हे राम, तुम्हारे उत्सव में हम पुनः पुनः हर्ष मनाएंगे।
सहस्रों वर्ष चाहे बीत गए हम अब भी आनंद मनाते हैं,
प्रतिवर्ष पढ़ते रामायण, रामलीलायें देखने जाते हैं!
१/१२
#दशहरा #जयश्रीराम
किंतु चुपचाप अपने मन में रावण को देते हैं अधिकार।
हे राम, वे दस सिर रावण के, जो काट गिराए थे तुमने,
इस कलियुग के प्रभाव में वे पुनः लगे है हममें उगने।
२/१२
#विजयदशमी #दशहरा #जयश्रीराम
भ्रष्टाचार का रूप पहन कर, खोखला कर रहा समाज।
चौथा सिर है आलस का, जिसके पीछे छुप हैं सोए हम,
बचते फिरते मेहनत से सब, नहीं करते है कर्तव्य-कर्म।
#विजयादशमी #दशहरा #जयश्रीराम
न अपने में रखता संतोष, न पालन मर्यादा का करता।
छठा सिर अनादर गुरुओं का, माता-पिता का अपमान,
अपने को श्रेष्ठ समझ जो भूला, विनय का शुभ स्थान।
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निशदिन उसका करते पालन, प्रतिक्षण करते प्रणाम।
आठवां सिर है निर्दयता का, जिसने त्याग दी है करुणा,
मनुष्यों का या अन्य जीवों का, दुख हमें देता आंसू ना।
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न बढ़ाता हाथ सहायता का, खड़ा देखे होकर निर्विकार।
दशम सिर है अभिमान का, जिसके मद में हरदम फूले,
हम फिरते हैं करते मनमानी, धर्म के नियमों को भूले।
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फिर भी आज हम रावण की, हार का मनाते हर्ष परम।
एक कागज़ का पुतला जला, स्वयं को राम समझते हैं,
दर्पण में देख कर भी रावण को, अनदेखा हम करते हैं।
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उत्सव की इस वेला में, पुनः धर्म का दीप जला जाओ।
हे प्रभु, हमें निज शरण लगा, निज सद्गुण हममें भी भर दो,
राम-मय करके चित्त हमारा, सार्थक यह जीवन कर दो।
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अधर्म का नाश हो। 🚩
धर्म की विजय हो। 🚩
#जयश्रीराम 🙏🏼