ये पत्थर राम मंदिर के लिए भेजे जाने हैं तब उसने खदान की लीज कैंसिल कर दी और पत्थरों को जप्त कर लिया ...???
नीच दोगली कांग्रेस कभी नहीं चाहेगी कि
अयोध्या में भव्य राम मंदिर बने।
🙏🙏🙏
कांग्रेस क्या असुरों का खानदान है.
हर बात मे अडंगा हर बात मे विरोध.
साफ साफ कहना चाहिए कांग्रेस
अध्यक्ष को कि हम लोग राम को
नहीं मानते, और न सहयोग करेंगे
हम जहां जैसा अडंगा लगा सकते
हैं वहां लगायेगें.🙏🙏
विनाश काले विपरीत बुद्धि
श्रीरामजन्म भूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट करीब 36करोड़ रुपये मूल्य के बेहतरीन क्षमता वाले 4.5लाख घनफीट बंशी पहाड़पुर के गुलाबी पत्थरों का ऑर्डर देने की तैयारी में ही था कि राजस्थान सरकार ने पहले से ही भांप कर इन पत्थरों की खदानों से निकासी पर रोक लगवा दी...
यानी मंदिर निर्माण के रास्ते मे अवरोध करने वाली वेटिकन वाली फिरंगन की घिनौनी साजिश अभी रूकी नही है.....कितनी गिरी और घटिया है ये पारटी...और इसका नेतृत्व...!!
दरअसल इस कुटिलता के पीछे की सच्चाई तो यह है कि जब अदालत द्वारा कांग-रेस राम मंदिर के निर्माण को नहीं रोक सकी..
तो अब बिलबिला कर राम मंदिर निर्माण के लिए राजस्थान से आने वाले पत्थर की निकासी पर ही रोक लगा दिया....ये सब करके मंदिर निर्माण रोक लेगी फिरंगी लोमड़ी...???
इसीलिए तो हमेशा कहता रहता हूं...कि हिंदू आतंकी..भगवा आतंकवाद जैसे काल्पनिक कथनो को रचने मे माहिर २६/११ की साजिश रचने वाली और
हिंदू विरोधी कांग-रेस को वोट या सपोर्ट देने का मतलब है अपनी सभ्यता,संस्कृति और संस्कार के साथ साथ अपने पुरखों के त्याग,परिश्रम और बलिदान को धोखा देना होगा....क्योंकि जो हमारे राम का नहीं,वह हमारे काम का नहीं....
लेकिन अफसोस तो यही है कि अभी भी बहुत से हिंदू फिरंगन की चरण चाटुकारिता को अपना धरम समझ रहे हैं..थू है ऐसे जयचंदो पर...!!
बहरहाल हमे तो लगता था कि कजरीलाल ही सबसे गिरा हुआ है..लेकिन कोलकाता वाली जेहादन ने उस से नीचे गिर के दिखा दिया और तो और अब मुम्बई वाले ने तो गिरावट के
सारे रिकॉर्डों को ही तोड़ दिया है...गजब है कुर्सी का लालच..जो आत्मसम्मान,सामाजिक सम्मान,स्वाभिमान..या कहें जमीर और खुद्दारी तक को मार देती है....!
फिलहाल एक बात जान और समझ लीजिये कि तुष्टीकरण की जनक कांग-रेस के बारे मे साऊथ ब्लॉक के गलियारों को बखूबी जानकारी है
कि इंटेलिजेंस-ब्यूरो के एक उच्च अधिकारी ने वर्षों पहले एक बातचीत में कहा था कि #माओवादी..#नक्सली....#अर्बन_नक्सली...#जेहादी आदि ये सब काँग-रेस की #सशस्त्र शाखायें है...जिन्हे #कांग_रेस ने बड़ी मेहनत से भारत की नसल बदलने के लिये तैयार किया है...अगर ध्यान से देखियेगा
तो आप समझ जायेंगे कि जिस राज्य में भी #काँग-रेस चुनाव हार जाती है,वहाँ नक्सली और जेहादी #उत्पात..#उपद्रव करने या कोशिश करने लगते हैं।
ये पूरा मामला 2008 में चीनी कम्युनिस्ट-पार्टी के साथ काँग्रेस के समझौते से यह स्पष्ट हो गया है....
