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🛑काँग्रेसी चिदम्बरम ने सिर्फ चोरी ही नही देश के साथ धोखा भी किया है 😠😠
पहला अध्याय:-
■ 15 जून 2004 लश्कर की आतंकी इसरत जहाँ अपने तीन साथियों के साथ मोदी को उड़ाने के लिए गुजरात पहुचती है इशरत सारी रिपोर्ट कश्मीरी लश्कर आतंकी मुजम्मिल भट्ट को देती है,👇
👉देश की खुफिया एजेंसी गुजरात पुलिस को जानकारी देती है कि इसरत जहाँ नामक लश्कर तैयबा की आत्मघाती आतंकी अपने तीन साथियों संग गुजरात पहुच चुकी है उसका टारगेट तात्कालिक मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी है,👇
👉खुफिया एजेंसियों के इनपुट पर गुजरात पुलिस सर्चिंग करती है और इन तीनो आत्मघाती हमलावरो को ढेर कर देती है,इनके इनकाउंटर की खबर सुनते ही लश्करे तैयबा खुद अपनी साइट पर लिखता है कि हमारे तीन बन्दे शहीद हुए लश्कर खुद कबूल कर चुका था कि ये तीनो उसके आतंकी है पर,,,,,👇
👉यही से कोंग्रेस का पाप सुरु होता है तत्कालीन सत्ता धारी कोंग्रेस ओर उसका गृहमंत्री चिदम्बरम इन तीनो को आतंकी नही मानते ओर मासुम मुस्लिमो का इनकाउंटर किया है गुजरात पुलिस ने ये कहकर जांच की दिशा पलट दी खुफिया रिपोर्ट को भी नकार दिया
और👇
👉गुजरात पुलिस सहित शाह मोदी और भी अनेक लोगो पर जांच बिठा दी आतंकी इसरत के घर आर्थिक सहायता का चेक खुद कोंग्रेस ने पहुचाया,लम्बी जांच चली 10 वर्ष तक कोंग्रेस ने आतंकियों को निर्दोष ओर गुजरात पुलिस सहित अन्य बेगुनाहों को जेल में रखा प्रताड़ित किया👇
👉सिर्फ इसीलिए की किसी तरह मोदी शाह को जेल हो जाए आतंकियों के इनकाउंटर करने के जुर्म में खैर लम्बे सँघर्ष के बाद सभी निर्दोष साबित हुए पर कोंग्रेस ओर चिदम्बरम वो घाव दे गए देश को जहाँ आतंकी को बचाने के लिए देश की सुरक्षा एजेंसियों तक को आपस मे लड़ा दिया और उन्हें झुठला दिया,,👇
👉दोस्तो कोंग्रेस ने सिर्फ आर्थिक चोरी ही नही की है इस देश की सुरक्षा में सेंध भी लगाई है मुस्लिम वोटो के लिए कोंग्रेस ने देश की पीठ में कई बार छुरा घोपा है।👇
👉■ भारत में काँग्रेस द्वारा किया गया विश्व का सबसे बड़ा घोटाला खुलना अभी बाकी है......बहुत बड़े-बड़े काँग्रेसी और ब्यूरोक्रैट्स पकड़े जायेंगे।👇
👉 इसलिये चिदम्बरम को बार -बार जमानत दी जा रही थी।दुनिया का सबसे बड़ा घोटाला खुलेगा जो शायद दुनिया में कहीं नहीं हुआ होगा और इस महाघोटाले का मुख्य अभियुक्त है चिदंबरम।👇
👉सोचों......🤔क्यों किया गया अचानक नोटबन्दी का फैसला और क्यों टूट गयी पाकिस्तान की अर्थव्यस्था?
