■ घोटाले का प्रारम्भ 2005 में तब हुई जब वित्त मंत्रालय में अरविन्द मायाराम वित्त सचिव के पद पर थे और अशोक चावला एडिशनल सचिव के पद पर थे।👇
किन्तु चिदंबरम ने भला कब नियम-कायदों की परवाह की 😏 जो अब करते?👇
■ दरअसल वित्त वर्ष 2009-10 के दौरान नकली मुद्रा रैकेट का पता लगाने के लिए सी.बी.आई ने भारत नेपाल सीमा पर विभिन्न बैंकों के करीब 70 शाखाओं पर छापेमारी की तो बैंकों से ही नकली करेंसी पकड़ी गयी।
● यह एक बेहद गंभीर खुलासा था क्योंकि इसके अनुसार आर.बी.आई भी नकली नोटों के खेल में संलिप्त लग रहा था?
●अब प्रश्न उठा कि ये जाली नोट आखिर भारतीय रिजर्व बैंक के तहखानों में कैसे पहुँच गये? आखिर ये सब देश में चल क्या रहा था?
♦️मगर अरविन्द मायाराम ने इस ब्लैकलिस्टेड कंपनी से सिक्योरिटी पेपर लेना जारी रखा। इसे लेने के लिये उसने गृह मंत्रालय से अनुमति ली।
♦️क्या कांग्रेसी चाटुकारों ने जो वित्त मंत्रालय तक में बैठे हैं उन्होंने फ़ाइल पास होने में देर करवाई? यह बात साफ़ है।
♦️ पीएम मोदी ने जाँच करवाई और मायाराम के खिलाफ मुख्य सतर्कता आयुक्त और सीबीआई द्वारा आरोप तय किये गये।
♦️इसके बाद नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के चेयरमैन व पब्लिक इंटरेस्ट डायरेक्टर पद से अशोक चावला को इस्तीफा देना पड़ा।
♦️सभी में लूट का माल मिलकर बँटता था और यदि चिदंबरम जेल गये तो सीबीआई व ईडी की कम्बल कुटाई उनसे एक दिन भी नहीं झेली जायेगी और वो सब उगल देंगे।
♦️मगर यह भी तय है कि , मोदी जी इस बार चिदंबरम को जेल में डालना तय है और फिर कई अन्य गड़े मुर्दे भी बाहर आयेंगे।