६०लाख रुपयोंमेसे किस किसके खिसेमे रामलल्ला भी नही जानेंगे.
अगर भगवतगीताका श्लोक
नयेनं छिंदन्ति शस्त्राणि।नयेनं दाहति
पावकः।नचयेनं क्लेदयंन्ति आपः।
नशोशयति
इसका सहीअर्थ ये भगवीवस्त्र पेहेनके दाढीबालबढाके खुदको
अद्धयात्मिक,आस्तिक पर दुसरो जीवोंके बारेमे अनास्था जतानेवाले
लोग.उन्होनेही अंजानेमे जो नर्क बनाया है उसके permanent
Members हो जायेंगे.अग्यानको
माफी नही होती.
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