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Sep 18, 2020 15 tweets 5 min read Read on X
साभार एक फेसबुक मित्र की कलम से

#सरकारी बनाम #निजीकरण। (विचारों का तारतम्य न खोजे, जो महसूस किया वैसा लिख रहा हूँ।)

भारत में व्यक्ति पूजा एवं उनका #महिमामंडन भी खूब होता है तथा साथ ही कुछ काले धब्बों को दिखाकर एक अच्छी-खासी #संस्था का #मानमर्दन भी खूब होता है
जैसाकि वर्तमान में सरकारी संस्थाओं के बारे में किया जा रहा है।

बहुसंख्यक अपने दुख से दुखी नहीं होता है अपितु दूसरों को सुखी देखकर ज्यादे दुखी होता है और जनता की इसी दुर्बलता भरी भावना का लाभ उठाते हुए सरकारें अपनी गलत नीतियों को enforce कराती हैं
क्योंकि बहुसंख्यक गलत होता हुआ देखते हुए भी सरकार के गलत नीतियों के समर्थन या मौन समर्थन में होता है।
नोटबंदी से अधिकतर इस बात से खुश थें कि हमारा क्या जायेगा?, जिसके पास है वही तो बर्बाद होगा।
#पेंशन बंद होने से बहुसंख्यक इस बात से खुश हैं कि कौन सी हमको मिल रही थी?
सरकारी कर्मचारियों की छटनी हो या #संविदा पर रखा जाये, हमें क्या करना ये तो हराम की खाते हैं(ऐसा वही कहते हैं जो खुद सरकारी नौकरी नहीं पा सके)। काले धब्बे हर जगह हैं और कुछ को वास्तव में कटु अनुभव हुए भी होंगे पर जिस दिलेरी से सरकारी अस्पतालों/स्कूलों को गाली देते हैं
वे ही बिना किसी विरोध के प्राइवेट अस्पतालों एवं स्कूलों में उनके मनमुताबिक अपना पेट काटकर जमीन जायदाद बेचकर वहाँ payment कर देते हैं।
इलाज AIIMS, PGI, BHU इत्यादि में चाहिए। पढ़ने के लिए KGMC, AFMC, IIT, Roorkee, IIM, Delhi Univ., BHU, Lucknow Univ. इत्यादि चाहिए
और गाली देंगे सरकारी को।
पहले के सारे #अधिकारी, विभिन्न संस्थाओं में कार्यरत लोग सरकारी #प्राइमरी एवं #माध्यमिक स्कूलों में पढ़कर कहाँ से कहाँ पहुँच गये? अब #प्राइवेट प्राइमरी एवं माध्यमिक स्कूलों की मोटी फीस तो तभी मिलेगी न जब सरकारी को बदनाम किया जायेगा एवं
बर्बाद घोषित किया जायेगा।

रिलायंस जिओ तभी आगे बढ़ेगा न जब BSNL बर्बाद होगा।
सरकारी नौकरी किसी को थाली में सजाकर नहीं मिल जाती। उसके लिए नाक रगड़ना पड़ता है। रात-दिन मेहनत करनी पड़ती है। अपने जीवन के स्वर्णिम वर्षों में से 5-7-10 साल रात-दिन पढ़कर न्योछावर करने होते हैं।
फिर यदि नौकरी लग गयी या मन मुताबिक career मिल गया तो अच्छी बात अन्यथा इतने वर्ष बर्बाद होने के बाद असफलता की पीड़ा उस भुक्तभोगी के अलावा और कौन महसूस कर सकता है?

बड़े आसानी से कह देते हैं कि सरकारी कामचोर, बेईमान, भ्रष्ट होते हैं। कुछ काले धब्बों को छोड़कर जरा घर से निकले और
निष्पक्ष भाव से देखें कि कितने कामचोर, बेईमान और भ्रष्ट हैं। प्राइवेट डाक्टर को 500-1000 रूपये की फीस देकर नंबर लगाकर दिखाते हैं। सरकारी में चले जाइये और देखिये कि एक डाक्टर कितने मरीजों को देखता है और उसकी salary कितनी है? प्रशासनिक अधिकारी, डाक्टर, बैंकर, सफाई कर्मचारी
इत्यादि अधिकांश बड़ी मेहनत और समर्पण से कार्य कर रहे हैं। यदि आपको बेईमान दिखायी दे रहे हैं तो उनके खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठाते, उनको suspend क्यों नहीं कराते, सबको क्यों गाली देते हैं?

ये जो सरकारी कर्मचारी हैं वो आप ही के घरों से आये हैं और बहुत मेहनत करके नौकरी पाये हैं।
इनको क्यों नहीं हक है job security का, पेंशन का, सुकून का?

