1. आज मैंने सवेरे 9:00 से 10:00 के बीच में उज्जैन में बाबा महाकाल के दर्शन किए एवं उन्हें जल चढ़ाया एवं संपूर्ण विश्व के कल्याण की कामना की। #हर_हर_महादेव#Shivratri
2. दर्शन करके मंदिर से बाहर निकली तब मीडिया जगत से जुड़े कई लोग उपस्थित थे, उन्होंने बहुत सारे प्रश्न किए, किंतु एक महत्वपूर्ण प्रश्न ड्रेस कोड के बारे में था।
3. मैंने उसका उत्तर दिया जो इस प्रकार है-
"मुझे पुजारियों द्वारा निर्धारित ड्रेस कोड पर कोई आपत्ति नहीं है, मैं जब अगली बार मंदिर में दर्शन करने आऊंगी तब वह यदि कहेंगे तो मैं साड़ी भी पहन लूंगी। ...
... मुझे तो साड़ी पहनना बहुत पसंद है तथा मुझे और खुशी होगी यदि पुजारीगण ही मुझे अपनी बहन समझकर मंदिर प्रवेश के पहले साड़ी भेंट कर दें मैं बहुत सम्मानित अनुभव करूंगी।" (4)
5. उज्जैन में महाकाल स्वयं अपनी शक्ति से तथा यहां के पुजारियों की परंपराओं के प्रति निष्ठा के कारण बने हुए हैं।
6. यह बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि महाकाल के पुजारी युद्ध कला में भी पारंगत हैं वह महाकाल के सम्मान की रक्षा के लिए जान न्योछावर करने के लिए तैयार रहते हैं।
7. ऐसे महान परंपराओं के रक्षकों की हर आज्ञा सम्मान योग्य है उस पर कोई विवाद नहीं हो सकता। #Shivratri
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1. मेरे कल के ट्वीट के बाद कुछ समाचार पत्रों एवं चैनलों ने मुझसे इस बारे में बात करने के लिए संपर्क किया।
2. उससे मुझे लगा कि उनमें से कईयों ने मेरे ट्वीट ठीक से पढ़े नहीं हैं, मैं अनुरोध करती हूं कि आप सभी लोग उन ट्वीट को एक बार पढ़ लीजिए।
3. मैं अमरकंटक में अब संन्यास नहीं लेने वाली और ना अब मेरा नाम बदलने वाला है, मैंने जो लिखा है उसको फिर से पढ़िए। मैं सारांश फिर से ट्वीट करती हूं-
4. मैं 17 नवंबर 1992 को अमरकंटक में संन्यास ले चुकी हूं मेरा नाम उसी समय उमा भारती से उमाश्री भारती हो चुका है आपने मेरे घर बी-6, शामलाहिल्स, भोपाल में घुसते ही नेम प्लेट पर उमाश्री भारती ही लिखा हुआ देखा है।
1. मेरी संन्यास दीक्षा के समय पर मेरे गुरु ने मुझसे एवं मैंने अपने गुरु से 3 प्रश्न किए उसके बाद ही मेरी संन्यास की दीक्षा हुई।
2.A) मेरे गुरु के 3 प्रश्न थे- (1) 1977 में आनंदमयी मां के द्वारा प्रयाग के कुंभ में ली गई ब्रह्मचर्य दीक्षा का क्या मैंने अनुशरण किया है? (2) क्या प्रत्येक गुरु पूर्णिमा को मैं उनके पास पहुंच सकूंगी?
(3) मठ की परंपराओं का आगे अनुशरण कर सकूंगी?
2.B) तीनों प्रश्न के उत्तर में मेरी स्वीकारोक्ति के बाद मैंने उनसे जो तीन प्रश्न किए- (1) क्या उन्होंने ईश्वर को देखा है? (2) मठ की परंपराओं के अनुशरण में मुझसे कभी कोई भूल हो गई तो क्या मुझे उनका क्षमादान मिलेगा? (3) क्या मुझे आज से राजनीति एवं त्याग देना चाहिए?
1. मुझे आज अमरकंटक पहुंचना था अपरिहार्य कारणों से अभी भोपाल में हूं।
2. पूर्णिमा के चंद्र ग्रहण (8 दिसम्बर) के बाद अमरकंटक पहुंच जाऊंगी। 17 नवम्बर 1992 को अमरकंटक में ही मैंने सन्यास दीक्षा ली थी।
3.A) मेरे गुरु कर्नाटक के कृष्ण भक्ति संप्रदाय के उड़पी कृष्ण मठ के पेजावर मठ के मठाधीश थे। मेरे गुरु श्री विश्वेश्वर तीर्थ महाराज देश के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं, सभी धर्म गुरुओं के आदर एवं श्रद्धा के केंद्र रहे।
3.B) 96 वर्ष की आयु में उन्होंने 2 वर्ष पूर्व देह त्याग कर कृष्ण लोक गमन किया।
1. मध्यप्रदेश में लाडली लक्ष्मी योजना 2.0 के क्रियान्वयन शुरू होने का स्वागत्। @OfficeofSSC
2. मध्य प्रदेश सरकार के इस कार्यक्रम में भाषण देते हुए प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी का बेहद असंगत एवं हास्यास्पद कथन देखा। @OfficeofSSC
3. हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री जी महिलाओं के सम्मान के लिए बहुत सजग एवं संवेदनशील हैं, जब मैंने आज फोन पर बात करके उनको यह बात बताई तो वह इस कथन से असहमत एवं आश्चर्यचकित थे। @ChouhanShivraj@OfficeofSSC
4. मुख्यमंत्री जी की बात से लगा कि समारोह में बहुत शोर के कारण वह इस बात को सुन नहीं पाए। मुझे लगता है कि वह इस कथन को ठीक करने का रास्ता स्वयं निकाल लेंगे। @OfficeofSSC
1.NDA के द्वारा भारत के राष्ट्रपति पद के लिए चुनी गई उम्मीदवार श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी के बारे में मीडिया को एवं हमारे भाजपा के लोगों को भी यह ध्यान रखना होगा कि-भारत का राष्ट्रपति देश का संवैधानिक मुखिया होता है वह किसी जातीय दायरे में नहीं होता..
1.a)इसलिए इसका राजनीतिक लाभ लेने की लालसा से वक्तव्य नहीं देना चाहिए।
2.श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को NDA के राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना उन पर कोई एहसान नहीं है, वह हर तरह से योग्य महिला हैं। शैक्षिक योग्यता, समाज सेवा का समदर्शी भाव एवं संयमित संस्कारित जीवन, मन, वचन एवं कर्म की संगति का जो सधा हुआ मेल है..
1. महाराष्ट्र की अघाड़ी की सरकार चल नहीं सकती थी पहले दिन से ही यह बात निश्चित थी कि यह सरकार नहीं टिकेगी क्योंकि कोई वैचारिक आधार नहीं था यह पूरी तरह से नकारात्मकता के अधिष्ठान पर गठित हुई थी।
2. आज तक मेरी और नवनीत राणा की मुलाकात नहीं हो पाई है किंतु मेरा नवनीत के बारे में आकलन है कि वह एक मजबूत शक्तिशाली आदर्श भारतीय महिला हैं उन्होंने हनुमान चालीसा के कारण हुई गिरफ्तारी के बाद बहुत सारी यातनाएं झेली हैं।
3. देवियों से कभी युद्ध नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें पराजय ही मिलती है। दैवीय शक्ति के सामने कोई नहीं टिक सकता।