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1.भारत आज 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है तो आइये इस शुभ अवसर पर आपको 74 ट्वीट्स की थ्रेड में देश के छोटे अनुज सिक्किम राज्य के हिंदुस्तान में विलय की कहानी का दर्शन कराते है।
सिक्किम का एक खास राजनीतिक अतीत है जिसमें कई महत्वपूर्ण एवं रोचक घटनाएं शामिल हैं।
2.अगर उत्तर पूर्वी राज्यों को 7 Sisters की उपाधि दी गई है तो सिक्किम को भी उन सबका भाई मानना गलत नहीं होगा। भौगोलिक स्थिति को समझें तो भारत का उत्तर-पूर्वी हिस्सा सामरिक और रणनीतिक रूप से देश का एक महत्वपूर्ण अंग है।
3.इसे हिंदुस्तान का दुर्भाग्य कहो या कुछ और, लेकिन हमें किसी स्थान का सामरिक और रणनीतिक महत्व उसके खोने के बाद ही चलता है। जैसे लद्दाख UT में अक्साई चीन और गिलगित बाल्टिस्तान को खोने के बाद ही हमें यह अहसास हुआ कि यह सिर्फ वो जमीन का टुकड़ा नहीं है जहाँ घास भी नहीं उगती।
4.इसे पंडित नेहरू की अदूरदर्शिता कहें या फिर उनके निर्णय लेने की क्षमता को सवालों के घेरे में खड़ा किया जाए, परन्तु चीन के अलावा भी उनकी उत्तर-पूर्व नीति कतई अस्पष्ट थी। अगर उस समय नेहरू जी ने सरदार पटेल की बात मान ली होती तो सिक्किम 25 साल पहले ही भारत का अंग बन चुका होता।
5.लेकिन जब सिक्किम की बात करे तो हमने यह गलती समय रहते सुधार ली। 1962 के भारत चीन युद्ध के बाद ही, भारत सिक्किम का जो सामरिक महत्त्व है उसे भली भांति समझ चुका था। सिक्किम के उत्तर और उत्तर-पूर्व में स्थित है तिब्बत, जिस पर चीन का कब्ज़ा है।
6.राज्य के पूर्व में है भूटान, जो भारत का सदाबहार मित्र राष्ट्र है लेकिन चीन उसे लुभाने की पूरी कोशिश करता रहा है। सिक्किम के पश्चिम में है नेपाल, जहाँ के सत्ताधारियों का झुकाव समय के हिसाब से कभी भारत तो कभी चीन की तरफ रहता है, और दक्षिण में है सिलीगुड़ी एवं बांग्लादेश।
7.हमें पता चल चुका था कि चीनी सेनाएं जब भारत के इतने अंदर आ सकती है तो भारत के सिर्फ 60KM चौड़े सिलीगुड़ी कॉरिडोर को भी चोक कर सकती है। और यह बिलकुल होते होते रह गया था। 1967 में चीन सेनाओ ने “चो ला पास” से भारत में घुसने की कोशिश करी।
8.और तब भारतीय सेना ने उन्हें मुँह तोड़ जवाब दिया और 10 दिन तक यह लड़ाई चली थी। और इस घटना का चीन आज तक किसी भी इंटरनेशनल फोरम में जिक्र तक नहीं करता है।
खैर अभी मुद्दे से नहीं भटकते है, लेकिन आप इसके बारे में नीचे दिए हुए लिंक से जरूर पढ़े।
bbc.com/hindi/india-41…
9.इसलिए 1962 का युद्ध, भारत में सिक्किम के विलय का सबसे बड़ा कारण बना। उससे पहले सिक्किम ब्रिटिश भारत का 1890 से चला आ रहा एक Protectorate था। और आजादी के बाद भी Indo Sikkim treaty,1950 के द्वारा सिक्किम को Protectorate का दर्जा ज्यों का त्यों रखा गया।
10.इसी कारण 3488 Km लम्बी भारत चीन बॉर्डर (LAC) में सिर्फ सिक्किम से सटी हुयी 220 KM की LAC ही प्रॉपर Demarcated है। जिस पर दोनों देश सहमति जताते है। बाकी हिस्सा अभी तक Disputed है।
thehindu.com/news/national/….
अब चलते है सिक्किम के इतिहास की ओर

