#UltimateGuruJi🇮🇳 Profile picture
Sep 13, 2020 26 tweets 5 min read Read on X
जन सामान्य में हमारे प्राचीन ऋषियों-मुनियों के बारे में ऐसी धारणा जड़ जमाकर बैठी हुई है कि वे जंगलों में रहते थे, जटाजूटधारी थे, भगवा वस्त्र पहनते थे, झोपड़ियों में रहते हुए दिन-रात ब्रह्म-चिन्तन में निमग्न रहते थे, सांसारिकता से उन्हें कुछ भी लेना-देना नहीं रहता था।
इसी पंगु अवधारणा का एक बहुत बड़ा अनर्थकारी पहलू यह है कि हम अपने महान पूर्वजों के जीवन के उस पक्ष को एकदम भुला बैठे, जो उनके महान् वैज्ञानिक होने को न केवल उजागर करता है वरन् सप्रमाण पुष्ट भी करता है।
महर्षि भरद्वाज उन प्राचीन विज्ञानवेत्ताओं में से ही एक ऐसे महान वैज्ञानिक थे जिनका जीवन तो अति साधारण था लेकिन उनके पास लोकोपकारक विज्ञान की महान दृष्टि थी।

महर्षि भारद्वाज और कोई नही बल्कि वही ऋषि है जिन्हें त्रेता युग में भगवान श्री राम से मिलने का सोभाग्य दो बार प्राप्त हुआ।
एक बार श्री राम के वनवास काल में तथा दूसरी बार श्रीलंका से लौट कर अयोध्या जाते समय। इसका वर्णन वाल्मिकी रामायण तथा तुलसीदास कृत रामचरितमानस में मिलता है।
तीर्थराज प्रयाग में संगम से थोड़ी दूरी पर इनका आश्रम था, जो आज भी विद्यमान है।
महर्षि भरद्वाज की दो पुत्रियाँ थीं, जिनमें से एक (सम्भवत: मैत्रेयी) महर्षि याज्ञवल्क्य को ब्याही थीं और दूसरी इडविडा (इलविला) विश्रवा मुनि को।

