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हिंदी में।

क्या आप बीजेपी की B टीम है?
क्या ये "छुपे हुए संघी" हैं जो भारत को हिंदू राष्ट्र में बदल देंगे?
क्या CAA-NRC विरोध प्रदर्शन, JNU- जामिया और दिल्ली में दंगे के दौरान केजरीवाल चुप थे?
या यह कांग्रेस द्वारा अस्तित्व में रहने के लिए अंतिम हताश प्रयास है?
यह थ्रेड पढ़िए।
क्या AAP कांग्रेस द्वारा बीजेपी की बी-टीम कहे जाने वाली एकमात्र पार्टी है?

जाहिर है, नहीं!

जो भी पार्टी राजनीतिक रूप से कांग्रेस के लिए खतरा बनती दिखती है, कांग्रेस उसे बीजेपी की बी-टीम का नाम दे देती है।
लेकिन यह काफी नहीं है, है ना?

AAP पर कई गंभीर आरोप हैं, कुछ लोग सवाल उठाते हैं कि उन्होंने ऐसा क्यों किया क्या किया।
तो चलिए उनके जवाब देते हैं, एक-एक करके:
दावा: AAP ने कन्हैया कुमार को धोखा दिया

तथ्य: कन्हैया खुद चाहते थे कि उनका मामला जल्द से जल्द तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचे, ताकि वह अदालत द्वारा प्रमाणित रूप से निर्दोष साबित हो सके, वह भी, बिहार चुनाव से पहले।

सुनें (अंत तक):
दावा: CAA, NRC, NPR पर AAP चुप थी।

तथ्य: AAP ने संसद में CAA के खिलाफ वोट दिया

सिसोदिया ने कहा था कि वे शाहीन बाग के साथ खड़े हैं

केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में NPR NRC के खिलाफ प्रस्ताव लाया

दूसरी ओर, कांग्रेस ने शिवसेना के साथ गठबंधन किया जो खुले आम CAA का समर्थन करती है।
दिल्ली विधानसभा में विशेष सत्र के दौरान NRC और NPR के बारे में CM अरविंद केजरीवाल ने क्या कहा था: सुनिए
दावा: छात्रों पर हमलों के दौरान केजरीवाल चुप थे।

तथ्य: केजरीवाल ने न केवल हिंसा की निंदा की, बल्कि उन्होंने सीधे तौर पर केंद्र सरकार पर दिल्ली पुलिस को ABVP के गुंडों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने के आदेश देने का आरोप लगाया।
पुलिस अपने पास न होते हुए भी केजरीवाल ने वो सब कुछ किया जो नियंत्रण में था।
✔️ अमित शाह के साथ सीधे तौर पर जोर आजमाइश की
✔️ छात्र के लिए, 5 लाख मुआवजा + नौकरी
विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले जामिया के छात्रों ने AAP का स्वागत भी किया।
केवल कांग्रेस ही AAP पर आरोप लगा रही है।
केजरीवाल खुद JNU भी गए और भाजपा और RSS दोनों के खिलाफ बोले ।
यह रही केजरीवाल द्वारा एक जोशीली स्पीच (जरूर देखें)

क्या आप जानते हैं कि CAA के खिलाफ किये जा रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान दक्षिण कोरिया में छुट्टी का आनंद कौन ले रहा था?
जी हां, राहुल गांधी।
दावा: AAP ने तुषार मेहता को नियुक्त करके छात्रों को धोखा दिया है।

तथ्य: इस झूठी खबर को कई तथाकथित लिबरलो ने भी साझा किया , जबकि इस नियुक्ति के लिए LG+BJP को दोषी the

AAP अपने स्थायी अभिवक्ता @TheRahulMehra के माध्यम से लगातार छात्रों की सुरक्षा एवं उनके हक के लिए लड़ रही है।
क्या आप जानते हैं कि वास्तव में छात्रों और अन्य कार्यकर्ताओं को किसने धोका दिया?

कांग्रेस।

कांग्रेस के बिना, UAPA कानून एक वास्तविकता नही होती।

कांग्रेस और भाजपा के बीच ऐसा कौनसा गुप्त सौदा था ?

