फीट 6 इंच चौड़ा 2 फीट ऊँचा है।
सिंहासन के अग्रभाग में तीन शोकसंतप्त मूर्तियाँ हैं। ये मूर्तियाँ छोटे-छोटे ताखे में प्रतिष्ठित हैं। इन मूर्तियों की सही पहचान नहीं हो सकी है।लेकिन बीच की मूर्ति सुभद्र की है
May 15, 2019 13 tweets 3 min read
मोहनभागवत यहाँ की हर जातियों पर किताब लिखवा रहे है लेकिन अपनी खुद की जाति पर लिखने से कतरा रहे है! लिखो भागवत जी कि कैसे आपके बाप दादा बेन इजराइल से भगाए जाने पर शरणार्थी बनकर भारत आये थ?
भाई महावीर प्रसाद खिलैरी ने बडे शोध के साथ मोहनभागवत के खानदान का पुरा पता लगाया है!.१/१३ #आरएसएस की स्थापना चितपावन ब्राह्मणों ने की और इसके ज्यादातर सरसंघचालक अर्थात मुखिया अब तक सिर्फ चितपावन ब्राह्मण होते आए हैं! क्या आप जानते हैं ये चितपावन ब्राह्मण कौन होते हैं ?
लेख को पूरा पढ़े यह तेरह ट्वीट्स को मिलकर संपूर्ण एंव विश्लेषित लेख बना है
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Mar 29, 2018 12 tweets 9 min read
आजादी के बाद SC, ST द्वारा यह पहला भारत बन्द है,इसे सफल बनाना हम सबका कर्तव्य बनता है इसलिये इसकी सफलता के लिए कुछ बिंदुओं पर नजर डालना जरूरी है।

1-सबसे पहले भारत बंद से एक दिन पहले लाउड स्पीकर से बोलकर दुकानदारों को सूचित करें और बन्द का समय बताया जाना जरूरी है...
पूरा पढ़े भारत बन्द में भाग लेने वाले लोगों का ड्रेस कोड होना जरूरी है, वे चाहें तो साधारण पोशाक के साथ नीली टोपी पहन सकते हैं एवं गले में नीला स्कार्प डाल सकते हैं, हाथ में नीला झण्डा ले सकते हैं।.....

पूरा पढ़े बंद भारत सफल बनायें

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