महाभारत काल तथा उससे पूर्व भारतवर्ष में भी विमान विद्या का विकास हुआ था। न केवल विमान अपितु अंतरिक्ष में स्थित नगर रचना भी हुई थी।
इसके अनेक संदर्भ प्राचीन वांग्मय में मिलते हैं। निश्चित रूप से उस समय ऐसी विद्या अस्तित्व में थी जिसके द्वारा भारहीनता(ZeroGravity) की स्थति उत्पन्न की जा सकती थी। यदि पृथ्वी की गरूत्वाकर्षण शक्ति का उसी बल में विपरीत दिशा में प्रयोग किया जाये तो भारहीनता उत्पन्न कर पाना संभव है।
विद्या वाचस्पति पं. मधुसूदन सरस्वती " इन्द्रविजय " नामक ग्रंथ में ऋग्वेद के छत्तीसवें सूक्त प्रथम मंत्र का अर्थ लिखते हुए कहते हैं कि ऋभुओं ने तीन पहियों वाला ऐसा रथ बनाया था जो अंतरिक्ष में उड़ सकता था।
पुराणों में विभिन्न देवी देवता, यक्ष, विद्याधर आदि विमानों द्वारा यात्रा करते हैं इस प्रकार के उल्लेख आते हैं। त्रिपुरासुर याने तीन असुर भाइयों ने अंतरिक्ष में तीन अजेय नगरों का निर्माण किया था, जो पृथ्वी, जल, व आकाश में आ जा सकते थे और भगवान शिव ने जिन्हें नष्ट किया।
वेदों मे विमान संबंधी उल्लेख अनेक स्थलों पर मिलते हैं। ऋषि देवताओं द्वारा निर्मित तीन पहियों के ऐसे रथ का उल्लेख ऋग्वेद (मण्डल 4, सूत्र 25, 26) में मिलता है, जो अंतरिक्ष में भ्रमण करता है। ऋषिओं ने मनुष्य-योनि से देवभाव पाया था।
देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों द्वारा निर्मित पक्षी की तरह उडऩे वाले त्रितल रथ, विद्युत-रथ और त्रिचक्र रथ का उल्लेख भी पाया जाता है। महाभारत में श्री कृष्ण, जरासंध आदि के विमानों का वर्णन आता है ।
वाल्मीकि रामायण में वर्णित ‘पुष्पक विमान’ (जो लंकापति रावण के पास था) के नाम से तो प्राय: सभी परिचित हैं। लेकिन इन सबको कपोल-कल्पित माना जाता रहा है।
लगभग छह दशक पूर्व सुविख्यात भारतीय वैज्ञानिक डॉ0 वामनराव काटेकर ने अपने एक शोध-प्रबंध में पुष्पक विमान को अगस्त्य मुनि द्वारा निर्मित बतलाया था, जिसका आधार `अगस्त्य संहिता´ की एक प्राचीन पाण्डुलिपि थी।
अगस्त्य के `अग्नियान´ ग्रंथ के भी सन्दर्भ अन्यत्र भी मिले हैं। इनमें विमान में प्रयुक्त विद्युत्-ऊर्जा के लिए `मित्रावरुण तेज´ का उल्लेख है। महर्षि भरद्वाज ऐसे पहले विमान-शास्त्री हैं, जिन्होंने अगस्त्य के समय के विद्युत् ज्ञान को अभिवर्द्धित किया।
महर्षि भारद्वाज ने " यंत्र सर्वस्व " नामक ग्रंथ लिखा था, जिसमे सभी प्रकार के यंत्रों के बनाने तथा उन के संचालन का विस्तृत वर्णन किया। उसका एक भाग वैमानिक शास्त्र है |