11.सिक्किम का सबसे प्रमुख साम्राज्य चोग्याल राजवंश था यहां के सन 1642 से ही शासक थे। और 16 जून 1975 को सिक्किम के भारत विलय के साथ 333 साल पुराना राजवंश समाप्त हुआ। चोग्याल वंश धार्मिक-सांस्कृतिक रूप से तिब्बत से जुड़े हुए थे, न की नेपाल से।
12.मूल रूप से सिक्किम में लेपचा लोग रहते थे, इनका एक अलग ही धर्म था, लेकिन धीरे धीरे सब ने बौद्ध धर्म अपना लिया। तो सिक्किम के मूल रहने वाले लोग लेपचा और भूतिया समुदाय के ही थे।
13.18 वीं सदी में सिक्किम के इतिहास की एक बहुत बड़ी घटना हुयी, नेपाल के गोरखा साम्राज्य ने सिक्किम पर हमला कर दिया और लगभग 40 साल सिक्किम गोरखाओं के अधीन रहा। और इसी समय काफी नेपाली लोग सिक्किम में आकर बसने गए। और उसी समय सिक्किम की अधिकांश जमीन नेपालियो ने कब्ज़ा ली थी।
14.फिर आती है 1810 में East India Co, और सिक्किम के साथ मिलकर नेपाल के विरुद्ध लड़ने के लिए एक गठबंधन किया गया। 1814-1816 में Indo-Nepali युद्ध होता है। और इसमें नेपाल हार जाता है तथा 1816 में 𝐓𝐫𝐞𝐚𝐭𝐲 𝐨𝐟 𝐒𝐮𝐠𝐚𝐮𝐥𝐢 पर हस्ताक्षर किये जाते है। आजादी के बाद भी भारत-नेपाल
15.की बॉर्डर इसी ट्रीटी के आधार पर निर्धारित की गयी थी और इसका फायदा सिक्किम को भी मिला, अंग्रेजो ने सिक्किम के साथ 1817 में 𝐓𝐫𝐞𝐚𝐭𝐲 𝐨𝐟 𝐓𝐞𝐭𝐚𝐥𝐢𝐲𝐚 sign करी, और जो जमीन नेपाल के कब्जे में थी वापिस सिक्किम को दे दी गयी।
और सिक्किम बना ब्रिटिश इंडिया का Protectorate.
16.1890 में एक और संधि, चीनी और अंग्रेजों के बीच में होती है और इस Anglo Chinese Treaty में यह तय किया गया कि चीनी कभी सिक्किम में दाखिल नहीं होंगे वो अपना एरिया तिब्बत तक ही रखेंगे, और साथ ही में ब्रिटिश प्रभाव भी सिक्किम तक ही रहेगा।
17.अब 1947 के बाद सिक्किम के तत्कालीन राजा ताशी नामग्याल भी उन गिने चुने राजाओं में से एक थे, जिन्होंने भारत के साथ नहीं जुड़ने का फैसला लिया। 1947 में सरदार पटेल और बी.एन. राव जब सिक्किम सहित 562 रियासतों को भारत में एकीकृत कर रहे थे। तब फिर से नेहरू जी की विचारधारा आड़े आ गयी।
18.नेहरू जी के अनुसार, पैन-एशिया की दृष्टि से और चीन की संवेदनशीलता के कारण सिक्किम को एक अलग तरीके से देखा जाना चाहिए। मतलब नेहरू को लगता था कि यदि हमने सिक्किम का विलय किया तो चीन नाराज हो जाएगा।

