My Authors
Read all threads
राजीव गांधी द्वारा बोये गए ज़हर की फ़सल काट रहा है भारत.
ज्यादा नहीं केवल 4 दशक पहले तक के भारत नेपाल सम्बन्धों के इतिहास को खंगालिए तो दोनों देशों के सम्बन्धों की अपार प्रगाढ़ता के अनेक साक्ष्य प्रमाण आपको मिल जाएंगे.
इन सम्बंधों में दरार शुरू हुई 1985 से जो 1990 तक बहुत गम्भीर हो गयी. इसमें नेपाल का कोई दोष नहीं था. इस दरार को डालने और उसे बहुत बढ़ा देने का पूरा श्रेय भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को जाता है.
स्पष्ट कर दूं कि यह मेरा आंकलन या विश्लेषण नहीं है.
उपरोक्त तथ्य की पुष्टि के लिए देश की सर्वोच्च खुफिया एजेंसी रॉ के स्पेशल डायरेक्टर रहे अमर भूषण जी की पुस्तक......रॉ के पूर्व स्पेशल डायरेक्टर अमर भूषण ने अपनी पुस्तक 'इनसाइड नेपाल' में किया खुलासा।
बताया कूटनीतिक कामयाबी नहीं मिलने पर रॉ को दिया था राजा के पर कतरने का जिम्मा।
#INSIDE_NEPAL पढ़िए.
दिसंबर 1988 में राजीव गांधी ने नेपाल का दौरा किया था. सोनिया गांधी साथ में थी. राजीव गांधी जब पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन करने गए तो मंदिर के पुजारियों ने सोनिया गांधी को मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया था.
ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि पशुपतिनाथ मंदिर में गैर हिन्दू को प्रवेश नहीं देने की परम्परा सैकड़ों वर्ष प्राचीन है. पूरी दुनिया से लाखों विदेशी पर्यटक नेपाल पहुंचते हैं पर पशुपतिनाथ मंदिर में उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाता. लेकिन राजीव गांधी इस बात पर आगबबूला हो गए थे.
पहले से ही नेपाल की राजशाही का तख्ता पलट कराने की तैयारी कर रहे राजीव गांधी ने नेपाल से लौटकर नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना की मांग कर के 1989 में नेपाल के विरुद्ध आर्थिक प्रतिबंध लगाकर सीमा को लॉक डाऊन कर के खाद्यान्न और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को ठप्प कर दिया था.
यह नेपाल की अंदरुनी मामलों में सीधा और अनावश्यक हस्तक्षेप था. परिणामस्वरुप भारत विरोधी भावनाओं की तेज आग से नेपाल सुलग उठा था. और मुख्यतः भारत समर्थक छवि वाली नेपाल की तत्कालीन राजशाही ने भी चीन की शरण ली थी.
अपनी पुस्तक में अमर भूषण जी ने लिखा है
अपनी पुस्तक में अमर भूषण जी ने लिखा है कि इंदिरा गांधी की मृत्यु तक देश में रही सरकारों की नीति के ठीक विपरीत जाकर राजीव गांधी नेपाल की राजशाही को बिल्कुल पसंद नहीं करते थे, उससे घृणा करते थे. वो नेपाल से राजशाही को हटाना चाहते थे.
इसके लिए उन्होंने रॉ को दायित्व सौंपा था कि नेपाल में राजशाही के विरोधी, विभिन्न विचारधाराओं वाले राजनीतिक दलों गुटों समूहों के मतभेद खत्म करा के नेपाल की राजशाही के विरुद्ध उन्हें एक मंच पर लाया जाए.
राजीव गांधी ने इसके अलावा रॉ को निर्देश दिए थे कि वह नेपाल में अपने ऐसे ASSETS तैयार करे जो राजशाही को उखाड़ फेंकने में सहायक भूमिका निभा सकें. राजीव गांधी के इस निर्देश के बाद रॉ ने अपने सर्वश्रेष्ट जासूस, एक वरिष्ठतम अधिकारी को छ्द्म नाम जीवनाथन देकर नेपाल में उतार दिया था.
जीवनाथन ने नेपाल में सक्रिय तत्कालीन वामपंथी माओवादी उग्रवादियों के सर्वोच्च नेता पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड और वामपंथी राजनीतिक दलों से सम्पर्क साध कर उन्हें इस बात के लिए तैयार करना प्रारम्भ किया था कि वो नेपाल के अन्य राजनीतिक दलों के साथ मिलकर ....
