.#Auraiya की हृदय विदारक घटना ने एक बार फिर यह प्रश्न उपस्थित कर दिया है कि आख़िर सरकार क्या सोचकर इन मजदूरों के घर जाने की समुचित व्यवस्था नहीं कर रही है? प्रदेश के अंदर मजदूरों को ले जाने के लिए बसें क्यों नहीं चलाई जा रही हैं?
या तो सरकार को कुछ दिख नहीं रहा या ..1/2
.. वो सब कुछ देख के अनजान बनी हुई है।
क्या सरकार का काम सिर्फ बयानबाजी करना रह गया है? 2/2
सभी मृतकों के पार्थिव शरीरों को सम्मानपूर्वक उनके परिवारवालों तक पहुँचाया जाए। सभी घायलों का समुचित इलाज हो।
..@narendramodi जी आपके चमचों ने एक शहीद प्रधानमंत्री के बेटे को देशद्रोही, मीर जाफ़र कहा। आपके एक मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि राहुल गांधी का पिता कौन है?
कश्मीरी पंडितों के रिवाज निभाते हुए एक बेटा पिता की मृत्यु के बाद पगड़ी पहनता है, अपने परिवार की परंपरा क़ायम रखता है…1/4
भरी संसद में आपने पूरे परिवार और कश्मीरी पंडित समाज का अपमान करते हुए पूछा कि वह नेहरू नाम क्यों नहीं रखते…. लेकिन आपको किसी जज ने दो साल की सज़ा नहीं दी। आपको संसद से डिस्क्वालिफाई नहीं किया….
राहुल जी ने एक सच्चे देशभक्त की तरह अडानी की लूट पर सवाल उठाया...2/4
नीरव मोदी और मेहूल चौकसी पे सवाल उठाया…। क्या आपका मित्र गौतम अडानी देश की संसद और भारत की महान जनता से बड़ा हो गया है कि उसकी लूट पर सवाल उठा तो आप बौखला गए?
आप मेरे परिवार को परिवारवादी कहते हैं, जान लीजिए, इस परिवार ने भारत के लोकतंत्र को अपने खून से सींचा...3/4
सरकार के आंकड़ों के अनुसार लगभग 25 लाख लोग यूपी वापस आ चुके हैं।
मुख्यमंत्रीजी के बयान के आधार पर इनमें से महाराष्ट्र से लौटे हुए 75%, दिल्ली से लौटे हुए 50% और अन्य प्रदेशों से लौटे 25% लोग कोरोना से संक्रमित हैं।..1/4
.. क्या मुख्यमंत्री जी का मतलब है कि उप्र में 10 लाख से अधिक लोग कोरोना से संक्रमित हैं? मगर उनकी सरकार के आँकड़े तो संक्रमण की संख्या 6228 बता रहे हैं।
उनके द्वारा बताए गए संक्रमण के आँकड़े का आधार क्या है? लौटे हुए प्रवासियों में संक्रमण का ये प्रतिशत आया कहाँ से? 2/4
..और यदि ऐसा है तो इतने कम टेस्ट क्यों हो रहे हैं?
या ये आँकड़े उप्र सरकार के अन्य आँकड़ों की तरह ही अप्रमाणित और गैर ज़िम्मेदार हैं ?
अगर मुख्यमंत्री जी के बयान में सच्चाई है तो सरकार पूरी पारदर्शिता के साथ टेस्टिंग, संक्रमण के डेटा और अन्य तैयारियों को जनता से साझा करे 3/4
देश की सड़कों पर त्राहीमाम की स्थिति है। महानगरों से मजदूर भूखे प्यासे, पैदल अपने छोटे छोटे बच्चों और परिवार को लेकर चले जा रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे व्यवस्था ने इनको त्याग दिया हो। मई की धूप में सड़कों पर चल रहे लाखों मजदूरों का ताँता लगा हुआ है। रोज ऐक्सिडेंट हो रहे हैं।..1/4
..रोज ये गरीब हिंदुस्तानी मारे जा रहे जा रहे हैं। इनके लिए सरकार बसें क्यों नहीं चलवा रही? यूपी रोडवेज की बीस हज़ार बसे खड़ी हैं। कृपया इन्हें सड़कों पर उतार दीजिए। इन्हीं के श्रम से हमारे ये महानगर बने हैं, इन्हीं के श्रम से देश आगे बढ़ा है। 2/4
..भगवान के लिए इन्हें सड़कों पर ऐसे बेसहारा न छोड़िये।
उप्र की सभी जिला शहर इकाईयों से मेरा आग्रह है कि इन जरूरतमंद लोगों की मदद कार्य और तेज कर दीजिए। पूरी ताकत लगा दीजिए। ये सेवा का वक्त है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का एक एक कार्यकर्ता इन हिंदुस्तानी भाइयों के साथ खड़ा है।3/4
Today, millions of migrant workers across our nation are trying to find their way home to their families, battling hunger, thirst and disease. Many have run out of money on their phone recharges. This means they are unable to call their families or reach out for help #FreeCalling
Ideally this should happen for the next one month, so that the men, women and children who are making what is possibly the most difficult journey of their lives can be given some assistance to be able to speak to their families. #FreeCalling
आज उप्र की राज्यपाल महोदया को एक ज्ञापन सौंपकर नागरिकता कानून व एनआरसी के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में शांतिपूर्ण ढंग से शामिल लोगों के खिलाफ पुलिस दमन की न्यायिक जांच की मांग की।
साथ ही साथ प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पीड़ित लोगों की मदद व संविधान विरोधी कानून के खिलाफ जागरूकता के लिए अधिवक्ताओं से चर्चा की।
अन्याय के खिलाफ कांग्रेस मजबूती से खड़ी होगी, ये हमारा संकल्प है।
उत्तर प्रदेश में एक दिन भी ऐसा नहीं बीतता जिस दिन भाजपा सरकार महिलाओं को ये भरोसा दिलाने में कामयाब हो कि आप सुरक्षित हैं और अगर आपके साथ कोई घटना घटती है तो आपको न्याय मिलेगा।
उत्तर प्रदेश में ये उन्नाव मामले जैसा ही दुहराव लग रहा है। अगर कोई महिला BJP नेता के खिलाफ शिकायत करती है, तो उसको न्याय मिलना तो दूर की बात, उसकी खुद की सुरक्षा की भी गारंटी नहीं रहती।