खैर आंतरिक मामलों को अंतर्राष्ट्रीय बनाने वाले नेहरू जी की तारीफ कभी और करेंगे।
19.लेकिन नेहरू जी के कहे अनुसार Dec 1947 में सिक्किम स्टेट कांग्रेस (जो बाद में सिक्किम नेशनल कांग्रेस में मर्ज हो गयी) नाम से एक पार्टी भी बनायी गयी, जिसमे मेजोरिटी राजा-विरोधी नेपाली लोग थे। 1954 से पार्टी प्रेसिडेंट काजी लेहंदूप दोरजी थे,जो आगे जाकर सिक्किम के पहले CM भी बने।
20.फरवरी 1948 में, नई दिल्ली ने सिक्किम के साथ एक "स्टैंडस्टिल" समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें अभी सिक्किम के स्पेशल स्टेटस को 1950 तक टाला गया। लेकिन ड्राफ्ट बिलकुल तैयार हो गया था कि सिक्किम में राजशाही बनी रहेगी।
21.चूँकि ताशी नामग्याल के नेहरू जी से काफी अच्छे सम्बन्ध थे, इसी कारण आजादी के बाद भी 1950 की ट्रीटी के जरिये सिक्किम का प्रोटेक्टोरट का दर्जा बरक़रार रह पाया।
लेकिन यहाँ स्टेट सिक्किम कांग्रेस की मांग पूरी करते हुए, अलग संविधान की बात को भी मान लिया गया।
22.जिससे सिक्किम में चुनाव कराये जा सके और विधानसभा बैठायी जा सके। लेकिन यहां चुने हुए प्रतिनिधियों के पास कोई ख़ास पावर्स नहीं थी। छोटे बड़े सभी निर्णय राजा के कहने पर लिए जाते थे। और इस तरह एक नाम मात्र का लोकतंत्र सिक्किम पर थोपा गया। और 1953-1974 तक 5 बार चुनाव भी कराये गए।
23.नेहरू जी की दोस्ती का फायदा उठाते हुए, जब भी ताशी नामग्याल विदेशी दौरे पर जाते थे, तो अपने साथ सिक्किम का अलग झंडा लेकर जाते थे। और सिक्किम को एक अलग राष्ट्र के रूप में दिखाने की कोशिश करते थे।
24.निःसंदेह भारत सरकार इस बात से नाखुश थी। और इसी के चलते 1960 में एक पत्रकार कुलदीप नायर ने नेहरू जी से इस पर अपनी प्रतिक्रिया पूछी तो नेहरू ने खुद पत्रकार को बताया कि, "Taking a 𝐬𝐦𝐚𝐥𝐥 𝐜𝐨𝐮𝐧𝐭𝐫𝐲 like 𝐒𝐢𝐤𝐤𝐢𝐦 by force would be like shooting a fly with a rifle".
25.अब 1963 में ताशी नामग्याल की मृत्यु हो जाती है और 1964 में नेहरू जी की भी। अब सिक्किम के राजा बनते है पालदेन नामग्याल। इनका भी एक विचित्र ही इतिहास रहा है।