क्या कांग्रेस के चमचो को इसका जवाब नहीं देना चाहिए? वो कभी जवाब नहीं देंगे!
यह सभी को मालूम है कि कांग्रेस के पास भारत के कुछ सर्वश्रेष्ठ वकील हैं:

🔸कपिल सिब्बल
🔸सलमान खुर्शीद
🔸अभिषेक मनु सिंघवी
🔸P चिदंबरम

लेकिन उनमें से किसी ने भी #SafooraZargar को जमानत दिलाने में मदद नहीं की।

सब यद रखा जायगा!
दावा: तबलीगी जमात के खिलाफ FIR, मिश्रा के खिलाफ कोई FIR नहीं

तथ्य: 239 aa के तहत,कानून सरकार के अंतर्गत नहीं है,इसलिए मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई नही कर सकते।
परंतु
एपिडेमिक एक्ट के तहत सरकार जिला अधिकारी के माध्यम से, कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है
तबलीगी जमात के खिलाफ FIR विशुद्ध रूप सरकारी आदेशो के उल्लंघन पर आधारित थी, लेकिन कांग्रेस ने इसे भी अपनी राजनीति के लिए एक सांप्रदायिक मुद्दा बना दिया

कांग्रेस का दोगलापन तब सामने आया जब
कांग्रेस की महाराष्ट्र सरकार ने खुद जमातियों के खिलाफ FIR की
केजरीवाल ने बोला की केवल तब्लीगी जमात को दोष नहीं दिया जा सकता, उन्होंने इस मुद्दे को सांप्रदायिक बनाने वालों की भी निंदा की थी और कहा था हम सभी को COVID के खिलाफ इस लड़ाई में एकत्र होना है और भारतीय बन कर संयुक्त रूप से नफरत को हराना है🇮🇳
दावा: केजरीवाल दंगों के दौरान चुप थे

तथ्य: दिल्ली दंगे AAP को बदनाम करने के लिए विपक्ष द्वारा राजनीतिक अवसरवाद का एक प्रकार था।

जितना संभव हो पाए मैं सभी गलत खबरों का भंडाफोड़ करूंगा एवं तथ्य प्रस्तुत करने की कोशिश करूंगा।
सुनो:
दावा: केजरीवाल ने दंगा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा नहीं किया।

तथ्य: मनीष सिसोदिया के साथ दंगा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया।

उन्होंने लगातार दोनो समुदायों के बीच शांति और सद्भाव की अपील की और दोषियों के खिलाफ सख्त संभावित कार्रवाई के लिए भी कहा।
दावा: केजरीवाल अस्पताल में हिंसा पीड़ितों से मिलने नहीं गए।

तथ्य: केजरीवाल हिंसा के पीड़ितों से मिलने के लिए विभिन्न अस्पतालों में गए थे।
दावा: AAP में दिल्ली दंगों के लिए कपिल मिश्रा और भाजपा को दोषी ठहराने की हिम्मत नहीं है।

तथ्य: उसकी गिरफ्तारी का आह्वान करते हुए, उनके एकमात्र लोकसभा सांसद भगवंत मान ने प्रत्यक्ष रूप से भाजपा को दंगों के प्रायोजन के लिए संसद के पटल पर जिम्मेदार ठहराया।
AAP सरकार ने विधानसभा का एक विशेष सभा सत्र भी बुलाया, जिसमें उनके शीर्ष नेता जैसे:

सौरभ भारद्वाज
दिलीप पांडे
आरपी गौतम
अमानतुल्लाह
प्रहलाद सिंह

ने सीधे तौर पर बीजेपी को दोषी ठहराया और कपिल मिश्रा की गिरफ्तारी + SHO के नार्को टेस्ट की मांग की।
ndtv.com/delhi-news/aam…
दिल्ली हिंसा को लेकर दिल्ली विधानसभा में CM अरविंद केजरीवाल का पूरा भाषण भी सुनिए:

दावा: केजरीवाल ने दंगा पीड़ितों के पुनर्वास के लिए कुछ नहीं किया

तथ्य: इतिहास में दंगा पीड़ितों के लिए इस तरह का विस्तृत पुनर्वास पैकेज किसी भी सरकार द्वारा नही दिया गया होगा।
मकान, दुकानें, बच्चों के लिए किताबें और नगदी सब कुछ इसमे शामिल किया गया था।
दावा: केजरीवाल सेना को बुला सकते थे लेकिन उन्होंने नहीं बुलाया।