इस ग्रंथ के पहले प्रकरण में प्राचीन विज्ञान विषय के पच्चीस ग्रंथों की एक सूची है, जिनमें प्रमुख है अगस्त्यकृत - शक्तिसूत्र, ईश्वरकृत - सौदामिनी कला, भरद्वाजकृत - अशुबोधिनी, यंत्रसर्वसव तथा आकाश शास्त्र, शाकटायन कृत - वायुतत्त्व प्रकरण, नारदकृत - वैश्वानरतंत्र, धूम प्रकरण आदि।
विमान शास्त्र की टीका लिखने वाले बोधानन्द लिखते है -
निर्मथ्य तद्वेदाम्बुधिं भरद्वाजो महामुनिः ।
नवनीतं समुद्घृत्य यन्त्रसर्वस्वरूपकम्‌ ।
प्रायच्छत्‌ सर्वलोकानामीप्सिताज्ञर्थ लप्रदम्‌ ।
तस्मिन चत्वरिंशतिकाधिकारे सम्प्रदर्शितम्‌ ॥
नाविमानर्वैचित्र्‌यरचनाक्रमबोधकम्‌ ।
अष्टाध्यायैर्विभजितं शताधिकरणैर्युतम ।
सूत्रैः पञ्‌चशतैर्युक्तं व्योमयानप्रधानकम्‌ ।
वैमानिकाधिकरणमुक्तं भगवतास्वयम्‌ ॥
अर्थात - भरद्वाज महामुनि ने वेदरूपी समुद्र का मन्थन करके यन्त्र सर्वस्व नाम का ऐसा मक्खन निकाला है, जो मनुष्य मात्र के लिए इच्छित फल देने वाला है। उसके चालीसवें अधिकरण में वैमानिक प्रकरण जिसमें विमान विषयक रचना के क्रम कहे गए हैं। यह ग्रंथ आठ अध्याय में विभाजित है,
तथा उसमें एक सौ अधिकरण तथा पाँच सौ सूत्र हैं तथा उसमें विमान का विषय ही प्रधान है । ग्रंथ के बारे में बताने के बाद बोधानन्द भरद्वाज मुनि के पूर्व हुए आचार्य व उनके ग्रंथों के बारे में लिखते हैं
वे आचार्य तथा उनके ग्रंथ निम्नानुसार हैं
( १ ) नारायण कृत - विमान चन्द्रिका ( २ ) शौनक कृत न् व्योमयान तंत्र ( ३ ) गर्ग - यन्त्रकल्प ( ४ ) वायस्पतिकृत - यान बिन्दु + चाक्रायणीकृत खेटयान प्रदीपिका ( ६ ) धुण्डीनाथ - व्योमयानार्क प्रकाश
विमान की परिभाषा देते हुए अष् नारायण ऋषि कहते हैं जो पृथ्वी, जल तथा आकाश में पक्षियों के समान वेग पूर्वक चल सके, उसका नाम विमान है।
शौनक के अनुसार एक स्थान से दूसरे स्थान को आकाश मार्ग से जा सके,
विश्वम्भर के अनुसार - एक देश से दूसरे देश या एक ग्रह से दूसरे ग्रह जा सके, उसे विमान कहते हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत शोध मण्डल ने प्राचीन पाण्डुलिपियों की खोज के विशेष प्रयास किये। फलस्वरूप् जो ग्रन्थ मिले, उनके आधार पर भरद्वाज का `विमान-प्रकरण´, विमान शास्त्र प्रकाश में आया।
इस ग्रन्थ का बारीकी से अध्यन करने पर आठ प्रकार के विमानों का पता चला :
1. शक्त्युद्गम - बिजली से चलने वाला।
2. भूतवाह - अग्नि, जल और वायु से चलने वाला।
3. धूमयान - गैस से चलने वाला।
4. शिखोद्गम - तेल से चलने वाला।
5. अंशुवाह - सूर्यरश्मियों से चलने वाला।
6. तारामुख - चुम्बक से चलने वाला।
7. मणिवाह - चन्द्रकान्त, सूर्यकान्त मणियों से चलने वाला।
8. मरुत्सखा - केवल वायु से चलने वाला।