राजशाही को नेपाल से उखाड़ फेंकने का संयुक्त अभियान चलाए. रॉ ने उनकी ताकत बढ़ाने में भरपूर मदद की थी. नतीजा यह निकला था कि 1991 में नेपाल की वामपंथी पार्टी वहां की संसद में शक्तिशाली विपक्षी दल बनकर उभर गई थी और 1994 में सबसे बड़ी पार्टी बनकर वहां की सत्ता पर काबिज हो गयी थी.
साथ ही साथ रणनीतिक तौर पर माओवादी संगठन भी लगातार सक्रिय रहा. परिणामस्वरूप नेपाल की राजनीति में वामपंथी लगातार शक्तिशाली होते गए. माओवादियों के 2 सबसे बड़े नेता पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड 2008 में और बाबूराम भट्टराई 2011 में नेपाल के प्रधानमंत्री बने.
आज नेपाल की राजनीतिक स्थिति यह हो चुकी है कि 275 सदस्यीय नेपाल की संसद में 174 सीटों के पूर्ण बहुमत के साथ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी सत्तारूढ़ है. और नेशनल असेम्बली की 59 में से 50 सीटों पर उसका क़ब्ज़ा है.
..
अतः आज नेपाल की सरकार अगर चीन के इशारों पर नाच रही है तो इसमें दोष नेपाल का नहीं है. आज नेपाल की राजनीति और राजनेताओं पर चीन पूरी तरह से अपनी पकड़ बना चुका है.
अत्यन्त संक्षेप में उल्लिखित उपरोक्त घटनाक्रम बता रहा है कि राजीव गांधी ने नेपाल में चीन द्वारा रोपे गए भारत विरोधी कम्युनिस्ट पौधे को किस तरह जमकर खाद पानी उपलब्ध कराया था. उसकी जड़े मजबूत की थीं. आज वही पौधा बटवृक्ष बन चुका है.
दुनिया यह जानती थी कि नेपाल में सक्रिय वामपंथी माओवादी उग्रवादी तथा उनका राजनीतिक चेहरा नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी पूरी तरह से चीन द्वारा प्रायोजित और पोषित है. अतः इस सर्वज्ञात तथ्य के बावजूद राजीव गांधी ने नेपाल में वामपंथी पार्टी को मजबूत करने के लिए पूरी ताकत क्यों झोंक दी थी.?
नेपाल की राजशाही के प्रति राजीव गांधी की इतनी घृणा और नफरत का कारण क्या था.? इस प्रश्न का उत्तर अमर भूषण भी नहीं जानते थे. सम्भवतः इसीलिए अपनी पुस्तक में उन्होंने कुछ भी स्पष्ट नहीं लिखा है.
लेकिन पशुपति नाथ मंदिर में सोनिया को प्रवेश से रोके जाने के प्रसंग से आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है कि इसका कारण क्या था.
राजीव गांधी सोनिया गांधी की नेपाल से निजी खुन्नस और खार के दुष्परिणाम आज भोग रहा है भारत.....!!!
Missing some Tweet in this thread? You can try to force a refresh.

Enjoying this thread?

Keep Current with Anil Kumar Mishra

Profile picture

Stay in touch and get notified when new unrolls are available from this author!

Read all threads

This Thread may be Removed Anytime!

Twitter may remove this content at anytime, convert it as a PDF, save and print for later use!

Try unrolling a thread yourself!

how to unroll video

1) Follow Thread Reader App on Twitter so you can easily mention us!

2) Go to a Twitter thread (series of Tweets by the same owner) and mention us with a keyword "unroll" @threadreaderapp unroll

You can practice here first or read more on our help page!

Follow Us on Twitter!

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3.00/month or $30.00/year) and get exclusive features!

Become Premium

Too expensive? Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal Become our Patreon

Thank you for your support!