तथ्य: उन्होंने मांग की, लेकिन ये LG का विशेषाधिकार है

LG द्वारा आर्मी को न बुलाने के कारण दिल्ली को दो बार दर्द झेलना पड़ा है

2020 में, यह मोदी द्वारा नियुक्त LG थे

1984 में, यह इंदिरा गांधी द्वारा नियुक्त LG थे।
मुझे पता है मरने वाले कि क्षतिपूर्ति करने के लिए कुछ भी पर्याप्त नहीं है, लेकिन हमें तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, निष्पक्ष रूप से सोचने की आवश्यकता है।

पुलिस, सेना, इंटेल, सब कुछ उनके नियंत्रण में है:
1984 (कांग्रेस शासन)
और
2002 (भाजपा शासन)
ने करीब 3350 और 1044 जाने ली।
AAP सरकार ने हाथ मे कुछ नियंत्रण न होने के बाद पूरी कोशिश की कि दंगो में हताहत होने वालों को संख्या कम से कम हो।

स्थानीय छेत्रों में शांति मार्च
ग्राउंड जीरो का दौरा
लगातार शांति की अपील
पार्टी कार्यकर्ताओं मदद
पुनर्वास/मुआवजा

ये सब तेजी से करके उन्होंने अपनी मंशा बताई
दिल्ली दंगों से सबसे ज्यादा फायदा किसे हुआ?
सोचो।

AAP ने दो बार अत्यंत जोरदार बहुमत के साथ सरकार बनाई

वो चुनाव जीतने के बाद अपने मतदाताओं के खिलाफ एक दंगा प्रायोजित करेंगे। यह बात बेकार है।

इन दंगों का मकसद AAP की छवि को नुकसान पहुंचाना था (यह दंगो का वास्तव उद्देश्य था)
केजरीवाल पहले दिन से बहुत स्पष्ट कह रहे थे की - "AAP के लिए वोट केवल तभी डाले अगर आपको लगता है कि AAP ने काम किया है"

शायद चुनाव में एक शानदार जीत के बाद, सांप्रदायिक खेल में केजरीवाल को हराने के लिए भाजपा और कांग्रेस द्वारा यह दंगा एक सुनियोजित कदम था और वो इसमे सफल रहे
अगर आप मुझसे पूछें, तो इसमें कांग्रेस को सबसे फायदा हुआ

अल्पसंख्यक वोट जो आप की तरफ आगया था, शायद वापस कंग्रेस की तरफ चला गया। बीजेपी को हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण करने में और शाहीन बाग को खत्म करने में मदद मिली।

हारा कौन ? केवल AAP

लेकिन फिर भी हम सत्य के लिए लड़ते रहेंगे! 🇮🇳
AAP ने कांग्रेस का वोट प्रतिशत घटाकर 4% कर दिया है।

सभी समुदायों ने केजरीवाल को उसके काम पर वोट दिया

लोकसभा में वोट%:
56% भाजपा
22% कंग्रेस
18% AAP

विधानसभा में:
38% भाजपा
04% कांग्रेस
54% AAP

स्पष्ट रूप से AAP को अन्य दोनो पार्टियों का लगभह 18% वोट शेयर मिला
इससे पता चलता है कि AAP भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए एक खतरा है।

दक्या यही कारण है कि दोनो दलों ने मिलकर AAP के शासन को बदनाम करने के लिए दिल्ली के दंगों को हवा दी?

इन दोनो के आपस में पिछले तलमेलो को देखते हुए इंकार नहीं किया जा सकता है।
हम जानते हैं कि संसदीय सचिवों के रूप में AAP के 21 विधायकों की नियुक्ति को अयोग्य घोषित करने के लिए दोनो पार्टिया एक साथ हो गयी थी।

कांग्रेस हमेशा से दोगली रही है, दिल्ली में संसदीय सचिवों की नियुक्ति का विरोध करने वाली कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में 15 संसदीय सचिवों की नियुक्ति की।
विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम संशोधन ने भाजपा और कांग्रेस दोनो को गैरकानूनी रूप से विदेशी कंपनियों से वित्त कोष लेने के लिए जेल के चक्कर काटने से बचाया।

कंग्रेसी तंत्र इस पर चुप क्यों है?