इसी ग्रन्थ के आधार पर भारत के बम्बई निवासी शिवकर जी ने Wright brothers से 8 वर्ष पूर्व ही एक विमान का निर्माण कर लिया था।
इसके बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें। सर्वप्रथम इस विमान शास्त्र को मिथ्या माना गया परन्तु अध्यन से चोंका देने वाले तथ्य सामने आये जैसे विमान का जो प्रारूप तथा जिन धातुओं से विमान का निर्माण इस विमान शास्त्र में उल्लेखित है
वह परिकल्पना आधुनिक विमान निर्माण पद्धति से मेल खाती है।

• • •

Missing some Tweet in this thread? You can try to force a refresh
 

Keep Current with #UltimateGuruJi🇮🇳

#UltimateGuruJi🇮🇳 Profile picture

Stay in touch and get notified when new unrolls are available from this author!

Read all threads

This Thread may be Removed Anytime!

PDF

Twitter may remove this content at anytime! Save it as PDF for later use!

Try unrolling a thread yourself!

how to unroll video
  1. Follow @ThreadReaderApp to mention us!

  2. From a Twitter thread mention us with a keyword "unroll"
@threadreaderapp unroll

Practice here first or read more on our help page!

More from @UltimateGuruJi

Jan 5, 2022
रावलपिंडी के समीप हिन्दुओं का एक छोटा सा गांव था। 500 के लगभग वयस्क होंगे। बाकि बच्चे, बुड्ढे। गांव के सरपंच रामलाल एक विशाल बरगद के नीचे बैठे थे। तभी मोहन भागता हुआ आया। बोला सरपंच जी सरपंच जी। सरपंच जी ने कहा”क्या हुआ मोहन? ”
सरपंच जी मुझे पता लगा है यहाँ से 8 कोस दूर हिन्दुओं ने अपना गांव खाली करना शुरू कर दिया है। सिख भी उनके साथ अमृतसर जाने की तैयारी कर रहे है। सरपंच जी ने एक लम्बी साँस ली और कहा” मैंने कल ही रेडियो पर सुना था। महात्मा गाँधी ने कहा है कि "भारत-पाकिस्तान का विभाजन मेरी लाश पर होगा।"
क्या तुम्हें उनकी बात पर भरोसा नहीं है ?” मोहन बोला,” सुना तो मैंने भी है कि जवाहर लाल नेहरू ने कहा है कि हिन्दुओं आश्वस्त रहो। भारत के कभी टुकड़े नहीं होंगे। तुम लोग लाहौर और रावलपिंडी में आराम से रहो।
Read 27 tweets
Dec 13, 2021
नरेन्द्र मोदी के एक अप्रचारित गुप्त कार्य का उल्लेख मीडिया नहीं करती। काशी विश्वनाथ के नवीन गेट नम्बर−४ को VIP गेट बना दिया गया है, जो ज्ञानवापी मस्जिद नाम से विख्यात असली प्राचीन विश्वनाथ मन्दिर के पिछे से गुजरती है।
औरंगजेब ने उस मन्दिर को मस्जिद का रूप तो दे दिया किन्तु मन्दिर का पिछे का हिस्सा पुराना ही रह गया,

जो शत−प्रतिशत हिन्दू मन्दिर वाला है। ज्ञानवापी “मस्जिद” के गर्भगृह में अभीतक पुजारी द्वारा नियमित पूजन बन्द नहीं कराया जा सका है।
श्रीरामजन्मभूमि मन्दिर के प्रमाण हेतु खुदाई करनी पड़ी,परन्तु ज्ञानवापी मन्दिर का पिछवाड़ा बिना खुदाई के ही सबूत दिखाता है। इलाहाबाद हाइकोर्ट ने ठीक ही किया जो खुदाई पर रोक लगायी क्योंकि वहाँ खुदाई की आवश्यकता ही नहीं है,खुदाई की माँग करना ही गलत था। वहाँ सबूत भूमि के ऊपर है।
Read 8 tweets
Feb 5, 2021
*वेलेंटाइन डे एक अभिषाप👹*

📌#वैलेंटाइन_का_दुष्परिणाम 👉🏻भारत में वैलेंटाइन के 7 दिन के पागलपन के चक्कर में हर साल लगभग 😳60-70 लाख लड़कियों के Nude picks और MMS व्हाट्स एप्प पर वायरल होते हैं...उन picks/MMS को देशी पोर्न साइट्स बेचकर करोड़ो रूपये💸💵💴💶 कमाती हैं...
वीडियो वायरल होने पर ज्यादातर लडकिया आत्महत्या कर लेती हैं,,कभी कभी तो पूरा परिवार ही आत्महत्या कर लेता है...😔

👇🏻👇🏻👇🏻
------ लेकिन कभी किसी nude pick/MMS में को ध्यान से देखना, सब लड़की के सामने और लड़की की मर्जी से क्लिक/रिकॉर्ड किया गया रहता है...
जिसमे से 60% ऐसा मिलेगा जिसमे लड़की ने खुद से ही अपने फोन से फोटो/वीडियो बनाया होता है...🤐

*लड़कियों में इच्छा शक्ति 10 गुना, और तार्किक क्षमता 1/10 गुना होती है...*
Read 9 tweets
Feb 5, 2021
🌷 *निष्काम सेवा* 🌷💐