हालाँकि इनकी शक्ल लद्दाख के वर्तमान सांसद जामयांग शेरिंग नामग्याल @JTNBJP से काफी मिलती है। सिर्फ शक्ल, दिमाग नहीं।
26.1963 में चोग्याल पालदें की मुलाकात न्यू यॉर्क की रहने वाली हॉप कुक से दार्जिलिंग में होती है, कुछ ही समय बाद दोनों शादी भी कर लेते है। कुक का पूरा व्यक्तित्व रहस्यमयी था।
चोग्याल को भारत के ख़िलाफ भड़काने में उनकी बड़ी भूमिका थी।
27.राजा और उनकी अमेरिकी पत्नी दोनों सिक्किम को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने की मुहीम में लग गए थे।
नीचे दिए हुए लिंक में वाशिंगटन में हुए राजा और कुक के एक स्पीच की रिकॉर्डिंग है, जिसमे वो सिक्किम को एक अलग देश की तरह represent करते है।
wnyc.org/story/palden-t…
28.कुक ने स्कूलों की पाठ्य-पुस्तकें बदल दीं, युवा अफ़सरों को बुला कर हर हफ़्ते वह बैठक करती थी। और सिक्किम को स्वतंत्र राष्ट्र दर्शाने वाले आर्टिकल लिखती थी। जैसे ब्रिटिश इंडिया की ट्रीटी तो 1950 में ही खत्म हो गयी थी क्यूँकि ब्रिटिश जा चुके है अब सिक्किम एक स्वतंत्र राष्ट्र है।
29.अमेरिका सिक्किम को लेकर शुरू से ही पैनी नजर बनाये हुए था। और 70 के दशक में NYT ने सिक्किम और होप कुक को लेकर कई आर्टिकल्स भी छापे। जैसे nytimes.com/1981/03/08/boo…
nytimes.com/1976/06/18/arc…
nytimes.com/1975/04/13/arc…
nytimes.com/1974/04/23/arc…
nytimes.com/1975/12/14/arc…
भारत सरकार का सिक्किम के प्रशासन में बढ़ता दखल
30.अब जनवरी 1966 में देश की प्रधानमंत्री बनती है नेहरू जी की बेटी इंदिरा गाँधी, जो सिक्किम को लेकर शुरू से बिलकुल स्पष्ट थी: सिक्किम का भारत में पूर्णतः विलय।
इस समय तक आते आते सिक्किम का पूरा समीकरण ही बदल चूका था।
31. क्यूंकि सिक्किम के चारों तरफ कुछ न कुछ हो रहा था।

एक तरफ 1962 के भारत चीन युद्ध का परिणाम और चीन का बढ़ता आक्रोश,
दूसरी ओर नेपाल & पश्चिम बंगाल में बढ़ता कम्युनिस्म और नक्सली हिंसा,
और सिक्किम में रह रहे नेपाली लोगों का राजशाही के विरुद्ध बढ़ता आक्रोश
32.इसी लिए भारत सरकार सिक्किम को लेकर काफी चिंतित थी।

सिक्किम को भारत में शामिल कराने की कवायद धरातल पर पहले से ही शुरू कर दी गई। भारत की तत्कालीन इंदिरा सरकार ने इसके लिए कल-बल-छल-बुद्धि सारे दांव अपनाए।
33.चूँकि सिक्किम की जनसँख्या में नेपाली लोग 75% के आस पास थे। और चोग्याल (Sikkim rulers) भूटिया लेप्चा अल्पसंख्यक समुदाय 25% से थे। यहां समझने की बात यह है कि Minority कम्युनिटी, मेजोरिटी नेपालियो को control कर रही थी। और उस समय एक भूटिया-लेप्चा वोट छह नेपाली वोटों के बराबर था।
34.तो इसी कारण 70 के दशक में आते आते सिक्किम में राजा के विरुद्ध नेपाली लोग लगातार प्रदर्शन कर रहे थे और राजा के लिए Law & order को संभालना मुश्किल हो रहा था।

