दशरथ जब-जब दुःखी होते थे तो उन्हें श्रवण के पिता का दिया श्राप याद आ जाता था।
ऐसी ही एक घटना सुग्रीव के साथ भी हुई। माता सीता की खोज में जब वो वानर वीरों को पृथ्वी की अलग-अलग दिशाओं में भेज रहे थे तो उसके साथ-साथ उन्हें ये भी बता रहे थे कि …..
राम सुग्रीव का ये भगौलिक ज्ञान देखकर हतप्रभ थे तो उनके पूछने लगे कि सुग्रीव तुमको ये सब कैसे पता? तो सुग्रीव उनसे कहते हैं कि मैं बाली के भय से जब मारा-मारा फिर रहा था ....
सोचिये अगर सुग्रीव पर ये संकट न आया होता तो उन्हें भूगोल का ज्ञान नहीं होता और माता जानकी को खोजना कितना कठिन हो जाता। ....
अनुकूलता भोजन है, प्रतिकूलता विटामिन है और चुनौतियाँ वरदान है और जो तदनरुप व्यवहार करें वही पुरुषार्थी है। ईश्वर की तरफ से मिलने वाला हरेक पुष्प भी वरदान है और हरेक काँटा भी।
Il जय श्री कृष्ण ll