1. *लियो टॉल्स्टॉय (1828 -1910):* "हिन्दू और हिन्दुत्व ही एक दिन दुनियाँ पर राज करेगा, क्योंकि इसी में ज्ञान और बुद्धि का संयोजन है"।
2. *हर्बर्ट वेल्स (1846 - 1946):* " हिन्दुत्व का प्रभावीकरण फिर होने तक अनगिनत कितनी पीढ़ियां अत्याचार सहेंगी और जीवन कट जाएगा, तभी एक दिन पूरी दुनियाँ उसकी ओर आकर्षित हो जाएगी, उसी दिन ही दिलशाद होंगे और उसी दिन दुनियाँ आबाद होगी । सलाम हो उस दिन को "।
3. *अल्बर्ट आइंस्टीन (1879 - 1955):* "मैं समझता हूँ कि हिन्दूओ ने अपनी बुद्धि और जागरूकता के माध्यम से वह किया जो यहूदी न कर सके । हिन्दुत्व मे ही वह शक्ति है जिससे शांति स्थापित हो सकती है"।
4. *हस्टन स्मिथ (1919):* "जो विश्वास हम पर है और इस हम से बेहतर कुछ भी दुनियाँ में है तो वो हिन्दुत्व है । अगर हम अपना दिल और दिमाग इसके लिए खोलें तो उसमें हमारी ही भलाई होगी"।
5. *माइकल नोस्टरैडैमस (1503 - 1566):* " हिन्दुत्व ही यूरोप में शासक धर्म बन जाएगा बल्कि यूरोप का प्रसिद्ध शहर हिन्दू राजधानी बन जाएगा"।
6. *बर्टरेंड रसेल (1872 - 1970):* "मैंने हिन्दुत्व को पढ़ा और जान लिया कि यह सारी दुनियाँ और सारी मानवता का धर्म बनने के लिए है ।
हिन्दुत्व पूरे यूरोप में फैल जाएगा और यूरोप में हिन्दुत्व के बड़े विचारक सामने आएंगे । एक दिन ऐसा आएगा कि हिन्दू ही दुनियाँ की वास्तविक उत्तेजना होगा "।
7. *गोस्टा लोबोन (1841 - 1931):* " हिन्दू ही सुलह और सुधार की बात करता है । सुधार ही के विश्वास की सराहना में ईसाइयों को आमंत्रित करता हूँ"।
8. *बरनार्ड शा (1856 - 1950):* "सारी दुनियाँ एक दिन हिन्दू धर्म स्वीकार कर लेगी । अगर यह वास्तविक नाम स्वीकार नहीं भी कर सकी तो रूपक नाम
से ही स्वीकार कर लेगी। पश्चिम एक दिन हिन्दुत्व स्वीकार कर लेगा और हिन्दू ही दुनियाँ में पढ़े लिखे लोगों का धर्म होगा "।
9. *जोहान गीथ (1749 - 1832):* "हम सभी को अभी या बाद मे हिन्दू धर्म स्वीकार करना ही होगा । यही असली धर्म है
।मुझे कोई हिन्दू कहे तो मुझे बुरा नहीं लगेगा, मैं इस सही बात को स्वीकार करता हूँ ।"
भारत में हाथों से खाने की रस्म भारतीय वंशजों के बीच भारत से बाहर भी बहुत लोकप्रिय है।
क्या कोई कारण है कि हम ऐसा क्यों करते हैं?
जी हाँ, अवश्य ।
मानो या न मानो।
यह वास्तव में एक "RITUAL" है जिसे हम "मुद्रा" कहते हैं।
खैर, एक "मुद्रा" क्या है?
मुद्रा हिंदू धर्म में एक प्रतीकात्मक या अनुष्ठान संकेत या मुद्रा है।
इसमें अच्छे स्वास्थ्य / नियंत्रण, संतुलन, ऊर्जा के नियंत्रण और यहां तक कि संचार जैसे नृत्यनाथनम और कथक जैसे कई उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाने वाले एक निश्चित इशारे में हाथ और उंगलियां शामिल हैं।
इसलिए जब हम अपने हाथों से खाते हैं तो हम एक मुद्रा बनाते हैं जिसके साथ विनम्रता और विनम्र होने की कृपा का प्रतीक है।
वेदों के अनुसार, हाथ को शरीर का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।
नए-नवेले नेता ने कॉमरेडों से कहा-
अगर तुम्हारे पास बीस-बीघा खेत है तो क्या तुम उसका आधा दस बीघा गरीबों को दे दोगे ?
सारे कामरेड एक साथ बोले- हाँ दे देंगे !