आज़ादी के बाद से ही SNC द्वारा दोरजी के नेतृत्व में राजा-विरोधी आंदोलन शुरू हो गया।One Man One Vote System की मांग करी।
35.दोरजी ने खुद रिकार्डेड इंटरव्यू में कहा कि, यह पूरा आंदोलन भारतीय सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त था। यह पैसा इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता था। IB के लोग साल में 2-3 बार मुझसे मिलने आते थे। एक IB एजेंट, तेजपाल सेन व्यक्तिगत रूप से मुझे पैसे सौंपते थे"।
36.कुछ आर्टिकल्स के मुताबिक IB के अंडरकवर एजेंट के रूप में अजित डोवाल भी उस समय सिक्किम में मौजूद थे। वो 1968 बैच के IPS अफसर थे और 1972 में IB में शामिल हो गए थे।
37.सिक्किम के भूतपूर्व मुख्यमंत्री बीबी गुरुंग ने एक इंटरव्यू में कहा कि "राजा पालदेन और लेंडुप दोरजी तो सिर्फ छद्म युद्ध कर रहे हैं, वास्तविक युद्ध तो उन दोनों की अमेरिकन और बेल्जियम पत्नियों के बीच छिड़ा हुआ था "और सच कहुँ तो असल विजेता तो इंदिरा गांधी निकली"।
38.अब बात करते हैं उन दो विदेशी शख्सियतों की जिनके इर्द गिर्द ही ये कहानी घूमती है। चोग्याल से शादी होप कुक के लिए एक असम्भव स्वप्न पूर्ण होने के समान था, जहां वह एक स्वतंत्र राज्य की रानी बन चुकी थी। वह सिक्किम की स्वतंत्रता के आंदोलन को युवाओं के बीच ले जाने लगी थी।
39.इसी बीच बहुत ही तेजी से उन पर CIA एजेंट होने का ठप्पा लगने लगा, जो कि कोई बड़ी बात नहीं थी क्योंकि ये शीत युद्ध के भी सबसे शीत वर्ष थे और भारत में उस समय हर विदेशी हरकत के पीछे CIA का ही हाथ समझा जाता था। फिर जैसे ही कुक के दिल्ली से सम्बंध बिगड़े…
40.वैसे ही चोग्याल के साथ उनके वैवाहिक सम्बन्ध भी बिगड़ गए।1973 में वो अपने दोनों बच्चों के साथ वापस न्यूयॉर्क चली गयी और फिर कभी वापस नहीं लौटी।

अब बात करते हैं एलिसा मारिया की, उसने अपने स्कॉटिश पति को छोड़कर काजी ल्हेंडुप दोरजी से 1957 में दिल्ली में शादी कर ली।
41.इन दोनों ही स्त्रियों में कोई खास अंतर नहीं था, मारिया भी सिक्किम की प्रथम महिला होने का गौरव प्राप्त करना चाहती थी पर कुक उसके रास्ते का कांटा थी। "वो सिर्फ एक भारतीय मुख्यमंत्री की अर्धांगिनी ही नहीं बल्कि स्वतंत्र सिक्किम के प्रधानमंत्री की पत्नी बनना चाहती थी"
42.ऐसी उच्च महत्वाकांक्षाओं के साथ यह बात समामेलित करते हुए मुझे बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं हो रहा है कि न तो कुक को और न ही मारिया को वो मिला जो वे चाहती थी।
43.इसी बीच यहां नई दिल्ली में इंदिरा गांधी दिन प्रतिदिन अपनी जड़ें मजबूत कर रही थी। 1971 के युद्ध और 1974 के परमाणु परीक्षण ने दिल्ली को वो अदम्य साहस प्रदान कर दिया जो उसे सिक्किम को भारत में विलय करने के लिए चाहिए था।
44.इंदिरा गांधी इस बात से भी चिंतित थी कि कहीं सिक्किम भी 1971 के भूटान की तरह स्वयं को स्वतंत्र घोषित करके UN की मान्यता न ले लेवे। और सिक्किम के प्रति नेपाल और चीन का रवैया भी एक अच्छा संकेत नहीं था।
रॉ की भूमिका

45.इसका वर्णन अशोक रैना ने अपनी पुस्तक इनसाइड रॉ: द स्टोरी ऑफ इंडियाज सीक्रेट सर्विस में बड़े अच्छे से किया है। रैना ने लिखा कि नई दिल्ली ने 1971 में ही सिक्किम भविष्य तय कर लिया था। अगले दो साल रॉ का इस्तेमाल सिक्किम के भीतर सही परिस्थितियों को बनाने के लिए किया।
46.इसमें रॉ को नेपाली मूल के लोगो का उपयोग करना था, जो बरसो से अपने राजा के पूर्वाग्रह के शिकार थे।
1973 में रॉ में सात सूत्री कार्ययोजना बनाई गयी। लक्ष्य था चोग्याल को अलग थलग करना, लोकतांत्रिक ताकतों को मजबूत करना, और सिक्किम के विलय की लोगों की मांग को सही दिशा में गति देना।
47.लेंडुप दोरजी ने कहा कि वह सार्वजनिक विरोध प्रदर्शनों के माध्यम से राजा पर दबाव बनाना चाहते थे लेकिन अफसोस जताया कि राजा सुलह के लिए कभी आगे नहीं आए।