अब B टीम कौन है?

जानकारी के लिए बता दूं, आप ने इस बिल में संसोधन का विरोध किया था।
अब ELECTORAL BONDS की बात:

AAP ने हमेशा बॉन्ड्स का विरोध किया लेकिन कांग्रेसी पत्रकारों ने इस मसले पर भी एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए फेक न्यूज को शेयर करने का काम किया।
कांग्रेस ने इसे संसद के घोटाला कहा,जबकि उन्ही को दूसरे नंबर पर इन बॉन्ड्स का सबसे ज्यादा फायदा मिला है।
दावा: केजरीवाल हिंदुत्व की राजनीति कर रहे हैं

तथ्य: हिंदुत्व का अर्थ है भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना

मुझे एक उदाहरण दे जहां AAP ने इस विचार का समर्थन किया है?
यह सब बेकार की बात है!

वैसे
यहाँ हिंदुत्व के मुद्दे पर कंग्रेस के दोगलेपन के बारे में पढ़िए👇
बाबरी
शाह बानो
रामायण का प्रसारण
सांप्रदायिक दंगे:
भागलपुर
नोआखली
1984
नेली
मुम्बई

इतिहास दर्शाता है कि हमेशा
CONGRESS और RSS ने मिल कर काम किया है।

इस शीर्षक पर एक पुस्तक है:
"CONGRESS RSS की माँ"

लेकिन अचानक: केजरीवाल आरएसएस के एजेंट हैं!
क्यों?
मैं समझाता हूँ:
कांग्रेस के लिए, यह उनके अस्तित्व की लड़ाई है!

कांग्रेस की 4 राज्यों में सरकारें हैं:

पुडूचेरी - उसका ज्यादा फर्क नही पड़ता

छत्तीसगढ़ - बघेल के नियंत्रण में ठीक ठाक है।

राजस्थान - वहाँ के हालात सब जानते है

पंजाब - एक प्रमुख राज्य जहां AAP कांग्रेस के लिये खतरा हो सकती है
गोवा एक और राज्य था जहाँ कांग्रेस को जनादेश मिला, लेकिन सबको पता है कैसे उनके विधायक बिक गए

2022 में, गोवा और पंजाब में चुनाव है दोनो जगह अल्पसंख्यक मतदाता हैं, AAP दोनो जगह मेहनत कर रही है कांग्रेस ने दोनों ही जगह काम नही किया।

इसलिए, "BTeam, RSS एजेंट" ये एजेंडा चला रहे है।
कंग्रेस अपने अस्तित्व के लिए AAP को निशाना बनाने के लिए तथाकथित लिबरल पत्रकार और इन्फ्लुएंसर अपने खेमे में भरे है

अगर AAP पंजाब और गोवा जीत जाती है तो,
AAP राज्यों में अपनी सरकार बनाने के आंकड़ो में कांग्रेस से आगे निकल जाएगी।

जिससे भारतीय राजनीति का खेल हमेशा के लिए बदल जाएगा।
दावा:AAP विधायकों के बिकने पर कंग्रेस से सवाल कर रही है,लेकिन विधायक खरीदने के लिए भाजपा से सवाल नही की

तथ्य:दिल्ली में AAP विधायकों को भाजपा नही खरीद पाई
भाजपा टीएमसी विधायक नहीं खरीद पाती।
भाजपा NCP के विधायकों को नहीं खरीद सकी
लेकिन हमेशा कंग्रेसी विद्यायके बिक जाते है।क्यों?
कांग्रेस एकमात्र ऐसी पार्टी है, जिसके 119 विधायक भाजपा खरीद चुकी है।

और इतना सब होने के बाद भी कांग्रेस ये कहती फिरती है कि "हमें दोष मत दो, भाजपा को दोष दो!"

देश को बचाने के लिए कांग्रेस का खत्म होना जरूरी है।
अन्यथा, भाजपा को समाप्त नहीं किया जा सकता है!
राहुल गांधी अपनी पार्टी को चलाने की जिम्मेदारी नहीं ले सकते

अपने खुद के विधायकों की जिम्मेदारी नहीं ले सकते

वे कहते है कि वे उन राज्यों की जिम्मेदारी नहीं लेंगे जहां उनकी गठबंधन सरकार चला रही है!