निस्संदेह सबको सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती, तो क्या आप सरकारी कर्मचारियों को गाली देना शुरू कर देंगे। निस्संदेह प्राइवेट में वो job security, salary नहीं मिल पा रही है, जिसकी वजह से सभी सरकारी नौकरी की आकांक्षा रखते हैं
तथा जब रिश्ता खोजने जाते हैं, तो सरकारी दामाद ही चाहिए।

अतः सरकारी जोकि बहुत मेहनत के बाद नौकरी पाते हैं (तिकड़मी, बेईमानों, विभिन्न समीकरणों एवं पैसे के बलबूते घुसने वालों को छोड़कर) को गाली देने के बजाय, उनकी job security (???), handsome salary (???) से जलने के बजाय
और उनको नौकरी से छंटनी करने और संविदा पर रखने पर खुश होने के बजाय, यदि कोई बेईमान है तो उसका विरोध करें और उनको दंडित कराये, बनिस्पत सबको गाली दें।
और हाँ अगर आंदोलन करना है तो प्राइवेट में भी वही job security और salary के लिए आंदोलन करें न कि सरकारी को गाली देने के लिए।
शिक्षा विभाग में जहाँ highly qualified लोग highest degree लेकर आते हैं और प्राइवेट में उनको 5-10-15-20 हजार में रखा जाता है, उसका विरोध करें न कि सरकारी के तंख्वाह से जलन एवं उनकी सुरक्षा (???) को छीनने का प्रयास करें। सभी जानते हैं जो गाली दे रहे हैं,
उनकी भी चाहत सरकारी नौकरी ही रही है पर दुर्भाग्यवश किन्हीं कारणों से उन्हें मिल नहीं पायी।

कृपया इस थ्रेड को अन्यथा न ले निष्पक्ष भाव से मूल्यांकन करें।

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Aug 12, 2021
साहब क्या करते है किसी को समझना नही है बस हाथ बांध के खड़े हो जाना और उनके आदेश को ब्रह्म वाक्य मान पूर करना है चाहे उस से राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान ही क्यूं ना हो...
अब साहब ने राष्ट्रगान रिकॉर्ड करके अपलोड करने का टास्क दिया है और उसका टारगेट पूरा करने के लिए बकायदा बैंको और
अन्य सरकारी संस्थानों को बकायदा आदेश दिया है कि सभी कर्मचारियो को राष्ट्रगान रिकॉर्ड करना है और सर्टिफिकेट की कॉपी head office के जरिए साहब तक भेजनी है लेकिन साहब ब्रांडिंग के चक्कर ये भूल गए की आप की वेबसाइट में जिस पर राष्ट्र गान रिकॉर्ड करना है उस में फ्रंट कैमरा ही प्रयोग हो
सकता है और फ्रंट कैमरा इस्तेमाल करने पर आप सावधान की मुद्रा में खड़े नही हो सकते है। अब या तो राष्ट्रगान सावधान की मुद्रा में नही गाया जायेगा या हमे अपने head office का आदेश ना मानने की स्तिथि में जवाब देना पड़ेगा।
अब नौकरी देश भक्ति से उपर निकल गई और हमने भी रिकॉर्ड कर लिया
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Feb 3, 2021
प्रधानमंत्री जी के नाम एक जागरूक नागरिक के नाम खुला पत्र,

माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी,

विषय: सरकारी संस्थानों के निजीकरण के दूरगामी प्रभावों की ओर ध्यानआकर्षण

जैसा की आम बजट में वित्त मंत्री जी ने एक बार फिर सम्पूर्ण निजीकरण की ओर कदम बढ़ाते हुए 2 सरकारी बैंकों
और 1 सरकारी सामान्य बीमा कंपनी के निजीकरण की घोषणा की जिस से बैंकिंग और बीमा के क्षेत्र में कार्यरत लोगो को अपना भविष्य अंधेरे में दिख रहा है।
जैसा कि आपने अपने कार्यकाल में कई सरकारी संस्थानों में विनिवेश और विदेशी निवेश के जरिए निजी भागीदारी को बढ़ावा दिया है।
मै इस देश का एक जागरूक नागरिक होने के कारण आप का ध्यान निम्नलिखित बिंदुओं की ओर आकृष्ट करना चाहता हू.