8 May 1973, फिर दिल्ली के दबाव में, सिक्किम के राजा को SNC और भारत के साथ त्रिपक्षीय वार्ता करने के लिए मजबूर किया गया।
48.और यह निश्चित किया गया कि अब सिक्किम में लोकतांत्रिक अधिकारों के साथ एक जिम्मेदार सरकार की स्थापना हो, विधिवत शासन हो (न कि राजशाही), लोगों को मौलिक अधिकार मिले (Like One Man One Vote right), स्वतंत्र न्यायपालिका हो। और शाही शक्तियों पर अंकुश लगाया गया।
49.अब अप्रैल 1974 में भारतीय चुनाव आयुक्त की देखरेख में चुनाव कराये गए। इस 32 सदस्यीय विधानसभा चुनावों में, प्रचंड बहुमत के साथ लेंडुप दोरजी की पार्टी SNC को 31 सीटें मिली। फिर मई 1974 में, असेंबली ने 15 प्रस्ताव रखे गये, और बिना पलक झपकाए सभी प्रस्ताव पारित कर दिए।
50.इनमें से एक प्रस्ताव ऐसा था जिससे कि राजा की सारी शक्तिया ख़त्म कर दी गयी। अब राजा बस एक Figure of Constitution रह गया था। चोग्याल के विरोध के बावजूद प्रस्ताव पारित हुआ।
51.इसके तुरंत बाद 30 जून, 1974 को चोग्याल ने इंदिरा गांधी से मीटिंग करी। इंदिरा गांधी के तत्कालीन सचिव पीएन धर ने अपनी पुस्तक 'इंदिरा गांधी, द एमरजेंसी एंड इंडियन डेमोक्रेसी' में लिखा, "जिस तरह से चोग्याल ने अपना पूरा केस इंदिरा गांधी के सामने रखा उससे मैं बहुत प्रभावित हुआ।
52.उन्होंने कहा कि भारत सिक्किम में जिन राजनीतिज्ञो (लेंडुप दोरजी और उसकी पार्टी) पर दांव लगा रहा है वह विश्वास के काबिल नहीं है।

इंदिरा ने कहा कि वह जिन राजनीतिज्ञों की बात कर रहे हैं वे जनता के चुने हुए प्रतिनिधि हैं, चोग्याल अभी कुछ और बात करना चाहते थे कि इंदिरा चुप हो गईं।
53.उन्होंने चुप्पी को एक नकारात्मक प्रतिक्रिया के तौर पर इस्तेमाल करने में महारत हासिल कर रखी थी।
वह एक दम से खड़ी हुईं... रहस्यपूर्ण ढंग से मुस्कराईं और अपने दोनों हाथ जोड़ दिए। यह चोग्याल के लिए इशारा था कि अब वह जा सकते हैं।
चोग्याल का एक और गलत कदम

54.जब सिक्किम उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा था, तो चोग्याल ने Jan 1975 में काठमांडू का दौरा किया और राजा बीरेंद्र के राज्याभिषेक समारोह में शामिल होने गए। कुछ आर्टिकल्स के अनुसार, “वहां मौजूद राजा बीरेंद्र, चीनी उप-प्रमुख चेन ली यान और पाकिस्तान के दूत.…
55.तीनों ने चोग्याल को सिक्किम वापस नहीं जाने की सलाह दी। और चोग्याल के सामने सिक्किम को भारतीय हाथों से बचाने के लिए एक 'मास्टर प्लान' पेश किया, लेकिन राजा ने उसे स्वीकार नहीं किया", क्योंकि राजा ने सपनों में भी नहीं सोचा था कि भारत सिक्किम में सेना को भेज सकता है।"
भारत की दोहरी रणनीति