◆ अभी सबूत भी बाहर आयेंगे, जाँच हो रही है।👇
■ पी.एम मोदीजी  ने नोटबंदी करके इस घोटाले को रोक तो दिया, मगर उसके बाद यह बात निकल कर सामने आयी कि देश में बिल्कुल असली जैसे दिखने वाले एक ही नंबर के कई नोट चल रहे थे।👇
👉एक ही  नम्बर के  तीन तीन नोट तो RBI.  Counter में  वापस आये ये ऐसे नोट थे, जिन्हे पहचानना लगभग नामुमकिन था क्योकि ये उसी कागज़ पर ही छपे थे जिसपर भारत सरकार नोट छपवाती है।👇
■ "डे ला रू" जो कि एक ब्रिटिश कंपनी है, इसके साथ मिलकर तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम एक बड़ा खेल खेल रहे थे,  जिसमें उनके एडिशनल सचिव अशोक चावला और वित्त सचिव अरविंद मायाराम भी शामिल थे।👇
👉 कैसा खेला गया घोटाले का खेल?
■ घोटाले का प्रारम्भ 2005 में तब हुई जब वित्त मंत्रालय में अरविन्द मायाराम वित्त सचिव के पद पर थे और अशोक चावला एडिशनल सचिव के पद पर थे।👇
■ कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद 2006 में सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड एक कंपनी बनाई गयी, जिसके MDअरविंद मायाराम थे और चेयरमैन अशोक चावला थे।यानी दो सरकारी अधिकारी अपने अपने पदों पर रहते हुए अतिरिक्त प्रभार में इस कंपनी को चला रहे थे।👇
★ इस प्रकार नियुक्तियों के लिए अपॉइंटमेंट्स कमिटी ऑफ़ कैबिनेट (ACC) के सामने विषय को रखकर उसके अनुमोदन की आवश्यकता होती है।
किन्तु चिदंबरम ने भला कब  नियम-कायदों की परवाह की 😏 जो अब करते?👇
●अर्थात् ACC के सामने इन नियुक्तियों का विषय लाया ही नहीं गया और ऐसे ही इनकी नियुक्ति कर दी गयी जो इस दृष्टि से पूरी तरह अवैध थी।👇
■ इसके बाद असली खेल शुरू हुआ। इस घोटाले में चिदंबरम के दायें व बायें हाथ बताये जाने वाले अशोक चावला व अरविंद मायाराम ने भारतीय रिज़र्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड (BRBNMPL), जो कि नोटों की छपाई का काम देखती है,
उससे कहा कि उनकी कंपनी के साथ मिलकर सिक्योरिटी पेपर प्रिंटिंग के सप्लायर को ढूँढो जिसके बाद पहले से ब्लैकलिस्टेड की जा चुकी (डे ला रू) कंपनी से नोटों की छपाई में इस्तेमाल होने वाले सिक्योरिटी पेपर को लेना जारी रखा गया।
★ क्या इसके लिये चिदंबरम् को घूस दी गयी थी? ?  इस ब्रिटिश कंपनी द्वारा या पाकिस्तान के  आई.एस.आई. द्वारा चिदंबरम को पैसा दिया जा रहा था!??🤔🤔
👉 यह गंभीर जाँच का विषय है।
■ दरअसल वित्त वर्ष 2009-10 के दौरान नकली मुद्रा रैकेट का पता लगाने के लिए सी.बी.आई ने भारत नेपाल सीमा पर विभिन्न बैंकों के करीब 70 शाखाओं पर छापेमारी की तो बैंकों से ही नकली करेंसी पकड़ी गयी।
● जब पूछताछ की गयी तो उन बैंक शाखाओं के अधिकारियों ने सी.बी.आई से कहा कि जो नोट सी.बी.आई ने छापें में बरामद किये हैं वे तो स्वयं रिजर्व बैंक से ही उन्हें मिले हैं।
● यह एक बेहद गंभीर खुलासा था क्योंकि इसके अनुसार आर.बी.आई भी नकली नोटों के खेल में संलिप्त लग रहा था?
■ हालाँकि इतनी अहम खबर को इस देश की मीडिया ने दिखाना आवश्यक नहीं समझा क्योंकि उस समय कांग्रेस सत्ता में थी।😠
👉 इस खुलासे के बाद CBI ने भारतीय रिजर्व बैंक के तहखानो में भी छापेमारी की और आश्चर्यजनक तरीके से भारी मात्रा में 500 और 1,000 रुपये के जाली नोट पकड़े गये।
● आश्चर्य की बात यह थी कि लगभग वैसे ही समान जाली मुद्रा पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आई. एस. आई.  द्वारा भारत में तस्करी से पहुँचाया जाता था।
●अब प्रश्न उठा कि ये जाली नोट आखिर भारतीय रिजर्व बैंक के तहखानों में कैसे पहुँच गये? आखिर ये सब देश में चल क्या रहा था?