1. आखिर क्यूं आज तक सर्वश्रेष्ठ शिक्षा संस्थान IIT और IIM है जबकि कोई निजी संस्थान नहीं?
2. आखिर क्यूं इस देश का सर्वश्रेष्ठ अस्पताल आज भी AIIMS है नाकी कोई निजी हस्पताल?
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Sep 28, 2020
आज बैंक में अफसर बने हुए 5 साल हो गए, जब बैंक भर्ती हुए तो एक बात समझी थी कि बैंक के लिए काम करना है और जनता की सेवा करनी है लेकिन आज 5 साल बाद इतना तो समझ आ गया कि जनता सेवा नहीं चाहती है वो तो केवल अपना काम चाहती है चाहे नियम विरूद्ध ही क्यो ना हो और हमे बैंक के लिए नहीं सरकार
के लिए काम करना है चाहे बैंक के लिए हानिकारक ही क्यों ना हो वो काम। सरकार ने हम से अपने वोट बैंक की राजनीति सधवानी है और पब्लिक कि नजर में तो हम मुफ्तखोर है ये अलग बात है कि हम सब से कम पारिश्रमिक पाने वाले लोग है और सब से ज्यादा पब्लिक की सीधी सेवा करने वाले भी। हम दुर्गम से
दुर्गम क्षेत्र में भी जनता को सेवा देते है। आज आप को एक राज़ की बात बताता हूं क्यूं जनता हमे मुफ्त की तनख्वाह लेने वाले और घूसखोर समझती है। एक लड़का जो 100 सीसी की बाइक चलाता था बैंक ज्वाइन करने के कुछ समय बाद एक बुलेट या पल्सर के लेता है क्यो की 100 सीसी की बाइक तो पापा के नाम
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Sep 25, 2020
मेरा सभी से निवेदन है कि पोस्ट पूरा पढ़े। ज्यादातर लोग बड़े बड़े पोस्ट पढ़ते ही नहीं है या तो नजरअंदाज कर देते है या बिना पड़े लाइक कर के चले जाते है।निजीकरण ये एक ऐसा शब्द है जिसने आज भारत को दो भागो में बांट दिया है एक वो जो इसका समर्थन करते है और दूसरे वो जो इसका विरोध करते है
किसी का समर्थन या विरोध करना आपकी अभिव्यक्ति की स्वन्त्रता है लेकिन ये तार्किक होना चाहिए ना कि अंधा विरोध या समर्थन।परिवर्तन एक सतत प्रक्रिया है तो परिवर्तन तो होंगे लेकिन किसी भी वर्तमान व्यवस्था में होने वाले परिवर्तन यह देख कर होने चाहिए की वर्तमान व्यवस्था आखिर क्यों लागू की
गई थी? उसका आधार क्या था?हवाई यात्रा का विकल्प तो कब से है लेकिन इसमें केवल आरक्षित श्रेणी में यात्रा करने का ही विकल्प है और वो भी कितना महंगा है ये आप और हम सब जानते ही है। ये सच है कि आज बहुत से लोग हवाई यात्रा करते है लेकिन उन भारतीयों का क्या होगा
Read 10 tweets
Sep 20, 2020
सरकारी संस्थानों का निजीकरण सही है या गलत?
आज नगर निगम का दफ्तर इतना सजा हुआ था जैसे या तो किसी वरिष्ठ अधिकारी का दौरा हो या किसी वरिष्ठ अधिकारी की सेवानिवृत्ति कार्यक्रम. मन नहीं माना तो मैंने जाकर खुद ही पूछ लिया एक नगर निगम के एक कर्मचारी से
" भाई ये नगर निगम कार्यालय इतना सजाया क्यूं गया है? क्या कोई अधिकारी या नेता दौरे पर है या कोई वरिष्ठ अधिकारी की सेवानिवृत्ति का कार्यक्रम है?" उस व्यक्ति ने जो उत्तर दिया उस उत्तर को सुनकर में सन्न रह गया। उसने कहा, " आज एक महिला सफाई कर्मी का सेवानिवृति कार्यक्रम है
ये उत्तर सुनकर लगा आखिर उस सफाईकर्मी की ऐसी क्या उपलब्धि है जो पूरा नगर निगम कार्यालय सजाया गया है क्योंकि हर महीने कोई ना कोई सेवानिवृत होता ही है.
तभी 3 गाड़ियां आकार वहाँ आकार रुकी जिसमें एक नीली बत्ती वाली गाड़ी भी थी जो कि डीएम सीवान की थी और बाकी 2 गाड़ियों से एक डॉक्टर
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Sep 16, 2020
सरकारी नौकरी क्यों जरूरी है,,

निजीकरण की तमाम बहस के बावजूद सरकारी नौकरी का मोह जाता नही, क्यूं??

वजह ये है कि सरकारी नौकरी एक तिलिस्मी चाभी है जो एक निम्नवर्गीय व्यक्ति को भी समाज के इलीट क्लास में पहुचने का रास्ता दिखाता है,
#StopPrivatisation_SaveGovtJob
सदियों से जो दबे कुचले वंचित गरीब रहे है, जिनके बाप बड़े व्यवसायी, किसान, प्रोपर्टी होल्डर नही है, जो बेटे को बड़ी विरासत दे जाएं, और कहें बेटा डर मत मैं हूं न तुम्हारा भविष्य सिक्योर है,

#StopPrivatisation_StopGovtJob
सरकारी नौकरी उन लोगो की लाइफलाइन और जीवन को बेहतर बनाने का मौका है,, जो जानते है कि उनके पास इतनी पूंजी नही की बडा व्यवसाय खड़ा कर सके, 4 दुकान किराए पर लगाकर बिना मेहनत कमा खा सके,,और इज्जत के साथ जी सके,,
वो आम आदमी ये जानता है,
#StopPrivatisation_SaveGovtJob
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