56.वास्तव में, भारत एक "डबल गेम" खेल रहा था। एक तरफ राजा के खिलाफ लहंदूप का लगातार समर्थन कर रहा था। दूसरी ओर, भारत राजा को लगातार आश्वस्त भी कर रहा था कि सिक्किम में आपकी राजशाही बची रहेगी।
57.और चोग्याल भारतीय सेना में 8 गोरखा राइफल्स के मेजर जनरल भी थे। उसने कभी नहीं सोचा था कि उसकी 'अपनी सेना' उसके खिलाफ खड़ी होगी।

अंततः, 27 मार्च 1975 को कैबिनेट की बैठक ने राजशाही को खत्म करने का फैसला किया।
58. भारत सरकार के आदेशानुसार 6 अप्रैल 1975 को सुबह-सुबह भारतीय सेना ने राजा चोग्याल के राजमहल को चारों ओर से घेर लिया। पांच हजार भारतीय सैनिकों को राजमहल के 243 (कुछ जगह यह आंकड़ा 300-400 है) गार्डों पर काबू पाने में वक्त नहीं लगा। दोपहर 12:45 तक यह सब खत्म हो गया।
59.अब सिक्किम का स्वतंत्र राज्य के रूप में कोई अस्तित्व में नहीं रह गया। और यहाँ चोग्याल ने दूसरा मौका भी गंवा दिया। सिक्किम गार्ड्स में दो घंटे के लिए भारतीय सेना को रोकने की क्षमता थी। यदि चोग्याल ने बीजिंग और इस्लामाबाद को अपने महल में स्थापित ट्रांसमीटर से…
60. भारतीय आक्रमण के बारे में सूचित कर दिया होता, तो दोनों देशों ने उन्हें काठमांडू बैठक के दौरान यह आश्वासन दिया था कि वे अपने सुरक्षा बलों को भारत के साथ सीमाओं पर आगे खोलने का निर्देश देंगे। चीनी सेना भी चोग्याल को बचाने के लिए गंगटोक जा सकती थी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
61. महल में सिक्किम के झंडे की जगह भारतीय तिरंगे को फहराया गया, और वहीं राजा को कैद कर लिया गया।
सिक्किम के तत्कालीन भारतीय दूत बीएस दास ने अपनी पुस्तक द सिक्किम गाथा में लिखा है, "भारतीय राष्ट्रीय हित के लिए सिक्किम का विलय आवश्यक था। और हमें गर्व है कि हमने उस छोर पर काम किया।
62.अब 10 अप्रैल 1975 को दो प्रस्तावों को पारित करने के लिए एक आपातकालीन विधानसभा बुलाई गई।
पहला, चोग्याल शासन संस्था को पूरी तरह समाप्त करना और सिक्किम को भारत गणराज्य का हिस्सा बनाना।
दूसरा, पहले प्रस्ताव के सपोर्ट में तत्काल एक जनमत संग्रह Referendum कराया जाये।
63.14 अप्रैल 1975 को जनमत संग्रह के लिए 57 मतदान केंद्रों को रिकॉर्ड समय में स्थापित किया गया। तब कुल वोटर 97000 थे, जिसमे से 61133 (63%) लोगों ने वोट किया। और 59637 वोट भारत के पक्ष में तथा 1496 वोट विपक्ष में पड़े थे। इस तरह सिक्किम की 97.55% जनता ने भारत को चुना।
64.सिक्किम के मुख्यमंत्री काजी लेंडुप दोरजी ने तुरंत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मतदान के नतीजों को केबलग्राम द्वारा भेजा और उनसे कहा कि वे तत्काल प्रतिक्रिया दें और इस निर्णय को स्वीकार करें।
65.लोकसभा में 36th संविधान संशोधन विधेयक 23 अप्रैल, 1975 को पेश किया गया। उसी दिन इसे 299-11 के मत से पास कर दिया गया। राज्यसभा में बिल 26 अप्रैल को पास हुआ और 15 मई 1975 को जैसे ही राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने इस बिल को मंजूरी दी और नाम्ग्याल राजवंश का शासन समाप्त हो गया।
66.इस तरह सिक्किम का भारत में विलय हुआ। सिक्किम को भारत गणराज्य का 22वां राज्य बनाया गया। भारत के इतिहास में कभी भी भारत सरकार ने इतनी कुशलता और तेजी के साथ काम नहीं किया था।
𝗦𝗼𝗺𝗲 𝗠𝗼𝗿𝗲 𝗜𝗻𝘁𝗲𝗿𝗲𝘀𝘁𝗶𝗻𝗴 𝗙𝗮𝗰𝘁𝘀