🌅भारत संतों का देश है, यहाँ एक से बढ़कर एक संत हुए हैं एक ऐसे ही संत हुए जो बड़े ही सदाचारी और लोकसेवी थे। उनके जीवन का मुख्य लक्ष्य परोपकार था।
एक बार उनके आश्रम के निकट से देवताओं की टोली जा रही थी। संत आसन जमाये साधना में लीन थे। आखें खोली तो देखा सामने देवता गण खड़े हैं। संत ने उनका अभिवादन कर उन सबको आसन दिया और उनकी खूब सेवा की।
देवता गण उनके इस व्यवहार और उनके परोपकार के कार्य से प्रसन्न होकर उनसे वरदान मांगने को कहा। संत ने आदरपूर्वक कहा – “हे देवगण! मेरी कोई इच्छा नहीं है। आप लोगों की दया से मेरे पास सब कुछ है।”
Read 10 tweets
Dec 21, 2020
*कॉरपोरेट मिशनरी*
*बहुत ही ज्वलंत और चिंताजनक मुद्दा है यह।*
*क्या आप जानते है भारत में सबसे बड़ा कॉर्पोरेट कौन है?
*टाटा ? नहीं।*
*अम्बानी ? नहीं।*
*अदानी ? नहीं।*
*चौंकिए मत और आगे पढ़िए।*
*3,00,000 लाख करोड़ सम्पति वाला कोई और नहीं यह है , #The_Syro_Malabar_Church_केरल।* Image
*इसका 10000से ज्यादा संस्थानों पर कण्ट्रोल है और इसकी अन्य बहुत सी सहायक ऑर्गेनाइजेशन्स भी हैं।*
*मेरी समझ में यह एक ऐसा छद्म बिज़नेस ऑर्गेनाइजेशन है, जो सम्पत्ति के मामले में भारत में टाटा, अम्बानी आदि का मुकाबला करने में सक्षम है। ये सारे औद्योगिक घराने इसके आसपास भी नहीं हैं।*
*यकीन नहीं हो रहा है ना ,,,,?*
*तो ठीक है,ये आंकडे देखिए।*
*इनके अधीन*
*9000 प्रीस्ट*
*37000 नन*
*50 लाख चर्च मेम्बर*
*34 Dioceses*
*3763 चर्च*
*71 पादरी शिक्षा संस्थान*
*4860 शिक्षा संस्थान*
*2614 हॉस्पिटल्स और क्लिनिक*
*77 ईसाई शिक्षा संस्थान*
Read 12 tweets
Dec 20, 2020
प्रश्न---" प्रसिद्ध आरती, 'ओम जय जगदीश हरे' के रचयिता कौन हैं ? "

किसी ने कहा, ये आरती तो पौराणिक काल से गाई जाती है।

किसी ने इस आरती को वेदों का एक भाग बताया।

और एक ने तो ये भी कहा कि, सम्भवत: इसके रचयिता अभिनेता-निर्माता-निर्देशक मनोज कुमार हैं!
" ओम जय जगदीश हरे " आरती आज हर हिन्दू घर में गाई जाती है। इस आरती की तर्ज पर अन्य देवी देवताओं की आरतियाँ बन चुकी हैं और गाई जाती हैं।

परंतु इस मूल आरती के रचयिता के बारे में काफी कम लोगों को पता है।

इस आरती के रचयिता थे "पं. श्रद्धाराम शर्मा या श्रद्धाराम फिल्लौरी"।
पं. श्रद्धाराम शर्मा का जन्म पंजाब के जिले जालंधर में स्थित फिल्लौर नगर में हुआ था।

वे सनातन धर्म प्रचारक, ज्योतिषी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, संगीतज्ञ तथा हिन्दी और पंजाबी के प्रसिद्ध साहित्यकार थे।

उनका विवाह सिख महिला महताब कौर के साथ हुआ था।
Read 17 tweets

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3/month or $30/year) and get exclusive features!

Become Premium

Don't want to be a Premium member but still want to support us?

Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal

Or Donate anonymously using crypto!

Ethereum

0xfe58350B80634f60Fa6Dc149a72b4DFbc17D341E copy

Bitcoin

3ATGMxNzCUFzxpMCHL5sWSt4DVtS8UqXpi copy

Thank you for your support!

Follow Us!

:(