जब कोई चीज #मुफ्त मिल रही हो, तो समझ लेना कि आपको इसकी कोई बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।
नोबेल विजेता डेसमंड टुटू ने एक बार कहा था कि ‘जब मिशनरी अफ्रीका आए, तो उनके पास बाईबल थी, और हमारे पास जमीन। उन्होंने कहा 'हम आपके लिए प्रार्थना करने आये हैं।’
हमने आखें बंद कर लीं,,, जब खोलीं तो हमारे हाथ में बाईबल थी, और उनके पास हमारी जमीन।’
इसी तरह जब सोशल नैटवर्क साइट्स आईं,
तो उनके पास #फेसबुक और #व्हाट्सएप थे,
और हमारे पास #आजादी और #निजता थी।
उन्होंनें कहा 'ये मुफ्त है।’ हमने आखें बंद कर अंधाधुंध उपयोग शुरू कर दिया,
और जब आंखें खोली तो #हमारे_पास फेसबुक और व्हाट्सएप थे, और #उनके_पास हमारी आजादी और निजी जानकारियां।
जब भी कोई चीज मुफ्त होती है, तो उसकी कीमत हमें हमारी आजादी दे कर चुकानी पड़ती है।
“ज्ञान से शब्द समझ आते हैं, और अनुभव से अर्थ”
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भारत में हाथों से खाने की रस्म भारतीय वंशजों के बीच भारत से बाहर भी बहुत लोकप्रिय है।
क्या कोई कारण है कि हम ऐसा क्यों करते हैं?
जी हाँ, अवश्य ।
मानो या न मानो।
यह वास्तव में एक "RITUAL" है जिसे हम "मुद्रा" कहते हैं।
खैर, एक "मुद्रा" क्या है?
मुद्रा हिंदू धर्म में एक प्रतीकात्मक या अनुष्ठान संकेत या मुद्रा है।
इसमें अच्छे स्वास्थ्य / नियंत्रण, संतुलन, ऊर्जा के नियंत्रण और यहां तक कि संचार जैसे नृत्यनाथनम और कथक जैसे कई उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाने वाले एक निश्चित इशारे में हाथ और उंगलियां शामिल हैं।
इसलिए जब हम अपने हाथों से खाते हैं तो हम एक मुद्रा बनाते हैं जिसके साथ विनम्रता और विनम्र होने की कृपा का प्रतीक है।
वेदों के अनुसार, हाथ को शरीर का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।
नए-नवेले नेता ने कॉमरेडों से कहा-
अगर तुम्हारे पास बीस-बीघा खेत है तो क्या तुम उसका आधा दस बीघा गरीबों को दे दोगे ?
सारे कामरेड एक साथ बोले- हाँ दे देंगे !
नेता ने फिर कहा-
अगर तुम्हारे पास दो घर हैं तो क्या तुम एक घर गरीबों को दे दोगे ?
सारे कामरेड एक साथ बोले- हाँ दे देंगे !
नेता ने फिर कहा-
अगर तुम्हारे पास दो कार हैं तो क्या तुम एक कार ग़रीब को दे दोगे ?
सारे कामरेड एक साथ बोले- हाँ दे देंगे !
नेता ने फिर पूछा-
अगर तुम्हारे पास चार गधे हैं तो क्या उनमें से दो तुम गरीबों को दे दोगे ?
सारे कामरेड एक साथ बोले- नहीं, गधे तो बिल्कुल नहीं देंगे !
नेता बहुत चकित हुए और उन्होंने पूछा-
तुम अपना खेत दे दोगे गरीबों को, घर दे दोगे, कार दे दोगे मगर अपने गधे क्यों नहीं दोगे ? इतना बड़ा-बड़ा बलिदान कर सकते हो और गधे पर अटक गए ? आख़िर क्यों ?
एक बड़े शहर में " Get Husband " नामक एक स्टोर
खुला। यह 6 मंजिला स्टोर था और हर मंजिल पर हसबेंड पसंद
किया जा सकता था।
पहली मंजिल से आगे बढ़ते जाने पर और
बढ़िया हसबेंड
की गारंटी थी। हर मंजिल
पर लिखा था कि वहाँ किन विशेषताओं वाले
आदमी मिलेंगे।
एक महिला हसबेंड पसंद करने उस स्टोर में गयी।
पहली मंजिल--- इन पुरुषों के पास
नौकरी है।
महिला आगे बढ़ गयी और दूसरी मंजिल
पर गयी।
दूसरी मंजिल--- इन पुरुषों के पास
नौकरी भी है और ये
बच्चों को भी प्यार करते हैं।
महिला और आगे बढ़ी।
तीसरी मंजिल--- इन पुरुषों के पास
नौकरी है। ये बच्चों को प्यार भी करते
हैं और बहुत खूबसूरत भी हैं।
"वाह"....महिला ने सोचा लेकिन वह और आगे बढ़ी।
चौथी मंजिल--- इन पुरुषों के पास
नौकरी है। ये बच्चों को प्यार करते हैं। बहुत
खूबसूरत भी हैं और ये घरेलू कामों में हाँथ
भी बंटाते हैं।
"
गाड़ी चलाते हुए अगर कोई #बच्चा सामने आ जाए तो पहले कोशिश करे कि गाड़ी को रोक लें मगर यह मुमकिन न हो तो फिर बच्चे के पीछे से निकालें क्यों कि साधारणतया बच्चा आगे की तरफ दोड़ता है।
इसी प्रकार कोई #बुजुर्ग गाड़ी के सामने आ जाए तो उसके आगे से गाड़ी निकालें क्यों कि वृद्धजन नॉर्मली पीछे की और हटते है।
यदि कोई युवा #पुरुष गाड़ी के सामने आता दिखता है तो अपनी सीधी रौ में चलते हुए गाड़ी थोड़ी धीमी कर लें।
पुरूष गाड़ी पास आने पर अपने आप ही फुर्ती से आगे पीछे हो जाएगा या जम्प ही लगा लेगा।
लेकिन ईश्वर न करे कोई #महिला आपकी गाड़ी के सामने आ जाए तो हर हाल में गाड़ी रोकने का प्रयास करें.
गुलामी के दिन थे। प्रयाग में कुम्भ मेला चल रहा था। एक अंग्रेज़ अपने द्विभाषिये के साथ वहाँ आया। गंगा के किनारे एकत्रित अपार जन समूह को देख अंग्रेज़ चकरा गया।
उसने द्विभाषिये से पूछा, "इतने लोग यहाँ क्यों इकट्टा हुए हैं?"
द्विभाषिया बोला, "गंगा स्नान के लिये आये हैं सर।"
अंग्रेज़ बोला, "गंगा तो यहां रोज ही बहती है फिर आज ही इतनी भीड़ क्यों इकट्ठा है?"
द्विभाषीया: - "सर आज इनका कोई मुख्य स्नान पर्व होगा।"
अंग्रेज़ - " पता करो कौन सा पर्व है ?"
द्विभाषिये ने एक आदमी से पूछा तो पता चला कि आज बसंत पंचमी है।
अंग्रेज़- "इतने सारे लोगों को एक साथ कैसे मालूम हुआ कि आज ही बसंत पंचमी है?"