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Oct 2, 2020 5 tweets 2 min read Read on X
सन 1930 में 384 किलोमीटर की पैदलयात्रा कर गांधीजी दांडी पहुंचे और नमक सत्याग्रह किया यह बात हमें बढ़ा-चढ़ाकर बताई जाती है लेकिन दांडी यात्रा की फलश्रुति क्या है पता है?

अंग्रेजों ने नमक-टैक्स कभी खत्म नहीं किया। 1946 में नेहरू की अंतरिम सरकार बनने तक भारतीय यह टैक्स चुकाते रहे।
गांधी जी की हत्या के तुरंत बाद उनके ही अनुयायियों ने उनकी अहिंसा की विचारधारा को मार दिया।
मोपला नरसंहार, भारतीय राजनीति में तुष्टिकरण का प्रथम अध्याय।
रॉलेट एक्ट के विरोध में जब देश में क्रांति की लहर थी तब गांधीजी कहां थे।
गांधीजी देश के सर्वोच्च नेता हैं और हमेशा रहेंगे लेकिन गांधी चरित्र का सिर्फ एक पहलू बताना और दूसरे पहलू को छुपाते रहना शायद उनके सिद्धांतों से विपरीत होगा। दोनों पक्षों पर चर्चा ही गांधी जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। 🙏

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Jan 23, 2022
हिंदू मन्दिरों के शिल्प तथा स्थापत्य, हमारी पौराणिक कथाओं के प्रसंग और हमारे पूर्वजों की शौर्य गाथाएँ अपने-आप में जीनव दर्शन के कितने ही रहस्य समेटे हुए हैं। »»

Badami Rock-cut cave temples
#OurTrueHistory @ShefVaidya
ऐसे ही गृहस्थ जीवन से जुड़े रहस्यों को ढूंढने के प्रयास में, चलिए चलते हैं… महाबलीपुरम!

#OurTrueHistory @ShefVaidya
ऐसे ही पौराणिक कथाओं से जुड़े रहस्यों को ढूंढने के प्रयास में, चलिए चलते हैं… चेन्नकेशव मंदिर, बेलूर!

#OurTrueHistory @ShefVaidya
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Jan 17, 2022
सुबह से लगातार हो रही बारिश अभी थोड़ी थमी थी। यूनिवर्सिटी के साइंस कॉलेज का कैंपस शान्त था। ग्यारह बजने को थे। अब्बास सर का उबाऊ क्लास बन्क कर के मैं बाहर आ गया। सब स्टूडेंट्स क्लास अटेंड कर रहे हों तब इस समय कैंपस में बाहर रह कर प्रोफेसर्स के नजरों से बचे रहना मुश्किल था इसलिए…
रोज़ की तरह मैं ग्राउंड फ्लोर से मैथ्स डिपार्टमेंट और फर्स्ट फ्लोर से बोटनी डिपार्टमेंट की सीढ़ियां चढ़ते हुए दुसरी मंजिल पर जूलॉजी डिपार्टमेंट पहुंच गया। जूलॉजी में विद्यार्थियों की संख्या कम होने के कारण यहां आवाजाही कम रहती थी…
और इसी कारण मैं अब्बास सर का क्लास बन्क कर के हमेशा यहां समय बिताने आ जाता था। हालांकि जूलॉजी डिपार्टमेंट के उपर छत थी लेकिन छत पर जाने वाला गेट हमेशा लॉक्ड रहता था इसलिए मैं कभी उपर नहीं जा पाया था। आश्चर्यजनक रूप से आज छत पर जाने वाला गेट खुला था। »»
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Apr 8, 2021
पहले इन्होंने हमारे देश को लूटा फिर कांग्रेसी सरकारों ने करोड़ों रुपए का मेकअप लगा कर इन्हीं के मकबरों को चकाचक चमकाया। वाह वाह करने वाले रेस्टोरेशन से पहले मकबरे की तस्वीर भी नहीं पहचान पाएंगे। »»
अब इसकी तुलना में देश के दूसरे स्मारकों की दुर्दशा देखते हैं।

सबसे पहले बाजीराव प्रथम की समाधि।
सिद्धपुर का रूद्र महालय। विवादास्पद स्थल होने की वजह से यहां किसी भी प्रकार के रेस्टोरेशन की संभावनाएं समाप्त हो गई हैं।
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Apr 6, 2021
शस्त्रों की शक्ति बहुत बड़ी होती है। कंबोडिया में कम्यूनिस्टों ने सरहद पार से अवैध शस्त्र किसानों के हाथों में थमा दिए और सशस्त्र संघर्ष से स्वयं सत्ता प्राप्त कर उन्हीं किसानों का शोषण किया। आज भी कंबोडियाई तानाशाह पोल-पोट द्वारा किए गए नरसंहार के प्रमाण ज़मीन में से निकलते हैं। Image
पोलपोट के कम्यूनिस्ट दिवास्वप्न के अनुसार देश के सभी लोग किसान थे। बंदूक की नोंक पर शहरों को खाली कराया गया और शिक्षित प्रजाजनों को भी खेतों में मजदूरी करने गांवों में भेज दिया गया। इनमें डॉक्टर और प्राध्यापक जैसे लोग भी शामिल थे। विरोध का परिणाम सीने में बुलेट से मिलता था।
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Feb 13, 2021
कुछ काम से शहर से बाहर जाना पड़ा, घर पहुंचने में देरी हुई। रात के साढ़े ग्यारह बज रहे थे और सूनसान रास्ते पर बाइक बंद हो गई। सोचा कि किसी सेफ जगह पर बाइक पार्क कर पैदल घर चला जाऊंगा। तब तक बाईक खींचने के अलावा कोई चारा नहीं था। फ़रवरी महिने में ठंड कम हो रही थी और…
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Sep 28, 2020
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