🛑काँग्रेसी चिदम्बरम ने सिर्फ चोरी ही नही देश के साथ धोखा भी किया है 😠😠
🔊दूसरा अध्याय:-
♦️जाँच के लिये शैलभद्र कमिटी का गठन हुआ और 2010 में कमिटी उस वक़्त चौंक गयी जब उसे ज्ञात हुआ कि भारत सरकार द्वारा ही समूचे राष्ट्र की आर्थिक संप्रभुता को दाँव पर रख कर 👇
👉 कैसे अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी को 1 लाख करोड़ की छपाई का ठेका दिया गया था।👇
♦️जाँच हुई तो ज्ञात हुआ कि डेलारू कंपनी में ही घोटाला चल रहा था।एक षड्यंत्र के तहत भारतीय करेंसी छापने में उपयोग होने वाले सिक्योरिटी पेपर की सिक्योरिटी को घटाया जा रहा था ताकि पाकिस्तान सरलता से नकली भारतीय करेंसी छाप सके और इसका उपयोग भारत में आतंकवाद फैलाने में किया जा सके!!
♦️इस समाचार के सामने आते ही भारत सरकार द्वारा डे ला रू कंपनी पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया।
♦️मगर अरविन्द मायाराम ने इस ब्लैकलिस्टेड कंपनी से सिक्योरिटी पेपर लेना जारी रखा। इसे लेने के लिये उसने गृह मंत्रालय से अनुमति ली।
♦️कहा गया कि यह फाइल चिदंबरम को दिखाई ही नहीं गयी, जबकि यह बात मानने लायक ही नहीं क्योकि वित्त मंत्रालय से यदि गृहमंत्रालय को कोई भी पत्र भेजा जाता है तो पहले अनुमोदन के लिये वित्तमंत्री के सामने पेश किया जाता है।
♦️डे ला रू कंपनी से भारत को दिये जाने वाले सिक्योरिटी पेपर के सिक्योरिटी फीचर को कम किया जा रहा था। यह कंपनी पाकिस्तान के लिये भी सिक्योरिटी पेपर छापने का काम करती है।👇
👉फिर यह आरोप लगा कि इस कंपनी द्वारा भारत का सिक्योरिटी पेपर पाकिस्तान को गुपचुप तरीके से दिया जा रहा था ताकि भारत के नकली नोट छापने में पाक को सरलता हो।👇
♦️यहाँ पाक आईएसआई का नाम सामने आया कि आईएसआई की ओर से कंपनी के कर्मचारियों को घूस दी जाती थी। मगर इस खेल में अरविंद मायाराम क्यों शामिल थे? क्यों वे ब्लैकलिस्टेड कंपनी से पेपर लेते रहे??
♦️जब 2014 में मोदी सरकार सत्ता में आयी, तब गृहमंत्री राजनाथ सिंह को ये बात पता चली कि इतना बड़ा गोलमाल चल रहा था। इसके बाद उन्होंने सिक्योरिटी पेपर डे ला रू कंपनी से लेना बंद करवाया।
♦️यह भी सामने आया कि इस कंपनी से सिक्योरिटी पेपर काफी महँगे दाम पर खरीदा जा रहा था, यानी यह कंपनी देश को लूट रही थी और देश का वित्तमंत्रालय इस काम में विदेशी कंपनी की मदद कर रहा था!!
