Amit Chauhan Profile picture
I want to be know more...banker by profession...... ...100%fb to bankers. All tweets are personal views. RTs are not endorsement.
Aug 12, 2021 6 tweets 2 min read
साहब क्या करते है किसी को समझना नही है बस हाथ बांध के खड़े हो जाना और उनके आदेश को ब्रह्म वाक्य मान पूर करना है चाहे उस से राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान ही क्यूं ना हो...
अब साहब ने राष्ट्रगान रिकॉर्ड करके अपलोड करने का टास्क दिया है और उसका टारगेट पूरा करने के लिए बकायदा बैंको और अन्य सरकारी संस्थानों को बकायदा आदेश दिया है कि सभी कर्मचारियो को राष्ट्रगान रिकॉर्ड करना है और सर्टिफिकेट की कॉपी head office के जरिए साहब तक भेजनी है लेकिन साहब ब्रांडिंग के चक्कर ये भूल गए की आप की वेबसाइट में जिस पर राष्ट्र गान रिकॉर्ड करना है उस में फ्रंट कैमरा ही प्रयोग हो
Feb 3, 2021 12 tweets 3 min read
प्रधानमंत्री जी के नाम एक जागरूक नागरिक के नाम खुला पत्र,

माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी,

विषय: सरकारी संस्थानों के निजीकरण के दूरगामी प्रभावों की ओर ध्यानआकर्षण

जैसा की आम बजट में वित्त मंत्री जी ने एक बार फिर सम्पूर्ण निजीकरण की ओर कदम बढ़ाते हुए 2 सरकारी बैंकों और 1 सरकारी सामान्य बीमा कंपनी के निजीकरण की घोषणा की जिस से बैंकिंग और बीमा के क्षेत्र में कार्यरत लोगो को अपना भविष्य अंधेरे में दिख रहा है।
जैसा कि आपने अपने कार्यकाल में कई सरकारी संस्थानों में विनिवेश और विदेशी निवेश के जरिए निजी भागीदारी को बढ़ावा दिया है।
Sep 28, 2020 8 tweets 2 min read
आज बैंक में अफसर बने हुए 5 साल हो गए, जब बैंक भर्ती हुए तो एक बात समझी थी कि बैंक के लिए काम करना है और जनता की सेवा करनी है लेकिन आज 5 साल बाद इतना तो समझ आ गया कि जनता सेवा नहीं चाहती है वो तो केवल अपना काम चाहती है चाहे नियम विरूद्ध ही क्यो ना हो और हमे बैंक के लिए नहीं सरकार के लिए काम करना है चाहे बैंक के लिए हानिकारक ही क्यों ना हो वो काम। सरकार ने हम से अपने वोट बैंक की राजनीति सधवानी है और पब्लिक कि नजर में तो हम मुफ्तखोर है ये अलग बात है कि हम सब से कम पारिश्रमिक पाने वाले लोग है और सब से ज्यादा पब्लिक की सीधी सेवा करने वाले भी। हम दुर्गम से
Sep 25, 2020 10 tweets 3 min read
मेरा सभी से निवेदन है कि पोस्ट पूरा पढ़े। ज्यादातर लोग बड़े बड़े पोस्ट पढ़ते ही नहीं है या तो नजरअंदाज कर देते है या बिना पड़े लाइक कर के चले जाते है।निजीकरण ये एक ऐसा शब्द है जिसने आज भारत को दो भागो में बांट दिया है एक वो जो इसका समर्थन करते है और दूसरे वो जो इसका विरोध करते है किसी का समर्थन या विरोध करना आपकी अभिव्यक्ति की स्वन्त्रता है लेकिन ये तार्किक होना चाहिए ना कि अंधा विरोध या समर्थन।परिवर्तन एक सतत प्रक्रिया है तो परिवर्तन तो होंगे लेकिन किसी भी वर्तमान व्यवस्था में होने वाले परिवर्तन यह देख कर होने चाहिए की वर्तमान व्यवस्था आखिर क्यों लागू की
Sep 20, 2020 5 tweets 2 min read
सरकारी संस्थानों का निजीकरण सही है या गलत?
आज नगर निगम का दफ्तर इतना सजा हुआ था जैसे या तो किसी वरिष्ठ अधिकारी का दौरा हो या किसी वरिष्ठ अधिकारी की सेवानिवृत्ति कार्यक्रम. मन नहीं माना तो मैंने जाकर खुद ही पूछ लिया एक नगर निगम के एक कर्मचारी से " भाई ये नगर निगम कार्यालय इतना सजाया क्यूं गया है? क्या कोई अधिकारी या नेता दौरे पर है या कोई वरिष्ठ अधिकारी की सेवानिवृत्ति का कार्यक्रम है?" उस व्यक्ति ने जो उत्तर दिया उस उत्तर को सुनकर में सन्न रह गया। उसने कहा, " आज एक महिला सफाई कर्मी का सेवानिवृति कार्यक्रम है
Sep 18, 2020 15 tweets 5 min read
साभार एक फेसबुक मित्र की कलम से