परंतु

वह प्रधान मंत्री बनकर पूरे देश की जिम्मेदारी उठा लेंगे ?
दावा: AAP भाजपा पर हमला नहीं करती

तथ्य: करती है

बात सिर्फ इतनी कि AAP भाजपा पर कब और कैसे हमला करे, यह कांग्रेस तय नही पर पाती। इसलिए उन्हें दिक्कत है।
जब केजरीवाल केंद्र के साथ मिलकर काम करता है, तो "वह बिक गया है, शाह की BTeam है, गुप्त सौदा है कहते है।

जब वह साथ मिलकर काम नहीं करते है, तो "अराजकतावादी। केजरीवाल का केंद्र से टकराव वाला रवैया दिल्ली को नुकसान पहुँचा रहा है" कहते है।
2019 चुनाव में, राहुल गांधी और AAP दोनो ने राफेल को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ बोला

सांसद संजय सिंह ने संसद के पटेल पर मोदी और अंबानी दोनो के खिलाफ बात की।

अंबानी द्वारा संजय सिंह के खिलाफ 5000 करोड़ का मानहानि केस किया गया।

लेकिन राहुल गांधी के खिलाफ ऐसा कुछ नही हुआ। क्यों ?
यह साफ दर्शाता है कि AAP " राजनीतिक सिस्टम" के लिए एक बाहरी पार्टी है।

भाजपा / कांग्रेस के शीर्ष नेता एक-दूसरे के खिलाफ बोल सकते हैं, लेकिन जैसी ही AAP जैसी कोई बाहरी पार्टी इनके खिलाफ बोलती है, तो वे दोनो इनपर कानूनी मुकदमें करते हुए उनको परेशान करते है।
राहुल गांधी ने संजय सिंह का समर्थन क्यों नहीं किया?

AAP राष्ट्रीय स्तर पर लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रही थी, लेकिन फिर भी AAP को कोई समर्थन नहीं मिला!
जब केजरीवाल लगातार मोदी के खिलाफ बोलते थे।
तो AAP विधायकों के खिलाफ 200 फ़र्ज़ी FIR करके उन्हें परेशान किया

सच के लिए लड़ने के बजाय, कांग्रेस ने सक्रिय रूप से भाजपा का इसमे समर्थन किया

माकन और उनकी साथियों ने मोदी /शाह / जेटली के साथ मिलकर AAP को नीचे लाने का काम किया
PM केयर्स सकैम की लड़ाई को कांग्रेस ट्विटर से बाहर निकल अदालत तक क्यों नही गई?

अगर AAP इस कदम का विरोध करती है, तो यह साबित होता वो भाजपा की B टीम है, नहीं?
ऐसा करने से मोदी को जेल होती और AAP का बेनकाब हो जाती
हैं न?
लेकिन नहीं, वे ये सब कुछ छोड़ कर AAP पर सवाल उठा रहे हैं!
तथ्य यह है कि कांग्रेस में हर कोई जानता है, वे इसे अदालत में साबित नही कर पाएंगे।

यही कारण है कि AAP अपनी लड़ाई बड़ी सोच समझ कर चुन रही है।

यह एक जाल है!

और जाहिर है, राहुल गांधी को तो ये सब आरोप लगाने के बाद कुछ नही होगा। लेकिन AAP को 5000 करोड़ का मानहानि केस लड़ना पड़ जाएगा
दावा: AAP ने चीन मुद्दे पर मोदी के खिलाफ नहीं बोला

तथ्य: AAP ने बोला था।

जब ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई गई, तो AAP उन 2 पार्टियों में से एक थी जिसे मीटिंग में नही बुलाया गया।

इव फैसले का कांग्रेस ने समर्थन क्यों किया?
कंग्रेस B- टीम है या और कुछ बात है?
AAP सांसद संजय सिंह ने चीन के मुद्दे पर बार बार मोदी के खिलाफ बोला है।

जिसमे PM केयर फंड के लिए चीनी कंपनियों से लिये दान का विषय भी शामिल है।

लेकिन भाजपा और मोदी के खिलाफ एक तार्किक लड़ाई का नेतृत्व करने के बजाय,
कांग्रस बेशर्मी से AAP को निशाना बना रही है।
दावा: AAP दिल्ली के लिए तो पूर्ण राज्य की मांग करती है लेकिन आर्टिकल 370 को निरस्त करने का समर्थन करती है।