♦️मायाराम के इस काले कारनामे की खबर पीएमओ को हुई तो पीएमओ ने गंभीरतापूर्वक इस मामले को उठाया और मुख्य सतर्कता आयुक्त द्वारा इसकी जांच करवाई।
♦️मुख्य सतर्कता आयुक्त द्वारा वित्तमंत्रालय से इससे जुडी फाइल माँगी गयी। इस वक़्त वित्तमंत्री अरुण जेटली बन चुके थे। मगर इसके बावजूद वित्त मंत्रालय द्वारा फाइल देने में देर की गयी।
♦️इसके बाद यह मामला पीएमओ से होता हुआ सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संज्ञान में आया और फिर मोदी जी ने खुद एक्शन लिया।👇
👉 तब जाकर मुख्य सतर्कता आयुक्त के पास फाइल पहुँची।
♦️क्या कांग्रेसी चाटुकारों ने जो वित्त मंत्रालय तक में बैठे हैं उन्होंने फ़ाइल पास होने में देर करवाई? यह बात साफ़ है।
♦️नोटबंदी न करते मोदी तो नकली करेंसी का ये खेल चलता ही रहता। डे ला रू से सिक्योरिटी पेपर लेना बंद किया गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने और पीएम मोदी ने की नोटबंदी,👇
👉जिसके कारण पाकिस्तान द्वारा नकली करेंसी की छपाई बेहद कम हुई और यही कारण है कि कांग्रेस के दस वर्षों में आतंकवादी घटनाएँ जो आम हो गयी थीं, वे मोदी सरकार के काल में नहीं के बराबर हुईं।
♦️कश्मीर के अलावा देश के किसी भी राज्य में बम ब्लास्ट नहीं हो पाये। आतंकियों तक पैसा पहुँचना जो बंद हो गया था।
♦️ पीएम मोदी ने जाँच करवाई और मायाराम के खिलाफ मुख्य सतर्कता आयुक्त और सीबीआई द्वारा आरोप तय किये गये।
♦️जिस मायाराम के खिलाफ चार्ज फ्रेम किये गये हैं, उसी को राजस्थान में कांग्रेस सरकार बनते ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने आर्थिक सलाहकार के पद पर नियुक्त कर लिया। यानी एक घपलेबाज को अपना आर्थिक सलाहकार बना लिया।
♦️वहीँ अशोक चावला का नाम चिदंबरम के एयरसेल-मैक्सिस घोटाले में भी सामने आया।
♦️इसके बाद नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्‍टर्स के चेयरमैन व पब्लिक इंटरेस्‍ट डायरेक्‍टर पद से अशोक चावला को इस्तीफा देना पड़ा।
♦️जुलाई 2018 में सीबीआई ने चिदंबरम को एयरसेल-मैक्सिस मामले में आरोपी बनाया था। सीबीआई ने चिदंबरम, उनके बेटे कार्ति और 16 अन्‍य के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी,👇
👉जिसमें आर्थिक मामलों के पूर्व केंद्रीय सचिव अशोक कुमार झा, तत्‍कालीन अतिरिक्‍त सचिव अशोक चावला, संयुक्‍त सचिव कुमार संजय कृष्‍णा और डायरेक्‍टर दीपक कुमार सिंह, अंडर सेक्रेटरी राम शरण शामिल हैं।
👉 इस पूरे मामले से यह बात तो साफ़ हो जाती है कि PC ने देश में केवल एक या दो नहीं बल्कि जहाँ-जहाँ से हो सका,वहां-वहाँ से देश को लूटा।
♦️PC व उसके बेटे KC ने मिलकर खूब लूटा और इस खेल में न केवल नौकरशाह शामिल रहे बल्कि न्यायपालिका में भी कई PC भक्त बैठे हैं,
👉जो आज भी उसे जेल जाने से बचाते आ रहे हैं।
♦️सभी में लूट का माल मिलकर बँटता था और यदि चिदंबरम जेल गये तो सीबीआई व ईडी की कम्बल कुटाई उनसे एक दिन भी नहीं झेली जायेगी और वो सब उगल देंगे।
👉 यदि ऐसा हुआ तो सभी जेल जायेंगे। यही कारण है कि चिदंबरम को हर बार अग्रिम जमानत दे दी जाती है।
♦️मगर यह भी तय है कि , मोदी जी इस बार  चिदंबरम को जेल में डालना तय है और फिर कई अन्य गड़े मुर्दे भी बाहर आयेंगे।
♦️देश को कैसे-कैसे और किस-किस ने लूटा, सबको एक-एक करके सजा होगी। कांग्रेसी चाटुकार नौकरशाहों समेत माँ-बेटे व कई कांग्रेसी नेता सलाखों के पीछे पहुँचेंगे।
"झूठ को कितना ही छुपा लो..... एक न एक दिन सच सामने आ ही जाता हैं।"
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