#सरकारी बनाम #निजीकरण। (विचारों का तारतम्य न खोजे, जो महसूस किया वैसा लिख रहा हूँ।)

भारत में व्यक्ति पूजा एवं उनका #महिमामंडन भी खूब होता है तथा साथ ही कुछ काले धब्बों को दिखाकर एक अच्छी-खासी #संस्था का #मानमर्दन भी खूब होता है जैसाकि वर्तमान में सरकारी संस्थाओं के बारे में किया जा रहा है।

बहुसंख्यक अपने दुख से दुखी नहीं होता है अपितु दूसरों को सुखी देखकर ज्यादे दुखी होता है और जनता की इसी दुर्बलता भरी भावना का लाभ उठाते हुए सरकारें अपनी गलत नीतियों को enforce कराती हैं
Sep 16, 2020 12 tweets 4 min read
सरकारी नौकरी क्यों जरूरी है,,

निजीकरण की तमाम बहस के बावजूद सरकारी नौकरी का मोह जाता नही, क्यूं??

वजह ये है कि सरकारी नौकरी एक तिलिस्मी चाभी है जो एक निम्नवर्गीय व्यक्ति को भी समाज के इलीट क्लास में पहुचने का रास्ता दिखाता है,
#StopPrivatisation_SaveGovtJob सदियों से जो दबे कुचले वंचित गरीब रहे है, जिनके बाप बड़े व्यवसायी, किसान, प्रोपर्टी होल्डर नही है, जो बेटे को बड़ी विरासत दे जाएं, और कहें बेटा डर मत मैं हूं न तुम्हारा भविष्य सिक्योर है,

#StopPrivatisation_StopGovtJob
Jul 28, 2020 15 tweets 6 min read
#StopPrivatizationOfBanks
निजीकरण क्या है?
ये एक अवधारणा है शक्ति के केंद्रीयकरण की।

सरकारी संस्थान और निजीसंस्थान दोनों के सोच में मूलभूत अंतर है जो आज के नए नए बने बुद्धिजीवियों को शायद पता नहीं है या वो जानबूझकर अंजान बने हुए है। #StopPrivatizationOfBanks
किसी भी दल का या सरकार का समर्थन करना या विरोध करना आप की विचारशीलता पर होना चाहिए ना की केवल सुनी सुनाई बातों पर।

सरकारी संस्थानों के नितिपरक निर्णय एक चुना हुआ दल लेता है जबकि निजी संस्थानों के नीतिपरक निर्णय एक व्यक्ति द्वारा आदेशित बोर्ड लेता है।
Jul 25, 2020 8 tweets 2 min read
बैंकर् - है कौन ये विचित्र जीव?
विचित्र ही तो कहेंगे क्योकी इसका कोई नहीं और ये सबका तारणहार है। अब कुछ बुद्धिजीवी हां हां वही जो बुद्धि को खा खा कर जीते है, ऐसा कैसे तो आज मै इस यक्षप्रश्न का सीधा उत्तर देता हूं। मैं ये भी जानता हूं कि मेरे उत्तर से बहुत लोगों का पेट दर्द होगा ये विचित्र इसलिए है क्योंकि ये परिवार के भरण पोषण के लिए नौकरी करता है परन्तु अपने ही परिवार में मेहमान बन जाता है क्योंकि अक्सर ऐसा होता है कि परिवार देश के एक कोने में होता है और पोस्टिंग दूसरे कोने में देश के।