67.सिक्किम विलय सरकार की बहुत बड़ी कामयाबी थी। फिर भी विलय के बाद में कांग्रेस ने अपनी राजनीति के कारण बहुत गुड़ गोबर किया जिसके कारण विलय के 20 साल बाद 1995 में सिक्किम को वापिस स्वायत्तता प्रदान करने की की मांग उठी।
68.लेकिन अंततः वो तो सिक्किम की जनता थी जिसने उचित निर्णय लिया और भारत के विरुद्ध उठाई गयी मांगों को कभी स्वीकार ही नहीं किया।

सिक्किम एक 100% आर्गेनिक स्टेट है। मतलब किसान खेती में किसी किसी भी प्रकार का केमिकल या पेस्टिसाइड का प्रयोग नहीं करते है। #OrganicFarming #Sikkim
69.एक और मजे की बात यह भी है कि सिक्किम में चीनियों और पाकिस्तानियों के आने पर पाबन्दी है। हालाँकि भारत सरकार मना नहीं करती, लेकिन परमिशन भी नहीं देती।

सोचो कितनी पवित्र भूमि होगी सिक्किम की
70.सिक्किम विलय नेपाल, चीन और पाकिस्तान तीनों के लिए एक Diplomatic Failure था। हालाँकि 2003 तक तो चीन ने अपनी हार स्वीकार तक नहीं करी थी।

अटल बिहारी वाजपेयी जी जून 2003 में चीन दौरे पर गये थे। उसी के बाद officially चीन ने सिक्किम के विलय को स्वीकार किया और मैप में बदलाव किया।
71.उस समय अपने विस्तारवादी चरित्र के कारण बदनाम चीन अपनी सीमा से सटे भारत के हर एक राज्य को हथियाना चाहता था।
आज भी चीन की वही नीति है, जिसके कारण अक्सर डोकलाम और गलवान जैसे विवाद खड़े हो जाते हैं।
72.सैम मानेकशॉ ने सिक्किम के पूर्ण विलय पर विचार देते हुए 1970 में इंदिरा गाँधी से कहा था कि “You do whatever you like, but I must have full freedom over deployment and operation of my troops in Sikkim.”
1970 में बोले गए ये शब्द डोकलाम विवाद के संदर्भ में बहुत महत्त्व रखते हैं।
73.डोकलाम भूटान, सिक्किम और तिब्बत के बीच के ट्राइजंक्शन पर है। मतलब यदि 1975 में सिक्किम का विलय नहीं किया होता और यदि चोग्याल के पास ही powers होती तो, भारतीय सेना खुद को चीनीयों के समकक्ष एक कमजोर स्तिथि में पाती।और शायद हमारा परम मित्र भूटान चीन की हवस का शिकार हो चूका होता।
74.सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की दूरदर्शिता का देश हमेशा ऋणी रहेगा। उन्होंने सोचा कैसे इस पुरे भारतीय उपमहाद्वीप में शांति और स्थिरता बनी रहे और इसे हासिल भी किया।

"सिक्किम नेहरू की वह ऐतिहासिक गलती है जिसे समय रहते सही कर दिया गया।"

#Sikkim #Sikkim_Integration
@AjiHaaan @ajeetbharti @Shrimaan @ThePlacardGuy @Fussy_Ca @bhaiyyajispeaks @anantvijay

भैया आप लोग कृपया समय निकाल कर इसे जरूर पढ़े। यदि मेरे लेखन में कोई त्रुटि हो तो बड़े भाई की तरह मुझे मार्गदर्शित करे। 🙏🙏
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