अंग्रेजों के समय से यह प्रश्न उठाया जाता रहा है की - भारत कभी एक राष्ट्र नहीं था तथा इसे अंग्रेजों ने कई रियासतों को मिलाकर देश बनाया है?
इस थ्रेड के माध्यम से तर्कों के साथ जानिए की भारत एक राष्ट्र था या नहीं ? –
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“भारत एक राष्ट्र कभी नहीं था” - यह सर्वप्रथम 'जॉन स्ट्राचे' नामक अंग्रेज़ ने अपनी पुस्तक 'इंडिया - इट्स एड्मिनिसट्रेशन एंड प्रोग्रैस' मे 1888 मे लिखा था| इसी को अंग्रेज़ो ने आगे पुस्तकों मे प्रतिपादित करना शुरू दिया...
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एक राष्ट्र की अवधारणा मूलतः आज भाषा, क्षेत्र, इतिहास, जातीयता या एक सामान्य संस्कृति के आधार पर तय की जाती है | आइये इन पैमानो पर जानते हैं की भारत एक राष्ट्र है या नहीं ?
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भाषा-
प्राचीन काल से भारत मे विभिन्न मातृभाषाओं के साथ-साथ एक राष्ट्रभाषा भी रही है जिससे व्यापारी, संत तथा बाकी समाज आपस मे जुड़ता था| 'संस्कृत' भाषा के शब्द आज भी भारत की बहुत भाषाओं मे अत्याधिक मात्रा मे मिलते हैं..
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भाषा-
जन्म से लेकर शादी तथा मृत्यु तक सभी पूजा पाठ एवं संस्कारों मे कश्मीर से केरल तक संस्कृत भाषा मे मंत्र पढे जाते हैं तथा उत्तर तथा दक्षिण की लगभग सभी भाषाओं की वर्ण माला (अ,आ) एक ही क्रम मे है| यह भाषाई एकता को दर्शाता है |
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साहित्य तथा क्षेत्र -
'रामायण' मे श्री राम अयोध्या से रामेश्वरम तक जाते हैं | उनकी माता कैकई के पिता का राज्य आज के पाकिस्तान तक फैला था |
इसके अलावा 'महाभारत' मे गांधारी- कंधार(अफगानिस्तान), अर्जुन का मणिपुर की कन्या से विवाह..
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साहित्य तथा क्षेत्र-
श्री कृष्ण का जन्म उत्तरप्रदेश, पढ़ाई मध्यप्रदेश एवं राज्य गुजरात के द्वारिका मे था |
रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्य समस्त भारत मे कई भाषाओं मे शताब्दियों से पढे जाते है| इनमे भी भारत के एक होने की बात है |
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इतिहास-
जीसस से भी लगभग 322 वर्ष पूर्व चन्द्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य था जो अशोक के बाद तक चला तथा इसमे आज के भारत का बहुत बड़ा हिस्सा था | इसके बाद कनिष्क, सातवाहन, गुप्ता तथा चालुक्य-चोला शासको के समय भी भारत का बड़ा हिस्सा एक संस्कृति मे रहा..
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जातीयता या सामान्य संस्कृति -
मनुस्मृति से लेकर वेदों तथा विष्णुपुराण इत्यादि शास्त्रों मे भारत का एक 'आर्यव्रत' भूमि के रूप मे वर्णन है | इनमे तीन तरफ के समुद्र से लेकर उत्तर मे हिमालय तक की भारतीय सीमाओं का वर्णन आता है |
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जातीयता या सामान्य संस्कृति -
आदि शंकरचार्य ने हजारों वर्ष पूर्व 4 मठों की स्थापना की थी इनमे
शृंगेरी - दक्षिण , गोवर्धन - उड़ीसा , शारदा - गुजरात , ज्योतिर्मठ - उत्तरांचल मे है | इसके अलावा उन्होने कश्मीर मे भी मठ बनाया था..
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जातीयता या सामान्य संस्कृति -
आदि शंकरचार्य की 'दिग्विजय यात्रा' केरल से शुरू होकर कश्मीर आदि तक गयी थी|
कुम्भ के मेलों तथा तीर्थ स्थानो मे भारत के लोग हजारों वर्षों से दक्षिण और उत्तर मे कैसे आते थे?
क्या बिना राष्ट्र की अवधारणा के यह संभव था?
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इस्लामिक हमलों के समय सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने के लिए ‘भक्ति आंदोलन’ शुरू दक्षिण मे हुआ वो बाद मे बंगाल तथा उत्तर भारत तक मे फैला| इसमे सारे देश के संत शामिल थे जैसे-
अलवर और नायानर, बसावन्ना, तुलसी, चैतन्य महाप्रभु आदि
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शाक्त्य तथा तांत्रिक शास्त्रों मे भी वर्णित माता सती के अंग इसी भारत भूमि के भीतर गिरे हैं जहां आज शक्तिपीठ स्थल मौजूद हैं| शिवपुराण तथा शाक्त साहित्य जो की हजारों वर्ष पुराना है उसमे भी इसका वर्णन है| यह भी इस भूमि के एक होने का प्रमाण देता है|
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अंग्रेज़ो के राज से पहले मराठों ने पहले शिवाजी तथा बाद मे बाजीराव, पेशवा इत्यादि के शासन मे लगभग आधे से ज्यादा भारत वापस मुगलों से जीत लिया था तथा अंग्रेजों के बिना भी 'अखंड भारत' वापस वैसे भी बनने ही वाला था| जिसे अंग्रेजों ने रोक दिया था |
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आज़ादी के बाद भी अंग्रेज़ तो भारत को तोड़ना ही चाहते थे, वो तो सरदार पटेल की मेहनत थी की उन्होने 562 #रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण कर दिया |
अतः #भारत मे "#राष्ट्रीय #एकात्मता" की #चिति तथा #भाव सदियों से रहा है |
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