ये विचित्र इसलिए है क्योंकि इसने बैंक ज्वाइन करते समय जो सपना देखा
Jul 13, 2020 4 tweets 2 min read
मै बैंकर हूँ। मेरी कहानी बड़ी मार्मिक और दुःखद है। मैंने सम्मान और सम्पन्नता के शिखर देखे है तो आज दुर्गति की अति देख रहा हूँ।
मैं बैंकर हूँ जिसने राष्ट्रीयकरण के समय से देश के निचले और पिछड़े वर्ग को देश की मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया है और सफल भी हुआ हूँ @idesibanda और आज निजीकरण का डर देख रहा हूँ, आज उसी वर्ग से मिल रहे अपमान के घूंट पी रहा हूँ।

मै बैंकर हूँ जो हर समय देश की अर्थव्यवस्था प्रणाली को अपने कंधे पर ढो रहा हूँ।

मै बैंकर हूँ जो वोट बैंक की राजनीति का आधार होते हुए भी हर राजनैतिक दल से खुद को उपेक्षित पा रहा हूँ। @alashshukla
Jul 12, 2020 7 tweets 2 min read
कभी कभी मेरे दिल में ये ख्याल आता है कि बैंकर्स की हालत का जिम्मेदार कौन है ये हमारे तथाकथित नेता या स्वयं हम बैंकर्स। हम इस बात को तो मानते है कि हमारे भाग्य की दुर्गति में काफी हद तक इन सेवानिवृत्त नेताओ का हाथ है परंतु क्या हम भी उतने ही दोषी नही है। आज कुछ जोशीले युवा अपनी बाते सोशल मीडिया पर अपनी बातें तार्किक ढंग से रख रहे है परंतु जिस अनुपात में बैंकिंग इंडस्ट्री में युवा है उस का हजारवाँ हिस्सा भी उन युवाओं के साथ नही है। इसका कारण कही न कही उन युवाओं की इस लड़ाई की और उनकी उदासीनता है। अभी कुछ समय पहले हुई 2 दिन की हड़ताल में जब मैंने उन लोगो
Jul 6, 2020 4 tweets 2 min read
2 साल 8 महीने मतलब #978Days से पेंडिंग है हमारा वेज रिवीजन। काम करवाना हो तो सरकारी बैंक उसके बाद निजीकरण की धमकी। ये भी तो एक तरह की गुलामी ही है । बैंको का हर सरकार ने शोषण ही किया है चाहे ऋणमाफी हो या बिना जमानत ऋण देना हो। सरकार और जनता को ये क्यों समझ नही आता कि ये पैसा जनता का है ना कि किसी सरकार का । अगर सरकारी बैंक बर्बाद हुए तो इस देश की जनता पहले बर्बाद होगी।
एक साहूकार जब पैसा देता है तो वो भी कुछ न कुछ जमानत लेता है और डंडे के जोर पर वसूल भी लेता है पर जब हम किसी की क्षमता के आधार पर मना कर दे तो ये लोगो को अपने अधिकार का हनन लगता है। किसी के
May 30, 2020 8 tweets 5 min read
मन बड़ा दुःखी होता है जब लोगो के मुँह से हमारे #941Days से लंबित वेतन समझौते को लेकर बैंकर्स पर लालची होने का आरोप सुनता हूँ। मेरा उन सभी लोगो से कहना है कि ये #941Days दिन के हिसाब से देखने पर भले ही आप को कम समय लगे पर जब यही #941Days जब ढाई साल से अधिक बनता है तो बैंकर्स का खून जलता है। आप की जानकारी के लिए बता दूं कि एक वेतन समझौते की अवधि 5 साल या 1826 दिन होती है पर ये समझौता अपनी निर्धारित तिथि से आज तक #941Days लंबित है। मेरा आप सभी से ये प्रश्न है कि क्या विश्व मे या भारत देश मे ये महामारी की स्थिति पिछले #941Days से है यदि नही तो सरकार ने
May 25, 2020 6 tweets 3 min read
सभी बैंकर्स मित्रो को आज के ऐतिहासिक दिन की बधाई, आप सब सोच रहे होंगे आज ऐसा क्या हुआ है इतिहास में जो में आप सब को बधाई दे रहा हूँ!
आज हम ने 11th BPS को सब से ज्यादा समय तक लंबित होने वाला BPS बना दिया है #936Days और अभी तो ये इंतज़ार ओर कितना लंबा होगा कोई नही जनता। Image इस सब के बावजूद हम देश सेवा में अनवरत लगे हुए है ये जानते हुए भी की किसी को कोई अंतर नही पड़ता हमारे दर्द और संकटो से। #936Days से केंद्रीय कर्मचारियों की तुलना में वेतन की विसंगति हो या कार्य के निष्पादन के दुष्कर नियम और प्रबंधन के सरकार के आदेश पर दिए गए अप्रायोगिक लक्ष्य ,
May 17, 2020 5 tweets 3 min read
#928Days
#BankNirbharBharat
सरकार ने 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा तो कर दी और ये भी बताया कि इस पैकेज का लाभ कैसे उठाया जा सकता है परंतु ये नही बताया कि बैंकर को आत्महत्या करनी है या उसकी हत्या के लिए भाड़े के हत्यारों का इंतजाम भी सरकार ही करेगी #928Days
#BankNirbharBharat
जिन बैंकर्स की छाती पर पैर रख कर ये सरकार आगे बढ़ रही है कभी इस सरकार ने उन बैंक वालो के दुःख दर्द जानने की कोई कोशिश की।
2014 - प्रधानमंत्री जनधन योजना
2015- प्रधानमंत्री मुद्रा योजना
2016- नोटबन्दी
बैंकर्स सरकार का साथ देते रहे
May 16, 2020 5 tweets 2 min read
जो काम करेगा उसी को जवाब भी देना होगा