जिन्हे जरा भी कन्फ्यूजन हो वो जरा RTI के माध्यम से काग-रेस से पूंछ क्यों नही लेते...या फिर कांग-रेस की बोली,भाषा और हरकत की सामयिक तुलना पाक या चीन की बोली,भाषा और हरकत से क्यों नही कर लेते....?? #वंदेमातरम
🙏🙏🌹🙏🙏
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पहली बार मैंने देखा कि कोई शंकराचार्य अपने चांदी के सिंहासन को छोड़कर महीनों तक आदिवासी क्षेत्र में पैदल भ्रमण कर रहा है धर्म ईसाई मिशनरियों के कुचक्र को तोड़ रहा है आदिवासी बंधुओं को उनके मूल धर्म में वापस ला रहा है
गुजरात के आदिवासी जिले डांग में जिस पर ईसाई मिशनरियों और इस्लामिक संगठनों की बुरी नजर थी जहां लालच देकर बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन का काम हो रहा था वहां अब बड़े पैमाने पर ईसाइयों को मूल धर्म में वापस लाया जा रहा है हिंदू संस्कृति का प्रचार किया जा रहा है
इस इलाके में द्वारिका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महीनों से जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं
शंकराचार्य भोजन के लिए ऐसे ही चलते चलते किसी भी आदिवासी के घर में जाकर खाना मांग कर खा लेते हैं वहां शबरी पीठ को और बड़ा बनाया जा रहा है और
आज जो भारत में रेलवे है.., उसको भारत में कौन लाया ?
आपका उत्तर ब्रिटिश होगा ।
कैसा रहेगा अगर मैं कहूं कि ब्रिटिश सिर्फ विक्रेता थे, यह वास्तव में एक भारतीय का स्वप्न था ।
भारतीय गौरव को छिपाने के लिए हमारे देश की पूर्व सरकारों के समय इतिहास से बड़ी एवं गम्भीर छेड़छाड़ की गई।
रेलवे अंग्रेजों के कारण नहीं बल्कि नाना के कारण भारत आयी । भारत में रेलवे आरम्भ करने का श्रेय हर कोई अंग्रेजों को देता है लेकिन श्रीनाना जगन्नाथ शंकर सेठ मुर्कुटे के योगदान और मेहनत के बारे में कदाचित कम ही लोग जानते हैं ।
१५ सितंबर १८३० को दुनिया की पहली इंटरसिटी ट्रेन इंग्लैंड में लिवरपूल और मैनचेस्टर के बीच चली । यह समाचार हर जगह फैल गया । बम्बई ( आज की मुंबई ) में एक व्यक्ति को यह बेहद अनुचित लगा । उन्होंने सोचा कि उनके गांव में भी रेलवे चलनी चाहिए । अमेरिका में अभी रेल चल रही थी और
संथाल विद्रोह आप जानते होंगे पर आपने कभी पहाड़िया विद्रोह सुना है?