तथ्य: AAP ने कश्मीर को भारत का हिस्सा बनाने के विचार का समर्थन किया,
AAP ने कभी भी जम्मू और कश्मीर को केंद्र शाषित प्रदेश बनाने या वहाँ लॉकडाउन लगाने का समर्थन नही किया।
कंग्रेस का दोगलापन देखिये कांग्रेस के नेता एवं उनका कानूनी विंग भी आर्टिकल 370 के हटने का समर्थन करते है।
यह बात स्पष्ट है कि :
कांग्रेस के पास कोई दूरदर्शिता नहीं है!
न अपने लिए, न देश के लिए

ग्रैंड ओल्ड पार्टी के बारे में एक ही चीज़ ग्रैंड है वह है बदलते वक्त के साथ खुद को न ढाल पाने की उनकी ग्रैंड विफलता।
बार-बार एक ही काम से अलग नतीजे को अपेक्षा करना
2014 में राहुल गांधी को पीएम के रूप में उतारा, मोदी ने एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की।

राहुल 2019 में फिरसे, मोदी ने पिछले बार से बड़ी जीत दर्ज की

यदि वे 2024 में राहुल गांधी को फिरसे पीएम के रूप में आगे करते हैं:
MODI फिर से जीतेंगे!
यह एक जगह है जहाँ AAP इनसे अलग है केजरीवाल ने अपनी रणनीति 2019 के बाद बदल दी
वह भाजपा और कांग्रेस दोनो पर अनावश्यक रूप से हमला नहीं करते है और केवल अपने राज्य के शासन पर ध्यान देते है

याद कीजिये आखिरी बार उन्होंने राहुल गांधी का जिक्र किया था ?
क्या वह कांग्रेस की b टीम हैं?
AAP एक मध्यपंथी दल है
उनके मतदाता दोनों पार्टी से आये हुए हैं (जैसा कि ऊपर बताया गया है)

वे अपने मतदाताओं को दोनो पार्टियों के नेताओं पर बेवजह हमला कर दूर नही कर सकते

बहुत बेहतरीन काम करने के बाद भी, AAP ने सीखा है कि चुनाव जीतने के लिए उन्हें बेहतरीन रणनीति की आवश्यकता है।
दिन रात केवल MODI को कोसने से आप चुनाव नहीं जीतेंगे!

हमने दो बार कोशिश की और बुरी तरह असफल रहे।

आपको जनता को एक नेता देना होगा जो राजनीति के अलग अलग खेमो के सभी समर्थको को स्वीकार्य को, और उसके पास दिखाने के लिए उसके द्वारा किया हुए काम भी हो।

एक मॉडल राज्य!
अगर आप सही मायने में मोदी को हराना चाहते हैं, तो एक शिक्षित प्रगतिशील, गैर-भ्रष्ट, गैर-सांप्रदायिक पार्टी का समर्थन करें।

निष्पक्ष रूप से सोचें, एक प्रशासक के रूप में राहुल गांधी ने अब तक क्या किया है?

वह अपनी NYAY योजना को कांग्रेस शाषित राज्यों में भी लागू नहीं कर पाए।
केजरीवाल के काम को उनके मुखर आलोचकों ने भी सराहा है।

राहुल गांधी के विपरीत, केजरीवाल की एक अच्छी छवि भी है

मुझे पता है कि AAP और कांग्रेस समर्थक अपनी पार्टियों का समर्थन करते रहेंगे, चाहे वह कोई भी हो, लेकिन यह जानकारी मुख्य रूप से तटस्थ नागरिकों के लिए है।
सोशल मीडिया में खरीदे हुए एकाउंट्स के माध्यम से रिट्वीट और लाइक्स बटोरे जाते है।

एजेंडा वाले पार्ट टाइम पत्रकार है और फुल टाइम पार्टी एजेंट
वे अपने करियर को आगे बढ़ाने के बदले राजनैतिक पार्टियों का समर्थन करते हैं
उनकी बातो के आधार पर अपना विचार मत बनाइये।

खुद अपने लिए सोचो!
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