नेता ने फिर कहा-
अगर तुम्हारे पास दो घर हैं तो क्या तुम एक घर गरीबों को दे दोगे ?
सारे कामरेड एक साथ बोले- हाँ दे देंगे !
नेता ने फिर कहा-
अगर तुम्हारे पास दो कार हैं तो क्या तुम एक कार ग़रीब को दे दोगे ?
सारे कामरेड एक साथ बोले- हाँ दे देंगे !
नेता ने फिर पूछा-
अगर तुम्हारे पास चार गधे हैं तो क्या उनमें से दो तुम गरीबों को दे दोगे ?
सारे कामरेड एक साथ बोले- नहीं, गधे तो बिल्कुल नहीं देंगे !
नेता बहुत चकित हुए और उन्होंने पूछा-
तुम अपना खेत दे दोगे गरीबों को, घर दे दोगे, कार दे दोगे मगर अपने गधे क्यों नहीं दोगे ? इतना बड़ा-बड़ा बलिदान कर सकते हो और गधे पर अटक गए ? आख़िर क्यों ?
एक बड़े शहर में " Get Husband " नामक एक स्टोर
खुला। यह 6 मंजिला स्टोर था और हर मंजिल पर हसबेंड पसंद
किया जा सकता था।
पहली मंजिल से आगे बढ़ते जाने पर और
बढ़िया हसबेंड
की गारंटी थी। हर मंजिल
पर लिखा था कि वहाँ किन विशेषताओं वाले
आदमी मिलेंगे।
एक महिला हसबेंड पसंद करने उस स्टोर में गयी।
पहली मंजिल--- इन पुरुषों के पास
नौकरी है।
महिला आगे बढ़ गयी और दूसरी मंजिल
पर गयी।
दूसरी मंजिल--- इन पुरुषों के पास
नौकरी भी है और ये
बच्चों को भी प्यार करते हैं।
महिला और आगे बढ़ी।
तीसरी मंजिल--- इन पुरुषों के पास
नौकरी है। ये बच्चों को प्यार भी करते
हैं और बहुत खूबसूरत भी हैं।
"वाह"....महिला ने सोचा लेकिन वह और आगे बढ़ी।
चौथी मंजिल--- इन पुरुषों के पास
नौकरी है। ये बच्चों को प्यार करते हैं। बहुत
खूबसूरत भी हैं और ये घरेलू कामों में हाँथ
भी बंटाते हैं।
"
गाड़ी चलाते हुए अगर कोई #बच्चा सामने आ जाए तो पहले कोशिश करे कि गाड़ी को रोक लें मगर यह मुमकिन न हो तो फिर बच्चे के पीछे से निकालें क्यों कि साधारणतया बच्चा आगे की तरफ दोड़ता है।
इसी प्रकार कोई #बुजुर्ग गाड़ी के सामने आ जाए तो उसके आगे से गाड़ी निकालें क्यों कि वृद्धजन नॉर्मली पीछे की और हटते है।
यदि कोई युवा #पुरुष गाड़ी के सामने आता दिखता है तो अपनी सीधी रौ में चलते हुए गाड़ी थोड़ी धीमी कर लें।
पुरूष गाड़ी पास आने पर अपने आप ही फुर्ती से आगे पीछे हो जाएगा या जम्प ही लगा लेगा।
लेकिन ईश्वर न करे कोई #महिला आपकी गाड़ी के सामने आ जाए तो हर हाल में गाड़ी रोकने का प्रयास करें.
गुलामी के दिन थे। प्रयाग में कुम्भ मेला चल रहा था। एक अंग्रेज़ अपने द्विभाषिये के साथ वहाँ आया। गंगा के किनारे एकत्रित अपार जन समूह को देख अंग्रेज़ चकरा गया।
उसने द्विभाषिये से पूछा, "इतने लोग यहाँ क्यों इकट्टा हुए हैं?"
द्विभाषिया बोला, "गंगा स्नान के लिये आये हैं सर।"
अंग्रेज़ बोला, "गंगा तो यहां रोज ही बहती है फिर आज ही इतनी भीड़ क्यों इकट्ठा है?"
द्विभाषीया: - "सर आज इनका कोई मुख्य स्नान पर्व होगा।"
अंग्रेज़ - " पता करो कौन सा पर्व है ?"
द्विभाषिये ने एक आदमी से पूछा तो पता चला कि आज बसंत पंचमी है।
अंग्रेज़- "इतने सारे लोगों को एक साथ कैसे मालूम हुआ कि आज ही बसंत पंचमी है?"