सबसे शुरुआती संघर्षों में एक जो 1772 से 1782 तक चला था
अंग्रेजो ने बंगाल विजय के बाद अपना बड़े स्तर पर विस्तार किया था जिसके कारण बिहार और झारखंड का एक बड़ा हिस्सा अंग्रेजो के अधीन आ गया
झारखंड के उत्तर पूर्वी इलाके पाकुड़, राजमहल में पहाड़िया बड़ी मात्रा में रहते थे, जो बाद में संथाल परगना बन गया, वहां अंग्रेजो ने मनसबदार नियुक्त किए
वैसे तो शुरू में पहाड़ियों से मनसबदारो का व्यवहार अच्छा था किंतु जल्द ही खटास पड़ गई पहाड़ियों के मुखिया की उन्होंने हत्या करवा दी
जिसके बाद पहाड़िया विद्रोह शुरू हो गया जिसकी शुरुआत रमना आहड़ी ने किया, ये कई चरणों में चला
उस समय ये इलाका वन संपदा से परिपूर्ण था, पग पग पर वृक्ष थे, जिससे रूबरू होने के कारण उन वनवासियों ने अंग्रेजो की नींव हिला दी
गणितज्ञ "लीलावती" का नाम हममें से अधिकांश लोगों ने नहीं सुना है, उनके बारे में कहा जाता है कि वो पेड़ के पत्ते तक गिन लेती थीं 🙏
शायद ही कोई जानता हो कि आज यूरोप सहित विश्व के सैंकड़ो देश जिस गणित की पुस्तक से गणित को पढ़ा रहे हैं, उसकी रचयिता भारत की एक महान गणितज्ञ
महर्षि भास्कराचार्य की पुत्री लीलावती हैं! आज गणितज्ञों को गणित के प्रचार और प्रसार के क्षेत्र में लीलावती पुरूस्कार से सम्मानित किया जाता है!
आइए जानते हैं महान गणितज्ञ लीलावती जी के बारे में जिनके नाम से गणित को पहचाना जाता था :-
दसवीं सदी की बात है, दक्षिण भारत में भास्कराचार्य नामक गणित और ज्योतिष विद्या के एक बहुत बड़े पंडित थे। उनकी कन्या का नाम लीलावती था।
वही उनकी एकमात्र संतान थी। उन्होंने ज्योतिष की गणना से जान लिया कि ‘वह विवाह के थोड़े दिनों के ही बाद विधवा हो जाएगी।’
महुआ मोइत्रा ओवरस्मार्ट बन रही थी। कहा कि मैं तो यूपी के मुख्यमंत्री को योगी आदित्यनाथ नहीं बोलूँगी, अजय बिष्ट बोलूँगी, क्योंकि यही उनका असली नाम है और मैं लोगों को उनके असली नाम से बुलाना पसंद करती हूँ।
लोगों ने कहा, अच्छा! तुम लोगों को उनके असली नाम से बुलाना पसंद करती हो? तो ठीक है, हम भी अब तुम्हें तुम्हारे असली नाम से बुलायेंगे और उन्होंने उसे बुलाना शुरू कर दिया 'महुआ लार्स ब्रोरसन'! अब महुआ को समझ आया कि उसने क्या किया है। पर अब पछताये होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत
! सोशल मीडिया पर Mahua Lars Brorson ट्रेंड करने लगा। योगी आदित्यनाथ को अजय बिष्ट बुलाने वाली महिला इसे झेल नहीं पाई। खीझ में उसने हर उस व्यक्ति को ट्विटर पर ब्लॉक कर दिया जो उसे महुआ लार्स ब्रोरसन नाम से बुला रहा था।
एक बार कभी सोचना कि वह असद कितना बड़ा दरिंदा था
उमेश पाल तो गवाह थे लेकिन उनके साथ जो दो निर्दोष गनर मारे गए उनका क्या कसूर था ??
मारे गए एक सिपाही राघवेंद्र सिंह की कहानी आपको रुला देगी, राघवेंद्र सिंह के दादा भी पुलिस में थे और एनकाउंटर के दौरान शहीद हुए थे,
राघवेंद्र सिंह के पिताजी भी पुलिस में थे और उन्नाव में चुनावी ड्यूटी के दौरान बूथ कैप्चर करने वाले गुंडों से मुकाबला करते शहीद हुए थे 😨👿😡राघवेंद्र पढ़ने में बहुत होशियार थे लेकिन पिता के शहीद होने के बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधे पर आई
उन्हें अपनी दो बहनों की शादी करनी थी फिर उन्होंने मृतक आश्रित कोटे से पुलिस में नौकरी किया, अपनी एक बहन की शादी की एक बहन की शादी अभी होनी थी और खुद राघवेंद्र की शादी इस घटना के 15 दिन के बाद होनी थी राघवेंद्र सिंह की छुट्टी मंजूर कर ली गई थी