अभी फेसबुक पर एक पोस्ट देखी जिसमे लोगो ने बेहूदा सवाल किये थे जैसे
इस समय आपके नगर में सरकारी अधिकारी दिख रहे हैं
बैंक में खाता खुल रहा है
डॉक्टर इलाज कर रहे है
स्कूल खुले है क्या

अब इस पर हजारों कमेंट थे जो इन लोगो को नकारा साबित करने में लगे थे , उनकी बेरोजगारी की भड़ास उन आदमियो को लहूलुहान कर रही थी जिन्होंने नौकरी के लिए अपनी जवानी को बर्बाद कर दिया

उनके लिए ये कहना कि कोरोना में जब सब बंद है मुफ्त का पैसा खा रहे हैं ये बैंक वाले, ये सरकारी कर्मचारी ।।

काम तो कुछ करते नही बस बैठ
May 15, 2020 6 tweets 2 min read
आजकल हर तरफ 20 लाख करोड़ के पैकेज की चर्चा है, ग्राहकों के फोन भी आने लगे है कि ये नये वाला लोन कब और कैसे मिलेगा? मेरा सवाल यह है कि क्या सरकार सिर्फ लोन दिलवाने के लिए ही है इन लोन की वसूली के नाम पर सब को साँप सूंघ जाता है। जिन लोगो को खुद उनका बाप 10 रुपये ना दे व्यापार के नाम पर वो भी बैंक में 10 लाख के बिना गारंटी वाले लोन लेने। इस पर तुर्रा ये कि सरकार का पैसा है तुम्हे देने में बड़ी समस्या है। इनको कौन समझाये की ये पैसा सरकार का नही है बल्कि बैंक के खाताधारको का है और सब्सिडी का पैसा करदाताओं की मेहनत का पैसा है।
अब सरकार का नया शिगूफा है कि
Sep 22, 2019 5 tweets 4 min read
@PMOIndia @nsitharaman @narendramodi @PiyushGoyal @AmitShah @ZeeNews @ndtv @aajtak @ABPNews @ravishndtv @sudhirchaudhary @sardanarohit
पिछले 6 साल से जिन योजनाओं की सफ़लता को गिना कर आप अपनी सरकार की पीठ ठोक रहे हैं उन को मर मर कर हम बैंकर ने सफ़ल बनाया है. आप की इन योजनाओं ने बैंकिंग क्षेत्र के लाभ पर कुठाराघात किया है. किन्तु आज जब वही बैंकर अपने अधिकार की मांग कर रहा है तो आज आप हम से लाभ ना होने की बात कर रहे हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम देश की जनता की सेवा के लिए होते हैं ना कि लाभ कमाने के लिए. आज SBI ने दिस्कित, लेह से 120 किलोमीटर आगे एक